Mesh Rashi Santan Prapti K Upay

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मेष राशि संतान प्राप्ति योग, Aries Putra Prapti Yog
हर इंसान की ख्वाहिश होती है कि उनके घर के आंगन में बच्चे की किलकारी गूंजे. हर मां चाहती है उसे भी संतान प्राप्ति हों लेकिन कभी-कभी यह सिर्फ ख्वाब बनकर रह जाता है. क्योंकि कुंडली में मौजूद ग्रह दोष से संतान प्राप्ति नहीं होती है. संतान सुख की लालसा रखने वाला हर दंपति कभी न कभी कोई न कोई पूजा पाठ या अनुष्ठान अवश्य ही करता है. कुछ ऐसे होते हैं जो सामान्य पूजा-पाठ के माध्यम से ही अपने अभीष्ट को प्राप्त कर लेते हैं किंतु कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जो कठिन से कठिन अनुष्ठान करने के बाद भी मनोनुकूल सिद्धि को प्राप्त नहीं कर पाते. कारण यह है कि व्यक्ति सलाहनुसार देवी -देवता की पूजा करने लगता है किंतु उन्हें अपने उद्देश्य की प्राप्ति नहीं होती. हताश व्यक्ति पूजा-पाठ अनुष्ठान आदि को ही ढकोसला बताने लगता है जबकि ऐसा कतई नहीं है. ज्योतिष के अनुसार अपनी राशि के अनुसार ही देवी-देवताओं की पूजा करने से वांछित फल की प्राप्ति हो सकती है. इसलिए संतान सुख की प्राप्ति के लिए जरूरी है कि आप अपने राशि में आए दोष का निवारण करने के लिए अपने राशि के इष्ट देवता की पूजा करें व अपने राशि के दोष को दूर करें. इस खबर में हम आगे जानेंगे कि मेष राशि के जातकों को संतान सुख की प्राप्ति के लिए किस देवता की पूजा करनी है व कौन से उपाय करने हैं. तो अगर आपकी राशि मेष है और अगर आप भी अब तक संतान सुख से वंचित हैं तो यहां दिए जा रहे उपाय करके आप संतान सुख को प्राप्त कर सकते हैं-

मेष राशि को संतान प्राप्ति न होने के कारण, संतान सुख में बाधक कारक
1. मंगल खराब होने या मांगलिक दोष से भी संतान सुख में बाधा आ सकती है.
2. मेष राशि में राहु- केतु की स्थिति भी है संतान सुख में बाधक
3. दंपति की कुण्डली में नाड़ी दोष होने पर संतान नहीं होती यदि होती भी है तो उनमें शारीरिक विकार होता है. उसके लिए विवाह करने से पहले ही ज्योतिष के उपाय करें.
4. परिवार में पितृ दोष लगने के कारण संतान प्राप्ति में विघ्न उत्पन्न होते है.
5. पूर्व जन्म में हुए सर्पशाप, पितृश्राप, माताश्राप, भ्राताश्राप, प्रेतश्राप या कुलदेवता श्राप आदि के चलते संतान विलंब से होती है या नहीं भी होती है.
6. पिछले जन्म में अगर आपने पेड़-पौधे भी कटवाये हैं, तो यह स्थिति उत्पन्न हो जाती है. इसलिए कुंडली की विधिवत विवेचना कर इसका उपाय अपेक्षित है.

