मासिक धर्म में व्रत करना चाहिए या नहीं, क्या पीरियड में व्रत रख सकते हैं, सोलह सोमवार व्रत ड्यूरिंग पीरियड्स, पीरियड के कितने दिन बाद पूजा करें, व्रत के दौरान पीरियड्स आ जाए तो क्या करें, मासिक धर्म में कैसे करें व्रत, Kya Periods Me Vrat Rakh Sakte Hai, Period Me Vrat Rakhna Chahiye, Kya Period Me Fast Rakh Sakte Hai, (What to Do if Menstruation / Periods Occurs During The Fast, How to Do Fast During Menstruation)

पीरियड में व्रत करना चाहिए या नहीं, मासिक धर्म में व्रत करना चाहिए या नहीं
वैदिक रीति रिवाजों के अनुसार, मासिक धर्म या माहवारी (Menstruation) के दिनों में हिन्दू महिलाओं को धार्मिक कार्यों से दूर रहना चाहिए. इन दिनों में महिलाओं को मंदिर जाने की इजाजत नहीं होती साथ ही पूजा पाठ के सामान और मूर्ति को हाथ लगाना भी अशुभ माना जाता है. जी हां, ये तो सही है कि मासिक धर्म के समय महिलाओं को पूजा-पाठ इत्यादि करने से मना किया जाता है. पहले के जमाने में तो नियम और भी कड़े और कष्ट दायी होते थे. उस जमाने में पीरियड्स के समय महिलाएं जमीन पर चटाई बिछाकर सोती थी, किसी कार्य में भाग नहीं लेती थी, यहां तक कि रसोई घर में भी उन्हें जाने से मना किया जाता था. हालांकि बदलते जमाने के साथ लोगों की सोच भी बदली है. पहले की अपेक्षा समाज में इन चीजों को लेकर जागरुकता फैली है.

अब सवाल यह आता है कि व्रत के बीच में अगर किसी महिला को पीरियड्स आ जाए तो ऐसे में उसे क्या करना चाहिए? जैसा कि हम सभी जानते हैं कि यह एक बेहद साधारण सी समस्या है जिसका सामना लगभग 3 में से 2 लड़कियों को करना ही पड़ता है. दिनभर भूखे रहकर, सारे नियमों का पालन करने के बाद शाम के वक्त या पूजा के समय माहवारी आ जाए तो मूड का बिगड़ जाना लाजिमी है. लेकिन क्या ऐसे में व्रत भंग कर देना सही है, बिल्कुल भी नहीं. इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि ऐसे में आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए.

व्रत के दौरान माहवारी आ जाए तो क्या करें, Vrat Ke Dauran Mahavari Aa Jaye to Kya Karen
अगर व्रत के बीच किसी महिला को पीरियड्स आ जाए तो उपवास या व्रत तोड़ने की कोई आवश्यकता नहीं है. आप बाकियों से दूरी बनाकर सभी नियमों का पालन कर सकती हैं. पूजा-पाठ से दूरी बनाकर अन्य नियमों का ठीक वैसे ही पालन करें जैसे कि सामान्य दिनों में करती हैं. इससे भी आपको व्रत का उतना ही फल मिलेगा. यह प्रकृति का चक्र है, इसमें इंसान का कोई हाथ नहीं और न ही इसमें कुछ गलत है. किसी भी कार्य या ईश्वर के प्रति आस्था इंसान के मन और विचारों से जुड़ा हुआ है, शरीर तो महज एक जरिया है. इसीलिए पूरी मन और श्रद्धा से माहवारी के दिनों में भी आप अपनी परंपराओं को बरकरार रखकर सभी नियम कानूनों का पालन कर सकती हैं.

माहवारी में कैसे करें व्रत पालन, How to Do Fast During Menstruation
मासिक या किसी विशेष व्रत के संकल्प के दौरान मासिक चक्र आने पर व्रत को लेकर हर स्त्री के मन में शंका, संशय और व्रत भंग होने के कारण धर्म दोष की पीड़ा रहती है. इन व्रतों में मुख्यत: प्रतिमाह आने वाले एकादशी, संकष्टी चतुर्थी, प्रदोष व्रत आदि हैं. यह धर्मसंकट उस समय ज्यादा पीड़ादायक होता है. जब महिलाएं विशेष कामनाओं की प्राप्ति के लिए सोलह सोमवार या सोलह शुक्रवार के व्रत रखती है. शास्त्रों में व्यावहारिक रुप से इसका उपाय भी बताया गया है-

मासिक च्रक के दौरान व्रत पालन को लेकर संशय दूर करने के लिए सबसे पहली बात है कि व्रत संख्या में उस दिन को न गिना जाए. इस दौरान व्रत रखें. किंतु यह भी जरुरी है कि किसी भी तरह से भगवान की उपासना और देव पूजा में शामिल न होवें. यही नियम मासिक और सोलह सोमवार आदि संकल्प व्रतों में व्यवहार में अपनाए. इससे व्रत भंग का दोष नहीं लगता और व्रत धर्म का पालन भी हो जाता है.

