Complete worship method of Monday fast, somvar vrat ki vidhi

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सोमवार व्रत नियम, सोमवार व्रत पूजन विधि
भगवान शंकर को, भोलेनाथ, शिव, जटाधारी, हिमालय वासी आदि नामों से जाना जाता है। सोमवार का व्रत करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है, दुखो का निवारण होता है और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण हो जाती है। अगर आप भी सोमवार का व्रत रखने की सोच रहे हैं तो यहां जानिए पूजा करने की सम्पूर्ण विधि-

सोमवार पूजा करने की विधि, Somvar Vrat Ki Vidhi
1- सोमवार के दिन सबसे पहले सूर्योदय में स्नान करके व्रत का संकल्प लेकर शिव मंदिर में जाना चाहिए। शुद्ध जल से शिवलिंग का अभिषेक करते हुए मंत्र- ऊॅ महाशिवाय सोमाय नम: का जाप करना चाहिए।
2- फिर गाय के शुद्ध कच्चे दूध को शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए। यह करने से मनुष्य के तन-मन-धन से जुड़ी सारी परेशानियां खत्म हो जाती है।
3- इसके बाद शिवलिंग पर शहद या गन्ने का रस चढ़ाए। फिर कपूर, इत्र, पुष्प-धतूरे और भस्म से शिवजी का अभिषेक कर शिव आरती करना करें। अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए ह्रदय से प्रार्थना करना चाहिए।
4- इस व्रत में सफेद रंग का खास महत्व होता है। व्रत वाले को दिन में सफेद कपड़े पहनकर शिवलिंग पर सफेद पुष्प चढ़ाने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
5- सोमवार के दिन शिवपूजा का विधान है। भोलेनाथ एक लोटे जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं। सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति की हर मनोकामना की पूर्ति होती है।
6- यदि भोलेनाथ की पूजा शिवमंत्र के साथ की जाए तो भाग्योदय के साथ रोजगार , उन्नति व मनचाहे जीवन-साथी पाने की मनोकामना शीघ्र पूर्ण होती है।
7- शिवलिंग पर जलाभिषेक के बाद गाय का दूध अर्पित करें। इससे तन, मन और धन संबंधी हर समस्या दूर होती है।
8- शिवलिंग पर शहद की धारा अर्पित करें। इससे आजीविका, नौकरी व व्यवसाय से संबंधित सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
9- लाल चंदन लगाएं व श्रृंगार करें। माना जाता है कि शिवलिंग पर चंदन लगाने से जीवन में सुख-शांति आती है।
10- इन उपायों के बाद यथाशक्ति गंध, अक्षत, फूल, नैवेद्य अर्पित कर शिव आरती करें।
11- साथ ही शिव जी को अर्पित किए गए दूध, शहद को चरणामृत के रूप में ग्रहण करें और चंदन लगाकर मनोकामना पूर्ति हेतु भोलेनाथ से प्रार्थना करें।

सोमवार व्रत कथा, Somvar Vrat Katha
एक समय की बात है, किसी नगर में एक साहूकार रहता था. उसके घर में धन की कोई कमी नहीं थी लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी इस कारण वह बहुत दुखी था. पुत्र प्राप्ति के लिए वह प्रत्येक सोमवार व्रत रखता था और पूरी श्रद्धा के साथ शिव मंदिर जाकर भगवान शिव और पार्वती जी की पूजा करता था.
उसकी भक्ति देखकर एक दिन मां पार्वती प्रसन्न हो गईं और भगवान शिव से उस साहूकार की मनोकामना पूर्ण करने का आग्रह किया. पार्वती जी की इच्छा सुनकर भगवान शिव ने कहा कि ‘हे पार्वती, इस संसार में हर प्राणी को उसके कर्मों का फल मिलता है और जिसके भाग्य में जो हो उसे भोगना ही पड़ता है.’ लेकिन पार्वती जी ने साहूकार की भक्ति का मान रखने के लिए उसकी मनोकामना पूर्ण करने की इच्छा जताई.