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मेष राशि के जातक संतान सुख की प्रप्ति के लिए नीचे दिए जा रहे उपाय कर, मनोवांक्षित फल पा सकते हैं-
A . मेष राशि के लोग संतान प्राप्ति के लिए करें इष्ट देव की पूजा
अपनी राशि के अनुसार इष्ट देव (Isht Dev) की पूजा करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है. इसका कारण ये है कि इष्ट देव का संबंध हमारे कर्मों और हमारे जीवन से होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इष्ट देव की पूजा करने से व्यक्ति को अच्छे और शुभ फल की प्राप्ति होती है. साथ ही जिन्हें संतान नहीं हो रही है उन राशियों के जातक को संतान सुख की प्राप्ति होती है. इष्ट देव की पूजा करने से ये फायदा होता कि कुंडली में चाहे कितने भी ग्रह दोष क्यों न हों, अगर इष्ट देव प्रसन्न हैं तो यह सभी दोष व्यक्ति को अधिक परेशान नहीं करते. इसलिए अगर कोई दंपति संतान सुख से वंचित है तो वह अपने राशि के अनुसार ईष्ट देव की पूजा कर संतान सुख पा सकता है. आज हम बात कर रहे है मेष राशि की, तो मेष राशि का स्‍वामी ग्रह मंगल है. इसलिए मेष राशिवालों के इष्टदेव हनुमानजी और राम जी हैं. ऐसे में इस राशि के जातक हनुमानजी व राम जी की पूजा अर्चना कर संतानसुख प्राप्त कर सकते हैं. जानकारी हो कि मेष लग्न की बाधक राशि कुंभ तथा बाधक ग्रह शनि है. मंगल नेक और बद (खराब या अशुभ) होता है. मांस खाने, भाइयों से झगड़ने और क्रोध करने से मंगल अशुभ होता है. इसके अलावा यदि कुंडली के प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में मंगल होता है तब इसे मंगलिक दोष माना जाता है.

1. हनुमान जी की पूजा विधि – हनुमान जी की पूजा मंगलवार के दिन करें. सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत होकर लाल स्वच्छ वस्त्र धारण करें. कोशिश करें की आपने जो वस्त्र पहना है वह सिला हुआ ना हो. घर के ईशान कोण को साफ कर वहां चौकी स्थापित करें. चौकी के उपर लाल वस्त्र बिछाकर उसपर हनुमान जी की मूर्ती या तस्वीर स्थापित करें. हनुमान जी की मूर्ती के साथ भगवान श्री राम और माता सीता की भी प्रतिमा अवश्य रखें. इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाएं. सुंदर कांड का पाठ करें और हनुमान जी के मंत्र श्री हनुमंते नम: का जाप करें. फिर लाल फूल, लाल सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं. व्रत और पूजा के दौरान महिलाएं इस बात का ध्यान रखें कि वह हनुमान जी को लाल वस्त्र या सिंदूर ना चढ़ाएं क्योंकि हनुमान जी ब्रम्हचारी थे. साथ ही वे अपने शुद्ध दिनों में ही हनुमान जी की पूजा करें. अब हनुमान चालीसा का पाठ कर हनुमान जी की आरती करें और भगवान को गुड़, केले और लड्डू का भोग लगाएं. तथा परिवार के सदस्यों को प्रसाद वितरित करें. वहीं यदि आपने मंगलावर का व्रत रखा है तो ध्यान रहे कि आपको इस दिन सिर्फ एक बार शाम के समय भोजन करना है. इस दौरान आप अपने भोजन में केवल मीठा भोजन सम्मिलित करें. दिन में आप दूध, केले और मीठे फलहार को शामिल करें.

2. राम जी की पूजा विधि- सूर्योदय से पहले उठ जाएं. फिर सभी नित्यकर्मों से निवृत्त हो स्नानादि कर लें और स्वच्छ वस्त्र पहन लें. इसके बाद श्री राम के समक्ष दीप जलाएं. इसके बाद श्री राम का ध्यान लगाएं और अपनी मनोकामनाएं मांगे. फिर श्री राम को मिष्ठान, फल, फूल आदि अर्पित करें. भगवान श्रीराम की पूजा में तुलसी का पत्ता होना अनिवार्य है क्योंकि श्रीराम विष्णु जी के अवतार हैं और भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय है. इसके बाद राम जी के मंत्र ॐ नमो भगवते रामचंद्राय: का जाप करें. अगर संभव हो तो घर में हवन कराएं. अंत में श्री राम की आरती करें. पूजा के बाद रामचरितमानस, रामायण और रामरक्षास्तोत्र का पाठ जरूर करें. इसे पढ़ना बहुत शुभ माना जाता है.