ऐसा करने पर मात्र व्रत की अवधि बढ़ जाती है. जैसे अगर आपने १६ सोमवार का व्रत लिया है तो १६ सप्ताह के स्थान पर मासिक चक्र के दिन आए सोमवार को न गिनने से यह व्रत अवधि १७ वें सप्ताह के सोमवार पर पूरी होती है. दूसरा संशय यह कि अगर व्रत के दिन ही स्त्री को मासिक धर्म आ जाए. तब क्या करें. तब भी ऊपर लिखी बात का ही पालन करें यानि मासिक चक्र आते ही देवकार्य और पूजा से अलग हो जाएं, किंतु व्रत रख सकती हैं.

व्रत के दौरान पीरियड या माहवारी आ जाए तो क्या करना चाहिए, इससे जुड़े सवाल और उनके जवाब
1- सवाल: क्या पीरियड में व्रत रख सकते हैं?
जवाब: हां बिल्कुल, मान लीजिये कि नवरात्रि में कुछ व्रत करने के बाद अगर आपका मासिक धर्म आ जाता है अथवा आपने करवाचौथ का व्रत रखा है और शाम को मासिक धर्म आ जाए तो क्या करेंगी आप ? आपको इस व्रत को पूरा करना ही पड़ेगा. परंतु इसके पश्चात पूजा पाठ नहीं करें. आपको माहवारी के दौरान किये जाने वाले व्रत से भी उतना ही फल मिलेगा जितना आम दिनों में मिलता है और भगवान प्रसन्न होंगे क्योंकि इसमें आपकी गलती नहीं है. ये प्रकृति का चक्र है, जो कभी भी किसी भी दिन हो सकता है. इसीलिए बिना किसी संकोच के चिंता नहीं करें.
2- सवाल: पीरियड के कितने दिन बाद पूजा करनी चाहिए?
जवाब:  शास्त्रों में कहा गया है कि मासिक धर्म आने पर किसी भी महिला को चार दिन के लिए किसी भी प्रकार की पूजा-अर्चना एवं गृहस्थी के कार्यों से दूरी बना लेनी चाहिए. मनुस्मृति और भविष्यपुराण में यह भी कहा गया है कि इन चार दिनों में पति-पत्नी को ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए साथ शयन नहीं करना चाहिए. इसके अलावा आप 3 दिन के बाद देवी की पूजा कर सकती हैं. मासिक धर्म के तीसरे – चौथे दिन भगवान की मूर्ति को नहीं छूना चाहिए जब तक स्त्री पूरी तरह से ठीक न हो गई हों.

3- सवाल: पीरियड्स के समय क्या नहीं खाना चाहिए?
जवाब:  पीरियड के दौरान गर्म चाजों के सेवन से बचना चाहिए. इसके अलावा चाय और कॉफी का सेवन न करें तो बेहतर होगा क्योंकि इसमें कैफ़ेन अधिक मात्रा में पाई जाती है जो पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द को बढ़ा सकती है और मूड स्विंग की समस्या भी पैदा कर सकती है. इसके अलावा ज्यादा मीठे, खट्टे चीजों के सेवन से बचें.
4- सवाल: पीरियड के समय करवा चौथ की पूजा कैसे करें?
जवाब:  अगर करवा चौथ के दिन या उससे पहले माहवारी आ जाए तो व्रत शुरू होने से पहले पर्याप्त मात्रा में पानी पियें. क्योंकि पूरे दिन हाइड्रेट यानि शरीर में जल की मात्रा संतुलित रहने से आपको पीरियड्स के दौरान पेट में दर्द नहीं होगा. सुबह सरगी में सेब और नट्स जरूर खाएं. इसके अलावा शाम की पूजा को छोड़ दें. पर चाँद को जरूर देखें और अपना व्रत पूरा करें. क्योंकि पूजा पाठ आपके मन, आत्मा और आपके विचार से होता है.

5- सवाल: माहवारी के दौरान क्या करना चाहिए?
जवाब:  माहवारी या पीरियड्स के दौरान महिलाओं को स्वच्छता का खास ख्याल रखना चाहिए. महिलाओं को हर महीने मासिक धर्म से गुजरना पड़ता है. ऐसे समय में उन्हें कपड़े की जगह सैनिटरी नैपकिन, टिशू पेपर, हैंड सैनिटाइजर, तौलिए, एंटीसेप्टिक दवा हमेशा अपने साथ रखनी चाहिए. ताकि किसी भी तरह के इंफेक्शन से बचा जा सके और सेहत भी अच्छी रहे.

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