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प्रथम शैलपुत्री द्वितीय ब्रह्मचारिणी श्लोक, Pratham Shailputri Dwitiya Brahmacharini Shloka
हिन्दू धर्म में नवदुर्गा दुर्गा माता अथवा पार्वती माता के नौ रूपों को एक साथ कहा जाता है. दुर्गा माता के ये नौ रूप पाप का विनाश करने वाले है, इसीलिए इन नौ रूपों को पापों की विनाशिनी कहा जाता है, हर दुर्गा अवतार के अलग अलग वाहन हैं, अस्त्र शस्त्र हैं लेकिन ये सब माँ दुर्गा ही हैं. माता दुर्गा सप्तशती ग्रन्थ के अन्तर्गत देवी कवच स्तोत्र में निम्नांकित श्लोक में नवदुर्गा के नाम क्रमश: दिये गए हैं–
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ।।

दुर्गा गायत्री मंत्र, Durga Gayatri Mantra
ओम् कात्यान्ये च विद्मिहे कन्याकुमार्ये धीमहि।
तन्नो: देवी प्रचोदयात ।।
ओम् गिरिजायये विद्मिहे शिवप्रियाये धीमहि।
तन्नो: दुर्गा प्रचोदयात ।।
दुर्गा गायत्री मंत्र का जाप कैसे करें, Durga Gayatri Mantra Ka Jaap Kaise Kare
सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए आपको सुबह स्नान करने के बाद और देवी दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर के सामने दुर्गा गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए. इसके प्रभाव को अधिकतम करने के लिए आपको सबसे पहले दुर्गा गायत्री मंत्र का हिंदी में अर्थ समझना चाहिए.
दुर्गा गायत्री मंत्र के लाभ, Durga Gayatri Mantra ke Labh
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार दुर्गा गायत्री मंत्र का नियमित जप देवी दुर्गा को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे शक्तिशाली तरीका है. दुर्गा गायत्री मंत्र के नियमित जाप से मन को शांति मिलती है और आपके जीवन से सभी बुराई दूर होती है और आप स्वस्थ, धनवान और समृद्ध बनते हैं.

नव दुर्गा का महत्व, Nav Durga Ka Mahatv
नवार्ण मंत्र- ॥ॐ एं ह्रीं क्लीं चामुडायै विच्चे॥
1- शैलपुत्री- सम्पूर्ण जड़ पदार्थ माँ दुर्गा का पहला स्वरूप हैं पत्थर मिट्टी जल वायु अग्नि आकाश सब शैल पुत्री का प्रथम रूप हैं. इस पूजन का अर्थ है प्रत्येक जड़ पदार्थ में परमात्मा को अनुभव करना.
2- ब्रह्मचारिणी- जड़ में ज्ञान का प्रस्फुरण, चेतना का संचार माँ दुर्गा के दूसरे रूप का प्रादुर्भाव है. जड़ चेतन का संयोग है. प्रत्येक अंकुरण में इसे देख सकते हैं.
3- चन्द्रघण्टा- माँ दुर्गा का तीसरा रूप है यहाँ जीव में वाणी प्रकट होती है जिसकी अंतिम परिणिति मनुष्य में बैखरी (वाणी) है.
4- कूष्माण्डा- अर्थात अण्डे को धारण करने वाली; स्त्री ओर पुरुष की गर्भधारण, गर्भाधान शक्ति है जो माँ दुर्गा की ही शक्ति है, जिसे समस्त प्राणीमात्र में देखा जा सकता है.
5- स्कन्दमाता- पुत्रवती माता-पिता का स्वरूप है अथवा प्रत्येक पुत्रवान माता-पिता स्कन्द माता के रूप हैं.
6- कात्यायनी- कात्यायनी के रूप में वही माँ दुर्गा कन्या की माता-पिता हैं. यह देवी का छठा स्वरुप है.
7- कालरात्रि- माँ दुर्गा का सातवां रूप कालरात्रि है जिससे सब जड़ चेतन मृत्यु को प्राप्त होते हैं ओर मृत्यु के समय सब प्राणियों को इस स्वरूप का अनुभव होता है.माँ दुर्गा के इन सात स्वरूपों के दर्शन सबको प्रत्यक्ष सुलभ होते हैं.
8- महागौरी- माँ दुर्गा का आठवाँ स्वरूप महागौरी गौर वर्ण का है.
9- सिद्धिदात्री- माँ दुर्गा का नौंवा रूप सिद्धिदात्री है. यह ज्ञान अथवा बोध का प्रतीक है, जिसे जन्म जन्मान्तर की साधना से पाया जा सकता है. इसे प्राप्त कर साधक परम सिद्ध हो जाता है. इसलिए इसे सिद्धिदात्री कहा है.

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