माता पार्वती की पूजा विधि आरती जन्म कथा, Mata Parvati Puja Vidhi Aarti Janm Katha, माता पार्वती की पूजन सामग्री, Maa Parvati Mantra, Parvati Mata Mantra, Maa Parvati Ki Puja Kaise Kare, Mata Parvati Ko Kaise Prasan Kare, Parvati Mata Ki Puja Kaise Kare, Mata Parvati Mantra, Maa Parvati Ko Kaise Prasan Kare, Parvati Stuti For Marriage, पार्वती जी के मंत्र, सती और पार्वती की असली कहानी, Devi Parvati Birth And Marriage With Lord Shiva
माता पार्वती की पूजा विधि आरती जन्म कथा, Maa Parvati Mantra
भक्त माता पार्वती जी की पूजा कर मनचाहा वरदान पा सकते हैं. देवी आदि शक्ति के रूप में प्रसिद्ध मां पार्वती अपने भक्तों की भक्ति से प्रसन्न होकर उनकी हर मनोकामना पूरा कर देती हैं. अविवाहित कन्याएं एवं महिलाएं देवी पार्वती का पूजन एवं व्रत करती हैं। पुराणों के अनुसार माता पार्वती का मुख उज्ज्वल और तेजमय है। गौर वर्ण होने के कारण इन्हें माता गौरी भी कहा जाता है। इनके आठ हाथों में त्रिशूल, पास, अंकुशा, शंख, चक्र, तलवार, कमल विद्यमान हैं। माता का वाहन वृषभ बताया गया है। सफेद वस्त्र धारण करने वाली ममतामयी स्वभाव वाली पार्वती को मां अम्बे भी पुकारा जाता है। पुराणों में बताया गया है कि एक बार सती अपने पिता प्रजापति दक्ष की ओर से आयोजित यज्ञ में शामिल होने गई थीं। वहां उनके पिता ने शिव के बारे में बहुत अपशब्द कहा था, जिसे सुनने के बाद क्रोध में आकर माता पार्वती ने पिता के यज्ञ कुंड में ही अपने आप को भस्म कर दिया था। इसके बाद शिव को पति रूप में पाने के लिए पार्वती रूप में जन्म लिया और कठोर तप से शिवजी की अर्धांगिनी बन गईं। यहां जानिए माता पार्वती की पूजन विधि, जन्म कथा, मंत्र और आरती…
यह पूजन सामग्री जरूर रखें
भवानी मंदिर के पुजारी पं. जगदीश शर्मा के मुताबिक देवी मां की आराधना के लिए यह सामग्री जरूरी होती हैं। गणेशजी की मूर्ति के स्नान के लिए तांबे का पात्र, तांबे का लोटा, कलश, दूध, देव वस्त्र और आभूषण रखें। चावल, दीपक, तेल, रुई,कुमकुम, धूपबत्ती, अष्टगंध। गुलाब के फूल, प्रसाद के फल, दूध, मिठाई, नारियल, पंचामृत, सूखे मेवे, शक्कर, पान, दक्षिणा।
पूजा से पहले संकल्प लें
किसी भी पूजा के पहले शुद्ध मन से उसका संकल्प करना जरूरी है। इसीलिए जब देवी पार्वती का भी पूजन शुक्रवार को करें तो पहले उसका सकंल्प लें। इसके लिए हाथों में जल, फूल व चावल लें, अब जिस दिन पूजन कर रहे हैं उस वर्ष, वार, तिथि स्थान और अपने नाम का स्मरण करते हुए अपनी मनोकामना को दोहरायें। अब हाथों में ली हुई सामग्री को को जमीन पर छोड़ दें। आपका संकल्प पूरा हुआ अब पूजा की शुरूआत करें।
माता पार्वती की पूजा विधि
