Category: शायरी
-
चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है – साहिर लुधियानवी, Chehre Pe Khushi Chha Jati Hai Aankhon Mein Surur Aa Jata Hai – Sahir Ludhianvi
चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है – साहिर लुधियानवी, Chehre Pe Khushi Chha Jati Hai Aankhon Mein Surur Aa Jata Hai – Sahir Ludhianvi चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है जब तुम मुझे अपना कहते हो अपने पे ग़ुरूर आ जाता है तुम…
-
काफ़िर था में ज़रूर मगर उन के इश्क़ में – आफ़ताब लख़नवी, Kafir Tha Mai Jarur Magar Unke Ishk Mein – Aaftab Lakhnavi
काफ़िर था में ज़रूर मगर उन के इश्क़ में – आफ़ताब लख़नवी, Kafir Tha Mai Jarur Magar Unke Ishk Mein – Aaftab Lakhnavi काफ़िर था में ज़रूर मगर उन के इश्क़ में मिनटों में क्या से क्या मिरा ईमान हो गया उन की नज़र से मेरी नज़र दस बजे लड़ी दस बज के दस मिनट…
-
अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए – उबैदुल्लाह अलीम, Aziz Itna Hi Rakkho Ki Ji Sambhal Jae – Obaidullah Aleem
अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए – उबैदुल्लाह अलीम, Aziz Itna Hi Rakkho Ki Ji Sambhal Jae – Obaidullah Aleem अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए मिले हैं यूँ तो बहुत आओ अब मिलें यूँ भी कि रूह गर्मी-ए-अनफ़ास से पिघल…
-
मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया – साहिर लुधियानवी, Main Zindagi Ka Sath Nibhata Chala Gaya – Sahir Ludhianvi
मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया – साहिर लुधियानवी, Main Zindagi Ka Sath Nibhata Chala Gaya – Sahir Ludhianvi मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया बर्बादियों का सोग मनाना फ़ुज़ूल था बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया जो मिल गया उसी को मुक़द्दर समझ लिया…
-
कोई उम्मीद बर नहीं आती – मिर्ज़ा ग़ालिब, Koi Ummid Bar Nahin Aati – Mirza Ghalib
कोई उम्मीद बर नहीं आती – मिर्ज़ा ग़ालिब, Koi Ummid Bar Nahin Aati – Mirza Ghalib कोई उम्मीद बर नहीं आती कोई सूरत नज़र नहीं आती मौत का एक दिन मुअय्यन है नींद क्यूँ रात भर नहीं आती आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी अब किसी बात पर नहीं आती जानता हूँ सवाब-ए-ताअत-ओ-ज़ोहद पर तबीअत…
-
मैं ख़याल हूँ किसी और का मुझे सोचता कोई और है – सलीम कौसर, Main Khayal Hun Kisi Aur Ka Mujhe Sochta Koi Aur Hai – Saleem Kausar
मैं ख़याल हूँ किसी और का मुझे सोचता कोई और है – सलीम कौसर, Main Khayal Hun Kisi Aur Ka Mujhe Sochta Koi Aur Hai – Saleem Kausar मैं ख़याल हूँ किसी और का मुझे सोचता कोई और है सर-ए-आईना मिरा अक्स है पस-ए-आईना कोई और है मैं किसी के दस्त-ए-तलब में हूँ तो किसी…
-
ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा – साहिर लुधियानवी, Ye Zulf Agar Khul Ke Bikhar Jae To Achchha – Sahir Ludhianvi
ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा – साहिर लुधियानवी, Ye Zulf Agar Khul Ke Bikhar Jae To Achchha – Sahir Ludhianvi ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा इस रात की तक़दीर सँवर जाए तो अच्छा जिस तरह से थोड़ी सी तिरे साथ कटी है बाक़ी भी उसी तरह गुज़र…
-
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे – वसीम बरेलवी, Apne Chehre Se Jo Zahir Hai Chhupaen Kaise – Waseem Barelvi
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे – वसीम बरेलवी, Apne Chehre Se Jo Zahir Hai Chhupaen Kaise – Waseem Barelvi अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे घर सजाने का तसव्वुर तो बहुत ब’अद का है पहले ये तय हो कि इस घर को बचाएँ…
-
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया – साहिर लुधियानवी, Kabhi Khud Pe Kabhi Haalat Pe Rona Aaya – Sahir Ludhianvi
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया – साहिर लुधियानवी, Kabhi Khud Pe Kabhi Haalat Pe Rona Aaya – Sahir Ludhianvi कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को क्या हुआ आज ये किस…
-
बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए – राहत इंदौरी, Bimar Ko Maraz Ki Dawa Deni Chahiye – Rahat Indori
बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए – राहत इंदौरी, Bimar Ko Maraz Ki Dawa Deni Chahiye – Rahat Indori बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए अल्लाह बरकतों से नवाज़ेगा इश्क़ में है जितनी पूँजी पास लगा देनी चाहिए दिल भी किसी फ़क़ीर के हुजरे से कम…
-
अपने हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा – वसीम बरेलवी, Apne Har Har Lafz Ka Khud Aaina Ho Jaunga -Waseem Barelvi
अपने हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा – वसीम बरेलवी, Apne Har Har Lafz Ka Khud Aaina Ho Jaunga -Waseem Barelvi अपने हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा उस को छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा ही नहीं मैं गिरा तो मसअला बन…
-
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया – शकील बदायुनी, Ai Mohabbat Tere Anjam Pe Rona Aaya – Shakeel Badayuni
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया – शकील बदायुनी, Ai Mohabbat Tere Anjam Pe Rona Aaya – Shakeel Badayuni ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती है आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया कभी तक़दीर…