Lucky people visit the ancient cave of Vaishno Devi

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वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा, Vaishno Devi Gufa
मां वैष्णो देवी के दर्शन का बड़ा ही महत्व है। मां के दरबार में भक्तों का तांता लगा रहता है। ऐसे में अगर आप भी मां के दरबार में जा रहे हैं तो पहले माता के दरबार से जुड़ी इन बातों को जरूर जान लें फिर करें मां के दर्शन। आज हम आपको बताएंगे किस समय खुलती है मां वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा। भगवान विष्णु के अंश से उत्पन्न मां वैष्णो देवी का एक अन्य नाम देवी त्रिकूटा भी है। देवी त्रिकूटा यानी मां वैष्णो देवी का निवास स्थान जम्मू में माणिक पहाड़ियों की त्रिकुटा श्रृंखला में एक गुफा में है। देवी त्रिकूटा के निवास के कारण इस पर्वत को त्रिकूट पर्वत कहा जाता है। मान्यता के अनुसार इस पर्वत पर माता एक गुफा में वास करती हैं। मां के दरबार में अक्सर भक्तों की लंबी कतार के कारण दर्शन के लिए बहुत ही कम समय मिलता है। इसलिए इस गुफा से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जो कम लोग जानते हैं। इसलिए मां के दर्शन से पहले इन बातों को जान लें।

1. माता वैष्णो देवी के दर्शनों के लिए वर्तमान में जिस रास्ते का इस्तेमाल किया जाता है वह गुफा में प्रवेश का प्राकृतिक रास्ता नहीं है। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए कृत्रिम रास्ते का निर्माण 1977 में किया गया। वर्तमान में इसी रास्ते से श्रद्धालु माता के दरबार में प्रवेश करते हैं।
2. कुछ ही भक्तों को प्राचीन गुफा से माता के भवन में प्रवेश का सौभाग्य मिलता है। दरअसल यह नियम है कि जब कभी भी दस हजार से कम श्रद्धालु होंगे तभी प्राचीन गुफा का द्वार खोला जाएगा। आमतौर पर ऐसा शीतकाल में दिसंबर और जनवरी माह में होता है।

3. पवित्र गुफा की लंबाई 98 फीट है। गुफा में प्रवेश और निकास के लिए दो कृत्रिम रास्ते है। इस गुफा में एक बड़ा चबूतरा भी बना हुआ है। इस चबूतरे पर माता का आसन है, जहां देवी त्रिकूटा अपनी माताओं के साथ विराजमान रहती हैं।
4. माता वैष्णों देवी के दरबार में प्राचीन गुफा का काफी महत्व है। श्रद्धालु इस गुफा से माता के दर्शन की इच्छा रखते हैं, क्योंकि मान्यता के अनुसार प्राचीन गुफा के समक्ष ही भैरों बाबा का शरीर मौजूद है। माता ने यहीं पर भैरों बाबा को अपने त्रिशूल से मारा था और उनका सिर उड़कर भैरों घाटी में चला गया और शरीर यहां रह गया।

5. प्राचीन गुफा का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसमें पवित्र गंगा जल प्रवाहित होता रहता है। श्रद्धालु इस जल से पवित्र होकर मां के दरबार में पहुंचते हैं जो एक अद्भुत अनुभव होता है। वैष्णो देवी की गुफा का संबंध यात्रा मार्ग में आने वाले एक पड़ाव से भी है जिसे आदि कुंवारी या अर्धकुंवारी कहते हैं।
6. यहां एक अन्य गुफा है जिसे गर्भजून के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि माता यहां 9 महीने तक उसी प्रकार रही थी जैसे एक शिशु माता के गर्भ में 9 महीने तक रहता है। इसलिए यह गुफा गर्भजून कहलाती है। आदि कुंवारी की इन सूचनाओं के साथ यह भी बता दें कि एक मान्यता यह भी है कि गर्भजून में जाने से मनुष्य को फिर गर्भ में नहीं जाना पड़ता है। अगर मनुष्य गर्भ में आता भी है तो गर्भ में उसे कष्ट नहीं उठाना पड़ता है और उसका जन्म सुख एवं वैभव से भरा होता है।