प्रथम पूज्य भगवान गणेश की पूजा किसी भी शुभ कार्य में करना चाहिए। सुखदाता, मंगलकारी और मनोवांछित फल के दाता गणेशजी को सर्वप्रथम पूजने का वरदान प्राप्त है। भगवान को स्नान कराएं। वस्त्र अर्पित करें। गंध, पुष्प, अक्षत अर्पित करें। अब माता पार्वती का पूजन करें। माता पार्वती की मूर्ति भगवान शिव के बायीं तरफ स्थापित करना चाहिए। माता का आह्वान करें। पार्वती को घर में आसन दें। अब देवी को स्नान कराएं। जल से स्नान कराएं, फिर पंचामृत से और फिर स्वच्छ जल से स्नान कराएं। माता को वस्त्र अर्पित करने के बाद आभूषण पहनाएं। पुष्पमाला अर्पित करें। इत्र लगाकर तिलक करें। धूप और दीप जलाकर फूल और चावल अर्पित करें। घी या तेल का दीपक लगा सकते हैं। इसके बाद आरती करें। परिक्रमा के बाद नेवैद्य अर्पित करें।
पार्वती जी के मंत्र
हिंदू धर्म में पूजन और मंत्र का बड़ा ही विशेष महत्व है। मंत्र की शक्ति से ही लोगों ने एक से बढ़कर एक सिद्धियां हासिल की हैं। मंत्र में वो शक्ति समाई होती हैं, जिससे आप असंभव को भी संभव बना सकते हैं। पुराण और शास्त्रों की मानें तो देवियां मंत्र से शीघ्र प्रसंन्न होती हैं और मनचाहा फल प्रदान करती हैं। तो आइये हम आपको ऐसे सिद्ध मंत्र बताते हैं जिनके जपने से आप माता पार्वती का विशेष आशीर्वाद प्राप्त कर सकेंगे।
‘ऊँ उमामहेश्वराभ्यां नमः’’‘ऊँ गौरये नमः
‘ऊँ साम्ब शिवाय नमः’’’ऊँ पार्वत्यै नमः
1- घर में सुख- शांति के लिए
‘मुनि अनुशासन गनपति हि पूजेहु शंभुभवानि।कोउ सुनि संशय करै जनि सुर अनादि जिय जानि’।
2- इच्छानुसार वर पाने के लिए, Parvati Stuti For Marriage
हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया।तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।।
3- कार्य में सफलता के लिए
ऊँ ह्लीं वाग्वादिनी भगवती मम कार्य सिद्धि कुरुकुरु फट् स्वाहा।
4- इच्छित वर- वधू की प्राप्ति के लिए
अस्य स्वयंवरकलामंत्रस्य ब्रह्मा ऋषिः, अतिजगति छन्दः, देवीगिरिपुत्रीस्वयंवरादेवतात्मनोऽभीष्ट सिद्धये मंत्र जपे विनियोगः।
5- घर में सुख-शांति हेतु इस मंत्र का जाप करें
मुनि अनुशासन गनपति हि पूजेहु शंभु भवानि।
कोउ सुनि संशय करै जनि सुर अनादि जिय जानि।।
पार्वतीस्तोत्रम् का करें पाठ विबुधाधिपतेजिनीशकान्ते वदनाभाजितयामिनीशकान्ते . नवकुन्दविराजमानदन्ते नलिनाभं प्रणमाम्यहं पदं ते || १ || विकचाम्बुरुहां विलासचोरैरतिशीतैः प्रवहद्दयाम्बुपूरैः . शशिशेखरचित्तनृत्तरङ्गैस्तरसालोकय देवि मामपाङ्गैः || २ || अवनीधरनायकस्य कन्ये कृपणं मां परिपालयातिधन्ये . विधिमाधववासवादिमान्ये द्रुतमुन्मूलितभक्तलोकदैन्ये || ३ || कुचनिन्दितशातकुम्भशैले मणिकाञ्चीवलयोल्लसद्दुकूले . परिपालय मां भवानि बाले त्रिजगद्रक्षणजागरूकलीले || ४ || स्वरुचा जिततप्तशातकुम्भे कचशोभाजितकालमेघडम्भे . परिपालय मां त्रसन्निशुम्भे मकुटोल्लासिसुधामयूखडिम्भे || ५ || कुसुमायुधजीवनाक्षिकोणे परितो मामव पद्मरागशोणे . स्मरवैरिवशीकृतप्रवीणे चरणाब्जानतसत्क्रियाधुरीणे || ६ || गिरिजे गगनोपमावलग्ने गिरितुङ्गस्तनगौरवेण भुग्ने . वस मे हृदये तवाङ्गलग्ने तव संदर्शनमोदसिन्धुमग्ने || ७ || सकलोपनिषत्सरोजवाटीकलहंस्यास्तव मे कवित्वधाटी . कृपयाविरभूदियं तु पेटी वहतु त्वद्गुणरम्यरत्नकोटीः || ८ || || इति श्रीपार्वतीस्तोत्रं संपूर्णम् ||
