Vrushabh Rashi Santan Prapti K Upay

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वृष राशि के लोगों के लिए ज्योतिष में माना जाता है कि इस राशि के जातकों को संतान का सुख बड़ी मुश्किलों से मिलता है. संतान बड़ी मुश्किल से होती है और संतान का स्वास्थ्य और स्वभाव दोनों ही समस्या देता है. अगर आपकी राशि वृष है और आपकी शादी को भी कई साल बित चुके है पर अब तक संतान सुख से वंचित हैं तो अपनी राशि के अनुसार ही उपाय कर इस समस्या से निजात पा सकते हैं. ज्योतिषी मानते हैं कि हर राशि के मुताबिक भगवान की पूजा से जुड़ी एक खास वस्तु होती है. इससे ईश्वर जल्दी प्रसन्न होते हैं. जीवन में हर कोई किसी न किसी कारण से कभी न कभी, कोई न कोई पूजा-पाठ या अनुष्ठान अवश्य ही करता है पर कठिन से कठिन अनुष्ठान करने के बाद भी कईबार मनोनुकूल सिद्धि को प्राप्त नहीं कर पाता है. हताश व्यक्ति पूजा-पाठ अनुष्ठान आदि को ही ढकोसला बताने लगता है जबकि ऐसा कतई नहीं होता. ज्योतिष के अनुसार अपनी राशि के अनुसार ही देवी-देवताओं की पूजा करने व राशिनुसार ही उपाय करने से वांछित फल की प्राप्ति हो सकती है. कौन-सा व्यक्ति किस देवता की पूजा करे, इसके लिए अपने नामाक्षर की राशि तथा राशि के अंशों की जानकारी प्राप्त करके उस अंश के अनुसार देवता की पूजा करने से अवश्य ही लाभ की प्राप्ति होती है. यहां हम आपको वृष राशि के जातकों को संतान प्राप्ति न होने के कारण व संतान सुख पाने के उपाय बताने जा रहे हैं, जिसे करने के बाद अवश्य ही आपके घर आंगन में बच्चे की किलकारी गूंजेगी-

वृष राशि के लोगों को संतान प्राप्ति न होने के कारण

  • दंपति की कुण्डली में नाड़ी दोष
  • परिवार में पितृ दोष होना
  • पति का शुक्र ग्रह उचित स्थिति में न होना
  • पत्नी का बृहस्पत ग्रह नीच का होना
  • पूर्व जन्म में हुए सर्पशाप, पितृश्राप, माताश्राप, भ्राताश्राप, प्रेतश्राप या कुलदेवता श्राप आदि

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A. इष्ट देव की पूजा से होगी वृषभ राशि को संतान सुख की प्राप्ति
वैसे तो कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा और श्रद्धा अनुसार किसी भी देवी-देवता की पूजा कर सकता है लेकिन अपने इष्ट देव (Isht Dev) की पूजा करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है. इष्ट देव का अर्थ है अपनी राशि के पसंद के देवता. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इष्ट देव की पूजा करने से व्यक्ति को अच्छे और शुभ फल की प्राप्ति होती है. साथ ही जिन्हें संतान नहीं हो रही है उन राशियों के जातक को संतान सुख की प्राप्ति होती है. लेकिन अगर किसी को इस बारे में पता ना हो तो आपके जन्म की तारीख (Birth date), आपके नाम के पहले अक्षर की राशि या जन्म कुंडली की राशि (Kundli Rashi) के आधार पर इष्टदेव की पहचान की जा सकती है. अरुण संहिता जिसे लाल किताब के नाम से भी जाना जाता है, के अनुसार व्यक्ति के पूर्व जन्म में किए गए कर्म के आधार पर इष्ट देवता का निर्धारण होता है और इसके लिए जन्म कुंडली देखी जाती है. कुंडली का पंचम भाव इष्ट का भाव माना जाता है. इस भाव में जो राशि होती है उसके ग्रह के देवता ही हमारे इष्ट देव कहलाते हैं. इष्ट देव की पूजा करने से ये फायदा होता कि कुंडली में चाहे कितने भी ग्रह दोष क्यों न हों, अगर इष्ट देव प्रसन्न हैं तो यह सभी दोष व्यक्ति को अधिक परेशान नहीं करते. इसलिए अगर कोई दंपति संतान सुख से वंचित है तो वह अपने राशि के अनुसार ईष्ट देव की पूजा कर संतान सुख पा सकता है.
वृषभ राशि इष्ट देवी – मां लक्ष्मी
वृषभ राशि का ग्रह –  शुक्र
वृषभ राशि वालों की इष्ट देवी मां लक्ष्मी हैं, अत: इन्हें मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. शुक्र की इस राशि वालों को देवी लक्ष्मी के साथ नारायण की नियमित पूजा से घर में सुख-शांति बनी रहती है व संतान सुख की की प्राप्ति होती है.