माता पार्वती के आग्रह पर शिवजी ने साहूकार को पुत्र-प्राप्ति का वरदान तो दिया लेकिन साथ ही यह भी कहा कि उसके बालक की आयु केवल बारह वर्ष होगी. माता पार्वती और भगवान शिव की बातचीत को साहूकार सुन रहा था. उसे ना तो इस बात की खुशी थी और ना ही दुख. वह पहले की भांति शिवजी की पूजा करता रहा.
कुछ समय के बाद साहूकार के घर एक पुत्र का जन्म हुआ. जब वह बालक ग्यारह वर्ष का हुआ तो उसे पढ़ने के लिए काशी भेज दिया गया. साहूकार ने पुत्र के मामा को बुलाकर उसे बहुत सारा धन दिया और कहा कि तुम इस बालक को काशी विद्या प्राप्ति के लिए ले जाओ और मार्ग में यज्ञ कराना. जहां भी यज्ञ कराओ वहां ब्राह्मणों को भोजन कराते और दक्षिणा देते हुए जाना.

दोनों मामा-भांजे इसी तरह यज्ञ कराते और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देते काशी की ओर चल पड़े. रात में एक नगर पड़ा जहां नगर के राजा की कन्या का विवाह था. लेकिन जिस राजकुमार से उसका विवाह होने वाला था वह एक आंख से काना था. राजकुमार के पिता ने अपने पुत्र के काना होने की बात को छुपाने के लिए एक चाल सोची.

साहूकार के पुत्र को देखकर उसके मन में एक विचार आया. उसने सोचा क्यों न इस लड़के को दूल्हा बनाकर राजकुमारी से विवाह करा दूं. विवाह के बाद इसको धन देकर विदा कर दूंगा और राजकुमारी को अपने नगर ले जाऊंगा. लड़के को दूल्हे के वस्त्र पहनाकर राजकुमारी से विवाह कर दिया गया. लेकिन साहूकार का पुत्र ईमानदार था. उसे यह बात न्यायसंगत नहीं लगी.
उसने अवसर पाकर राजकुमारी की चुन्नी के पल्ले पर लिखा कि ‘तुम्हारा विवाह तो मेरे साथ हुआ है लेकिन जिस राजकुमार के संग तुम्हें भेजा जाएगा वह एक आंख से काना है. मैं तो काशी पढ़ने जा रहा हूं.’

जब राजकुमारी ने चुन्नी पर लिखी बातें पढ़ी तो उसने अपने माता-पिता को यह बात बताई. राजा ने अपनी पुत्री को विदा नहीं किया जिससे बारात वापस चली गई. दूसरी ओर साहूकार का लड़का और उसका मामा काशी पहुंचे और वहां जाकर उन्होंने यज्ञ किया. जिस दिन लड़के की आयु 12 साल की हुई उसी दिन यज्ञ रखा गया. लड़के ने अपने मामा से कहा कि मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है. मामा ने कहा कि तुम अंदर जाकर सो जाओ.

शिवजी के वरदानुसार कुछ ही देर में उस बालक के प्राण निकल गए. मृत भांजे को देख उसके मामा ने विलाप शुरू किया. संयोगवश उसी समय शिवजी और माता पार्वती उधर से जा रहे थे. पार्वती ने भगवान से कहा- स्वामी, मुझे इसके रोने के स्वर सहन नहीं हो रहा. आप इस व्यक्ति के कष्ट को अवश्य दूर करें.
जब शिवजी मृत बालक के समीप गए तो वह बोले कि यह उसी साहूकार का पुत्र है, जिसे मैंने 12 वर्ष की आयु का वरदान दिया. अब इसकी आयु पूरी हो चुकी है. लेकिन मातृ भाव से विभोर माता पार्वती ने कहा कि हे महादेव, आप इस बालक को और आयु देने की कृपा करें अन्यथा इसके वियोग में इसके माता-पिता भी तड़प-तड़प कर मर जाएंगे.

माता पार्वती के आग्रह पर भगवान शिव ने उस लड़के को जीवित होने का वरदान दिया. शिवजी की कृपा से वह लड़का जीवित हो गया. शिक्षा समाप्त करके लड़का मामा के साथ अपने नगर की ओर चल दिया. दोनों चलते हुए उसी नगर में पहुंचे, जहां उसका विवाह हुआ था. उस नगर में भी उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया. उस लड़के के ससुर ने उसे पहचान लिया और महल में ले जाकर उसकी खातिरदारी की और अपनी पुत्री को विदा किया.

