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शकुन्तला देवी की जीवनी
शकुंतला देवी असाधारण प्रतिभा वाली महान गणितज्ञ, लेखिका, भारतीय वैज्ञानिक और समाजिक कार्यकर्ता थीं, जिन्हें पूरी दुनिया मानव कंप्यूटर और मेंटल कैलकुलेटर के नाम से जानती हैं. इन्होंने अपने समय के सबसे तेज माने जाने वाले कंप्यूटरों को गणना में मात दी थी. शकुंतला देवी भारत की एक महान शख्सियत और बहुत ही जिंदादिल महिला थीं. उनकी मानसिक गणना की अलौकिक प्रतिभा के चलते उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी शामिल किया गया है. वर्ष 1980-90 के दशक में भारत के गांव और शहरों में यदि कोई बच्चा गणित में होशियार हो जाता था, तो उसके बारे में कहा जाता था कि वह शकुंतला देवी बन रहा है.

वे बचपन से ही अद्भुत प्रतिभा की धनी एवं मानसिक परिकलित्र (गणितज्ञ) थीं. वे सभी गणितीय समस्याओं का उत्तर देने में सक्षम थीं और अपने गणितीय शक्ति से लोगों को इस विषय में रुचि पैदा करने के लिए प्रेरित करती रहती थीं. एक कुशल गणितज्ञ होने के साथ ही ये ज्योतिष शास्त्र की जानकार, सामाजिक कार्यकर्ता (एक्टिविस्ट) और लेखक भी थीं. इनके कार्यों ने लाखों लोगों को जागरूक किया. इनके द्वारा किए गए कुछ बहुत ही अच्छे कार्यों को उनकी पुस्तकों फिगरिंग: द जॉय ऑफ नंबर्स, एस्ट्रोलॉजी फॉर यू, परफेक्ट मर्डर और द वर्ल्ड ऑफ होमोसेक्सुअल्स में देखा जा सकता है.

नाम – शकुन्तला देवी
उपनाम – मानव कम्प्यूटर, मेंटल कैलकुलेटर
जन्म – 4 नवम्बर 1929 (उम्र 83 वर्ष)
जन्म स्थान – बैंगलोर, मैसूर राज्य, ब्रिटिश भारत
राष्ट्रीयता – भारतीय
मृत्यु – 21 अप्रैल 2013
मृत्यु स्थान – बेंगलुरु, कर्नाटक, भारत
शैक्षणिक योग्यता – कोई भी औपचारिक शिक्षा नहीं प्राप्त की

शकुन्तला देवी का प्रारम्भिक जीवन
मानसिक गणनाएं पलक झपकते ही कर लेने में माहिर शकुंतला देवी का जन्म 4 नवम्बर, 1929 को बंगलौर (कर्नाटक) शहर में एक रूढ़िवादी कन्नड़ ब्राह्मण परिवार में हुआ था. शकुंतला देवी एक गरीब परिवार में जन्मीं थीं, जिस कारण वह औपचारिक शिक्षा भी नहीं ग्रहण कर पाई थीं.

युवा अवस्था में इनके पिता ने मंदिर का पुजारी बनने से इंकार कर दिया था, वे मदारी जैसे खेल दिखाने वाली तनी हुई रस्सी पर चलकर लोगों का मनोरंजन करना पसंद करते थे. परिणामत: ये सर्कस में एक कलाकार के रूप में कार्य करने लगे थे. जब शकुंतला देवी मात्र तीन वर्ष की थीं, तब ताश खेलते हुए इन्होंने कई बार अपने पिता को हराया. पिता को जब अपनी बेटी की इस क्षमता के बारे में पता चला तो उन्होंने सर्कस छोड़ शकुंतला देवी पर सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित करना शुरु कर दिया और इनकी क्षमता को भी पहले स्थानीय स्तर पर प्रदर्शित किया.

अपने पिता के माध्यम से रोड शो करने वाली शकुंतला देवी को अभी भी दुनिया में पहचान नहीं मिली थी. लेकिन जब वह 15 वर्षों की हुईं तो राष्ट्रीय मीडिया सहित अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में इन्हें पहचान मिलने लगी. शकुंतला देवी उस समय पहली बार खबरों की सुर्खियों में आईं जब बीबीसी रेडियो के एक कार्यक्रम के दौरान इनसे अंकगणित का एक जटिल सवाल पूछा गया और उसका इन्होंने तुरंत ही जवाब दे दिया. इस घटना का सबसे मजेदार पक्ष यह था कि शकुंतला देवी ने जो जवाब दिया था वह सही था जबकि रेडियो प्रस्तोता का जवाब गलत था.

