sai baba vrat Vidhi

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साई बाबा, साईं बाबा व्रत
साईं बाबा का प्रियवार गुरुवार है. इस दिन व्रत और पूजा अर्चना कर आप साईं बाबा से मनचाहा आशीर्वाद पा सकते हैं. ‘सबका मालिक एक है’ का संदेश देने वाले साईं बिना किसी भेदभाव के अपने सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं. साईं व्रत जाति-पाति के भेद भाव के बिना कोई भी कर सकता है, चाहे वह बच्चा हो, बुजुर्ग हो या महिला. अगर आप भी साईं बाबा की विशेष कृपा पाना चाहते हैं और गुरुवार को साईं व्रत रखने के इच्छुक हैं तो यह खबर खास आपके लिए ही है. यहां जानिए साईं व्रत पूजा विधि, साईं व्रत के नियम, साईं व्रत कथा, आरती और उद्यापन विधि ( Sai Vrat Udyapan Vidhi) के बारे में संपूर्ण जानकारी…

साईं बाबा कौन थे?
शिरडी साईंबाबा एक भारतीय गुरु, संत एवं फ़क़ीर के रूप में बहुमान्य हैं. उनके अनुयायी उन्हें सर्वशक्तिमान एवं सर्वव्यापी मानते हैं. साईं बाबा का जन्म कब और कहाँ हुआ था? उनके माता-पिता कौन थे? ये बातें आज भी अज्ञात हैं. किसी भी दस्तावेज से इसका प्रमाण नहीं मिलता है. लेकिन ऐसा माना जाता है कि दिव्य शक्ति के महात्मा साईं बाबा सन् 1854 में शिर्डी आए थे. जब साईं बाबा शिर्डी आए, उस समय वह एक छोटा सा गांव था. बाद में बाबा के चमत्कार से शिर्डी की ख्याति दूर−दूर तक फैल गई जिससे शिर्डी का विकास होता चला गया. साईं बाबा शिर्डी में एक पुरानी जीर्ण-शीर्ण मस्जिद में रहते थे, जिसका नाम उन्होंने द्वारका भाई रखा था.  शिर्डी में कई नई इमारतें बनने के बावजूद साईं बाबा द्वारका भाई में ही रहना पसंद करते थे और साईं के भक्तों को उनसे मिलने यहीं आना पड़ता था.

साईं बाबा ने शिर्डी में आने के बाद अपनी योग शक्ति से एक अग्नि जलाई थी जिसे धूनी कहा जाता है. इस धूनी में दिन−रात आग जलती रहती है. इस धूनी की राख को उदी कहा जाता है. साईं बाबा अपने भक्तों को उदी देते थे. उदी से ही भक्तों के रोग और कष्टों का निवारण होता था. आज भी साईं बाबा के मंदिरों में भक्तों को यह उदी दी जाती है. साईं बाबा अंतर्यामी भी थे उन्हें अपने भक्तों पर आने वाले संकट का आभास हो जाया करता था. कई बार तो साईं बाबा अपने भक्तों के कष्ट स्वयं अपने ऊपर ले लिया करते थे. साईं बाबा स्वयं को ईश्वर का बंदा और उसका सेवक कहा करते थे.

साईं बाबा व्रत फल/ महत्व
जो कोई श्री साईं बाबा का व्रत पूरे विधि विधान और श्रद्धाभाव से करता है उन्हें पुत्र प्राप्ति, कार्य सिद्धि, मनचाहा जीवनसाथी, व्यापार में वृद्धि और धन की प्राप्ति होती है. कहा जाता है यह व्रत रखने से खोया धन वापस मिल जाता है, शत्रु से रक्षा होती है, पति का खोया प्रेम वापस मिलता है, परीक्षा में सफलता एवं रोग का निवारण होता है. इतना ही नहीं साईं व्रत पूजा से साईं दर्शन, मन की शान्ति,  तथा सभी मनोवांक्षित फलों की प्राप्ति होती है.

कब से शुरू करें साईं बाबा का व्रत, कितने गुरुवार तक रखें साईं बाबा का व्रत, Sai Baba ka Vrat Kitne Guruwar tak rakhe
साईं बाबा का व्रत आप किसी भी गुरुवार से बाबा का नाम लेकर शुरू कर सकते हैं. लगातार 9 गुरुवार तक साईं व्रत काफी फलदायी होता है. पुरुष लगातार 9 गुरुवार का व्रत रख सकते हैं, लेकिन महिलाएं मासिक धर्म के दौरान व्रत न करें. व्रत के समय अगर स्त्रियों को मासिक समस्या आए या फिर किसी कारण व्रत न हो पाये तो उस गुरुवार को 9 गुरुवार की गिनती में न लें और उस गुरुवार के बदले अन्य गुरुवार को व्रत करके अपने व्रत को पूरा करें।

