विदाई हिंदी स्टोरी, बेटी की विदाई, हिंदी कहानी विदाई, पिता के सम्मान की लड़ाई, मैगजीन की कहानियाँ, Vidaai Hindi Story, Beti Ki Vidaai, Hindi Kahani Bidaee, Pita Ke Sammaan Ki Ladai, Magazine Ki Kahaniyan, Hindi Magazine Stories, Hindi Magazine Story, Magazine Story in Hindi

विदाई हिंदी स्टोरी, बेटी की विदाई
शादी के बाद विदाई का समय था, नेहा अपनी माँ से मिलने के बाद अपने पिता से लिपट कर रो रही थीं। वहाँ मौजूद सब लोगों की आंखें नम थीं। नेहा ने घूँघट निकाला हुआ था, वह अपनी छोटी बहन के साथ सजाई गयी गाड़ी के नज़दीक आ गयी थी। दूल्हा अविनाश अपने खास मित्र विकास के साथ बातें कर रहा था। विकास -‘यार अविनाश. सबसे पहले घर पहुंचते ही होटल अमृतबाग चलकर बढ़िया खाना खाएंगे.

यहाँ तेरी ससुराल में खाने का मज़ा नहीं आया।’ तभी पास में खड़ा अविनाश का छोटा भाई राकेश बोला -‘हा यार..पनीर कुछ ठीक नहीं था.और रस मलाई में रस ही नहीं था।’ और वह ही ही ही कर जोर जोर से हंसने लगा। अविनाश भी पीछे नही रहा -‘अरे हम लोग अमृतबाग चलेंगे, जो खाना है खा लेना… मुझे भी यहाँ खाने में मज़ा नहीं आया..रोटियां भी गर्म नहीं थी.।’ अपने पति के मुँह से यह शब्द सुनते ही नेहा जो घूँघट में गाड़ी में बैठने ही जा रही थी, वापस मुड़ी, गाड़ी की फाटक को जोर से बन्द किया… घूँघट हटा कर अपने पापा के पास पहुंची.।

अपने पापा का हाथ अपने हाथ में लिया..’मैं ससुराल नहीं जा रही पिताजी… मुझे यह शादी मंजूर नहीं।’
यह शब्द उसने इतनी जोर से कहे कि सब लोग हक्के बक्के रह गए…
सब नज़दीक आ गए। नेहा के ससुराल वालों पर तो जैसे पहाड़ टूट पड़ा…
मामला क्या था यह किसी की समझ में नहीं आ रहा था। तभी नेहा के ससुर राधेश्यामजी ने आगे बढ़कर नेहा से पूछा — ‘लेकिन बात क्या है बहू ?
शादी हो गयी है ,विदाई का समय है अचानक क्या हुआ कि तुम शादी को नामंजूर कर रही हो ?

अविनाश की तो मानो दुनिया लूटने जा रही थी, वह भी नेहा के पास आ गया, अविनाश के दोस्त भी।
सब लोग जानना चाहते थे कि आखिर एन वक़्त पर क्या हुआ कि दुल्हन ससुराल जाने से मना कर रही है।
नेहा ने अपने पिता दयाशंकरजी का हाथ पकड़ रखा था…
नेहा ने अपने ससुर से कहा -‘बाबूजी मेरे माता पिता ने अपने सपनों को मारकर हम बहनों को पढ़ाया लिखाया व काबिल बनाया है।
आप जानते है एक बाप के लिए बेटी क्या मायने रखती है ?
आप व आपका बेटा नहीं जान सकते क्योंकि आपके कोई बेटी नहीं है।

‘ नेहा रोती हुई बोले जा रही थी- ‘आप जानते है मेरी शादी के लिए व शादी में बारातियों की आवाभगत में कोई कमी न रह जाये इसलिए मेरे पिताजी पिछले एक साल से रात को 2-3 बजे तक जागकर मेरी माँ के साथ योजना बनाते थे…

