Vastu for South facing house

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क्या होता है दक्षिणमुखी मकान होने से?
वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा के मकान को कुछ परिस्थिति को छोड़कर अशुभ और नकारात्मक प्रभाव वाला माना जाता है. दक्षिण दिशा में पैर करके सोने से जिस तरह वह हमारे शरीर की ऊर्जा को खींच लेता है उसी तर वह मकान के भीतर की ऊर्जां को भी खींच लेता है. उदारणार्थ दक्षिण दिशा में पैर करके सोने से फेफड़ों की गति मंद हो जाती है. इसीलिए मृत्यु के बाद इंसान के पैर दक्षिण दिशा की ओर कर दिए जाते हैं ताकि उसके शरीर से बचा हुआ जीवांश समाप्त हो जाए. दक्षिणमुखी घर के गृहस्वामी को कष्ट, भाइयों से कटुता, क्रोध की अधिकता और दुर्घटनाएं बढ़ती हैं. रक्तचाप, रक्त विकार, कुष्ठ रोग, फोड़े-फुंसी, बवासीर, चेचक, प्लेग आदि रोग होने की आशंका रहती है. इस दिशा में रहने से आकस्मिक मौत के योग भी बनते हैं.

दक्षिणमुखी में मकान क्यों नहीं रहना चाहिए?
वास्तुशास्त्र में दक्षिण दिशा का द्वार शुभ नहीं माना जाता है. इसे संकट का द्वारा भी कहा जाता है. इसके पांच कारण है-
1.दक्षिण में यम और यमदूतों का निवास होता है.
2.दक्षिण दिशा में मंगल ग्रह है. मंगल ग्रह एक क्रूर ग्रह है.
3.दक्षिण दिशा में दक्षिणी ध्रुव है जिसका नकारात्मक प्रभाव बना रहता है.
4.दक्षिण दिशा से अल्ट्रावायलेट किरणों का प्रभाव ज्यादा रहता है जो सेहत के लिए ठीक नहीं है.
5.दक्षिण दिशा में सूर्य सबसे ज्यादा देर तक रहता है जिसके कारण मकान का मुख द्वार तपता रहता है. इसके चलते घर में ऑक्सिजन की कमी हो जाती है.

वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण मुखी घर का नक्शा
वास्तु शास्त्र के नियमों के तहत, घर के खराब दिशा-निर्देश जैसी कोई चीज नहीं है. निर्माण के समय अगर कुछ सावधानियां बरती जाती हैं, तो सभी प्रॉपर्टीज और दिशाएं शुभ होती हैं. दक्षिण मुख वाली सभी प्रॉपर्टीज को उपेक्षित माना जाता है क्योंकि यह मान्यता है कि उसके बुरे प्रभाव पड़ते हैं. लेकिन वास्तु शास्त्र के नियमों से इन घरों को परफेक्ट बनाया जा सकता है.
दक्षिण मुखी प्लॉट्स के लिए वास्तु
अगर किसी प्लॉट में किसी भी तरफ कोई कट है तो उसे बुरा माना जाता है. तो पता लगाएं कि साउथ की ओर कोई एक्सटेंशन है क्या. दक्षिणमुखी घर के वास्तु प्लान के तहत, शख्स को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि भूखंड उत्तर से दक्षिण की ओर नहीं होना चाहिए. दक्षिण से उत्तर की ओर प्लॉट का ढलान हो तो ठीक है.

