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अकबर और रूपमती की प्रेम कहानी, Akbar Aur Roopmati Ki Prem Kahani
मांडू की रानी और सुल्तान बाज बहादुर की बेगम रूपमती से अकबर को प्रेम हो गया था। रानी रूपमती को पाने के लिए अकबर ने एक साजिश के तहत सुल्तान बाज बहादुर पर ने सिर्फ हमला करवाया था, बल्कि उन्हें बंदी भी बना लिया था और रानी को अपने पति से अलग करना चाहा था। इस बात से दुखी रानी रूपमती ने विष पीकर अपनी जान दे दी थी। (Akbar Fell In Love With Roopmati Hindi Love Story)
इस प्रेम की अनोखी दास्तां के बारे में जानकर अकबर को बहुत पछतावा हुआ। दो प्रेमियों को अलग करने का जिम्मेदार खुद को मानने वाले अकबर के आदेश पर रानी रूपमती के शव को ससम्मान सारंगपुर भेजकर दफनाया गया। इतना ही नहीं अकबर ने रानी की मजार भी बनवाई। रानी की मौत से दुखी अकबर ने फौरन बंधक बनाए सुल्तान बाज बहादुर को आजाद कर दिया। मुक्त होते ही बाज बहादुर को अकबर ने मिलने के लिए अपने दरबार में बुलाया।
बाज बहादुर ने अकबर से अपनी अंतिम इच्छा जाहिर करते हुए सारंगपुर जाने की बात कही। इस पर अकबर ने बाज बहादुर को दिल्ली से पालकी में बैठाकर सारंगपुर भिजवाया। यहां बाज बहादुर ने रूपमती की मजार पर सिर पटक-पटक कर जान दे दी। बाद में रूपमती के पास में ही बाज बहादुर की मजार भी बनाई गई।
इतना ही नहीं अकबर ने प्रेमिका की समाधि पर जान देने वाले बाज बहादुर का मकबरा भी बनवाया। अकबर ने बाज बहादुर के मकबरा पर आशिक ए सादिक और रानी रूपमति की समाधि पर ‘शहीदे ए वफा’ लिखवाया था। हालांकि वह शिलालेख अब वहां मौजूद नहीं है, लेकिन जानने वाले इसे इसी नाम से पुकारते हैं।
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