खाने में क्या बनेगा , रसोइया कौन होगा , पिछले एक साल में मेरी माँ ने नई साड़ी नही खरीदी क्योकि मेरी शादी में कमी न रह जाये.
दुनिया को दिखाने के लिए अपनी बहन की साड़ी पहन कर मेरी माँ खड़ी है.
मेरे पिता की इस डेढ़ सौ रुपये की नई शर्ट के पीछे बनियान में सौ छेद है.
मेरे माता पिता ने कितने सपनों को मारा होगा…न अच्छा खाया न अच्छा पीया.
बस एक ही ख्वाहिश थी कि मेरी शादी में कोई कमी न रह जाये…

आपके पुत्र को रोटी ठंडी लगी!
उनके दोस्तों को पनीर में गड़बड़ लगी
व मेरे देवर को रस मलाई में रस नहीं मिला.
इनका खिलखिलाकर हँसना मेरे पिता के अभिमान को ठेस पहुंचाने के समान है।
नेहा हांफ रही थी।’ नेहा के पिता ने रोते हुए कहा -‘लेकिन बेटी इतनी छोटी सी बात।’ नेहा ने उनकी बात बीच मे काटी -‘यह छोटी सी बात नहीं है पिताजी.

मेरे पति को मेरे पिता की इज्जत नहीं… रोटी क्या आपने बनाई! रस मलाई … पनीर यह सब केटर्स का काम है.
आपने दिल खोलकर व हैसियत से बढ़कर खर्च किया है, कुछ कमी रही तो वह केटर्स की तरफ से…
आप तो अपने दिल का टुकड़ा अपनी गुड़िया रानी को विदा कर रहे है ? आप कितनी रात रोयेंगे क्या मुझे पता नहीं…
माँ कभी मेरे बिना घर से बाहर नही निकली. कल से वह बाज़ार अकेली जाएगी. जा पाएगी?
जो लोग पत्नी या बहू लेने आये है वह खाने में कमियां निकाल रहे…
मुझमे कोई कमी आपने नहीं रखी, यह बात इनकी समझ में नही आई ?’

दयाशंकर जी ने नेहा के सर पर हाथ फिराया – ‘अरे पगली.. बात का बतंगड़ बना रही है…
मुझे तुझ पर गर्व है कि तू मेरी बेटी है लेकिन बेटा इन्हें माफ कर दे.
तुझे मेरी कसम, शांत हो जा।’
तभी अविनाश ने आकर दयाशंकर जी के हाथ पकड़ लिए -‘मुझे माफ़ कर दीजिए बाबूजी…मुझसे गलती हो गयी…मैं …मैं।’
उसका गला बैठ गया था..रो पड़ा था वह।
तभी राधेश्यामजी ने आगे बढ़कर नेहा के सर पर हाथ रखा -‘मैं तो बहू लेने आया था लेकिन ईश्वर बहुत कृपालु है उसने मुझे बेटी दे दी… व बेटी की अहमियत भी समझा दी… मुझे ईश्वर ने बेटी नहीं दी शायद इसलिए कि तेरे जैसी बेटी मेरी नसीब में थी…

अब बेटी इन नालायकों को माफ कर दें… मैं हाथ जोड़ता हूँ तेरे सामने… मेरी बेटी नेहा मुझे लौटा दे।’
और दयाशंकर जी ने सचमुच हाथ जोड़ दिए थे व नेहा के सामने सर झुका दिया। नेहा ने अपने ससुर के हाथ पकड़ लिए…’बाबूजी।’
राधेश्यामजी ने कहा – ‘बाबूजी नहीं..पिताजी।’
नेहा भी भावुक होकर राधेश्याम जी से लिपट गयी थी। दयाशंकर जी ऐसी बेटी पाकर गौरव की अनुभूति कर रहे थे।

नेहा अब राजी खुशी अपने ससुराल रवाना हो गयी थीं… पीछे छोड़ गयी थी आंसुओं से भीगी अपने माँ पिताजी की आंखें, अपने पिता का वह आँगन जिस पर कल तक वह चहकती थी.. आज से इस आँगन की चिड़िया उड़ गई थी किसी दूर प्रदेश में.. और किसी पेड़ पर अपना घरौंदा बनाएगी।