1. लक्ष्मी पूजन की विधि (Laxmi Pooja)
संतान प्राप्ति के लिए वृष राशि के जातक यहां बताई गई विधि का पालन कर लक्ष्मी पूजन करें. यह विधि बेहद ही सरल है और आप इसे आसानी से घर में कर सकते हैं. लक्ष्मी पूजन की विधि को षोडशोपचार पूजा के नाम से भी जाना जाता है और इस पूजा विधि को 16 चरणों में किया जाता है.
आवाहन (Aavahan)- शुक्रवार के दिन सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत होकर साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करें. घर के ईशान कोण को साफ कर वहां चौकी स्थापित करें. चौकी के उपर लाल वस्त्र बिछाकर उसपर मां लक्ष्मी जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. इसके बाद दीपक और धूप जलाएं. हाथ जोड़कर मां लक्ष्मी का ध्यान/आवाहन करें. आवाहन करते समय हम मां को आने का निमंत्रण देते हैं. मां लक्ष्मी का आवाहन करते समय उनकी मूर्ति पर फूल अर्पित करें.
पुष्पाञ्जलि आसन (Pushpanjali Asana)- मां का आवाहन करने के बाद आप पांच तरह के फूल मां की मूर्ति के सामने रखें.
स्‍वागत- मां का आवाहन और उनको फूल चढ़ाने के बाद मां का स्वागत किया जाता है और मां का स्वागत करते हुए ‘श्रीलक्ष्‍मी देवी! स्‍वागतम्’ मंत्र का उच्‍चारण किया जाता है. इस मंत्र का अर्थ है कि हम मां का सच्चे मन से स्वागत करते हैं.
पाद्य- लक्ष्मी पूजन की विधि के अगले चरण को पाद्य कहा जाता है. इस चरण में मां के पैरों को जल से धोया जाता है.
अर्घ्‍य – मां लक्ष्मी (laxmi pooja) के पैरों को जल से साफ करने के बाद मां को अर्घ्य दिया जाता है.
स्‍नान- मां को स्नान कराने के लिए दूध, दही, घी, शहद और चीनी के मिश्रण को मिलाकर पंचामृत बनाया जाता है और इससे मां को स्नान करवाया जाता है. मां पर पंचामृत डालने के बाद शुद्ध जल डाला जाता है.
वस्‍त्र- लक्ष्मी पूजन की विधि (laxmi pooja) के अगले चरण में वस्त्र दान किये जाते हैं. मां लक्ष्‍मी को मोली वस्त्र के रूप में अर्पित किया जाता है.
आभूषण – वस्त्र अर्पित करने के बाद मां को आभूषण चढ़ाए जाते हैं.
सिंदूर – लक्ष्मी पूजन की विधि (laxmi pooja) के अगले चरण के तहत लक्ष्‍मी मां को सिंदूर चढ़ाया जाता है.
कुमकुम – लक्ष्मी पूजन की विधि (laxmi pooja) के अगले चरण के तहत लक्ष्‍मी मां को कुमकुम चढ़ाते हैं.
अक्षत – मां को कुमकुम चढ़ाने के बाद साफ और बिना टूटे हुए अक्षत चढ़ाएं.
पुष्‍प – मां को कमल का पुष्‍प समर्पित करें.
अंग पूजन – अंग पूजन के तहत हाथ में फूल, चावल और चंदन लेकर दाहिने हाथ से मां लक्ष्‍मी की प्रतिमा को रखें और नीचे बताए मंत्र को बोलें.
ॐ चपलायै नम: पादौ पूजयामि .
ॐ चंचलायै नम: जानुनी पूजयामि .
ॐ कमलायै नम: कटिं पूजयामि .
ॐ कात्‍यायन्‍यै नम: नाभि पूजयामि .
ॐ जगन्‍मात्रै नम: जठरं पूजयामि .
ॐ विश्‍व-वल्‍लभायै नम: वक्ष-स्‍थलं पूजयामि .
ॐ कमल-वासिन्‍यै नम: हस्‍तौ पूजयामि .
ॐ कमल-पत्राक्ष्‍यै नम: नेत्र-त्रयं पूजयामि .
ॐ श्रियै नम: शिर पूजयामि .
भोग – मंत्र बोलने के बाद मां के सामने धूप और दीपक जलाएं और मां को भोग अर्पित करें.
पाठ और आरती – मां से जुड़ा पाठ करें और अंत में मां लक्ष्‍मी की आरती करें.