मेन एंट्रेंस की वास्तु
वास्तु एक्सपर्ट्स मानते हैं कि दक्षिण मुखी प्रॉपर्टी में ऊर्जा के सकारात्मक प्रवाह को सुनिश्चित करने में मेन एंट्रेंस मुख्य भूमिका निभाती है. इस तरह, मेन गेट के प्लेसमेंट और डिजाइन को लेकर घर के मालिक को काफी सावधानी बरतनी चाहिए. इसके लिए, आपको खुद वास्तु में पाड़ा के कॉन्सेप्ट को समझना होगा. घर के निर्माण के दौरान, वास्तु के नियमों के तहत, एक संपत्ति की लंबाई और चौड़ाई को नौ समान भागों में विभाजित किया जाना है.
वास्तु में कहा गया है कि आपकी दक्षिणमुखी प्रॉपर्टी में मेन गेट को चौथे पाड़ा पर सही स्थान पर रखा जाना चाहिए, ताकि पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा शामिल हो. शुरुआती बिंदु दक्षिण-पूर्वी कोने का होगा.
इस तरह, मेन डोर को सेंटर से दक्षिण-पूर्व की तरफ थोड़ा सा बनाया जाना है. अगर गेट बहुत छोटा लगता है, तो आप इसे बड़ा करने के लिए पाड़ा 3, 2 या 1 की ओर बढ़ सकते हैं. हालांकि, वास्तु शास्त्र एंट्रेंस के लिए दक्षिण-पश्चिम, यानी पांचवें से नौवें पाड़ा की ओर जाने पर सख्ती से रोक लगाता है.
इसके अलावा, दक्षिण मुखी घर के वास्तु प्लान के मुताबिक यह एंट्रेंस गेट पूरे घर में सबसे बड़ा होना चाहिए और यह घड़ी की दिशा में अंदर की ओर खुले.
वास्तु एक्सपर्ट्स यह भी सलाह देते हैं कि एंट्रेंस पर एक दहलीज हो. चूंकि इससे लोगों के गिरने के चांस ज्यादा होते हैं इसलिए इस एरिया को हमेशा अच्छा रखें.
चीजों की संपूर्ण योजना में दक्षिणी तरफ की दीवारों को उत्तरी पक्ष की तुलना में अधिक ऊंचा रखने को भी सकारात्मक माना जाता है. इसी तरह, एक ऊंचा दक्षिणी भाग होना भी एक अच्छा संकेत है.

लिविंग रूम/पूजा घर के लिए वास्तु
लिविंग रूम बनाने के लिए घर का नॉर्थ-ईस्ट हिस्सा सबसे मुफीद है.पूजा घर बनाने के लिए यह आदर्श पसंद है. अगर जगह की कमी है और एक अलग पूजा घर का निर्माण संभव नहीं है, तो आप एक छोटे से मंदिर के लिए अपने रहने वाले कमरे का एक हिस्सा समर्पित कर सकते हैं.
दक्षिण मुखी घर के वास्तु प्लान में किचन
वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, किचन बनाने के लिए घर में आदर्श स्थान दक्षिण-पूर्व दिशा है. खाना पकाने के दौरान, आपका पूर्व की ओर मुंह होना चाहिए. इससे वहां पूरे दिन सूर्य की रोशनी रहेगी. किचन के लिए दूसरी सबसे अच्छी जगह उत्तर-पश्चिम दिशा है. अगर आपकी रसोई इस तरह से स्थित है, तो ऐसी व्यवस्था करें कि खाना बनाते समय आपका मुंह पश्चिम की ओर हो.
मास्टर बेडरूम के लिए वास्तु
साउथ फेसिंग घरों में मास्टर बेडरूम की आदर्श जगह साउथ-वेस्ट दिशा होती है. अगर प्रॉपर्टी में कई फ्लोर्स हैं तो वास्तु शास्त्र कहता है कि मास्टर बेडरूम टॉप फ्लोर पर होना चाहिए.

बच्चों के कमरे के लिए वास्तु शास्त्र
आपके बच्चों के बेडरूम या नर्सरी का निर्माण प्रॉपर्टी के उत्तर-पश्चिम हिस्से में किया जाना चाहिए. अगर यह संभव नहीं है, तो आप इस कमरे को बनाने के लिए दक्षिणी या पश्चिमी हिस्सों के बीच भी चुन सकते हैं.
गेस्ट रूम के लिए वास्तु
दक्षिणमुखी घरों में बच्चों के कमरों की तरह, गेस्ट रूम भी घर के नॉर्थ-वेस्ट हिस्से में बनाया जाना चाहिए.
सीढ़ियों के लिए वास्तु
दक्षिण मुखी घरों में सीढ़ियां दक्षिणी कोने में होनी चाहिए.
दक्षिणमुखी घरों के लिए वास्तु के रंग
भूरा, लाल और नारंगी दक्षिण मुखी घरों के लिए निर्धारित रंग हैं. आपको इन रंगों का जरूरत से ज्यादा प्रयोग किए बिना पूरे डिजाइन में शामिल करना होगा. चूंकि ये रंग जगह को और गहरा कर देंगे. इसलिए पेंट की चॉइस के तौर पर हल्के रंगों का चयन करें.