इधर साहूकार और उसकी पत्नी भूखे-प्यासे रहकर बेटे की प्रतीक्षा कर रहे थे. उन्होंने प्रण कर रखा था कि यदि उन्हें अपने बेटे की मृत्यु का समाचार मिला तो वह भी प्राण त्याग देंगे परंतु अपने बेटे के जीवित होने का समाचार पाकर वह बेहद प्रसन्न हुए. उसी रात भगवान शिव ने व्यापारी के स्वप्न में आकर कहा- हे श्रेष्ठी, मैंने तेरे सोमवार के व्रत करने और व्रतकथा सुनने से प्रसन्न होकर तेरे पुत्र को लम्बी आयु प्रदान की है. इसी प्रकार जो कोई सोमवार व्रत करता है या कथा सुनता और पढ़ता है उसके सभी दुख दूर होते हैं और समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

सोमवार व्रत की आरती, Somvar Vrat Ki Aarti
आरती करत जनक कर जोरे। बड़े भाग्य रामजी घर आए मोरे॥
जीत स्वयंवर धनुष चढ़ाए। सब भूपन के गर्व मिटाए॥
तोरि पिनाक किए दुइ खंडा। रघुकुल हर्ष रावण मन शंका॥
आई सिय लिए संग सहेली। हरषि निरख वरमाला मेली॥
गज मोतियन के चौक पुराए। कनक कलश भरि मंगल गाए॥
कंचन थार कपूर की बाती। सुर नर मुनि जन आए बराती॥
फिरत भांवरी बाजा बाजे। सिया सहित रघुबीर विराजे॥
धनि-धनि राम लखन दोउ भाई। धनि दशरथ कौशल्या माई॥
राजा दशरथ जनक विदेही। भरत शत्रुघन परम सनेही॥
मिथिलापुर में बजत बधाई। दास मुरारी स्वामी आरती गाई॥

सोमवार के व्रत में क्या खाया जाता है? , Somvar Vrat Me Kya Khana Chahiye
आप व्रत के दौरान फल, ताजा सब्जी, साबूदान, दूध और दूध से बनी चीजें जैसे दही, छाछ का सेवन कर सकते हैं। हालांकि, कुछ लोग ऐसे हैं जो दिन में सिर्फ एक बार खाना खाते हैं। लेकिन खाने में नमक लहसुन और प्याज से बचना आवश्यक है। व्रत के दौरान खुद को हाइड्रेटेड रखें। साग सहित फल और सब्जियां खाने में शामिल कर सकते हैं । साथ ही नट्स, खजूर और किशमिश भी शामिल कर सकते हैं। ब्रेकफास्ट में आप स्किम्ड मिल्क के साथ फल ले सकती हैं, या फिर दूध के साथ भीगे बादाम खा सकती हैं। लंच में सेंधा नमक डले साबूदाने से बना कोई व्यंजन दही के साथ लिया जा सकता है या फिर कुट्टू के आटे से बनी पूरी और आलू की सब्जी के साथ दही ले सकती हैं। अगर आप नमक का सेवन नहीं करते हैं तो दही खा सकते हैं, दूध पी सकते हैं, दूध से बनी किसी मीठी चीज का सेवन कर सकते हैं। शाम के समय सूखे मेवे आपको फिट रखेंगे या फिर सादी चाय के साथ व्रत के चिप्स, रोस्टेड मखाना ले सकती हैं।