2. शुक्रवार का व्रत करने से वृषभ राशि को होगी संतान सुख की प्राप्ति
वृष राशि के जातक संतान सुख की प्राप्ति के लिए 16 शुक्रवार का व्रत करें. धर्म शास्त्रों की मानें तो शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी के साथ ही माता संतोषी को भी समर्पित होता है इसलिए इस दिन इनकी पूजा और व्रत को बेहद शुभ माना जाता है. शुक्रवार का व्रत करने से स्त्री-पुरुषों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं व संतान सुख की प्राप्ति होती है. यहां जानिए शुक्रवार के व्रत की संपूर्ण विधि-
शुक्रवार के दिन सूर्योदय से पूर्व उठें, ओर घर कि सफाई करने के बाद पूरे घर में गंगा जल छिडक कर शुद्ध कर लें. इसके पश्चात स्नान आदि से निवृ्त होकर, घर के ईशान कोण दिशा में एक एकान्त स्थान पर माता संतोषी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. माता संतोषी के सामने कलश रखें. कलश के ऊपर कटोरी में गुड़ व चना रखें. संतोषी माता के सामने घी का दीपक जलाएं. माता को रोली, अक्षत, फूल, नारियल, लाल वस्त्र या चुनरी अर्पित करें. माता संतोषी को गुड़ व चने का भोग लगाएँ. संतोषी माता की जय बोलकर माता की कथा प्रारंभ करें. कथा पूरी होने पर आरती करें और सभी को गुड़-चने का प्रसाद बाँटें
अंत में कलश में भरे जल को घर में जगह-जगह छिड़क दें तथा शेष जल को तुलसी के पौधे में डाल दें. इसी प्रकार 16 शुक्रवार का नियमित उपवास रखें. अंतिम शुक्रवार को व्रत का विसर्जन करें. विसर्जन के दिन उपरोक्त विधि से संतोषी माता की पूजा कर 8 बालकों को खीर-पुरी का भोजन कराएँ तथा दक्षिणा व केले का प्रसाद देकर उन्हें विदा करें. अंत में स्वयं भोजन ग्रहण करें. ऐसा करने से अवश्य ही मां संतोषी आपकी सुनी झोली को भर देगी.

