Bhai Dooj Katha

भैया दूज, भाई दूज पूजा विधि, भाई दूज व्रत कथा, भाई दूज की कहानी, भाई दूज मंत्र, Bhai Dooj Puja Vidhi, Bhai Dooj Katha In Hindi, Bhai Dooj Mantra, Bhai Dooj Ki Kahani

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भाई दूज – परिचय
भाई – बहन के बीच के  इस प्यार के त्योहार को दिवाली त्‍योहार से ठीक दूसरे दिन मनाया जाता है। इसे भ्रातृ द्वितीया और यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। भारत में भाई दूज पूजा  का काफी महत्व है। इस दिन बहनें अपने भाईयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं। आइए जानते हैं भाई दूज पूजा विधि, मंत्र और व्रत कथा।
भाई दूज के अन्य नाम- Bhai Dooj Different names, Other Names of Bhai Dooj
भारत में यह त्यौहार अपने अन्य नामो से भी जाना जाता है, जैसे भाई टीका, भैया दूज (Bhaiya Dooj), यम द्वितीया, भारत द्वितीया आदि. उत्तर भारत राज्य में इसे भाई दूज के नाम से, महाराष्ट्र और गुजरात में इसे भाऊ बीज और बंगाल में इसे भाई पोंटा के नाम से भी जाना जाता है.

भाई दूज की पूजा विधि (Bhai Dooj Puja Vidhi)
इस दिन बहनें सुबह स्नान करके विष्णु और गणेश जी की पूजा करती हैं। इसके बाद भाई को तिलक लगाती हैं। भाई दूज वाले दिन बहनें आसन पर चावल के घोल से चौक बनाएं। इस चौक पर अपने भाई को बिठाकर उनके हाथों की पूजा करें। सबसे पहले बहन अपने भाई के हाथों पर चावलों का घोल लगाए। उसके ऊपर सिंदूर लगाकर फूल, पान, सुपारी तथा मुद्रा रख कर धीरे-धीरे हाथों पर पानी छोड़ते हुए मंत्र बोले। इसके बाद भाई के माथे पर टीका लगाकर उसकी लंबी उम्र की कामना करें।

भाई दूज मंत्र (Bhai Dooj Mantra)
गंगा पूजा यमुना को, यमी पूजे यमराज को।
सुभद्रा पूजे कृष्ण को गंगा यमुना नीर बहे
मेरे भाई आप बढ़ें फूले फलें।।

भाई दूज व्रत कथा (Bhai Dooj Katha)
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार सूर्य की संज्ञा से दो संतानें थी एक पुत्र यमराज और दूसरी पुत्री यमुना। संज्ञा सूर्य का तेज सहन न कर सकी और छायामूर्ति का निर्माण करके अपने पुत्र और पुत्री को सौंपकर वहां से चली गईं। छाया को यम और यमुना से किसी प्रकार का लगाव न था, लेकिन यमराज और यमुना में बहुत प्रेम था। यमराज अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे, लेकिन अपनी बहन से मिलने नहीं जा पाते थे। एक दिन यम अपनी बहन की नाराजगी दूर करने के लिए उनसे मिलने पहुंचे। भाई को देख यमुना बहुत खुश हुईं। भाई के लिए खाना बनाया और आदर सत्कार किया। बहन का प्यार देखकर यम इतने खुश हुए कि उन्होंने यमुना को खूब सारे भेंट दिए।

यम ने विदा लेने से पहले बहन यमुना को अपनी इच्छा का वरदान मांगने के लिए कहा। यमुना ने उनके इस आग्रह को सुन कहा कि अगर आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो यही वर दीजिए कि आज के दिन हर साल आप मेरे यहां आएं और मेरा आतिथ्य स्वीकार करेंगे। कहा जाता है इसी के बाद हर साल भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है। इसीलिए भाई दूज को यमराज और यमुना का पूजन किया जाता है।

इसके अलावा भगवान श्रीकृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा को लेकर भी भाई दूज की एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि नराकासुर को मारने के बाद जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने पहुंचे थे। उनकी बहन ने उनका फूलों और आरती से स्वागत किया था और उनके माथे पर टीका किया था। जिसके बाद से इस त्योहार को मनाया जाने लगा और इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं।

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