सोमवार के व्रत का खाना, व्रत में ऐसी रखें डाइट, Somvar Vrat Diet
1- सुबह की शुरुआत गुनगुने पानी से करें। चाहें तो पानी में नींबू या शहद भी मिला लें। घूंट-घूंट कर इसे पीना आपको पूरे दिन एनर्जी से भरा रखेगा साथ ही गैस आदि होने से भी बचाएगा।
2- सुबह नौ बजे तक पूजा-पाठ कर नाश्ता करें। नाश्ते में कोशिश करें कि ऐसी चीजें लें जो आपके पेट को लंबे समय तक भरा रखें। जैसे साबूदाना की खीर या ऐेसे फल लें जो एसिडीटी और गैस न होने दें। जैसे पपीता । इसके साथ आप नट्स भी ले सकते हैं। इसमें 5 बादाम और 2 अखरोट खाएं। ये लंबे समय तक आपके पेट को लंबे समय तक भरा महसूस कराएंगे।
3- दोपहर में खाने में आ कूट्टू के आटे का हलवा या साबूदाने की खिचड़ी ले सकते हैं। इसमें आप उबले आलू और मूंगफली भी डालें। साथ में सेब या नाश्पाती लें।
4- शाम को आप चाय पी सकते हैं। चाहें तो आप ग्रीन टी ले सकते हैं। इसके साथ आप सिंघाड़े और आलू से बनी ग्रिल्ड या शैलो फ्राई टिक्की खा लें। सिंघारा के आटे में कार्बोहाइड्रेट के साथ जिंक, फॉस्फोरस, कैल्शियम, और आयरन भी होता है जो आपको एनर्जी से भरा बनाए रखेगा।
5- यदि डिनर में आपको फलहार लेना है तो आप उबली शकरकंदी और दही खा सकते हैं।
6- यदि आप अनाज खाने वाले हैं तो आप हरी सब्जियों के साथ चपाती और दाल ले सकते हैं। दही भी खा सकते हैं।
7- सोते समय आप दूध पीएं अगर आपको ये डायजेस्ट होता हो तो। अन्यथा आप इसे न पीएं।

सोमवार के दिन करें ये उपाय, Somvar Vrat Upay
1- सोमवार के दिन करें पूजा अर्चना
भगवान शिव की पूजा अगर कोई भक्त सोमवार के दिन सच्चे मन से करता है तो उसके जीवन से सारे कलेश दूर हो जाते हैं और मनचाही मुरादें पूर्ण होती हैं। सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं।
2- ये चीज़ें भोलेनाथ को हैं बेहद प्रिय
चंदन, अक्षत, बिल्व पत्र, धतूरा या आंकड़े के फूल, दूध, गंगाजल भोले नाथ को अर्पित करें। ये वस्तु महादेव को बहुत प्रिय हैं। मान्यता है कि भगवान शंकर को ये चीज़ें अर्पित करने से वह जल्दी प्रसन्न हो कर अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।
3- शिवजी को लगाए भोग
भगवान शिवजी को घी, शक़्कर, गेंहू के आटे से बना प्रसाद सोमवार के दिन भोग लगाएं। उसके बाद धूप, दीप से आरती करें और प्रसाद का वितरण भी करें।
4- सोमवार के दिन इस मंत्र का जाप जरूर करें
महामृत्युंजय मंत्र का जाप सोमवार के दिन 108 बार जरूर करें। ऐसा करने से भगवान शिव की भक्तों पर विशेष कृपा होती है। गाय का कच्चा दूध शिवलिंग पर सोमवार को अर्पित करने से हमेशा आप पर भगवान शिव की कृपा बनी रहती है।
महामृत्युंजय मंत्र –
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌॥

