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क्यों मनाई जाती है दीपावली, Diwali Katha, Kyo Manayi Jati Hai Diwali, दिवाली मनाने का कारण, दिवाली कथा, श्री राम का आयोध्या लौटना, नरकासुर वध, पांडवों का अपने राज्य में लौटना, लक्ष्मी अवतार, हिरण्यकश्यप वध, राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक, सिक्खों के 6वें गुरु की आजादी, Shri Ram ka Ayodhya Lautna, Narkasur vadh, laxmi ka Avtar, Hiranyakashyap Vadh, Pandavon ka apne Rajya me Lautna, Raja Vikramaditya Rajyabhishek, Sikkhon ke Guru ki Aazadi

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क्यों मनाई जाती है दीपावली, Kyo Manayi Jati Hai Diwali
भारत को त्योहारों की भूमि कहा जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार भारत में कुल 33 करोड़ देवी-देवता हैं और इसी कारण यहां पर हमेशा त्यौहारों का सीजन बना ही रहता है। इन्हीं पर्वों में से एक खास पर्व है दीपावली जो पांच दिवसीय त्यौहार है। केवल भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन हम दीपावली क्‍यों मनाते हैं, आखिर इसके पीछे क्‍या कारण है? तो दिपावली मनाने के पीछे एक नहीं बल्कि कई कार छिपे हैं. दीपावली मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं व मान्यताएं हैं। आइए आज हम आपको दीपावली से संबंधित 7 ऐसी कहानियां बताते हैं जिसके कारण यह पर्व मनाया जाता है।

पहली कहानी -श्री राम जी का अयोध्या लौटना -Shri Ram Ka Ayodhya Lautna
दीपावली श्री राम जी के वनवास से लौटने की ख़ुशी में मनाते हैं। मंथरा के गलत विचारों से पीड़ित हो कर भरत की माता कैकई श्री राम को उनके पिता दशरथ से वनवास भेजने के लिए वचनवद्ध कर देती हैं। ऐसे में श्री राम अपने पिता के आदेश को सम्मान मानते हुए माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के वनवास के लिए निकल पड़ते हैं। वहीँ वन में रावण माता सीता को छल से अपहरण कर लेता है। तब श्री राम सुग्रीव के वानर सेना और प्रभु हनुमान के साथ मिल कर रावण की सेना को परास्त करते हैं और श्री राम रावण का वध करके सीता माता को छुड़ा लाते हैं। उस दिन को दशहरे के रूप में मनाया जाता है और जब श्री राम अपने घर अयोध्या लौटते हैं तो पूरे राज्य के लोग उनके आने की ख़ुशी में रात्री के समय दीप जलाते हैं और खुशियाँ मनाते हैं। तब से उस दिन का नाम दीपावली के नाम से जाना जाता है।

दूसरी कहानी- श्री कृष्ण द्वारा नरकासुर राक्षस का वध – Shri Krishna Dwara Narkasur Vadh
दीपावली का त्यौहार मनाने के पीछे एक और सबसे बड़ी कहानी है। इसी दिन प्रभु श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। नरकासुर उस समय प्रागज्योतिषपुर (जो कि आज दक्षिण नेपाल में एक प्रान्त है) का राजा था। नरकासुर इतना क्रूर था की उसने देवमाता अदिति के शानदार बालियों तक को छीन लिया। देवमाता अदिति श्री कृष्ण की पत्नी सत्यभामा की सम्बन्धी थी। नरकासुर ने कुल सोलह भगवान की कन्याओं को बंधित कर के रखा था। श्री कृष्ण की मदद से, सत्यभामा ने नरकासुर का वध किया और सभी देवी कन्याओं को उसके चंगुल से छुड़ाया। यह भी दीपावली मनाने का एक मुख्य कारण है।

तीसरी कहानी- पांडवों का अपने राज्य में लौटना- Pandavon Ka Apne Rajya Me Lautna
आप ने महाभारत की कहानी तो सुनी ही होगी। कौरवों ने, शकुनी मामा के चाल की मदद से शतरंज के खेल में पांडवों का सब कुछ छीन लिया था और यहाँ तक की उन्हें राज्य छोड़ कर 13 वर्ष के लिए वनवास भी जाना पड़ा। इसी कार्तिक अमावस्या को वो 5 पांडव (युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव) अपने 13 वर्ष के वनवास से अपने राज्य लौटे थे। उनके लौटने के ख़ुशी में उनके राज्य के लोगों नें दीप जला कर खुशियाँ मनाया। यह भी दीपावली मनाने का एक बहुत ही मुख्य कारण है।

चौथी कहानी- माता लक्ष्मी जी ने लिया सृष्टि में अवतार – Laxmi Ka Avtar
हर बार दीपावली का त्यौहार हिन्दी कैलंडर के अनुसार कार्तिक महीने के ‘अमावस्या’ के दिन मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन समुन्द्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी जी ने सृष्टि में अवतार लिया था। माता लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। इसीलिए हर घर में दीप जलने के साथ-साथ हम माता लक्ष्मी जी की पूजा भी करतें हैं। पांचवीं कहानी सिख गुरु की आजादी

पांचवीं कहानी – हिरण्यकश्यप का वध- Hiranyakashyap Vadh
एक पौराणिक कथा के अनुसार विष्णु ने नरसिंह रूप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध किया था। दैत्यराज की मृत्यु पर प्रजा ने घी के दीये जलाकर दिवाली मनाई थी।

छठवीं कहानी – राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक- Raja Vikramaditya Rajyabhishek
राजा विक्रमादित्य प्राचीन भारत के एक महान सम्राट थे। वे एक बहुत ही आदर्श राजा थे और उन्हें उनके उदारता, साहस तथा विद्वानों के संरक्षणों के कारण हमेशा जाना गया है। इसी कार्तिक अमावस्या को उनका राज्याभिषेक हुआ था। राजा विक्रमादित्य मुगलों को धूल चटाने वाले भारत के अंतिम हिंदू सम्राट थे।

सातवीं कहानी- सिक्खों के 6वें गुरु को मिली थी आजादी – Sikkhon ke Guru ki Aazadi
मुगल बादशाह जहांगीर ने सिखों के 6वें गुरु गोविंद सिंह सहित 52 राजाओं को ग्वालियर के किले में बंदी बनाया था। गुरू को कैद करने के बाद जहांगीर मानसिक रूप से परेशान रहने लगा। जहांगीर को स्वप्न में किसी फकीर से गुरू जी को आजाद करने का हुक्म मिला था। जब गुरु को कैद से आजाद किया जाने लगा तो वे अपने साथ कैद हुए राजाओं को भी रिहा करने की मांग करने लगे। गुरू हरगोविंद सिंह के कहने पर राजाओं को भी कैद से रिहाई मिली थी। इसलिए इस त्यौहार को सिख समुदाय के लोग भी मनाते हैं।

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