माता पार्वती जन्म कथा / सती और पार्वती की असली कहानी
देवी पार्वती का जन्म हिमनरेश हिमावन(पहाड़ो के स्वामी) तथा मैनावती के घर हुआ। देवी पार्वती के पिता हिमालय के अवतार थे। उमा, गोरी, अम्बिका भवानी आदि नामो से भी देवी पार्वती को पुकारा जाता है। देवी पार्वती शक्ति का अवतार तथा भगवान शिव की पत्नी हैं।
देवी पार्वती का जन्म पहले देवी सती के रूप में हुआ था। देवी सती प्रजापति दक्ष की पुत्री थी।देवी सती का विवाह भगवान शिव से हुआ। एक बार प्रजापति दक्ष ने महायज्ञ करवाया जिसमे उन्होंने सभी देवी देवतायों को आमन्त्रित किया। परन्तु अपने दामाद शिव को उन्होंने महायज्ञ के लिए आमंत्रित नही किया। इस बात से क्रोधित होकर देवी सती अपने पिता दक्ष के पास पहुंच गयी। लेकिन दक्ष ने भगवान शिव के विषय में देवी सती से अपमानजनक बाते कही। जिस कारण देवी सती ने वहीं यज्ञ कुंड में अपनी देह त्याग दी।
देवी सती ने देह त्यागते समय भगवान हरि से वर माँगा कि वो जन्म जन्म के लिए शिवजी के चरणों से जुडी रहें। इसी कारण उनका जन्म हिमाचल में पार्वती के रूप में हुआ। पहाड़ों के स्वामी यानी कि पर्वतराज के घर उनका जन्म हुआ इसलिए उनका नाम पार्वती रखा गया। माना जाता है कि जब देवी पार्वती का जन्म हुआ तब से वहां की नदियों में पवित्र जल बहता है तथा सभी पशु पक्षी सुखी रहते हैं।
एक दिन नारद जी हिमनरेश के घर पधारे। तब हिमनरेश ने अपनी पुत्री पार्वती को उनके समक्ष प्रस्तुत किया और उनसे देवी पार्वती के गुण तथा दोष जानने चाहे। तब नारद जी ने रहस्ययुक्त कोमल वाणी में कहा कि कन्या सब गुणों की खान है तथा स्वाभाव से सुन्दर, सुशील तथा समझदार है। यह अपने पति को सदैव प्यारी रहेंगी। यह सारे जगत में पूज्य होंगी। साथ ही नारद जी ने ये भी बताया कि इनके पति में कुछ अवगुण भी होंगे। इनके पति योगी, जटाधारी, निष्काम, नगन तथा अमंगल वेष वाले होंगे।
यह सुनकर देवी पार्वती तो मन ही मन प्रसन्न हुई। क्योंकि वे जानती थी कि उनके पति तो शिव ही हैं। परन्तु उनके माता पिता को यह सुनकर दुःख हुआ तथा उन्होंने नारद जी से इसका उपाय जानना चाहा। तब नारद जी ने कहा कि विधाता का लिखा हुआ बदला नही जा सकता। परन्तु ये सारे अवगुण सदगुण बन सकते हैं, अगर देवी पार्वती का विवाह भगवान शिव से हो जाये। क्योंकि ये सारे गुण भगवान् शिव में मौजूद हैं। परन्तु भगवान शिव को प्रसन्न करना आसान नही है। परन्तु घोर तप कर के उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है। ऐसा कहकर तथा सबको आशिर्वाद देकर नारद जी वहां से चले गये।
