Category: लव प्यार
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तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ – अल्लामा इक़बाल, Tere Ishq Ki Inteha Chahta Hoon By Allama Iqbal, Hindi Sher Shayri
तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ – अल्लामा इक़बाल, Tere Ishq Ki Inteha Chahta Hoon By Allama Iqbal, Hindi Sher Shayri तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ सितम हो कि हो वादा-ए-बे-हिजाबी कोई बात सब्र-आज़मा चाहता हूँ ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ…
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दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ – अकबर इलाहाबादी, Duniya Mein Hun Duniya ka Talabgar Nahi Hun By Akbar Allahabadi, Hindi Gazal, Sher Shayri
दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ – अकबर इलाहाबादी, Duniya Mein Hun Duniya ka Talabgar Nahi Hun By Akbar Allahabadi, Hindi Gazal, Sher Shayri दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ बाज़ार से गुज़रा हूँ ख़रीदार नहीं हूँ ज़िंदा हूँ मगर ज़ीस्त की लज़्ज़त नहीं बाक़ी हर-चंद कि हूँ होश में हुश्यार…
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मेरे अंदर का ग़ुरूर अंदर गुज़रता रह गया – ज़फर इमाम, Mere Andar Ka Ghurur Andar Guzarta Rah Gaya By Zafar Imam, Hindi Gazal, Sher Shayri
मेरे अंदर का ग़ुरूर अंदर गुज़रता रह गया – ज़फर इमाम, Mere Andar Ka Ghurur Andar Guzarta Rah Gaya By Zafar Imam, Hindi Gazal, Sher Shayri मेरे अंदर का ग़ुरूर अंदर गुज़रता रह गया सर से पाँव तक उतरना था उतरता रह गया बारिशों ने फिर वही ज़हमत उठाई देर से एक रेगिस्तान है कि…
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इतनी मुद्दत बा’द मिले हो – मोहसिन नक़वी, Itni Muddat Baad Mile Ho By Mohsin Naqvi Hindi Sher Shayri
इतनी मुद्दत बा’द मिले हो – मोहसिन नक़वी, Itni Muddat Baad Mile Ho By Mohsin Naqvi Hindi Sher Shayri इतनी मुद्दत बा’द मिले हो किन सोचों में गुम फिरते हो इतने ख़ाइफ़ क्यूँ रहते हो हर आहट से डर जाते हो तेज़ हवा ने मुझ से पूछा रेत पे क्या लिखते रहते हो काश कोई…
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दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई – गुलज़ार, Din Kuch Aise Guzarta Hai Koi By Gulzar, Hindi Sher Shayri
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई – गुलज़ार, Din Kuch Aise Guzarta Hai Koi By Gulzar, Hindi Sher Shayri दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई जैसे एहसाँ उतारता है कोई दिल में कुछ यूँ सँभालता हूँ ग़म जैसे ज़ेवर सँभालता है कोई आइना देख कर तसल्ली हुई हम को इस घर में जानता है कोई…
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आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक – मिर्ज़ा ग़ालिब, Aah Ko Chahiye Kya ik Umr Asar Hone Tak – Mirza Ghalib, Hindi Sher Shayri
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक – मिर्ज़ा ग़ालिब, Aah Ko Chahiye Kya ik Umr Asar Hone Tak – Mirza Ghalib, Hindi Sher Shayri आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक दाम-ए-हर-मौज में है हल्क़ा-ए-सद-काम-ए-नहंग देखें क्या गुज़रे है क़तरे पे गुहर होते…