B. शुक्र ग्रह के उपाय से होगी संतान प्राप्ति
वृषभ राशि का ग्रह शुक्र होता है. यदि आपकी कुंडली में शुक्र खराब है तो संतान सुख में बाधा आ सकती है. यदि पति का शुक्र ग्रह उचित स्थिति में न हो तो संतान का सुख नहीं मिलता है. इसलिए वृष राशि के जातक अपना शुक्र मजबूत कर संतान सुख प्राप्त कर सकते हैं. वृष राशि के जातक शुक्र मजबूत करने के लिए यहां दिए जा रहे निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं-
1. संतान प्राप्ति के लिए शुक्र के बीज मंत्र ‘ओम शुं शुक्राय नम:’ का जप करना आपके लिए लाभदायक रहेगा. इस मंत्र के जप से न सिर्फ पौरुष वृद्धि होती है बल्कि आपको भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है. इस मंत्र के नियमित जप से हानिकारक तत्वों का नाश होता है और शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार होता है.
2. फिरोजा रत्न करें धारण – पौरुष वृद्धि के लिए आप फिरोजा रत्न धारण कर सकते हैं. बृहस्पति ग्रह का यह रत्न नीले रंग का होता है और यह उपचारात्मक शक्तियों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. इस रत्न से शुक्र भी अनुकूल होता है और राहु-केतु की प्रतिकूलता में भी कमी आती है. इस रत्न को धारण करने से संतान प्राप्ति के साथ-साथ जीवन में सुख-समृद्धि भी आती है. प्राचीन संस्कृति में फिरोजा रत्न को लोग संतान प्राप्ति और धन वृद्धि के लिए पहनते थे.
3. जिन लोगों का शुक्र ग्रह कमजोर होता है, उनको शुक्रवार का व्रत 21 बार या 31 बार करना चाहिए. शुक्रवार का व्रत करने से शुक्र मजबूत होता है और माता लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है. इस व्रत के प्रभाव से सुख, सौभाग्य और समृद्धि बढ़ती है.
4. शुक्र को प्रबल बनाने के लिए आपको सफेद कपड़े, सुंदर वस्त्र, चावल, घी, चीनी आदि का दान करना चाहिए. इनके अलावा आप श्रृंगार सामग्री, कपूर, मिश्री, दही आदी का भी दान कर सकते हैं.
5. शुक्र के लिए हीरा, सोना, स्फटिक भी दान करने के लिए कहा जाता है, लेकिन यह सबके लिए संभव नहीं है.
6. जिनका शुक्र कमजोर होता है, उनको हीरा पहनना चाहिए. इसके लिए आप किसी अच्छे ज्योतिषाचार्य की मदद ले सकते हैं.
7. शुक्रवार को सफेद वस्त्र पहनकर ओम द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए. इस मंत्र की 5, 11 या 21 माला का जाप करने से शुक्र प्रबल होता है.
8. शुक्र को मजबूत करने के लिए भोजन में चीनी, चावल, दूध, दही और घी से बने भोज्य पदार्थ खाना चाहिए. किसी को कोई सेहत वाली समस्या हो तो परहेज करें.
9. आप शुक्र का उपरत्न कुरंगी, दतला, तुरमली या सिम्मा धारण कर सकते हैं.
10. महिलाओं का सम्मान करने, साफ-सफाई रखने और इत्र आदि का प्रयोग करने से भी शुक्र ग्रह मजबूत होता है.
11. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, अगर विवाह के काफी साल गुजर गए हैं और अभी तक बच्चे की किलकारियां आंगन में नहीं गूंजी हैं तो शुक्रवार के दिन मदार पेड़ की जड़ को उखाड़ लें और फिर उसको उस कमरे में बांध दें, जिसकी संतान न हो रही हो. ऐसा करने से हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और संतान प्राप्ति की बाधा खत्म होती है.
12. संतान सुख प्राप्त करने के लिए आपको शुक्रवार के दिन किसी कन्या को बुलाकर सफेद मिठाई खिलानी चाहिए. यह टोटका ग्यारह शुक्रवार तक करना चाहिए.
13. शुक्र की स्थिति ठीक करने के लिए गौपालन एवं उसकी सेवा करें. ऐसा करने से संतान प्राप्ति में आ रही बाधाएं दूर होती हैं.

