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गणेश चतुर्थी 2021, गणेश चतुर्थी क्यों मनाते हैं?
हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व है. भाद्रपस मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी मनाते हैं. इस साल 2021 में गणेश चतुर्थी का पर्व 10 सितंबर से शुरू हो रहा है. इस दिन भगवान गणेश विराजेंगे और 19 सितंबर यानी अनंत चतुर्दशी के दिन उन्हें विदा किया जाएगा. पौराणिक मान्यता है कि भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी की तिथि पर कैलाश पर्वत से माता पार्वती के साथ गणेश जी का आगमन हुआ था. इसी कारण इस दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. स्कंद पुराण, नारद पुराण और ब्रह्म वैवर्त पुराण में गणेश जी का वर्णन मिलता है. भगवान गणेश बुद्धि के दाता है. इसके साथ ही उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा गया है, जिसका अर्थ होता है. संकटों को हरने यानि दूर करने वाला. इस पर्व को विनायक चतुर्थी और विनायक चविटी के नाम से भी जाना जाता है. आइए जानते हैं कैसे मनाएं गणेश चतुर्थी, गणेश चतुर्थी 2021 पूजन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा (Ganesh Chaturthi Vrat Katha) आरती के बारें में-

गणेश चतुर्थी 2021 कब है?
पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी का पर्व 10 सितंबर 2021, शुक्रवार को भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाएगा. इस दिन चित्रा नक्षत्र रहेगा और ब्रह्म योग रहेगा. पंचांग के अनुसार 19 सितंबर 2021, रविवार को भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी की तिथि को गणेश महोत्सव का समापन होगा.
गणेश चतुर्थी 2021 पूजन का शुभ मुहूर्त-
इस बार गणपति पूजन का शुभ मुहूर्त दिन में 12 बजकर 17 मिनट पर अभिजीत मुहूर्त में शुरू होगा और रात 10 बजे तक पूजन का शुभ समय रहेगा.
गणेश चतुर्थी 2021
गणेश चतुर्थी- 10 सितंबर, 2021
मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त- प्रातः 11:03 से दोपहर 01:32 बजे तक
चतुर्थी तिथि शुरू- 10 सितंबर 2021, को दोपहर 12:18 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त- 10 सितंबर 2021, को रात 09:57 बजे
गणेश महोत्सव आरंभ- 10 सितंबर, 2021
गणेश महोत्सव समापन- 19 सितंबर, 2021
गणेश विसर्जन- 19 सितंबर 2021, रविवार

भद्रा का साया
इस वर्ष गणेश चतुर्थी के दिन भद्रा का साया भी लग रहा है. गणेश चतुर्थी के दिन 11 बजकर 09 मिनट से रात 10 बजकर 59 मिनट तक पाताल निवासिनी भद्रा रहेगी. शास्त्रों के अनुसार पाताल निवासिनी भद्रा का होना शुभ फलदायी होता है. इससे समय धरती पर भद्रा का अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता है. दूसरी बात यह भी है कि गणपतिजी स्वयं सभी विघ्नों का नाश करने वाले विघ्नहर्ता हैं इसलिए गणेश चतुर्थी पर लगने वाले भद्रा से लाभ ही मिलेगा.
बन रहा रवियोग
वहीं गणेश चतुर्थी पर इस बार रवियोग में पूजन होगा. लंबे समय बाद इस बार चतुर्थी पर चित्रा-स्वाति नक्षत्र के साथ रवि योग का संयोग बन रहा है. चित्रा नक्षत्र शाम 4.59 बजे तक रहेगा और इसके बाद स्वाति नक्षत्र लगेगा. वहीं 9 सितंबर दोपहर 2 बजकर 30 मिनट से अगले दिन 10 सितंबर 12 बजकर 57 मिनट तक रवियोग रहेगा, जो कि उन्नति को दर्शा रहा है. इस शुभ योग में कोई भी नया काम और गणपति पूजा मंगलकारी होगी.
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गणेश चतुर्थी के दिन किस रंग के वस्त्र पहनें
भगवान गणेश की कृपा से सुख-शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन व्यक्ति को काले और नीले रंग के वस्त्र धारण नहीं पहनने चाहिए. इस दिन लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है.