यह कहानी लिखते वक्त मैं उस मूर्ख व्यक्ति के बारे में सोच रहा था जिसने बेटी को सर्वप्रथम ‘पराया धन’ की संज्ञा दी होगी।
बेटी माँ बाप का अभिमान व अनमोल धन होता है, पराया धन नहीं।
कभी हम शादी में जाये तो ध्यान रखें कि पनीर की सब्ज़ी बनाने में एक पिता ने कितना कुछ खोया होगा व कितना खोएगा…
अपना आँगन उजाड़ कर दूसरे के आंगन को महकाना कोई छोटी बात नहीं। खाने में कमियां न निकाले… ।
बेटी की शादी में बनने वाले पनीर, रोटी या रसमलाई पकने में उतना समय लगता है जितनी लड़की की उम्र होती है।

यह भोजन सिर्फ भोजन नहीं, पिता के अरमान व जीवन का सपना होता है।
बेटी की शादी में बनने वाले पकवानों में स्वाद कही सपनों के कुचलने के बाद आता है व उन्हें पकने में सालों लगते है, बेटी की शादी में खाने की कद्र करें।

विदाई हिंदी स्टोरी, बेटी की विदाई, हिंदी कहानी विदाई, पिता के सम्मान की लड़ाई, मैगजीन की कहानियाँ, Vidaai Hindi Story, Beti Ki Vidaai, Hindi Kahani Bidaee, Pita Ke Sammaan Ki Ladai, Magazine Ki Kahaniyan, Hindi Magazine Stories, Hindi Magazine Story, Magazine Story in Hindi

ये भी पढ़े –

बंद दरवाज़ा हिंदी स्टोरी, हिंदी कहानी बंद दरवाज़ा, Band Darwaza Hindi Story, Hindi Kahani Band Darwaza, प्रेमचंद की कहानी बंद दरवाज़ा

सिक्का बदल गया कहानी, Sikka Badal Gaya Kahani, हिंदी कहानी सिक्का बदल गया, Hindi Kahani Sikka Badal Gaya, सिक्का बदल गया कृष्णा सोबती

गुलकी बन्नो कहानी, गुल की बन्नो कहानी, गुलकी बन्नो धर्मवीर भारती, हिंदी कहानी गुलकी बन्नो, Gulki Banno Kahani, Gul Ki Banno Kahani, Gulki Banno Dharamvir Bharati

ताँगेवाला कहानी, Tangewala Kahani, हिंदी कहानी ताँगेवाला, Hindi Kahani Tangewala, ताँगेवाला सुभद्रा कुमारी चौहान, Tangewala Subhadra Kumari Chauhan

नमक का दरोगा, Namak Ka Daroga, नमक का दारोग़ा हिंदी स्टोरी, हिंदी कहानी नमक का दारोग़ा, Namak Ka Daroga Hindi Story, Hindi Kahani Namak Ka Daroga

Court Marriage Rules In Hindi , कोर्ट मैरिज के नियम, कोर्ट मैरिज करने की उम्र , Court Marriage Rules In Hindi, Court Marriage Process In Hindi, लव मैरिज

आंख क्यों फड़कती है, आंख का फड़कना कैसे रोके, आंख का फड़कना शुभ होता है या अशुभ, Left Eye Fadakna, Dayi Aankh Phadakna for Female in Hindi

निक नाम, निक नाम फॉर बॉयज, निक नाम फॉर गर्ल्स, Cute Nicknames for Baby Boy Indian, Cute Nicknames for Baby Girl Indian, गर्ल्स निक नाम इन हिंदी, निक नाम लिस्ट

बच्चों के नये नाम की लिस्ट , बेबी नाम लिस्ट, बच्चों के नाम की लिस्ट, हिंदी नाम लिस्ट, बच्चों के प्रभावशाली नाम , हिन्दू बेबी नाम, हिन्दू नाम लिस्ट, नई लेटेस्ट नाम

चौदहवीं का चाँद हिंदी कहानी, Chaudahvin Ka Chaand Hindi Kahani, सआदत हसन मंटो की कहानी चौदहवीं का चाँद, Manto Ki Kahani Chaudahvin Ka Chaand

उल्लू का पट्ठा हिंदी कहानी, Ullu Ka Pattha Hindi Kahani, सआदत हसन मंटो की कहानी उल्लू का पट्ठा, Saadat Hasan Manto Ki Kahani Ulloo Ka Pattha