नारद जी के परामर्श से देवी पार्वती ने तप आरम्भ किया। देवी पार्वती का तप बहुत कठोर था। कुछ दिन उन्होंने जल और वायु का भोजन किया और कुछ दिन कठोर उपवास किये। जो बेल पत्र सूखकर पृथ्वी पर गिरते थे 3000 वर्ष उन्ही का सेवन किया। देवी पार्वती का घोर तप देखकर आकाश से आवाज़ आयी- हे पर्वतराज की कुमारी! सुन तेरा मनोरथ सफल हुआ। अब तुझे शिवजी मिलेंगे। यह सुनकर देवी पार्वती प्रसन्न हो गयी और उनका शरीर हर्ष से पुलकित हो गया।
पार्वती माता की आरती जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता जय पार्वती माता जय पार्वती माता। ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता॥ जय पार्वती माता अरिकुल पद्म विनाशिनि जय सेवक त्राता। जग जीवन जगदंबा, हरिहर गुण गाता॥ जय पार्वती माता सिंह को वाहन साजे, कुण्डल हैं साथा। देव वधू जस गावत, नृत्य करत ताथा॥ जय पार्वती माता सतयुग रूपशील अतिसुन्दर, नाम सती कहलाता। हेमांचल घर जन्मी, सखियन संग राता॥ जय पार्वती माता शुम्भ-निशुम्भ विदारे, हेमांचल स्थाता। सहस्त्र भुजा तनु धरि के, चक्र लियो हाथा॥ जय पार्वती माता सृष्टि रूप तुही है जननी शिवसंग रंगराता। नन्दी भृंगी बीन लही सारा जग मदमाता॥ जय पार्वती माता देवन अरज करत हम चित को लाता। गावत दे दे ताली, मन में रंगराता॥ जय पार्वती माता श्री प्रताप आरती मैया की, जो कोई गाता। सदासुखी नित रहता सुख सम्पत्ति पाता॥ जय पार्वती माता
ये भी पढ़े –
- शंकर जी, भगवान शिव की पूजा विधि, Shiv Pujan, भगवान शिव जी को प्रसन्न कैसे करें, शिव जी की कथा, शिव पूजन सामग्री, शिव पूजा के दौरान पहने जाने वाले वस्त्र.
- सोमवार व्रत कैसे करें, सोमवार व्रत पूजन विधि नियम कथा आरती, प्रति सोमवार व्रत विधि, सोमवार व्रत के नियम, सोमवार व्रत का उद्यापन कैसे करें.
- 16 सोमवार व्रत विधि, 16 Somvar Vrat Vidhi In Hindi, 16 सोमवार व्रत कब से शुरू करें, सोलह सोमवार व्रत कथा आरती और उद्द्यापन, 16 Somvar Vrat Kab Se Shuru Kare.
- मंगलवार व्रत के नियम, Mangalvar Vrat Ke Niyam, मंगलवार व्रत विधि विधान, मंगलवार व्रत का खाना, मंगलवार के व्रत में नमक खाना चाहिए या नहीं, मंगलवार का व्रत.
- बुधवार व्रत विधि विधान, बुधवार का व्रत कैसे किया जाता है, बुधवार व्रत कथा आरती, बुधवार व्रत उद्यापन विधि, बुधवार के व्रत में नमक खाना चाहिए या नहीं.
- गुरुवार बृहस्पतिवार वीरवार व्रत विधि, वीरवार की व्रत कथा आरती, गुरुवार व्रत कथा आरती, गुरुवार का उद्यापन कब करना चाहिए, बृहस्पतिवार व्रत कथा उद्यापन.
- लक्ष्मी पूजा , शुक्रवार वैभव लक्ष्मी व्रत विधि, वैभव लक्ष्मी पूजा विधि, वैभव लक्ष्मी व्रत कथा, वैभव लक्ष्मी की आरती, वैभव लक्ष्मी व्रत कैसे करें, वैभव लक्ष्मी व्रत फल.