गणेश चतुर्थी पूजा विधि, Ganesh Chaturthi Puja Vidhi
गणेश चतुर्थी के दिन प्रातरू काल स्नान-ध्यान करके गणपति के व्रत का संकल्प लें. इसके बाद दोपहर के समय गणपति की मूर्ति या फिर उनका चित्र लाल कपड़े के ऊपर रखें. फिर गंगाजल छिड़कने के बाद भगवान गणेश का आह्वान करें. भगवान गणेश को पुष्प, सिंदूर, जनेऊ और दूर्वा (घास) चढ़ाए. इसके बाद गणपति को मोदक लड्डू चढ़ाएं, मंत्रोच्चार से उनका पूजन करें. गणेश जी की कथा पढ़ें या सुनें, गणेश चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती करें.
गणेश मंत्र
– ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात..
– ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा..
– ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरू गणेश..ग्लौम गणपति, ऋदि्ध पति, सिदि्ध पति. मेरे कर दूर क्लेश..
– ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा..
भगवान गणेश को लगाएं भोग-
गणेश जी को पूजन करते समय दूब, घास, गन्ना और बूंदी के लड्डू अर्पित करने चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं. कहते हैं कि गणपति जी को तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए. मान्यता है कि तुलसी ने भगवान गणेश को लम्बोदर और गजमुख कहकर शादी का प्रस्ताव दिया था, इससे नाराज होकर गणपति ने उन्हें श्राप दे दिया था.
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गणेश चतुर्थी के दिन न करें चंद्रमा के दर्शन-
मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए. अगर भूलवश चंद्रमा के दर्शन कर भी लें, तो जमीन से एक पत्थर का टुकड़ा उठाकर पीछे की ओर फेंक दें और इस मंत्र का 28, 54 या 108 बार जाप करने लेना चाहिए.
चन्द्र दर्शन दोष निवारण मन्त्र:
सिंहःप्रसेनमवधीत् , सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मा रोदीस्तव, ह्येष स्यमन्तकः।।

गणेश चतुर्थी कैसे मनाते हैं
गणेश चतुर्थी का त्यौहार मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. इस दिन श्रद्धालु शुभ मुहूर्त में अपने-अपने घरों में गणपति प्रतिमा को स्थापित किया जाता है. इस दिन घर की साफ-सफाई पहले ही कर ली जाती है. घर पर गणपति स्थापित (Ganpati Sthapna) करने के बाद उनकी विधि पूर्वक पूजा की जाती है. गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रखने की भी मान्यता है. कहते हैं इस दिन रखे गए व्रत से गणपित जी प्रसन्न होकर आपके सारे दुख हर लेते हैं और विघ्न दूर कर घर में सुख-समृद्धि देते हैं. इस दिन व्रत कथा के श्रवण से ही लाभ मिलता है. कुछ लोग इस त्योहार को सिर्फ दो दिन के लिए मनाते हैं तो कुछ लोग पूरे 10 दिन के लिए घर में गणपति पूजन का आयोजन करते हैं और अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा को बड़ी धूम-धाम से विदाई देकर विसर्जन करते हैं और कामना करते हैं कि सब कुछ मंगलमय हो और अगले वर्ष फिर से हम आपकी पूजा कर पाएं.
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गणेश चतुर्थी का महत्‍व
पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र गणेश का जन्‍म जिस दिन हुआ था, उस दिन भाद्र मास के शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी थी. इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी और विनायक चतुर्थी नाम दिया गया. उनके पूजन से घर में सुख समृद्धि और वृद्धि आती है. शिवपुराण में भाद्रमास के कृष्‍णपक्ष की चतुर्थी को गणेश का जन्‍मदिन बताया गया है. जबकि जबकि गणेशपुराण के मत से यह गणेशावतार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुआ था.

गणेश जी की मूर्ति घर में कहां स्थापित करें
गणेश जी की मूर्ति घर के उत्तरी पूर्वी कोने में रखना सबसे शुभ माना जाता है. ये दिशा पूजा-पाठ के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है. इसके अलावा आप गणेश जी की प्रतिमा को घर के पूर्व या फिर पश्चिम दिशा में भी रख सकते हैं.
1. गणेश जी की प्रतिमा रखने समय इस बात का ध्यान रखें कि भगवान के दोनों पैर जमीन को स्पर्श कर रहे हों. मान्यता है इससे सफलता मिलने के आसार रहते हैं. गणेश जी की प्रतिमा को दक्षिण दिशा में न रखें.
2. घर में बैठे हुए गणेश जी की प्रतिमा रखना उत्तम माना जाता है. मान्यता है इससे घर में सुख-समृद्धि आती है. घर में गणेश जी की ऐसी ही प्रतिमा लगाएं जिसमें उनकी सूंड बायीं तरफ झुकी हुई हो और पूजा घर में सिर्फ एक ही गणेश जी की प्रतिमा होनी चाहिए.
3. घर में गाय के गोबर से बनी गणेश जी की प्रतिमा रखना काफी शुभ माना जाता है. इसके अलावा घर में क्रिस्टल के गणेश जी रखने से वास्तु दोष खत्म हो जाता है. हल्दी से बने गणेश रखने से भाग्य चमकता है.
4. ध्यान रखें कि जब भी गणेश जी मूर्ति लें तो उसमें उनका वाहन चूहा और मोदक लड्डू जरूर बना हो. क्योंकि इसके बिना गणेश जी की प्रतिमा अधूरी मानी जाती है.
5. अगर आपके घर के आस-पास पीपल, आम या नीम का पेड़ हो तो गणेश जी प्रतिमा आप वहां भी स्थापित कर सकते हैं. मान्यता है इससे घर में सकारात्मकता आती है.
6. कभी भी गणेश जी की प्रतिमा ऐसी जगह न रखें जहां अंधकार रहता हो या उसके आस-पास गंदगी रहती हो. सीढ़ियों के नीचे भी गणेश जी की प्रतिमा नहीं रखनी चाहिए.