शकुन्तला देवी का व्यक्तिगत जीवन
शकुन्तला देवी का विवाह वर्ष 1960 में कोलकात्ता के एक बंगाली आई.ए.एस. अधिकारी परितोष बनर्जी के साथ हुआ. इनका वैवाहिक सम्बन्ध बहुत दिनों तक नहीं चल सका और किसी कारणवश वर्ष 1979 में ये अपने पति से अलग हो गईं. वर्ष 1980 में ये अपनी बेटी के साथ पुन: बेंगलोर लौट आईं. यहां वे सेलिब्रिटीज और राजनीतिज्ञों को ज्योतिष का परामर्श देने लगीं. अपने जिन्दगी के अंतिम दिनों में ये बहुत कमजोर हो गईं थीं और अंततः वर्ष 2013 में इनकी मृत्यु हो गई.

मानव कंप्यूटर के रूप में इनकी पहचान और प्रसिद्धि
शकुन्तला देवी ने संसार के 50 से अधिक देशों की यात्रायें की और बहुत से शैक्षिक संस्थानों, थियेटर्स और यहां तक कि टेलीविज़न पर भी अपनी गणितीय क्षमता का प्रदर्शन किया. 27 सितम्बर, 1973 को विश्व भर में प्रसारित होने वाले रेडियो चैनेल बीबीसी द्वारा आयोजित एक प्रोग्राम नेशनवाइड में उस समय के चर्चित बॉब वेल्लिंग्स द्वारा गणित से सम्बंधित पूछे गए सभी जटिल प्रश्नों का सही उत्तर देने के कारण वे अचंभित हो गए थे. इनकी इस प्रतिभा से इनके प्रसंशकों की संख्या भारत सहित विश्व भर में क्रमशः बढ़ती ही गई.

इतनी कम उम्र में ही गणित के क्षेत्र में ऐसी अद्भुत क्षमता देखने को उस समय संसार में कहीं भी नहीं मिलता था. विश्व में अपने गणितीय कौशल की धूम मचाने के बाद अपने देश भारत में पूर्णरूप से प्रसिद्ध हो गईं. इसके बाद इम्पीरियल कॉलेज, लन्दन, में इन्होंने 18 जून, 1980 को गणित के एक कठिन प्रश्न का सही उत्तर कुछ सेकंड में देकर वहां उपस्थित दर्शकों को आश्चर्य चकित कर दिया था.

16 वर्ष की अवस्थ में इनको बहुत ही प्रसिद्ध तब मिली, जब इन्होंने दो 13 अंकों की संख्याओं का गुणनफल 28 सेकंड में निकाल कर उस समय के संसार के सबसे तेज कंप्यूटर को 10 सेकंड के अंतर से हराया दिया.

उस समय इनकी इस अद्भुत क्षमता को देखकर हर कोई इन्हें समय-समय पर परखना चाहता था. वर्ष 1977 में शकुंतला देवी को अमेरिका जाने का मौका मिला. यहां डलास की एक युनिवर्सिटी में इनका मुकाबला आधुनिक तकनीकों से लैस एक कंप्यूटर यूनीवैक से हुआ. इस मुकाबले में शकुंतला को मानसिक गणना से 201 अंकों की एक संख्या का 23वां मूल निकालना था. यह सवाल हल करने में उन्हें 50 सेकंड लगे, जबकि यूनीवैक नामक कंप्यूटर ने इस काम के लिए 62 सेकंड का समय लिया था. इस घटना के तुरंत बाद ही दुनिया भर में शकुंतला देवी का नाम भारतीय मानव कंप्यूटर के रूप में प्रख्यात हो गया.

शकुन्तला देवी के पुरस्कार एवं सम्मान
1- शकुंतला देवी को फिलिपिंस विश्वविद्यालय ने वर्ष 1969 में वर्ष की विशेष महिला की उपाधि और गोल्ड मेडल प्रदान किया.
2- वर्ष 1988 में इन्हें वाशिंगटन डी.सी. में रामानुजन मैथमेटिकल जीनियस अवार्ड से सम्मानित किया गया.
3- इनकी प्रतिभा को देखते हुए इनका नाम वर्ष 1982 में गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी शामिल किया गया.
4- मृत्यु से एक माह पूर्व वर्ष 2013 में इन्हें मुम्बई में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी सम्मानित किया गया.
5- इनके 84वें जन्मदिन पर 4 नवम्बर, 2013 को गूगल ने इनके सम्मान स्वरूप इन्हें गूगल डूडल समर्पित किया.

