masik-shivratri

मासिक शिवरात्रि व्रत विधि, मासिक शिवरात्रि पूजा विधि, मासिक शिवरात्रि व्रत का महत्व, मासिक शिवरात्रि मंत्र, मासिक शिवरात्रि व्रत में क्या खाना चाहिए, मासिक शिवरात्रि व्रत कथा, मासिक शिवरात्रि आरती, Masik Shivratri Vrat Vidhi, Masik Shivratri Puja Vidhi, Masik Shivratri Vrat Ka Mahatva, Masik Shivratri Vrat Katha In Hindi, Masik Shivratri Aarti, Masik Shivratri Vrat Me Khana Chahiye

मासिक शिवरात्रि व्रत विधि, मासिक शिवरात्रि पूजा विधि, मासिक शिवरात्रि व्रत का महत्व, मासिक शिवरात्रि मंत्र, मासिक शिवरात्रि व्रत में क्या खाना चाहिए, मासिक शिवरात्रि व्रत कथा, मासिक शिवरात्रि आरती, Masik Shivratri Vrat Vidhi, Masik Shivratri Puja Vidhi, Masik Shivratri Vrat Ka Mahatva, Masik Shivratri Vrat Katha In Hindi, Masik Shivratri Aarti, Masik Shivratri Vrat Me Khana Chahiye

मासिक शिवरात्रि संपूर्ण व्रत विधि
मासिक शिवरात्रि हर महीने जबकि महाशिवरात्रि साल में एक बार मनाई जाती है. मासिक त्योहारों में शिवरात्रि के व्रत का बहुत महत्व होता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन आधी रात को भोलेनाथ शिवलिङ्ग के रूप में प्रकट हुए थे. इस दिन शिवलिङ्ग की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और ब्रह्माजी द्वारा शिवलिङ्ग की पूजा की गयी थी. इसी के चलते शिव भक्त हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाते हैं. शिवरात्रि व्रत प्राचीन काल से प्रचलित है. इस व्रत को करके देवी-देवताओं ने मनचाहा वरदान पाया है. शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी, इन्द्राणी, सरस्वती, गायत्री, सावित्री, सीता, पार्वती और रति ने भी शिवरात्रि का व्रत किया था. शिव पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन व्रत और विधि-विधान के साथ पूजा करता है, उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं. साथ ही जीवन की मुश्किलें भी दूर होती हैं. आइए जानते हैं मासिक शिवरात्रि व्रत की पूजा विधि, मंत्र, व्रत में क्या खाएं, व्रत किसे करना चाहिए, मासिक शिवरात्रि व्रत का महत्व, मासिक शिवरात्रि व्रत कथा और आरती के बारें में –

तिथि – प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी
पूजन का समय – प्रदोष काल
रंग – पीला रंग, इस दिन किस पीले रंग का वस्त्र पहने
संबंधित लेख – शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, कैलाश
धार्मिक मान्यता – यह व्रत करने से भगवान शिव की विशेष कृपा द्वारा कोई भी मुश्किल और असम्भव कार्य पूरे किये जा सकते हैं.
विशेष – यदि मासिक शिवरात्रि मंगलवार के दिन पड़ती है तो वह बहुत ही शुभ होती है.
पंचांग उल्लेख- अमांत पंचांग के अनुसार माघ मास की मासिक शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहते हैं, परन्तु पुर्णिमांत पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की मासिक शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहते हैं. दोनों पंचांगों में यह चन्द्र मास की नामाकरण प्रथा है, जो इसे अलग-अलग करती है. हालाँकि दोनों, पूर्णिमांत और अमांत पंचांग एक ही दिन महाशिवरात्रि के साथ सभी शिवरात्रियों को मानते हैं.

निशिता काल- शिवरात्रि पूजन मध्य रात्रि के दौरान किया जाता है. मध्य रात्रि को निशिता काल के नाम से जाना जाता है और यह दो घटी के लिए प्रबल होती है. द्रिक पंचांग सभी शिवरात्रि के व्रत के लिए शिव पूजन करने के लिए निशिता काल मुहूर्त को सूचीबद्ध करता है.
अन्य जानकारी- श्रद्धालुओं को शिवरात्रि के दौरान जगे रहना चाहिए और रात्रि के दौरान भगवान शिव की पूजा करना चाहिए.
कौन कौन कर सकता है व्रत –मासिक शिवरात्रि व्रत पुरुष, महिला या बच्चे कोई भी कर सकता है. लड़कियां इस व्रत को विवाह करने हेतु एवं विवाहित महिलाएँ अपने विवाहित जीवन में सुख और शान्ति बनाये रखने के लिए इस व्रत को करती हैं.
कब से शुरु करें मासिक शिवरात्रि का व्रत- भक्त मासिक शिवरात्रि का व्रत महाशिवरात्रि से आरम्भ कर सकते हैं और एक वर्ष तक कायम रख सकते हैं.

