Mahamrityunjaya Mantra

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भगवान शिव के अचूक मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र
भगवान शिव के कई नाम है कोई उन्हें रुद्र तो कोई भोलेनाथ, कोई शंकर तो कोई महाकाल के नाम से पुकारता है. भगवान शिव की पूजा में विशेष नियम नहीं होते और इनकी पूजा विधि के मंत्र भी बेहद आसान होते हैं. शिव पुराण में भगवान शिव को खुश करने के लिए बहुत सारे मंत्र बताए गए हैं। आज हम आपको महामृत्युंजय मंत्र के साथ शिव जी के अन्य मंत्रो के बारे में बताने जा रहे हैं. जिनकी जाप करने से आपकी तमाम समस्याओं का निवारण हो जाएगा. मंत्र जपने वाला इस बात का ध्यान रखें कि मंत्र जाप करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख होना चाहिए। जप के पूर्व शिवजी को बिल्वपत्र अर्पित करना चाहिए। उनके पर जलधारा चढ़ाना चाहिए।
महामृत्युंजय मंत्र, Mahamrityunjaya Mantra
ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ !!

महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ, Mahamrityunjaya Mantra Ka Arth
1. त्रयंबकम- त्रि.नेत्रों वाला, कर्मकारक.
2. यजामहे- हम पूजते हैं, सम्मान करते हैं। हमारे श्रद्देय.
3. सुगंधिम- मीठी महक वाला, सुगंधित.
4. पुष्टि- एक सुपोषित स्थिति, फलने वाला व्यक्ति. जीवन की परिपूर्णता.
5. वर्धनम- वह जो पोषण करता है, शक्ति देता है.
6. उर्वारुक- ककड़ी.
6. इवत्र- जैसे, इस तरह.
7. बंधनात्र- वास्तव में समाप्ति से अधिक लंबी है.
8. मृत्यु- मृत्यु से.
9. मुक्षिया- हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें.
10. मात्र न अमृतात- अमरता, मोक्ष.

महामृत्युंजय मंत्र का जाप कैसे करें, Mahamrityunjay Mantra Ka Jaap Kaise Karen
महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव का बहुत प्रिय मंत्र है। इस मंत्र के जाप से व्यक्ति मौत पर भी जीत हासिल कर सकता है। इस मंत्र के जाप से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और असाध्य रोगों का भी नाश होता है। इसके जाप से संसार का हर रोग और कष्ट दूर हो जाता है। शास्त्रों में इस मंत्र को अलग-अलग संख्या में करने का विधान है।
महामृत्युंजय पाठ 1100 बार करने पर भय से छुटकारा मिलता है। महामृत्युंजय मंत्र 108 बार पढ़ने से भी फायदा मिलता है। महामृत्युंजय मंत्र का जाप सवा लाख बार करने से पुत्र और सफलता की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही अकाल मृत्यु से भी बचाव होता है। ओम त्र्यंबकम यजामहे मंत्र का 11000 बार जाप करने पर रोगों से मुक्ति मिलती है।

महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय रखें इन बातों का ध्यान
1- मंत्रों का जाप सुबह-शाम किया जाता है।
2- जैसी भी समस्या क्यों न हो, यह मंत्र अपना चमत्कारी प्रभाव देता है।
3- भगवान शिव के मंत्रों का जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए।
4- भगवान शिव की प्रतिमा, फोटो या शिवलिंग के सामने आसन बिछाकर इस मंत्र का जाप करें।
5- मंत्र जाप शुरू करने से पहले भगवान शिव को बेलपत्र और जल चढ़ाएं।
6- पूरी श्रद्धा और विश्वास से साधना करने पर इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
7- महामृत्युंजय चालीसा का उच्चारण सही तरीके और शुद्धता से करना चाहिए।
8- मंत्र उच्चारण के समय एक शब्द की गलती भी भारी पड़ सकती है।
9- मंत्र के जप के लिए एक निश्चित संख्या निर्धारित कर लें। जप की संख्या धीरे-धीरे बढ़ाएं लेकिन कम न करें।
10- महामृत्युंजय का मंत्र जाप धीमे स्वर में करें। मंत्र जप के समय इसका उच्चारण होठों से बाहर नहीं आना चाहिए।
11- महामृत्यु मंत्र के दौरान धूप-दीप जला कर रखें।
12- मंत्र का जप सदैव पूर्व दिशा की ओर मुंह करके करना चाहिए। जब तक मंत्र का जप करें, उतने दिनों तक तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।