शकुन्तला देवी का निधन
शकुंतला देवी का लंबी बीमारी के बाद हृदय गति रुक जाने और गुर्दे की समस्या के कारण 21 अप्रैल, 2013 को बंगलौर (कर्नाटक) में 83 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया.

शकुन्तला देवी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें
1- शकुन्तला देवी का जन्म कर्नाटक की राजधानी बंगलुरु में एक कन्नड ब्राह्मण परिवार में हुआ था.
2- उनके पिता एक सर्कस कलाकार थे, जो जादु दिखाते और शेरों के साथ सर्कस में प्रदर्शन करते थे.
3- जब वह तीन वर्ष की थी, तब वह अपने पिता के साथ ताश पत्ते खेलती थी. जिससे उनके पिता ने जाना कि शकुन्तला तो अपनी सूझ-बूझ और चतुराई से सारे खेल को जीत रही है, हो न हो इसमें कोई न कोई बात जरुर है.
4- उनके पिता ने शकुन्तला के गणित के हुनर को पहचान और उनके छोटे-छोटे शो करने लगे. सभी लोग यह देखकर आश्चर्यचकित हो गए कि एक छोटी सी बच्ची गणित की कोई भी समस्या बड़ी आसानी से हल कर रही है.
5- 6 वर्ष की आयु में, उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय में एक गणित प्रतियोगिता में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया.
6- जब वो 10 वर्ष की थी, तब उन्होंने एक कॉन्वेंट स्कूल में दाखिला लिया था, लेकिन दाखिला लेने के 3 महीने के भीतर ही उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया, क्योंकि उनके माता-पिता स्कूल की फीस देने में असमर्थ थे.
7- उनके जीवन की एक दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने किसी संस्थान से कोई भी औपचारिक शिक्षा नहीं प्राप्त की है. इसके बावजूद वह गणित संकाय में काफी होशियार थीं.
8- वर्ष 1940 में, वह अपने पिता के साथ लंदन चली गईं.
9- वर्ष 1960 में, वह भारत लौट आईं और उन्होंने परितोष बनर्जी के साथ विवाह किया, जो पेशे से कोलकाता में आईएएस अधिकारी थे और वर्ष 1979 में उनका तलाक हो गया था.
10- वर्ष 1950 में, शकुन्तला देवी ने अपनी अंकगणितीय प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लिए यूरोप का दौरा किया और वर्ष 1976 में उन्होंने न्यूयॉर्क शहर में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया.
11- वर्ष 1988 में, कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में मनोविज्ञान के प्रोफेसर आर्थर जेन्सेन द्वारा शकुन्तला की क्षमताओं का अध्ययन किया गया. जहां जेन्सेन ने बड़ी संख्या की गणना सहित उनके सभी कई कार्यों के प्रदर्शन का परीक्षण किया.
12- जेन्सेन ने बताया कि शकुन्तला देवी ने विभिन्न समस्याओं (क्रमशः 395 और 15) को सरल ढंग से समाधान किया था.
13- वर्ष 1990 में, जेन्सेन ने अकादमिक जर्नल इंटेलिजेंस में शकुन्तला के निष्कर्षों को प्रकाशित किया, जिसे उन्होंने बड़ी आसानी से हल किया था.
14- वर्ष 1977 में, उन्होंने साउथर्न मेथोडिस्ट विश्वविद्यालय में 50 सेकंड में 201 अंकों की संख्या को हल कर 23 वर्गमूल उत्तर निकाला था.
15- 18 जून 1980 को, उन्होंने दो 13 अंकों की संख्या-7,686,369,774,870 × 2,465,099,745,779 से गुणा किया- जिसे इंपीरियल कॉलेज, लंदन के कंप्यूटर विभाग से लिया गया था. जिसका उन्होंने बड़ी सरलता से 28 सेकंड में 18,947,668,177,995,426,462,773,730 का सही उत्तर दे दिया था और इस घटना को 1982 गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया था.
16- वर्ष 1977 में, उन्होंने भारत में समलैंगिकता का अध्ययन करते हुए, The World of Homosexuals पुस्तक लिखी.
17- उन्होंने एक लेखक के रूप में ज्योतिषी, कुकबुक और उपन्यासों सहित कई पुस्तकें लिखी.
18- 21 अप्रैल 2013 को, वह सांस व किडनी की गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो गई, जिससे उनका देहांत हो गया.
19- 4 नवंबर 2013 को, शकुन्तला देवी के 84 वें जन्मदिन पर गूगल द्वारा एक गूगल डूडल जारी किया गया.

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