C. लाल किताब के उपाय से होगी संतान प्राप्ति
1. लाल किताब के अनुसार, संतान प्राप्ति में अगर बाधा आ रही है तो चांदी का तार लें और उसको अग्नि में डाल दें. फिर उस तार को दूध में डाल दें और पी जाएं, ऐसा आप लगातर 40 दिनों तक करें. ऐसा करने से कुंडली में शुक्र की स्थिति मजबूत होती है, जिससे सभी शारीरिक समस्याओं का अंत होता है और संतान की कामना की पूर्ति होती है.
2. वृषभ राशि के जातक संतान सुख की प्राप्ति हेतु सिरहाने पानी का लोटा रखकर सोएं और सुबह उसे बाहर ढोल दें या कीकर के वृक्ष में डाल दें. लाल किताब से जुड़े इस उपाय को कर आप मनवांक्षित फल पा सकते हैं.
3. लाल किताब के अनुसार वृषभ राशि के जातक संतान सुख की प्राप्ति हेतु प्रत्येक गुरुवार को गणपतिजी का पूजन करें.
4. लाल किताब के अनुसार संतान सुख की प्राप्ति के लिए शुक्रवार का व्रत रखकर मां लक्ष्मी की उपासना करें.
5. लाल किताब के अनुसार वृषभ राशि के जातक संतान सुख की प्राप्ति हेतु मंदिर में पीले केले का प्रसाद वितरित करें.
6. लाल किताब के अनुसार संतान सुख की प्राप्ति के लिए काले कपड़े पहनने से परहेज करें. शुक्रवार को स्काई ब्लू कपड़े पहनें.
7. लाल किताब के अनुसार वृषभ राशि के जातक संतान सुख की प्राप्ति हेतु मांस-शराब से दूर रहेंगे तो बेहतर होगा.
8. लाल किताब के अनुसार संतान सुख की प्राप्ति के लिए चांदी का एक सिक्का अपने पास हमेशा रखें.

D. पितरों के आशीर्वाद से मिलेगा संतान सुख
पितर हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में हमेशा सुख-शांति बनी रहती है. लेकिन कभी-कभी जाने-अनजाने ऐसी गलतियां हो जाती हैं, जिसका असर गहरा होता है. शास्त्रों में कहा गया है कि जिनकी कुण्डली में पितृ दोष होता है उन्हें संतान सुख में बाधा का सामना करना पड़ता है. इसलिए संतान सुख की प्राप्ति के लिए पितृ दोष का उपाय जरूरी है. कौए को भोजन देने से पितृगण प्रसन्न होते हैं और पितृ बाधा का प्रभाव कम होता है. शास्त्रों के अनुसार इसका कारण यह है कि पितृ पक्ष में पितरगण भी कौए के रूप में पृथ्वी पर विचरण करते हैं और अपने वंशजों द्वारा ब्राह्मण भोजन करवाने के बाद, ब्राह्मणों के जूठे पत्तलों से भोजन करते हैं जिससे उन्हें मुक्ति मिलती है. पितृ दोष दूर करने के लिए पीतरों को याद करते हुए पीपल पर जल और दूध चढ़ाएं और संतान प्राप्ति की कामना करें. ऐसा करने से पितर वंश वृद्धि के लिए आशीर्वाद देते हैं और इससे घर की प्रगति भी होती है.

E. नाड़ी दोष का उपाय कर पाएं संतान प्राप्ति का सुख
विवाह के समय कुंडली मिलान में बनने वाले दोषों में से एक है नाड़ी दोष. इस दोष के होने पर वैवाहिक स्थिति कभी ठीक नहीं रहती, दंपत्ति संतान सुख से वंचित रह सकते हैं साथ ही वर-वधू के जीवन पर मृत्यु का संकट मंडराया रहता है. नाड़ी दोष निवारण के लिए भगवान शिव की पूजा की जाती है. पूरे विधि-विधान से महामृत्युंजय मंत्र का जप करते हुए शिव को प्रसन्न किया जाता है. शिवजी की कृपा से ही नाड़ी दोष शांत होता है.
1. पूजा के पहले दिन 5 से 7 ब्राह्मण, पूजा करानेवाले लोग पूजा घर या मंदिर में साथ बैठकर भगवान शिव की आराधना करते हैं. शिव परिवार की पूजा करने के बाद मुख्य पंडितजी अपने सहायकों सहित कन्या और वर की कुंडली में स्थित नाड़ी दोष के निवारण के लिए सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र के जप का संकल्प लेते हैं. जप पूरा हो जाने के बाद विधि पूर्वक हवन कर ज्योतिषाचार्यों के परामर्श के अनुसार दान दिया जाता है. ध्यान रखें कि नाड़ी दोष निवारण की पूजा वर और वधू दोनों को साथ बिठाकर की जाती है.
2. आमतौर पर यदि वर और कन्या की कुंडली में नाड़ी दोष हो तो विवाह न करने की सलाह दी जाती है. लेकिन कुछ खास परिस्थितियों में जरूरी उपाय करके इस दोष को शांत किया जा सकता है. इसके लिए ब्राह्मण को गाय का दान दिया जाता है.
3. अपने जन्मदिन पर अपने वजन के बराबर अन्न का दान करने पर नाड़ी दोष के प्रभावों से शांति मिलती है.
4. समय-समय पर ब्राह्मणों को भोजन कराकर वस्त्र दान करने से भी नाड़ी दोष के प्रभावों को शांत किया जा सकता है.
5. पीयूष धारा के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति के विवाह में नाड़ी दोष बाधा बन रहा है तो उसे स्वर्ण दान, वस्त्र दान, अन्न दान करना चाहिए. सोने से सर्प की आकृति बनाकर, उसकी विधि पूर्वक प्राण-प्रतिष्ठा करके महामृत्युंजय मंत्र का जप कराने से नाड़ी दोष शांत होता है.