मासिक शिवरात्रि पूजन विधि, Masik Shivratri Pujan Vidhi
1. इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करना अधिक शुभ होता है.
2.मंदिर में या अपने घर में भगवान शिव और उनके परिवार (पार्वती, गणेश, कार्तिक, नंदी) की पूजा करें.
3. भगवान शिव का ध्‍यान कर व्रत का संकल्‍प लें.
4. शिव परिवार को पंचामृत से स्नान कराएं. पूजा के दौरान शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, शुद्ध घी, दूध, शक़्कर, शहद, दही आदि से करें.
5. शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं. अब आप भगवान शिव की धुप, दीप, फल और फूल आदि से पूजा करें.

6. शिव पूजा करते समय आप शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें.
7. ऊं नम: शिवाय मंत्र का लगातार जप करें.
8. भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी आरती करें.
9. भगवान को लगाए जाने वाले भोग में कुछ मीठा जरूर शामिल करें.
10. इसके बाद शाम के समय फल खा सकते हैं लेकिन व्रती को अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए. अगले दिन 11. भगवान शिव की पूजा करें और दान आदि करने के बाद अपना व्रत खोलें.
12. श्रद्धालुओं को शिवरात्रि की रात को जाग कर शिव जी की पूजा करनी चाहिए.

भगवान शिव के प्रमुख मंत्र – मनोवांछित फल के लिए शिव मंत्र
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय.
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:.
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:.
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय.
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:.
अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्.
अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्.

भगवान शिव के प्रमुख मंत्र – निरोग रहने का शिव मंत्र
सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम्.
भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये.
कावेरिकानर्मदयो: पवित्रे समागमे सज्जनतारणाय.
सदैव मान्धातृपुरे वसन्तमोंकारमीशं शिवमेकमीडे.

शाबर मंत्र
ॐ शिव गुरु गोरखनाथाय नमः.
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्.
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्.

मासिक शिवरात्रि व्रत में क्या खाएं
व्रत में जूस का सेवन करें, इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती है. सुबह के समय फलाहार फलाहार में संतरा, खीरा, पपीता, सेब आदि ले सकते हैं. अगर स्वास्थ्य संबंधी समस्या न हो तो बिना नमक के यह व्रत करें. वरना सेंधा नमक का सेवन कर सकते हैं. इस व्रत में काली मिर्च का प्रयोग कर सकते हैं. इस व्रत में मीठा (किसी फल की खीर जैसे गाजर या लौकी की खीर) भी खाई जा सकती है. इसके अलावा मखाना, कुट्टू के आटे से बना भोजन, सिंघाड़े के आटे से बने भोजन, आलू का हलवा, आलू फ्राई, साबुदाने के पापड़, साबुदाने की खीर, साबुदाना के पकौड़े, साबुदाना की खिचड़ी आदि खा सकते हैं. इस व्रत के आते आते मौसम में हल्का फुल्की गर्मी भी आ जाती है तो ठंडाई भी पी जा सकती है. कुछ लोग इस व्रत में मूंगफली नहीं खाते, लेकिन यह आपके ऊपर है आप चाहे तो मूंगफली खा सकते हैं अथवा नहीं.

मासिक शिवरात्रि का महत्व
हर महीने आने वाली मासिक शिवरात्रि का बहुत महत्व होता है. मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत-उपवास रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. यह व्रत रखने से विवाह में आने वाली अड़चनें दूर होती हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, मासिक शिवरात्रि के दिन व्रत रखने से क्रोध, ईष्र्या, अभिमान और लोभ से मुक्ति मिलती है. मासिक शिवरात्रि जीवन में सुख और शांति प्रदान करता है और भगवान शिव की कृपा दृष्टि से उपासक के सारे बिगड़े काम बन जाते है. यह व्रत संतान प्राप्ति, रोगों से मुक्ति के लिए भी किया जाता है. शास्त्रों में भोलेनाथ को जल्दी प्रसन्न होने वाला देव बताया गया है. कहते हैं कि वह भक्तों की पुकार जल्दी सुनते हैं और उनके कष्टों को दूर करते हैं. मासिक शिवरात्रि के दिन शिव चालीसा का बहुत महत्व होता है. शिव चालीसा के सरल शब्दों से भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सकता है.

मासिक शिवरात्रि व्रत कथा
शास्त्रों में भोलेनाथ को जल्दी प्रसन्न होने वाला देव बताया गया है. कहते हैं कि वह भक्तों की पुकार जल्दी सुनते हैं और उनके कष्टों को दूर करते हैं. मासिक शिवरात्रि के दिन शिव चालीसा का बहुत महत्व होता है. शिव चालीसा के सरल शब्दों से भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सकता है.