5- इन वस्‍तुओं से करें शिवलिंग का पूजन
इस दिन शिव जी के जलाभिषेक के दौरान उसमें कुछ तिल मिलाकर 11 बेलपत्र के साथ अर्पित करने से लाभ होता है। इसके साथ ही ऐसी पुरानी मान्यता है कि शिवलिंग पर हमेशा मिश्री अर्पित करने के बाद ही जल चढ़ाना चाहिए। दरअसल इस तरह की गई पूजा ही आपकी विधि पूर्ण मानी जाती है।
6- इन वस्‍तुओं का करें सेवन
चंद्र ग्रह के अनुकूल प्रभाव प्राप्‍त करने के लिए सभी प्रकार के सफेद खाद्य पद्धार्थ जैसे दूध व दूध से बनी चीजें, चावल, सफेद तिल, अखरोट-मिश्री, बर्फी जैसी मिठाइयों आदि का प्रयोग अधिक से अधिक करना चाहिए।
7- लौंग और कपूर का उपाय
सोमवार के दिन सबसे पहले आप घर के पूजा करने वाले स्‍थान पर भगवान शिव की तस्‍वीर या मूर्ति के सामने लौंग का एक जोड़ा और थोड़ा सा कपूर रख दें। इसके बाद ओम नम: शिवाय मंत्र का 21 बार जप करें। जप करने के पश्‍चात आप अपनी हथेली पर लौंग और कपूर दोनों को लेकर मुट्ठी बंद कर लें। उसके बाद अपनी सारी समस्‍याएं ईश्‍वर के समक्ष बोल दें। उसके बाद लौंग और कपूर को लेकर शिवजी के मंदिर में जाएं और शिवलिंग पर चढ़े जल से इन्‍हें स्‍पर्श कराएं। स्‍पर्श कराकर दोनों चीजों को जला दें। ऐसा करने से आपकी सभी समस्‍याएं दूर होंगी और मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
8- इन चीजों का करें दान
सोमवार को सफेद वस्तु जैसे दूध, दही, कोई सफेद कपड़ा, चीनी आदि का दान करने से भी लाभ होगा। वहीं इस दिन आप खीर बना कर गरीबों में भी बांट सकते हैं। ऐसे भी दान-पुण्य करने का बढ़ा प्रताप हमारे शास्त्रों में निहित है।
9- मछलियों को खिलाएं आटे की गोलियां
सोमवार के दिन धन प्राप्ति के उपाय के तौर पर मछलियों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाने से भी आपके धन, यश, वैभव और कीर्ति में वृद्धि होती है। ऐसा करने से भगवान शिव की कृपा के साथ चंद्र ग्रह की शांति भी होती है।
10- गौमाता का आशीर्वाद पाने के लिए करें ये उपाय
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सोमवार को सफेद गाय को रोटी और गुड़ खिलाने से भी हमारे सभी कष्ट दूर होते हैं। गौ माता का शास्त्र पुराणों में काफी महात्म्य बतलाया गया है। दरअसल जहां गाय बैठती हैं वह स्थान, वह घर सर्वदा के लिए पवित्र हो जाता है।

सोमवार व्रत के लाभ फायदें, Somvar Vrat Labh Fayde
1- मनोकामना पूरी होती है?
इस मास में काल के देवता भगवान शिव की पूजा करना, कथा सुनना तथा पुराणों का श्रवण करना चाहिए। इसके अतिरिक्त कुत्सित विचारों का त्याग कर स्वभाव में नम्रता रखते हुए धैर्य निष्ठापूर्वक भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। ब्राह्मण की सेवा में विश्वास रखते हुए और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए तपस्वी में लीन रहना चाहिए। इस मास का माहात्म्य सुनने मात्र से ही मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं, इसलिए इसे श्रावण मास कहा जाता है। पूर्णमासी को श्रवण नक्षत्र का योग होने के कारण भी यह मास श्रावण कहलाता है। इस मास की संपूर्ण कला को केवल ब्रह्मा जी ही जानते हैं। इस मास के कुल तीस दिन व्रत व पुण्य कार्यों के लिए ही होते हैं। इसका अर्थ यह है कि इस मास की सारी तिथियां व्रत अथवा पुण्य कार्यों के लिए ही होती हैं।
2- सोमवार के व्रत से कन्याओ को मिलता है सुयोग्य वर
जप, तप आदि के लिए यह मास सर्वश्रेष्ठ है। भगवान शिव को यह मास सर्वाधिक प्रिय है। वर्षा ऋतु के इस मास को योगी पुरुष नियम व संयमपूर्वक, तप करते हुए व्यतीत करें। एक मास तक रुद्राभिषेक करें, रुद्राक्ष की माला धारण करें तथा उससे ¬ नमः शिवाय का जप करें। इन दिनों व्रती को अपनी किसी एक प्रिय वस्तु का त्याग कर देना चाहिए। पुष्प, तुलसी दल, फल, धान्य और बिल्वपत्र से महादेव की पूजा करनी चाहिए। भूमि पर शयन करना चाहिए, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और झूठ नहीं बोलना चाहिए। प्रातःकाल स्नान कर एकाग्रचित होकर पुरुष सूक्त का पाठ करना चाहिए। इस मास कोटिहोम ग्रह यज्ञ करने पर मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
3- शत्रु का नाश
जवा पुष्प से पूजन करने से शत्रु का नाश होता है। कनेर के फूल से पूजा करने से रोग से मुक्ति मिलती है तथा वस्त्र एवं संपति की प्राप्ति होती है। हर सिंगार के फूलों से पूजा करने से धन सम्पति बढ़ती है तथा भांग और धतूरे से ज्वर तथा विषभय से मुक्ति मिलती है। चंपा और केतकी के फूलों को छोड़कर शेष सभी फूलों से भगवान शिव की पूजा की जा सकती है। साबुत चावल चढ़ाने से धन बढ़ता है। गंगाजल अर्पित करने से मोक्ष प्राप्त होती है।
4- सोमवार व्रत से दामपत्य जीवन में आती हैं खुशियां
विवाहित महिलाएं सोमवार का व्रत करती हैं ताकि उनका दामपत्य जीवन सुखी रहे और घर में शांति रहे। मान्यता है कि विवाहित महिलाओं द्वारा इस व्रत को करने से घर में सुख शांति आती है।
5- सोमवार व्रत से मिलता है निरोगी होने का वरदान
सोमवार का व्रत रखने से इंसान की उम्र लंबी होती है। मान्यता है कि इस व्रत से इंसान को न सिर्फ निरोगी काया मिलती है बल्कि वह सौंदर्य और तेज से लबालब रहता है।
6- सोमवार व्रत करने से भोलेनाथ शनि के गुस्से से बचाते हैं 
मान्यता है कि भगवान शिव का व्रत करन से शनि के प्रकोप से मुक्ति मिलती है। भगवान शिव इंसान को शनि के दुष्प्रभाव से बचाते हैं।