F. ग्रहों की शांति से मिलेगा संतान सुख
ग्रहों के कारण संतान सुख में बाधा आ रही हो, तो सूर्य के लिए हरिवंश पुराण का पाठ करें. चंद्रमा के लिए सोमवार का व्रत रख कर शिव की उपासना करनी चाहिए. मंगल के लिए महारुद्र या अतिरुद्र यज्ञ कराएं. बुध के लिए महाविष्णु की उपासना करें. गुरु के लिए पितरों का श्राद्ध करें. शुक्र के लिए गौपालन एवं उसकी सेवा करें. शनि के लिए महामृत्युंजय का जप एवं हवन करें. राहु के लिए नागपाश यंत्र की पूजा व बुधवार को व्रत रख करना चाहिए. ऐसे लोगों के लिए कन्यादान करना भी श्रेष्ठ माना गया है. केतु के लिए ब्राह्मण भोजन करा कर उन्हें वस्त्र भेंट करें. इसके अलावा “नवग्रह शांति पाठ”, संतान प्राप्ति में बेहद मददगार होता है इस पाठ से सारे दोष से निवारण मिलता है.

G. वास्तु के निवारण से घर में गूंजेंगी किलकारियां
कहते हैं घर में कभी-कभी नकारात्मक उर्जा कभी संचार होने लगता है, जिसकी वजह से कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होती है जिनमें से एक समस्या संतान सुख ना मिलने की भी होती है. अपने घर में समस्त वास्तु दोषों को दूर करने का उपाय करें. ऐसे दंपत्ति जो संतान सुख चाहते हैं वह निश्चय करें कि घर में किसी भी तरह का वास्तु दोष ना पनपे.

H. ज्योतिर्लिंग पर पूजा करने से वृष राशि के लोगो को होगी संतान प्राप्ति
देवाधिदेव भगवान् महादेव सर्वशक्तिमान हैं. भगवान भोलेनाथ ऐसे देव हैं जो थोड़ी सी पूजा से भी प्रसन्न हो जाते हैं. संहारक के तौर पर पूज्य भगवान शंकर बड़े दयालु हैं. उनके अभिषेक से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसी प्रकार विभिन्न राशि के व्यक्तियों के लिए शास्त्र अलग-अलग ज्योतिर्लिंगों की पूजा का महत्व बताया गया है. भगवान शंकर के पृथ्वी पर 12 ज्योतिर्लिंग हैं. भगवान शिव के सभी ज्योतिर्लिंगों को अपना अलग महत्व है. शास्त्रों के अनुसार भगवान शंकर के ये सभी ज्योजिर्लिंग प्राणियों को दु:खों से मुक्ति दिलाने में मददगार है. इन सभी ज्योतिर्लिंगों को 12 राशियों से भी जोड़कर देखा जाता है.
आइये जाने की वृषभ राशि के व्यक्ति किस ज्योतिर्लिंग पर पूजा कर संतान सुख प्राप्त कर सकते हैं—
वृष राशि – मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग – वृष राशि के व्यक्तियों को मल्लिकार्जुन का ध्यान करते हुए ओम नमः शिवायः मंत्र का जप करते हुए कच्चे दूध, दही, श्वेत पुष्प के साथ मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक करना चाहिए. भगवान शिव के प्रकाशमय स्वरूप का मानसिक ध्यान करना चाहिए. ताम्बे के पात्र में दूध भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें, ॐ श्री कामधेनवे नमः का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें, पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवायः का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर दूध की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें. अभिषेक करते हुए ॐ सकल लोकैक गुरुर्वै नमरू मंत्र का जाप करे. श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग ऐसा तीर्थ है, जहां शिव और शक्ति की आराधना से देव और दानव दोनों को सुफल प्राप्त हुए. शास्त्रों में बताया गया है कि श्री शैल शिखर के दर्शन मात्र से मनुष्य सब कष्ट दूर हो जाते हैं और अपार सुख प्राप्त कर जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है. भगवान शिव का यह पवित्र मंदिर नल्लामलाई की आकर्षक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है.