पहली कथा
एक बार भगवान शिव के क्रोध के कारण पूरी पृथ्वी जलकर भस्म होने की स्थिति में थी. उस वक्त माता पार्वती ने भगवान शिव को शांत करने के लिए उनसे प्रार्थना की. तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी का क्रोध शांत होता हैं, तब से कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन उनकी उपासना की जाती हैं और इसे शिवरात्रि व्रत कहते हैं. शिवरात्रि के व्रत से सभी प्रकार के दुखों का अंत होता हैं. संतान प्राप्ति के लिए , रोगों से मुक्ति के लिए शिवरात्रि का व्रत किया जाता हैं.

दूसरी कथा
एक बार भगवान विष्णु एवम ब्रह्मा जी के बीच मत भेद हो जाता हैं कि दोनों में से कौन श्रेष्ठ हैं. इस बात को लेकर दोनों के बीच मन मुटाव हो जाता है. तभी शिव जी एक अग्नि के सतम्भ के रूप में प्रकट होते हैं और विष्णु जी व ब्रह्माजी से कहते हैं कि मुझे इस प्रकाश स्तम्भ का कोई भी सिरा दिखाई नहीं दे रहा हैं. तब विष्णु जी एवं ब्रह्मा जी को अपनी गलती का अहसास होता हैं और वे अपनी भूल पर शिव से क्षमा मांगते हैं. इस प्रकार कहा जाता हैं कि शिवरात्रि के व्रत से मनुष्य का अहंकार खत्म होता है. मनुष्य में सभी चीजों के प्रति समान भाव जागता हैं. कई तरह के विकारों से मनुष्य दूर होता हैं.

शिव आरती
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा.
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा. ॐ जय शिव…
एकानन चतुरानन पंचानन राजे.
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे. ॐ जय शिव…
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे,
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे. ॐ जय शिव…
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी.
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी. ॐ जय शिव…
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे.
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे. ॐ जय शिव…
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता.
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता. ॐ जय शिव…
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका.
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका. ॐ जय शिव…
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी.
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी. ॐ जय शिव…
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे.
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे. ॐ जय शिव…

मासिक शिवरात्रि व्रत विधि, मासिक शिवरात्रि पूजा विधि, मासिक शिवरात्रि व्रत का महत्व, मासिक शिवरात्रि मंत्र, मासिक शिवरात्रि व्रत में क्या खाना चाहिए, मासिक शिवरात्रि व्रत कथा, मासिक शिवरात्रि आरती, Masik Shivratri Vrat Vidhi, Masik Shivratri Puja Vidhi, Masik Shivratri Vrat Ka Mahatva, Masik Shivratri Vrat Katha In Hindi, Masik Shivratri Aarti, Masik Shivratri Vrat Me Khana Chahiye

ये भी पढ़े –

  1. 16 सोमवार व्रत विधि, 16 Somvar Vrat Vidhi In Hindi, 16 सोमवार व्रत कब से शुरू करें, सोलह सोमवार व्रत.
  2. नींद आने का मंत्र, Neend Aane Ka Mantr, जल्दी नींद आने का मंत्र, Jaldi Neend Aane Ka Mantra.
  3. बुध अष्टमी का व्रत कैसे करें, बुध अष्टमी व्रत पूजा विधि, बुधाष्टमी व्रत कथा, बुधाष्टमी पूजा मंत्र, बुधाष्टमी व्रत.
  4. बच्चों के नये नाम की लिस्ट, बेबी नाम लिस्ट, बच्चों के नाम की लिस्ट, हिंदी नाम लिस्ट, बच्चों के प्रभावशाली नाम.
  5. सामवेद क्या है, सामवेद में कितने मंत्र है, सामवेद संहिता, सामवेद पाठ, सामवेद का महत्व.
  6. शुक्ल पक्ष का अर्थ, कृष्ण पक्ष का अर्थ, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष किसे कहते हैं, एक महीने में कितने पक्ष होते हैं?.
  7. सोमवार व्रत कैसे करें, सोमवार व्रत पूजन विधि नियम कथा आरती, प्रति सोमवार व्रत विधि, सोमवार व्रत.
  8. Hanuman Ji Ke 12 Naam, हनुमान जी के 12 नाम, श्री हनुमान जी के 12 नाम, हनुमान जी के 12 नाम का मंत्र.
  9. न्यूरोबियान फोर्ट टेबलेट किस काम आती है, न्यूरोबिन Forte, Neurobion Forte Tablet Uses in Hindi, Neurobion Forte.
  10. मां गौरी चालीसा, Maa Gauri Chalisa, मां गौरी चालीसा का लाभ, Mata Gauri Chalisa Ka Laabh.