- संतोषी माता व्रत विधि , शुक्रवार व्रत विधि , शुक्रवार व्रत कथा आरती, संतोषी माता व्रत कथा, संतोषी माता की आरती, मां संतोषी का व्रत कैसे करें.
- शनिवार व्रत पूजा विधि, शनिवार के व्रत का उद्यापन, शनिवार के कितने व्रत करना चाहिए, शनिवार व्रत के लाभ, शनिवार का उद्यापन कैसे होता है.
- रविवार व्रत विधि विधान पूजा विधि व्रत कथा आरती, रविवार के कितने व्रत करने चाहिए, रविवार व्रत कब से शुरू करना चाहिए, रविवार के व्रत में क्या खाना चाहिए.
- माता पार्वती की पूजा विधि आरती जन्म कथा, Mata Parvati Puja Vidhi Aarti Janm Katha, माता पार्वती की पूजन सामग्री, Maa Parvati Mantra, Parvati Mata Mantra.
- बीकासूल कैप्सूल खाने से क्या फायदे होते हैं, बिकासुल कैप्सूल के लाभ, Becosules Capsules Uses in Hindi, बेकासूल, बीकोस्यूल्स कैप्सूल.
- जिम करने के फायदे और नुकसान, Gym Karne Ke Fayde, जिम जाने से पहले क्या खाएं, Gym Jane Ke Fayde, जिम से नुकसान, जिम जाने के नुकसान.
- मोटापा कम करने के लिए डाइट चार्ट, वजन घटाने के लिए डाइट चार्ट, बाबा रामदेव वेट लॉस डाइट चार्ट इन हिंदी, वेट लॉस डाइट चार्ट.
- बच्चों के नये नाम की लिस्ट, बेबी नाम लिस्ट, बच्चों के नाम की लिस्ट, हिंदी नाम लिस्ट, बच्चों के प्रभावशाली नाम, हिन्दू बेबी नाम, हिन्दू नाम लिस्ट.
- रेखा की जीवनी , रेखा की बायोग्राफी, रेखा की फिल्में, रेखा का करियर, रेखा की शादी, Rekha Ki Jivani, Rekha Biography In Hindi, Rekha Films, Rekha Career.
- प्यार का सही अर्थ क्या होता है, Pyar Kya Hota Hai, Pyar Kya Hai, प्यार क्या होता है, प्यार क्या है, Pyaar Kya Hai, Pyar Ka Matlab Kya Hota Hai, Love Kya Hota Hai.
- शराब छुड़ाने की आयुर्वेदिक दवा , होम्योपैथी में शराब छुड़ाने की दवा, शराब छुड़ाने के लिए घरेलू नुस्खे , शराब छुड़ाने का मंत्र , शराब छुड़ाने के लिए योग.
- ज्यादा नींद आने की वजह, Jyada Nind Kyon Aati Hai, ज्यादा नींद आना के कारण, ज्यादा नींद आना, शरीर में सुस्ती, शरीर में थकावट.
- भगवान राम के नाम पर बच्चों के नाम, भगवान राम के नाम पर लड़कों के नाम, लड़कों के लिए भगवान राम के नाम, भगवान राम से बेबी बॉय नेम्स, राम जी के नाम पर लड़के का नाम.
- भगवान शिव के नाम पर बच्चों के नाम, भगवान शिव के नाम पर लड़कों के नाम, लड़कों के लिए भगवान शिव के नाम, शिव जी के नाम पर लड़के का नाम.
माता पार्वती की पूजा विधि आरती जन्म कथा, Mata Parvati Puja Vidhi Aarti Janm Katha, माता पार्वती की पूजन सामग्री, Maa Parvati Mantra, Parvati Mata Mantra, Maa Parvati Ki Puja Kaise Kare, Mata Parvati Ko Kaise Prasan Kare, Parvati Mata Ki Puja Kaise Kare, Mata Parvati Mantra, Maa Parvati Ko Kaise Prasan Kare, Parvati Stuti For Marriage, पार्वती जी के मंत्र, सती और पार्वती की असली कहानी, Devi Parvati Birth And Marriage With Lord Shiva