Siddhidatri Puja

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नवरात्रि का नौवां दिन नवमी-Navratri 9th Day Navratri Last Day
नवरात्र-पूजन के आखिरी दिन को नवमी भी कहा जाता है. इस दिन मां दुर्गा के अंतिम स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा-उपासना की जाती है। इस दिन विधि-विधान और पूरी निष्ठा के साथ मां सिद्धिदात्री की पूजा करने वालों को सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है अर्थात् सृष्टि में कुछ भी उसके लिए अगम्य नहीं रह जाता है। ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने का सामर्थ्य उनमें आ जाता है। सिद्धियों की प्राप्ति के लिए मनुष्य ही नहीं, देव, गंदर्भ, असुर, ऋषि आदि सभी इनकी पूजा करते हैं। इतना ही नहीं, मां सिद्धिदात्री शोक, रोग एवं भय से मुक्ति भी देती हैं। जानिए नवमी के दिन की पूजा विधि, व्रत कथा, आरती, मंत्र आदि के बारे में…

कौन हैं मां सिद्धिदात्री?
भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही 8 सिद्धियों को प्राप्त किया था। इन सिद्धियों में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व शामिल हैं। इन्हीं माता की वजह से भगवान शिव को अर्द्धनारीश्वर नाम मिला, क्योंकि सिद्धिदात्री के कारण ही शिव जी का आधा शरीर देवी का बना। हिमाचल का नंदा पर्वत इनका प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। मान्यता है कि जिस प्रकार इस देवी की कृपा से भगवान शिव को आठ सिद्धियों की प्राप्ति हुई ठीक उसी तरह इनकी उपासना करने से अष्ट सिद्धि और नव निधि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है।
मां सिद्धिदात्री का रूप
कमल पर विराजमान चार भुजाओं वाली मां सिद्धिदात्री लाल साड़ी में विराजित हैं। इनके चारों हाथों में सुदर्शन चक्र, शंख, गदा और कमल रहता है। सिर पर ऊंचा सा मुकूट और चेहरे पर मंद मुस्कान ही मां सिद्धिदात्री की पहचान है।

नवरात्र के नौवें दिन कैसी हो आपकी दिनचर्या
नवरात्रि में आहार और दिनचर्या का विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि बिना इसके नवरात्रि का शुभ फल नहीं मिल पाता. नवरात्रि में भक्त नौ दिनों तक फलाहार व्रत करते हैं तो कुछ भक्त निर्जला उपवास भी करते हैं. नवरात्र में पूरे नौ दिन तक व्रत रखना आसान बात नहीं है इसलिए यह व्रत बहुत ही कठिन माना जाता है. इन नौं दिनों में माता आदिशक्ति भवानी की कृपा प्राप्त करने के लिए केवल पूजा अर्चना करना ही काफी नहीं होता है बल्कि अपने व्यवहार और दिनचर्या का भी खास ध्यान रखना चाहिए. तभी आपको माता रानी की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है. जानिए नवरात्र व्रत के दौरान कैसी हो आपकी दिनचर्या-

1. बाकि के दिन भले ही आप कुछ देर अधिक सो लें, लेकिन अगर नवरात्र का व्रत करते हैं तो आपको ब्रह्म मुहूर्त में ही सोकर उठ जाना चाहिए. पूरे नौ दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें घर की सफाई करें और नहाएं.
2. इसके बाद सूर्य देव को जल दें, पूरे घर में गौमूत्र और गंगाजल का छिड़काव करें और फिर अपने घर के पूजास्थल या मंदिर में जाकर विधि विधान से मैय्या की पूजा करें.
3. व्रत-उपवास में माता जी की पूजा करने के बाद ही फलाहार करें. यानि सुबह माता जी की पूजा के बाद दूध और कोई फल ले सकते हैं. नमक न खाएं या खाने में सेंधा नमक का ही प्रयोग करें.
4. उसके बाद दिनभर मन ही मन माता जी का ध्यान करते रहें. नवरात्रि के दौरान अपने मन को पूर्णतया मां दुर्गा के ध्यान में लगाना चाहिए.
5. इस समय कोई भी नकारात्मक विचार मन में न लाएं और न ही किसी के प्रति अपने मन में दुर्भावना रखें. शांत रहने की कोशिश करें. झूठ न बोलें और गुस्सा करने से भी बचें. अपनी इंद्रियों पर काबु रखें और मन में कामवासना जैसे गलत विचारों को न आने दें.
6. व्रत रखने वाले लोगों को दिन में नहीं सोना चाहिए.

