Category: शायरी
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ग़ज़ल: न मैं समझा न आप आए कहीं से – अनवर देहलवी, Na Main Samjha Na Aap Aae Kahin Se – Anwar Dehlvi Ghazal
ग़ज़ल: न मैं समझा न आप आए कहीं से – अनवर देहलवी, Na Main Samjha Na Aap Aae Kahin Se – Anwar Dehlvi Ghazal न मैं समझा न आप आए कहीं से पसीना पोछिए अपनी जबीं से चली आती है होंटों पर शिकायत नदामत टपकी पड़ती है जबीं से अगर सच है हसीनों में तलव्वुन…
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होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है – निदा फ़ाज़ली, Hosh Walon Ko Khabar Kya Bekhudi Kya Chiz Hai- Nida Fazli
होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है – निदा फ़ाज़ली, Hosh Walon Ko Khabar Kya Bekhudi Kya Chiz Hai- Nida Fazli होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है उन से नज़रें क्या मिलीं रौशन फ़ज़ाएँ हो गईं आज जाना प्यार की जादूगरी क्या…
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नज्म: भली सी एक शक्ल थी – अहमद फ़राज़, Bhali Si Ek Shakl Thi – Ahmad Faraz Najm, Sher-o- Shayri)
नज्म: भली सी एक शक्ल थी – अहमद फ़राज़, Bhali Si Ek Shakl Thi – Ahmad Faraz Najm, Sher-o- Shayri) भले दिनों की बात है भली सी एक शक्ल थी न ये कि हुस्न-ए-ताम हो न देखने में आम सी न ये कि वो चले तो कहकशाँ सी रहगुज़र लगे मगर वो साथ हो तो…
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हिंदी गजल शायरी: तीर पर तीर लगाओ तुम्हें डर किस का है – अमीर मीनाई, Tir Par Tir Lagao Tumhein Dar Kis Ka Hai- Ameer Minai Ghazal in Hindi
हिंदी गजल शायरी: तीर पर तीर लगाओ तुम्हें डर किस का है – अमीर मीनाई, Tir Par Tir Lagao Tumhein Dar Kis Ka Hai- Ameer Minai Ghazal in Hindi तीर पर तीर लगाओ तुम्हें डर किस का है सीना किस का है मिरी जान जिगर किस का है ख़ौफ़-ए-मीज़ान-ए-क़यामत नहीं मुझ को ऐ दोस्त तू…
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ग़ज़ल: उन से हम लौ लगाए बैठे हैं – अनवर देहलवी, Un Se Hum Lau Lagae Baithe Hain- Anwar Dehlvi Ghazal
ग़ज़ल: उन से हम लौ लगाए बैठे हैं – अनवर देहलवी, Un Se Hum Lau Lagae Baithe Hain- Anwar Dehlvi Ghazal उन से हम लौ लगाए बैठे हैं आग दिल में दबाए बैठे हैं वो जो गर्दन झुकाए बैठे हैं हश्र क्या क्या उठाए बैठे हैं तेरे कूचे के बैठने वाले अपनी हस्ती मिटाए बैठे…
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बे-दिली क्या यूँही दिन गुज़र जाएँगे – जौन एलिया, Be-dili Kya Yunhi Din Guzar Jaenge- Jaun Elia
बे-दिली क्या यूँही दिन गुज़र जाएँगे – जौन एलिया, Be-dili Kya Yunhi Din Guzar Jaenge- Jaun Elia बे-दिली क्या यूँही दिन गुज़र जाएँगे सिर्फ़ ज़िंदा रहे हम तो मर जाएँगे रक़्स है रंग पर रंग हम-रक़्स हैं सब बिछड़ जाएँगे सब बिखर जाएँगे ये ख़राबातियान-ए-ख़िरद-बाख़्ता सुब्ह होते ही सब काम पर जाएँगे कितनी दिलकश हो…
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दर्द हो दिल में तो दवा कीजे – मंज़र लखनवी, Manzar Lakhnavi Ki Shayari Dard Ho Dil Mein To Dawa Kije
दर्द हो दिल में तो दवा कीजे – मंज़र लखनवी, Manzar Lakhnavi Ki Shayari Dard Ho Dil Mein To Dawa Kije दर्द हो दिल में तो दवा कीजे और जो दिल ही न हो तो क्या कीजे ग़म में कुछ ग़म का मशग़ला कीजे दर्द की दर्द से दवा कीजे आप और अहद-ए-पुर-वफ़ा कीजे तौबा…
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मरेंगे तो वहीं जा कर जहां पर जिदगी है: गुलजार, Marenge To Wahin Jaa Kar Jahan Par Zindagi Hai- Gulzar Poem Lyrics In Hindi
मरेंगे तो वहीं जा कर जहां पर जिदगी है: गुलजार, Marenge To Wahin Jaa Kar Jahan Par Zindagi Hai- Gulzar Poem Lyrics In Hindi महामारी लगी थी घरों को भाग लिए थे सभी मजदूर, कारीगर मशीनें बंद होने लग गई थीं शहर की सारी उन्हीं से हाथ पाओं चलते रहते थे वर्ना जिन्दगी तो गांव…
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इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ- अहमद फ़राज़, Is Se Pahle Ki Be-wafa Ho Jaen- Ahmd Faraz
इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ- अहमद फ़राज़, Is Se Pahle Ki Be-wafa Ho Jaen- Ahmd Faraz इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ तू भी हीरे से बन गया पत्थर हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ तू कि यकता था बे-शुमार हुआ…
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कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी – परवीन शाकिर , Kuchh To Hawa Bhi Sard Thi Kuchh Tha Tera Khayal Bhi – Parveen Shakir
कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी – परवीन शाकिर , Kuchh To Hawa Bhi Sard Thi Kuchh Tha Tera Khayal Bhi – Parveen Shakir कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी बात वो आधी रात की…
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कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे – जौन एलिया, Kitne Aish Se Rahte Honge Kitne Itraate Honge – Jaun Eliya
कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे – जौन एलिया, Kitne Aish Se Rahte Honge Kitne Itraate Honge – Jaun Eliya कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे शाम हुए ख़ुश-बाश यहाँ के मेरे पास आ जाते हैं मेरे बुझने का नज़्ज़ारा करने…
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मिल ही जाएगा कभी दिल को यक़ीं रहता है – अहमद मुश्ताक़, Mil Hi Jaega Kabhi Dil Ko Yaqin Rahta Hai – Ahmad Mushtaq
मिल ही जाएगा कभी दिल को यक़ीं रहता है – अहमद मुश्ताक़, Mil Hi Jaega Kabhi Dil Ko Yaqin Rahta Hai – Ahmad Mushtaq मिल ही जाएगा कभी दिल को यक़ीं रहता है वो इसी शहर की गलियों में कहीं रहता है जिस की साँसों से महकते थे दर-ओ-बाम तिरे ऐ मकाँ बोल कहाँ अब…