वैष्णो देवी मंदिर से जुड़े कुछ सवाल और उनके जवाब
सवाल- वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा कब खुलती है?
जवाब- अधिकारियों ने बताया कि पुरानी गुफा केवल जनवरी और फरवरी के दौरान खोली जाती है जब भीड़ बहुत कम होती है। शेष महीनों में तीर्थयात्रियों को गर्भगृह तक पहुंचने के लिए नई गुफाओं से होकर गुजरना पड़ता है। अधिकारियों ने बताया कि हर साल मकर संक्रांति के बाद तीर्थयात्रियों के लिए यह प्राकृतिक गुफा खोली जाती है।
सवाल- वैष्णो देवी का मंदिर कितने साल पुराना है?
जवाब- माना जाता है कि पंडित श्रीधर ने करीबन 700 साल पहले मां वैष्णोदेवी मंदिर का निर्माण किया था। ये एक ब्राह्मण पुजारी थे। वे गरीब थे लेकिन उन्हें मां के प्रति सच्ची श्रद्धा भक्ति थी। श्रीधर का एक सपना था कि वो एक दिन वैष्णोदेवी को समर्पित कर भंडारा करें

सवाल- वैष्णो माता का जन्म कब हुआ था?
जवाब- हिंदू महाकाव्य के अनुसार, मां वैष्णो देवी ने भारत के दक्षिण में रत्‍‌नाकर सागर के घर जन्म लिया। उनके लौकिक माता-पिता लंबे समय तक नि:संतान थे। दैवी बालिका के जन्म से एक रात पहले, रत्‍‌नाकर ने वचन लिया कि बालिका जो भी चाहे, वे उसकी इच्छा के रास्ते में कभी नहीं आएंगे.
सवाल- माता वैष्णो देवी किसकी पुत्री थी?
जवाब- इस संदर्भ में कथा है कि धर्म की रक्षा के लिए भगवान विष्णु के अंश से एक कन्या का जन्म दक्षिण भारत में रामेश्वरम तट पर पण्डित रत्नाकर के घर हुआ था। 9 वर्ष की उम्र में जब इन्हें पता चला कि भगवान विष्णु ने राम के रूप में अवतार लिया तब देवी त्रिकूटा ने राम को पति रूप में पाने के लिए तपस्या शुरू कर दी।
सवाल- वैष्णो देवी से जुड़े रहस्य
जवाब- कहा जाता है वैष्णो देवी में प्राचीन गुफा के दर्शन केवल कुछ सौभाग्यशाली लोगों को ही नसीब होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस गुफा को लेकर एक नियम है जिसके अनुसार 10 हज़ार से कम की भीड़ होने पर ही प्राचीन गुफा का द्वार खोला जाता है। मान्यता है कि इस गुफा का बहुत महत्व है।

सवाल- वैष्णो देवी चढ़ाई कितने किलोमीटर है?
जवाब- वैष्णो देवी तीर्थ स्थान समुद्र तल से 5 हजार 300 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और बेस कैंप कटरा से माता का दरबार जिसे भवन भी कहते हैं तक पहुंचने के लिए करीब 13 किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है।
सवाल- वैष्णो देवी मंदिर कितनी ऊंचाई पर है?
जवाब- यह उत्तरी भारत में सबसे पूजनीय पवित्र स्थलों में से एक है। मंदिर, 5,200 फ़ीट की ऊंचाई पर, कटरा से लगभग 12 किलोमीटर (7.45 मील) की दूरी पर स्थित है। हर वर्ष, लाखों तीर्थ यात्री, इस मंदिर का दर्शन करते हैं और यह भारत में तिरूमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद दूसरा सर्वाधिक देखा जाने वाला तीर्थस्थल है।
सवाल- वैष्णो देवी में कौन सी नदी है?
जवाब- आधार शिविर कटड़ा में मां वैष्णो देवी के प्रवेश द्वार पर पवित्र बाणगंगा नदी भी है, जो बीते कई दशकों बाद एक बार फिर पूरी तरह से निर्मल हुई है। वर्तमान में इस पवित्र नदी में पूरी तरह से निर्मल जल निरंतर बह रहा है, जिसे देख हर कोई उत्साहित हो रहा है। मां वैष्णो देवी की पौराणिक कथा के चलते इस पवित्र नदी का अपना ही महत्व है।

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