सोमवार व्रत का उद्यापन / उद्यापन के दिन इन नियमों का पालन करें
उद्यापन वाले दिन स्नान के बाद सफेद वस्त्र पहनना उचित होता है। इन्हीं वस्त्रों में पूजा करानी चाहिए। पूजा के लिए एक चौकी या वेदी तैयार करें। इसे केले के पत्तों और फूलों से सुंदर तरीके से सजाएं। स्वयं या पुरोहित जी द्वारा इस चौकी पर भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती, गणपति, कार्तिकेय,नंदी और चंद्रदेव की प्रतिमा स्थापित करें। इन्हें गंगाजल से स्नान कराने के बाद चंदन, रोली और अक्षत का टीका लगाएं। फूल-माला अर्पित करें और पंचामृत का भोग लगाएं। भोलेनाथ को सफेद फूल अतिप्रिय हैं। सफेद मिठाई अर्पित करें। शिव मंदिर में शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, घी,गंगाजल का पंचामृत अर्पित करें। बिल्व पत्र, धतूरा और भांग चढ़ाएं। अपनी हर समस्या के समाधान और मन्नत को पूरा करने के लिए काले तिल डालकर शिवलिंग पर 11 लोटे जल अर्पित करें। पूजा के बाद भोजन ग्रहण करें। उद्यापन के दिन भी आपको एक समय ही भोजन करना है। रात में जमीन पर बिस्तर लगाकर सोना है।

क्यों जरूरी है उद्यापन
उद्यापन बगैर नहीं मिलता है व्रत का शुभ फल व्रत करना आसान है लेकिन व्रत पूरे होने पर उद्यापन भी करने की जरूरत होती है। वर्तमान समय में लोग व्रत तो कर लेते है लेकिन समयाभाव के कारण व्रत का उद्यापन नहीं करते है और यही कारण होता है कि व्रत का फल शुभ नहीं होता है, कहने का तात्पर्य यह है कि बगैर उद्यापन किया व्रत निष्फल ही रहता है इसलिये जरूरी है कि व्रत का उद्यापन किया जाये। भले ही किसी परिजन या परिचित को न बुलाया जाये या बहुत बड़ा आयोजन न करें, लेकिन योग्य ब्राह्मण से व्रत उद्यापन की विधि को संपन्न करना चाहिये।
नंदी पुराण और निर्णय सिंधु में यह वर्णन मिलता है कि उद्यापनं विना यत्रु तद् व्रतं निष्फलं भवेत। इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि सौभाग्यवती महिला को अपने पति की सहमति से ही व्रत या व्रत का उद्यापन करना चाहिये। बगैर अनुमति न तो व्रत का फल प्राप्त होता है और न व्रतोद्यापन का ही फल मिलता है।

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