गणेश चतुर्थी व्रत कथा, Ganesh Chaturthi Vrat Katha
धार्मिक दृष्टि से कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक पौराणिक कथा ये भी है. पुराणों के अनुसार एक बार सभी देवता संकट में घिर गए और उसके निवारण के लिए वे भगवान शिव के पास पहुंचे. उस समय भगवान शिव और माता पार्वती अपने दोनों पुत्र कार्तिकेय और गणेश के साथ मौजूद थे. देवताओं की समस्या सुनकर भगवान शिव ने दोनों पुत्र से प्रश्न किया कि देवताओं की समस्याओं का निवारण तुम में से कौन कर सकता है. ऐसे में दोनों ने एक ही स्वर में खुद को इसके योग्य बताया.
दोनों के मुख से एक साथ हां सुनकर भगवान शिव भी असमंजस में पड़ गए कि किसे ये कार्य सौंपा जाए. और इसे सुलाझाने के लिए उन्होंने कहा कि तुम दोनों में से सबसे पहले जो इस पूरी पृथ्वी का चक्कर लगा कर आएगा, वही देवताओं की मदद करने जाएगा. शिव की बात सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठ कर पृथ्वी का चक्कर लगाने के लिए निकल गए. लेकिन गणेश सोचने लगे कि मोषक पर बैठकर वह कैसे जल्दी पृथ्वी की परिक्रमा कर पाएंगे. बहुत सोच-विचार के बाद उन्हें एक उपाय सूझा. गणेश अपने स्थान से उठे और अपने माता-पिता भगवान शिव और माता पार्वती की सात बार परिक्रमा करके बैठ गए और कार्तिकेय के आने का इंतजार करने लगे.
गणेश को ऐसा करता देख सब अचंभित थे कि आखिर वो ऐसा करके आराम से क्यों बैठ गए हैं. भगवान शिव ने गणेश से परिक्रमा न करने का कारण पूछा, तो उन्होंने कहा कि माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक है. उनके इस जवाब से सभी दंग रह गए. गणेश का ऐसा उत्तर पाकर भगवान शिव भी प्रसन्न हो गए और उन्हें देवता की मदद करने का कार्य सौंपा. साथ ही कहा, कि हर चतुर्थी के दिन जो तुम्हारी पूजन और उपासना करेगा उसके सभी कष्टों का निवारण होगा. इस व्रत को करने वाले के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होगा. कहते हैं कि गणेश चतुर्थी के दिन व्रत कथा पढ़ने और सुनने से सभी कष्टों का नाश होता है, और जीवन भर किसी कष्ट का सामना नहीं करना पड़ता.

पूजा के वक्त कीजिए ये आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया .
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा .
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी .
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥

गणेश चतुर्थी व्रत उद्यापन विधि, Ganesh Chaturthi Vrat Udyapn Vidhi
1. गणेश चतुर्थी के दिन सुबह प्रात: काल जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें.
2. इसके बाद एक चौकी पर गणेश की जी की स्थापना करें और साथ ही कलश की भी स्थापना करें .
3. कलश को स्थापित करने के बाद सफेद तिल और गुड़ का तिलकूट बनाएं.इसके बाद उस कलश पर स्वास्तिक बनाएं और उसके ऊपर तिलकूट में एक सिक्का रखकर स्थापित करें.
4.इसके बाद उस कलश पर रोली से 13 बिंदी लगाएं और भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें.
5. उन्हें दूर्वा चढ़ाएं, रोली से उनका तिलक करें, उन्हें फल और फूल आदि भी अर्पित करें.
6. इसके बाद गणेश चतुर्थी की कथा पढ़ें या सुनें और भगवान गणेश की धूप व दीप से आरती करें.
7. भगवान गणेश की आरती करने के बाद आप उन्हें मोदक और लड्डूओं का भोग लगाएं.
8. इसके बाद पूरा दिन व्रत रखें और शाम के समय अपने व्रत का पारण करें.
9. अपने व्रत का पारण तिलकूट से ही करें और कलश पर स्थापित तिलकूट को किसी पंडित को पैसों सहित दान में दे दें.
10. इसके बाद रात्रि जागरण अवश्य करें. क्योंकि ऐसा करने से आपको अपने सभी व्रतों का पूर्णफल प्राप्त होगा.

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