साईं बाबा व्रत पूजा विधि, Sai Baba Vrat Puja Vidhi 
गुरुवार के दिन पीला वस्त्र धारण करना शुभ होता है. साईं व्रत के दौरान सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर साईं बाबा का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें. (हे साईं बाबा! मैं आज से 9 गुरुवार तक आपके व्रत रखने का संकल्प लेती हूं या लेता हूं. मेरा यह व्रत स्वीकार करें.) इसके बाद साईं की मूर्ति या तस्वीर पर गंगाजल के छीटें दें. किसी पटरे पर पीला वस्त्र बिछाकर साईं की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. अब उन्हें पीला वस्त्र धारण कराएं। फिर पुष्प, रोली और अक्षत के छीटें दें. धूप जलाएं और घी के दीये से आरती उतारें. इसके बाद पीले फूल अर्पित करें. अब अक्षत व पीले फूल हाथ में रखकर साईं कथा सुनें. कथा के बाद साईं की आरती का गान करें. बेसन के लड्डू या फिर किसी पीली मिठाई का भोग लगाएं. इसके बाद अपनी मनोकामना बाबा से कहें और प्रसाद सभी में वितरण कर दें. अगर संभव हो सके तो दान जरूर करें. गुरुवार का व्रत पूरा होने के बाद गरीब, असहाय लोगों को भोजन अवश्य करावें, ऐसा करने बाबा की कृपा बरसती है.

साईं बाबा के मंत्र का जाप, Sai Baba ke Mantra
बाबा के सामने घी का दीपक जलाकर 108 बार साईं बाबा के मंत्र का जप करें. आप इनमें से किसी भी एक मंत्र का जप कर सकते हैं.
1- ॐ साईं राम।।
2- ॐ साईं गुरुवाय नम:।।
3- सबका मालिक एक है।।
4- ॐ साईं देवाय नम:।।
5- ॐ शिर्डी देवाय नम:।।
6- ॐ समाधिदेवाय नम:।।
7- ॐ सर्वदेवाय रूपाय नम:।।
8- ॐ मालिकाय नम:।।

साईं बाबा को प्रसाद में क्या-क्या चढ़ाया जाता है?
ऐसा माना जाता है कि साईं बाबा को ‘पालक’ बेहद पसंद है, इसलिए भक्त गुरुवार के दिन बाबा को पालक का चढ़ावा चढ़ाते हैं. इसके अलावा बाबा कुछ मीठा एवं ताज़े फल भी अर्पित कर सकते हैं. अक्सर बाबा के भक्त बाबा को मिठाई में हलवा चढ़ाते हैं, इसके अलावा बाबा को खिचड़ी भी अर्पित की जाती है. ये सब चढ़ाते हुए एक बात का जरूर ध्यान रखें कि इन सभी में नारियल का इस्तेमाल जरूर हो. क्योंकि नारियल बाबा को बहुत पसंद है. अर्पित करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.

साईं बाबा के व्रत में क्या खाना चाहिए, Sai Baba ke Vrat me Kya Khana Chahiye
यह व्रत फलाहार जैसे दूध, चाय, फल, मिठाई आदि लेकर किया जाता है. आप चाहें तो एक समय भोजन करके भी अपना व्रत कर सकते हैं. लेकिन ध्यान रखें कि व्रत वाले दिन बिलकुल भूखे रहकर उपवास न करें. व्रत में फलाहार ग्रहण करें लेकिन व्रत में नमक से बने पकवान ना खाये।

साईं बाबा व्रत कथा, Sai Baba Vrat Katha
कोकिला नाम की महिला और उनके पति महेशभाई गुजरात के एक शहर में रहते थे। वे दोनों एक-दुसरे के साथ प्रेमभाव से रहते थे। लेकिन महेशभाई का स्वाभाव झगड़ालू था। वहीं कोकिला बहन बहुत ही धार्मिक स्त्री थी, भगवान पर हमेशा विश्वास रखती थीं। झगड़ालू स्वाभाव के कारण उनके पति का धंधा-रोजगार ठप होने लगा और दूसरा कमाई को कोई जरिया नहीं था। रोजगार ठप हो जाने की वजह से महेशभाई अब दिनभर घर पर ही रहने लगे और अब उन्होंने गलत राह पकड़ ली। खाली रहने के कारण उनका स्वभाव भी अधिक चिड़चिड़ा हो गया।

एक दिन दोपहर का समय था। एक बुजुर्ग इंसान दरवाजे पर आकार खड़े हो गए और उन्होंने दल-चावल की मांग की। धार्मिक स्वभाव की कोकिला बहन ने दल-चावल दिए और दोनों हाथों से उस बुजुर्ग इंसान को प्रणाम किया। बुजुर्ग ने कहा साईं सुखी रखे, तब कोकिला बहन ने कहा बाबा सुख मेरी किस्मत में नहीं है और फिर उन्होंने अपने बारे में सभी जानकारी दी।

तब बुजुर्ग इंसान ने कोकिला बहन को साईं बाबा के व्रत के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस व्रत के करने से सभी मनोकामना पूरी होगी और बाबा का आशीर्वाद हमेशा उसके घर पर बना रहेगा। बुजुर्ग की बात मानकर कोकिला बहन ने 9 गुरुवार व्रत किया। जैसे बाबा ने बताया सभी कार्य किए। उसके थोड़े समय के बाद घर में सुख समृधि बढ़ गई। दोनो पति-पत्नी सुख-शांति से रहने लगे। उनका धंधा-रोजगार फिर से चालू हो गया और महेशभाई का स्वाभाव भी बदल गया।