शिव के प्रिय मंत्र
कहा जाता है कि मंत्र जाप के माध्यम से भक्त न सिर्फ भोले भंडारी भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते हैं बल्कि उनकी कृपा पाकर अनेक संकटों से मुक्ति भी पा सकते हैं. लेकिन भगवान शिव के मंत्रों की लिस्ट काफी लंबी है, इसलिए यहां कुछ मंत्र प्रस्तुत हैं जो कि भगवान शिव को बेहद प्रिय हैं. इन मंत्रो का जाप विशेषकर शिवरात्रि, श्रावण मास के दिन रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए। जानिए भगवान शिव को प्रसन्न करने वाले कुछ खास मंत्र-
1- ॐ नमः शिवाय।
2- नमो नीलकण्ठाय।
3- ॐ पार्वतीपतये नमः।
4- ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
5- ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।
6- ऊर्ध्व भू फट्।
7- इं क्षं मं औं अं।
8- प्रौं ह्रीं ठः।

शिवजी के मंत्र और उनका महत्त्व, Shiv Ji Ke Mantr Aur Unaka Mahatav
1- शिवजी की आराधना करने के लिए मंत्र
शिवजी की आराधना का मूल मंत्र तो ऊं नम: शिवाय ही है लेकिन इस मंत्र के अतिरिक्त भी कुछ मंत्र हैं जो महादेव को प्रिय हैं.
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारं| सदा वसन्तं ह्रदयाविन्दे भंव भवानी सहितं नमामि॥
जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा| ब्रम्हा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥
इस मंत्र के जाप से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और आपके दुख कष्ट हर लेते हैं. इस मंत्र का जाप कर आप अनेक समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं.
2- मनोवांछित फल पाने के लिए शिवजी के इस मंत्र का जाप करें:
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय| नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:॥
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय| मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:॥
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय| श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:॥
अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्। अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्।।
3- स्वास्थ्य प्राप्ति के लिए शिवजी के मंत्र इस मंत्र का जाप करना चाहिए
सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम्। भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये ।।
कावेरिकानर्मदयो: पवित्रे समागमे सज्जनतारणाय। सदैव मान्धातृपुरे वसन्तमोंकारमीशं शिवमेकमीडे।।
4- पूजा के दौरान इस मंत्र के द्वारा उन्हें स्नान समर्पण करना चाहिए
ॐ वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य सकम्भ सर्ज्जनीस्थो| वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमासीद्||
5- भगवान शिव की पूजा करते समय इस मंत्र के द्वारा उन्हें यज्ञोपवीत समर्पण करना चाहिए
ॐ ब्रह्म ज्ज्ञानप्रथमं पुरस्ताद्विसीमतः सुरुचो वेन आवः| स बुध्न्या उपमा अस्य विष्ठाः सतश्च योनिमसतश्च विवः||
6- इस मंत्र के द्वारा भगवान भोलेनाथ को गंध समर्पण करना चाहिए
ॐ नमः श्वभ्यः श्वपतिभ्यश्च वो नमो नमो भवाय च रुद्राय च नमः| शर्वाय च पशुपतये च नमो नीलग्रीवाय च शितिकण्ठाय च||
7- इस मंत्र के द्वारा अर्धनारीश्वर को धूप समर्पण करना चाहिए
ॐ नमः कपर्दिने च व्युप्त केशाय च नमः सहस्त्राक्षाय च शतधन्वने च| नमो गिरिशयाय च शिपिविष्टाय च नमो मेढुष्टमाय चेषुमते च||
8- भोलेनाथ को इस मंत्र से सुगन्धित तेल समर्पण करना चाहिए
ॐ नमः कपर्दिने च व्युप्त केशाय च नमः सहस्त्राक्षाय च शतधन्वने च| नमो गिरिशयाय च शिपिविष्टाय च नमो मेढुष्टमाय चेषुमते च||
9- भगवान भोलेनाथ को इस मंत्र के द्वारा दीप दर्शन कराना चाहिए
ॐ नमः आराधे चात्रिराय च नमः शीघ्रयाय च शीभ्याय च| नमः ऊर्म्याय चावस्वन्याय च नमो नादेयाय च द्वीप्याय च||
10- पूजा के दौरान इस मंत्र के द्वारा भगवान शिव को पुष्प समर्पण करना चाहिए
ॐ नमः पार्याय चावार्याय च नमः प्रतरणाय चोत्तरणाय च| नमस्तीर्थ्याय च कूल्याय च नमः शष्प्याय च फेन्याय च||
11- इस मंत्र के द्वारा भगवान चन्द्रशेखर को नैवेद्य अर्पण करना चाहिए
ॐ नमो ज्येष्ठाय च कनिष्ठाय च नमः पूर्वजाय चापरजाय च| नमो मध्यमाय चापगल्भाय च नमो जघन्याय च बुधन्याय च||
12- पूजन के दौरान इस मंत्र से भगवान शिव को ताम्बूल पूगीफल समर्पण करना चाहिए
ॐ इमा रुद्राय तवसे कपर्दिने क्षयद्वीराय प्रभरामहे मतीः| यशा शमशद् द्विपदे चतुष्पदे विश्वं पुष्टं ग्रामे अस्तिमन्ननातुराम्||
13- इस मंत्र से भगवान शिवजी को बिल्वपत्र समर्पण करना चाहिए
दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनं पापनाशनम्| अघोरपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्||