7. शाम को फिर से माता जी की पूजा और आरती करें. इसके बाद एक बार और फलाहार (फल खाना) कर सकते हैं. अगर न कर सके तो शाम की पूजा के बाद एक बार भोजन कर सकते हैं.
8. माता जी की पूजा के बाद रोज 1 कन्या की पूजा करें और भोजन करवाकर उसे दक्षिणा दें.
नवरात्रि के दौरान तामसिक भोजन नहीं करें. यानि इन 9 दिनों में लहसुन, प्याज, मांसाहार, ठंडा और झूठा भोजन नहीं करना चाहिए.
9. नवरात्रि के नौं दिनों तक साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इन दिनों में क्षौरकर्म न करें. यानि बाल और नाखून न कटवाएं और शेव भी न बनावाएं. इनके साथ ही तेल मालिश भी न करें. नवरात्रि के दौरान दिन में नहीं सोएं.
10. नवरात्रि के व्रत-उपवास बीमार, बच्चों और बूढ़ों को नहीं करना चाहिए. क्योंकि इनसे नियम पालन नहीं हो पाते हैं.
11. घर के मंदिर में कभी भी अंधेरा न रखें. किसी न किसी तरह से उसमें रोशनी आती रहे.
12. कभी भी घर को अकेला न छोड़ें. अखंड ज्योति जला रहे हैं तो उसमें समय समय पर घी डालते रहें.
13. व्रत रखने वाले लोगों को नौ दिन विधि विधान मां की पूजा करनी चाहिए और कथा भी सुनी या पढ़नी चाहिए.

नवमी देवी सिद्धिदात्री की पूजा विधि
जानकारों के अनुसार सिद्धियां हासिल करने के उद्देश्य से जो साधक भगवती सिद्धिदात्री की पूजा कर रहे हैं उन्हें नवमी के दिन निर्वाण चक्र का भेदन करना चाहिए। दुर्गा पूजा में इस तिथि को विशेष हवन किया जाता है। वहीं हवन से पूर्व सभी देवी देवताओं और माता की पूजा कर लेनी चाहिए। हवन करते वक्त सभी देवी-देवताओं के नाम से आहुति देनी चाहिए, बाद में माता के नाम से आहुति देनी चाहिए।
दुर्गा सप्तशती के सभी श्लोक मंत्र रूप हैं अत: सप्तशती के सभी श्लोक के साथ आहुति दी जा सकती है। देवी के बीज मंत्र “ऊँ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमो नम:” से कम से कम 108 बार आहुति दें। भगवान शंकर और ब्रह्मा जी की पूजा के बाद अंत में आरती करनी चाहिए। हवन में जो भी प्रसाद चढ़ाया जाता है उसे समस्त लोगों में बांटना चाहिए।

कन्या पूजा
मां सिद्धिदात्री की आरती के पश्चात महानवमी को भी लोग कन्या पूजन करते हैं। कन्याओं को मां दुर्गा का साक्षात् स्वरूप माना गया है। कन्या पूजन के लिए आप कन्याओं को अपने यहां निमंत्रित करें। उनके आगमन पर उनका चरण धोकर स्वागत करें और उनको श्रद्धा पूर्वक आसन पर बैठाएंं। अब उनका अक्षत्, पुष्प आदि से पूजन करें और आरती उतारें। इसके पश्चात उनको घर पर बने पकवान भोजन के लिए परोसें। भोजन हो जाने के बाद उनके चरण छूकर आशीर्वाद लें तथा दान-दक्षिणा देकर उनको खुशी-खुशी विदा करें।

मां दुर्गा का भोग
मां दुर्गा को मीठा हलुआ, पूरणपोठी, खीर, मालपुआ, केला, नारियल और मिष्ठान्न बहुत ​प्रिय है। नवरात्रि में उनको प्रतिदिन इनका भोग लगाना चाहिए। माता रानी को सभी प्रकार का हलुआ​ पसंद है।
मां सिद्धिदात्री के मंत्र, नवम सिद्धिदात्री मंत्र
– सिद्धगन्‍धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि, सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
– या देवी सर्वभूतेषु सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