एक दिन कोकिला बहन के जेठ-जेठानी सूरत से आए। बातों-बातों में उन्होंने बताया कि उनके बच्चें पढ़ाई-लिखाई में ध्यान नहीं देते हैं, जिसकी वजह से वह परिक्षा में फेल भी हो जाते हैं। तब कोकिला बहन ने 9 गुरुवार साईं बाबा का व्रत रखने को कहा और उनकी महिमा के बारे में बताया। साईं बाबा के भक्ति से बच्चे अच्छी तरह पढ़ाई-लिखाई कर पाएंगे लेकिन इसके लिए साईं बाबा पर विश्वास रखना बहुत जरूरी है।

सूरत से उनकी जेठानी का थोड़े दिनों में पत्र आया कि उनके बच्चे साईं व्रत करने लगे है और बहुत अच्छे तरह से पढ़ते है। उन्होंने भी व्रत किया था और व्रत की किताबें जेठ के ऑफिस में दी थी। फिर एक के बाद ऐसे कई अद्भुत चमत्कार हुए। हे साईं बाबा आप जैसे सभी लोगों पर प्रसन्न होते है, वैसे हम पर भी होना और अपना आशीर्वाद हमेशा बनाए रखना।

।।श्री साईं नाथ की आरती, साईं बाबा की आरती, Sai Baba Aarti ।।
आरती 1
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।
भक्तजनों के कारण, उनके कष्ट निवारण॥
शिरडी में अवतरे, ॐ जय साईं हरे॥ ॐ जय…॥
दुखियन के सब कष्टन काजे, शिरडी में प्रभु आप विराजे।
फूलों की गल माला राजे, कफनी, शैला सुन्दर साजे॥
कारज सब के करें, ॐ जय साईं हरे ॥ ॐ जय…॥
काकड़ आरत भक्तन गावें, गुरु शयन को चावड़ी जावें।
सब रोगों को उदी भगावे, गुरु फकीरा हमको भावे॥
भक्तन भक्ति करें, ॐ जय साईं हरे ॥ ॐ जय…॥
हिन्दु मुस्लिम सिक्ख इसाईं, बौद्ध जैन सब भाई भाई।
रक्षा करते बाबा साईं, शरण गहे जब द्वारिकामाई॥
अविरल धूनि जरे, ॐ जय साईं हरे ॥ ॐ जय…॥
भक्तों में प्रिय शामा भावे, हेमडजी से चरित लिखावे।
गुरुवार की संध्या आवे, शिव, साईं के दोहे गावे॥
अंखियन प्रेम झरे, ॐ जय साईं हरे ॥ ॐ जय…॥
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।
शिरडी साईं हरे, बाबा ॐ जय साईं हरे॥
श्री सद्गुरु साईंनाथ महाराज की जय॥

।।साईं बाबा की आरती- 2।।
आरती उतारे हम तुम्हारी सांई बाबा।
चरणों के तेरे हम पुजारी बाबा।।
विद्या बल बुद्धि, बंधु माता पिता हो।
तन मन धन प्राण, तुम्ही सखा हो।।
हे जगदाता अवतारे, सांई बाबा।
आरती उतारे हम तुम्हारी सांई बाबा।।

ब्रह्म के सगुण अवतार तुम स्वामी।
ज्ञानी दयावान प्रभु अंतरयामी।।
सुन तो विनती हमारी सांई बाबा।
आरती उतारे हम तुम्हारी सांई बाबा।।

आदि हो अनंत त्रिगुणात्मक मूर्ति।
सिंधु करुणा के हो उद्धारक मूर्ति।।
शिरडी के संत चमत्कारी सांई बाबा।
आरती उतारे हम तुम्हारी सांई बाबा।।

भक्तों की खातिर जनम लिए तुम।
प्रेम ज्ञान सत्य स्नेह, मरम दिए तुम।।
दुखिया जनों के हितकारी सांई बाबा।
आरती उतारे हम तुम्हारी सांई बाबा।।

साईं बाबा व्रत उद्द्यापन विधि, Sai Baba Vrat Udyapan Vidhi in Hindi
साईं बाबा के व्रत 9वें गुरुवार को उद्यापन करना चाहिए. सबसे पहले स्नान आदि करके हर गुरुवार व्रत की तरह इस दिन भी विधिवत पूजा करें. अब साईं बाबा से कहें कि आपने विधिवत सारे व्रत पूर्ण कर लिए हैं और आज आप इस व्रत का उद्यापन करने जा रहे हैं. इस दौरान भगवान से क्षमा प्रार्थना कपना न भूलें. पूजा के बाद पांच गरीब व्यक्तियों को भोजन कराएं और दान करें. साथ ही सगे-सम्बन्धी या पड़ोसियों को साईं व्रत की किताबें जिसकी संख्या 5, 11 या फिर 21 हो इसे भेट कर व्रत का उद्यापन करें.

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