महामृत्युंजय मंत्र जप के नियम और विधि, Mahamrtyunjay Mantr Jap Ke Niyam Aur Vidhi
भगवान शिव या किसी भी देवी देवताओं की कृपा प्राप्ति के लिए मंत्र जाप का विशेष महत्व होता है। परंतु क्या आपको मंत्र जप के सही तरीके मालूम है? अगर नहीं तो ये खबर खास आपके लिए ही है. क्योंकि ूबुत से लोग ऐसे होते हैं जो मंत्र जाप करने की विधि जाने बिना कहीं भी किसी अवस्था में बैठकर मंत्र उच्चारण करना शुरू कर देते हैं। जिसे धार्मिक दृष्टि से ठीक नहीं माना जाता। इसके बारे में कहा जाता है मंत्र जाप को सही विधि से करने पर ही शुभ फल की प्राप्ति होती है। अगर बिना किसी जानकारी के किसी भी देवी-देवता का मंत्र जाप से आवाह्न किया जाता है तो वो कभी सफल नहीं होता। कहा जाता है अगर मंत्र जप की सही विधि होने पर एक साथ कई देवी-देवताओं की दिव्य शक्तियां प्राप्त होती है। आज हम आपके लिए इसी से जुड़ी खास जानकारी लेकर आए हैं जिसमें हम आपको बताएंगे कि मंत्र जाप करने के लिए तुलसी, मोती, रुदाक्ष, स्फटिक तथा चंदन की माला आदि से मंत्र जाप करते समय आपके लिए कौन सी विधि उपयोगी होती है।
1- मंत्र जप के लिए बैठने का आसन- किसी भी मंत्र को सिद्ध करने के लिए तथा उसका पूर्ण लाभ उठाने के लिए सबसे पहले सही आसन का चुनाव करें। प्राचीन समय में ऋषि मुनि इसके लिए सिद्धासन का प्रयोग किया करते थे। आप इसके अलावा पद्मासन, सुखासन, वीरासन या वज्रासन का प्रयोग कर सकते हैं।
2- मंत्र जप के लिए समय का चुनाव- किसी भी देवी-देवता की मंत्र साधना करने से पहले सही समय चुनें। वैसे धार्मिक शास्त्रों में इसके लिए ब्रह्म मुहूर्त अर्थात सूर्योदय से पूर्व का समय उपयुक्त है। संध्या के समय पूजा आरती के बाद भी जप करना लाभदायक माना जाता है।
3- मंत्र जप के लिए एकाग्रता का होना जरुरी- मंत्र जप के दौरान जातक का ध्यान और मन एकाग्रचित होना चाहिए। उस समय बिल्कुल भी बाहरी दुनिया में ध्यान नही देना चाहिए। जिस देवता का आप मंत्र उच्चारण कर रहे हैं बस उनकी ही रूप का ध्यान करें।
4- मंत्र जप के लिए दिशा- इस बात का खास ध्यान रखें कि मंत्र का जाप करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ़ हो तभी सुभ फल प्राप्त होंगे।
5- माला और आसन नमन- जिस आसन पर आप बैठे हो तथा जिस माला से जाप करने वाले हो सबसे पहले उन दोनों को मस्तिष्क से लगाकर नमन करें उसके बाद ही मंत्र जाप शुरू करें।
6- मंत्र जप के लिए माला का चयन- जिस देवता के मंत्र का जाप कर रहे हैं, उनके लिए बताई गई उस विशेष माला से ही मंत्र जाप करें। जैसे शिव जी के लिए रुद्राक्ष की माला।
7- माला छिपाकर करें जाप- मंत्र उच्चारण करते समय माला को कपड़े की थैली में रखें। इसके साथ ही इस बात का खास ध्यान रखें कि माला जाप करते समय कभी ये न देखे की कितनी मोती शेष बचे हैं। इससे अपूर्ण फल मिलता है
8- मंत्रो का सही उच्चारण- मंत्र उच्चारण में गलती न करें। बताते चलें माला को फेरते समय दांए हाथ के अंगूठे और मध्यमा अंगुली का प्रयोग करें। माला पूर्ण होने पर सुमेरु को पार न करें।
9- एक ही समय- जिस समय पर आप मंत्र जाप कर रहे हैं अगले दिन भी ठीक उसी समय पर जाप करें।

महामृत्युंजय मंत्र अनुराधा पौडवाल

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