देवी सिद्धिदात्री का ध्यान
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥
स्वर्णावर्णा निर्वाणचक्रस्थितां नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम।
शख, चक्र, गदा, पदम, धरां सिद्धीदात्री भजेम।
पटाम्बर, परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल मण्डिताम॥
प्रफुल्ल वदना पल्लवाधरां कातं कपोला पीनपयोधराम।
कमनीयां लावण्यां श्रीणकटि निम्ननाभि नितम्बनीम॥

सिद्धिदात्री की स्तोत्र पाठ
कंचनाभा शखचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो।
स्मेरमुखी शिवपत्नी सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालंकारं भूषिता।
नलिस्थितां नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोअस्तुते॥
परमानंदमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥
विश्वकर्ती, विश्वभती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्व वार्चिता विश्वातीता सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥
भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी।
भव सागर तारिणी सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥
धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनी।
मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥

मां सिद्धदात्री की पूजा का महत्व
महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की होने वाली पूजा से व्यक्ति को समस्त प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हो सकती हैं। मां सिद्धिदात्री को प्रसन्न करके आप अपने समस्त शोक, रोग एवं भय से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। मार्कण्डेय पुराण में बताया गया है कि देवों के देव महादेव जब तारक मन्त्र देते हैं तो मां सिद्धिदात्री मन्त्र धारण करने वाले व्यक्ति को मोक्ष प्रदान करती हैं।

मां सिद्धिदात्री की कथा
देवी पुराण में ऐसा उल्लेख मिलता है कि भगवान शंकर ने भी इन्हीं की कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था। ये कमल पर आसीन हैं और केवल मानव ही नहीं बल्कि सिद्ध, गंधर्व, यक्ष, देवता और असुर सभी इनकी आराधना करते हैं। संसार में सभी वस्तुओं को सहज और सुलभता से प्राप्त करने के लिए नवरात्र के नवें दिन इनकी पूजा की जाती है। भगवान शिव ने भी सिद्धिदात्री देवी की कृपा से तमाम सिद्धियां प्राप्त की थीं। इस देवी की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण शिव अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। इस देवी का पूजन, ध्यान, स्मरण हमें इस संसार की असारता का बोध कराते हैं और अमृत पद की ओर ले जाते हैं।

मां सिद्धिदात्री की आरती
जय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता । तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता ।।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि । तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि ।।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम । जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम ।।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है । तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है ।।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो । तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो ।।
तू सब काज उसके करती है पूरे । कभी काम उसके रहे ना अधूरे ।।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया । रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया ।।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली । जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली ।।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा । महा नंदा मंदिर में है वास तेरा ।।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता । भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता ।।

नवरात्रि व्रत के नियम
1. पूरे नौ दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और नहाएं. इसके बाद सूर्य देव को जल दें
2. व्रत रखने वाले इस बात का भी ध्यान रखें कि वे पूरे नौ दिन तक नाखून, दाढ़ी-मूंछ और सिर के बाल न कटवाएं.
3. चमड़े के सामान जैसे बेल्ट, चप्पल, जूते या बैग का इस्तेमाल न करें.
4. व्रत रखने वाले लोगों को नींबू भी नहीं काटना चाहिए. साथ ही प्याज, लहसुन और नॉनवेज से दूरी बनाकर रखें.
5. व्रत रखने वाले लोग साफ सुथरे रहें. अनाज और नमक का बिल्कुल भी सेवन न करें. खाने में सेंधा नमक प्रयोग कर सकते हैं.
6. व्रत रखने वाले लोगों को दिन में नहीं सोना चाहिए.
7. व्रत-उपवास रखने वाले लोग माता जी की पूजा करने के बाद ही फलाहार ग्रहण करें. अगर संभव न हो तो शाम की पूजा के बाद एक बार भोजन कर ले.
8. नवरात्रि के दौरान अपने मन को पूर्णतया मां दुर्गा के ध्यान में लगाना चाहिए. इस समय कोई भी नकारात्मक विचार मन में न लाएं और न ही किसी के प्रति अपने मन में दुर्भावना रखें.
9. व्रत के दौरान शांत रहने की कोशिश करें. झूठ न बोलें और गुस्सा करने से भी बचें. अपनी इंद्रियों पर काबु रखें और मन में कामवासना जैसे गलत विचारों को न आने दें.

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