I. संतान प्राप्ति के अन्य उपाय
1. रोज रात गर्म पानी के साथ अजवाइन खाएं.
2. कुत्तों को खाना खिलाएं.
3. संतान प्राप्ति की इच्छुक स्त्रियों को 9 वर्ष से कम आयु की कन्याओं के चरण छुने चाहिए, इस प्रकार जल्द ही उनके घर मे बच्चो की किलकारियां गूंज सकती है.
4. संतान प्राप्ति के लिए स्त्रियों को प्रतिदिन खाली पेट गुड़हल का फूल 90 दिनों तक खाने से भी लाभ मिलता है.
5. संतान गोपाल यंत्र की स्थापना करें व सवा लाख संतान गोपाल मंत्र का जाप करने से और दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने से भी जल्दी ही संतान प्राप्ति होती है.
6. प्रतिदिन भोजन में से कुछ अंश गाय आदि जानवरों को दें.
7. दिन में तंदूर की मीठी रोटियां बनाकर आवारा कुत्तों को खिलाएं.
8. उत्तम संस्कारित संतान के लिए शुक्ल पक्ष में किसी भी दिन बरगद के पत्ते को धोकर साफ करके उस पर कुंकुम से स्वस्तिक बनाकर उस पर थोड़े से चावल और एक सुपारी रखकर सूर्यास्त से पहले किसी मंदिर में अर्पित कर दें और प्रभु से संतान का वरदान देने के लिए प्रार्थना करें निश्चय ही संतान की प्राप्ति होगी.
9. पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में आम की जड़ को लाकर उसे दूध में घिसकर स्त्री को पिलाएं यह सिद्ध एंवम परीक्षित प्रयोग है.
10. उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में नीम की जड़ लाकर सदैव अपने पास रखने से निसंतान दम्पति को संतान सुख अवश्य प्राप्त होता है.
11. नींबू की जड़ को दूध में पीसकर उसमे शुद्ध देशी घी मिला कर सेवन करने से पुत्र प्राप्ति की संभावना बड़ जाती है.
12. यदि विवाह के दस या बारह वर्ष बाद भी संतान न हो, तो मदार की जड़ को शुक्रवार को उखाड़ लें. उसे कमर में बांधने से स्त्री अवश्य ही गर्भवती हो जाएगी.
13. यदि बार-बार गर्भपात होता है, तो शुक्रवार के दिन एक गोमती चक्र लाल वस्त्र में सिलकर गर्भवती महिला के कमर पर बांध दें. गर्भपात नहीं होगा.
14. जिन स्त्रियों के सिर्फ कन्या ही होती है, उन्हें शुक्र मुक्ता पहना दी जाये, तो एक वर्ष के अंदर ही पुत्र-रत्न की प्राप्ति होगी.
15. यदि बच्चे न होते हों या होते ही मर जाते हों, तो मंगलवार के दिन मिट्टी की हांडी में शहद भरकर श्मशान में दबायें.

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