Category: लव प्यार
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अपना दिल पेश करूँ अपनी वफ़ा पेश करूँ – साहिर लुधियानवी, Apna Dil Pesh Karun Apni Vafa Pesh Karun – Sahir Ludhianvi
अपना दिल पेश करूँ अपनी वफ़ा पेश करूँ – साहिर लुधियानवी, Apna Dil Pesh Karun Apni Vafa Pesh Karun – Sahir Ludhianvi अपना दिल पेश करूँ अपनी वफ़ा पेश करूँ कुछ समझ में नहीं आता तुझे क्या पेश करूँ तेरे मिलने की ख़ुशी में कोई नग़्मा छेड़ूँ या तिरे दर्द-ए-जुदाई का गिला पेश करूँ मेरे…
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सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है – शहरयार, Sine Mein Jalan Aankhon Mein Tufan Sa Kyun Hai – Shahryar
सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है – शहरयार, Sine Mein Jalan Aankhon Mein Tufan Sa Kyun Hai – Shahryar सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है इस शहर में हर शख़्स परेशान सा क्यूँ है दिल है तो धड़कने का बहाना कोई ढूँडे पत्थर की तरह बे-हिस ओ बे-जान सा…
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बस एक बार किसी ने गले लगाया था – ज़फ़र इक़बाल, Bas Ek Bar Kisi Ne Gale Lagaya Tha – Zafar Iqbal
बस एक बार किसी ने गले लगाया था – ज़फ़र इक़बाल, Bas Ek Bar Kisi Ne Gale Lagaya Tha – Zafar Iqbal बस एक बार किसी ने गले लगाया था फिर उस के बा’द न मैं था न मेरा साया था गली में लोग भी थे मेरे उस के दुश्मन लोग वो सब पे हँसता…
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कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता – निदा फ़ाज़ली, Kabhi Kisi Ko Mukammal Jahan Nahin Milta – Nida Fazli
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता – निदा फ़ाज़ली, Kabhi Kisi Ko Mukammal Jahan Nahin Milta – Nida Fazli कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता तमाम शहर में ऐसा नहीं ख़ुलूस न हो जहाँ उमीद हो इस की वहाँ नहीं मिलता कहाँ चराग़ जलाएँ कहाँ गुलाब रखें…
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पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है – मीर तक़ी मीर, Patta Patta Buta Buta Haal Hamara Jaane Hai -Meer Taqi Meer
पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है – मीर तक़ी मीर, Patta Patta Buta Buta Haal Hamara Jaane Hai -Meer Taqi Meer पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है जाने न जाने गुल ही न जाने बाग़ तो सारा जाने है लगने न दे बस हो तो उस के गौहर-ए-गोश को बाले तक…
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चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है – साहिर लुधियानवी, Chehre Pe Khushi Chha Jati Hai Aankhon Mein Surur Aa Jata Hai – Sahir Ludhianvi
चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है – साहिर लुधियानवी, Chehre Pe Khushi Chha Jati Hai Aankhon Mein Surur Aa Jata Hai – Sahir Ludhianvi चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है जब तुम मुझे अपना कहते हो अपने पे ग़ुरूर आ जाता है तुम…
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काफ़िर था में ज़रूर मगर उन के इश्क़ में – आफ़ताब लख़नवी, Kafir Tha Mai Jarur Magar Unke Ishk Mein – Aaftab Lakhnavi
काफ़िर था में ज़रूर मगर उन के इश्क़ में – आफ़ताब लख़नवी, Kafir Tha Mai Jarur Magar Unke Ishk Mein – Aaftab Lakhnavi काफ़िर था में ज़रूर मगर उन के इश्क़ में मिनटों में क्या से क्या मिरा ईमान हो गया उन की नज़र से मेरी नज़र दस बजे लड़ी दस बज के दस मिनट…
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अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए – उबैदुल्लाह अलीम, Aziz Itna Hi Rakkho Ki Ji Sambhal Jae – Obaidullah Aleem
अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए – उबैदुल्लाह अलीम, Aziz Itna Hi Rakkho Ki Ji Sambhal Jae – Obaidullah Aleem अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए मिले हैं यूँ तो बहुत आओ अब मिलें यूँ भी कि रूह गर्मी-ए-अनफ़ास से पिघल…
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मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया – साहिर लुधियानवी, Main Zindagi Ka Sath Nibhata Chala Gaya – Sahir Ludhianvi
मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया – साहिर लुधियानवी, Main Zindagi Ka Sath Nibhata Chala Gaya – Sahir Ludhianvi मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया बर्बादियों का सोग मनाना फ़ुज़ूल था बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया जो मिल गया उसी को मुक़द्दर समझ लिया…
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कोई उम्मीद बर नहीं आती – मिर्ज़ा ग़ालिब, Koi Ummid Bar Nahin Aati – Mirza Ghalib
कोई उम्मीद बर नहीं आती – मिर्ज़ा ग़ालिब, Koi Ummid Bar Nahin Aati – Mirza Ghalib कोई उम्मीद बर नहीं आती कोई सूरत नज़र नहीं आती मौत का एक दिन मुअय्यन है नींद क्यूँ रात भर नहीं आती आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी अब किसी बात पर नहीं आती जानता हूँ सवाब-ए-ताअत-ओ-ज़ोहद पर तबीअत…
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मैं ख़याल हूँ किसी और का मुझे सोचता कोई और है – सलीम कौसर, Main Khayal Hun Kisi Aur Ka Mujhe Sochta Koi Aur Hai – Saleem Kausar
मैं ख़याल हूँ किसी और का मुझे सोचता कोई और है – सलीम कौसर, Main Khayal Hun Kisi Aur Ka Mujhe Sochta Koi Aur Hai – Saleem Kausar मैं ख़याल हूँ किसी और का मुझे सोचता कोई और है सर-ए-आईना मिरा अक्स है पस-ए-आईना कोई और है मैं किसी के दस्त-ए-तलब में हूँ तो किसी…
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ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा – साहिर लुधियानवी, Ye Zulf Agar Khul Ke Bikhar Jae To Achchha – Sahir Ludhianvi
ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा – साहिर लुधियानवी, Ye Zulf Agar Khul Ke Bikhar Jae To Achchha – Sahir Ludhianvi ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा इस रात की तक़दीर सँवर जाए तो अच्छा जिस तरह से थोड़ी सी तिरे साथ कटी है बाक़ी भी उसी तरह गुज़र…