दक्षिणमुखी मकान के उपाय / कैसे दक्षिणमुखी मकान में नहीं होता दक्षिण दोष?
1. यदि दक्षिणमुखी मकान के सामने द्वार से दोगुनी दूरी पर स्थित नीम का हराभरा वृक्ष है या मकान से दोगना बड़ा कोई दूसरा मकान है तो दक्षिण दिशा का असर कुछ हद तक समाप्त हो जाएगा. इसके अलावा द्वारा के उपर पंचमुखी हनुमानजी का चित्र भी लगाना चाहिए.
2. दक्षिण मुखी प्लाट में मुख्य द्वार आग्नेय कोण में बना है और उत्तर तथा पूर्व की तरफ ज्यादा व पश्चिम व दक्षिण में कम से कम खुला स्थान छोडा गया है तो भी दक्षिण का दोष कम हो जाता है.. बगीचे में छोटे पौधे पूर्व-ईशान में लगाने से भी दोष कम होता है.
3. आग्नेय कोण का मुख्यद्वार यदि लाल या मरून रंग का हो, तो श्रेष्ठ फल देता है. इसके अलावा हरा या भूरा रंग भी चुना जा सकता है. किसी भी परिस्थिति में मुख्यद्वार को नीला या काला रंग प्रदान न करें. दक्षिण मुखी भूखण्ड का द्वार दक्षिण या दक्षिण-पूरब में कतई नहीं बनाना चाहिए. पश्चिम या अन्य किसी दिशा में मुख्य द्वार लाभकारी होता हैं.
4. यदि आपका दरवाजा दक्षिण की तरफ है तो द्वार के ठीक सामने एक आदमकद दर्पण इस प्रकार लगाएं जिससे घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति का पूरा प्रतिबिंब दर्पण में बने. इससे घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति के साथ घर में प्रवेश करने वाली नकारात्मक उर्जा पलटकर वापस चली जाती है.

सभी 12 राशियों के लिए दक्षिण दिशा के घर का फल
आमतौर पर दक्षिण दिशा को घर के लिए अशुभ माना जाता है, लेकिन ये दिशा सभी के लिए अशुभ नहीं होती है, कुछ लोगों को इस दिशा में लाभ भी मिल सकता है. जिन लोगों के लिए दक्षिण अशुभ होती है, उन्हें घर में वास्तुदोष नाशक यंत्र रखना चाहिए. यहां जानिए सभी 12 राशियों के लिए दक्षिण दिशा का घर कैसा फल देता है…
मेष राशि – अगर आपकी मेष राशि है तो दक्षिण मुखी भवन या प्लाट आपके लिए अत्यंत शुभ है. यहां आपके व्यक्तित्व का विकास होगा.
वृष राशि के लोगों के लिए दक्षिण मुखी भवन अशुभ फल देने वाला होता है. इस दिशा में रहने पर आय से अधिक खर्चे होते हैं.
मिथुन राशि के लोगों को इस दिशा में अशुभ फल प्राप्त होते हैं. ऐसे भवन में गंभीर बीमारियां होने का भय रहता है.
कर्क राशि के लिए दक्षिण मुखी भवन शुभ फल देने वाला रहता है. इस घर में रहने पर व्यक्ति को मान-सम्मान और नौकरी में प्रमोशन मिल सकता है.
सिंह राशि वालों के लिए दक्षिण मुखी भवन भाग्योदय करक है. ऐसे लोगों को एक से अधिक भवन की प्राप्ति हो सकती है.

कन्या राशि के लोग ऐसे भवन में जो दक्षिण मुखी हो, वहां रहने से बचना चाहिए. इन लोगों के लिए ये घर परेशानियां बढ़ाने वाला होता है.
तुला राशि के लोगों के लिए दक्षिण दिशा का घर मध्यम फल देने वाला रहता है.
वृश्चिक राशि के लिए दक्षिण मुखी भवन अच्छा रहता है. इन्हें मान-सम्मान और आत्मबल मिलता है.
धनु राशि के लोगों के लिए ये दिशा संतान की दृष्टि से लाभदायक है. इस दिशा में घर हो तो व्यक्ति की संतान उच्च शिक्षा प्राप्त करती है.
मकर राशि के लिए दक्षिण दिशा का घर धन संबंधी कामों लाभ देता है, लेकिन व्यक्ति का विकास नहीं हो पाता है.
कुंभ राशि वालो के लिए इस दिशा का घर संघर्ष बढ़ाने वाला होता है.
मीन राशि के लिए दक्षिण मुखी घर भाग्य का साथ दिलाने वाला होता है.

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