B . मंगल दोष निवारण से होगी संतान सुख की प्राप्ति
1.मेहमानों को मिठाई जरूर खिलाएं.
2. किसी से कोई वस्‍तु आप मुफ्त में न लें. इसके साथ ही हाथी के दांत से बनी किसी वस्‍तु का प्रयोग न करें.
3. विधवाओं की नि:स्वार्थ मदद करें.
4. हमेशा अपनों से बड़ों का सम्मान करें और उनसे आशीर्वाद लेते रहें
5. कभी-कभी गुलाबी या लाल चादर पर सोएं.
6. पीला वस्त्र लाभदाय है. चादर भी पीले रंग की ही रखें.
7. काले और नीले रंग से दूर रहें. आसमानी रंग का उपयोग कर सकते हैं.
8. आंत और दांत हमेशा साफ रखने का सुनिश्‍चित करें.
9. प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ें.
10. मसूर की दाल बहते जल में प्रवाहित करें या मंदिर में दान करें.
11. सफेद रंग का सुरमा आंखों में लगाएं.
12. घर से जब भी बाहर निकलें, जेब में लाल रंग का रूमाल रखकर ही निकलें. दिन ढलने के बाद राशि स्‍वामी मंगल ग्रह की कृपा पाने के लिए बच्‍चों में गुड़ बांटें.
13. ग्रहों को शांति रखने के लिए आपको बांए हाथ में चांदी का छल्‍ला धारण करना चाहिए. इसके साथ ही साधु, संतों , मां और गुरुओं की सेवा करें.
14. आपकी राशि के लोगों को मीठी वस्‍तुओं का व्‍यापार नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही आंगन में नीम का पेड़ लगाएं.
15. मेष राशि वालों का राशि स्‍वामी मंगल को माना जाता है जो कि स्‍वभाव से काफी उग्र होते हैं. इस वजह से मेष वालों को क्रोध काफी आता है. बेहतर होगा कि आप हर बात में धैर्य से काम लें.
16. राशि की उग्रता को कम करने के लिए मेष के जातकों को रात में सोते वक्‍त सिरहाने एक गिलास पानी रखकर सोना चाहिए. सुबह उस जल को किसी गमले में डाल दें.
17. संतान सुख पाने के लिए आपको कमल के गट्टे की माला लाल वस्त्र में बांधकर अपने गले में धारण करना चाहिए अथवा इसे मंदिर में रखना रखना चाहिए.
18. रोज सुबह 108 बार ‘ ऊं आदित्याय नम:’ मंत्र का जाप करें.

C . संतान सुख के लिए मंगलवार को करें ये उपाय
1. संतान सुख के लिए मंगलवार को हनुमान जी का व्रत रखें. यदि व्रत रखना संभव न हो सके तो हनुमान जी की पूजा अवश्य करें. इस दौरान हनुमान चालीसा या बजरंग बाण का पाठ अवश्य करें. ऐसा करने से अवश्य ही आपकी मनोकामना पूर्ण होगी.
2. संतान सुख प्राप्त करने के लिए मेष राशि के जातक कोई भी महत्वपूर्ण कार्य मंगलवार को करें तो श्रेष्ठ फल प्राप्त होगा.
3. प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर बूंदी का प्रसाद चढ़ाकर बांटना शुभ रहेगा. इससे जीवन में आने वाली अकस्मात परेशानियां दूर हो जाएंगी और संतान सुख की प्राप्ति होगी.
4. मेष राशि वालों के लिए बेहतर होगा कि बहन, बुआ और बेटियों को अक्‍सर उपहार देते रहें. हर मंगलवार को मीठी रोटी गाय को खिलाएं, इससे अवश्य ही संतान सुख की प्राप्ति होगी.
5. यदि बच्चे न होते हों या होते ही मर जाते हों, तो मंगलवार के दिन मिट्टी की हांडी में शहद भरकर श्मशान में दबायें.
6. हनुमान जी को चोला चढ़ाये और चने का भोग लगाएं.
7. मंगलवार के दिन गरीबो को गुड़ बांटे, तथा हनुमान जी को गुलाब की माला अर्पित करें.
मंगल खराब है तो ये सावधानी बरते मेष राशि के जातक
1. किसी से मुफ्त में कुछ लेंगे तो बरकत जाती रहेगी.
2. भाई और पिता से झगड़ा न करें. क्रोध से बचें.
3. घमंड, अहंकार, बदजुबानी और अपराधिक प्रवृत्ति से दूर रहें.
4. दक्षिण और शेरमुखी मकान में न रहें.
5. जहां रोज भट्टी जलती हो वहां भी न रहें.
6. मांस, मटन, चिकन, अंडा और मछली खाने से बचें.

D. मेष राशि में राहु- केतु की सही स्थिति देगी संतान सुख
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मेष राशि को राशि चक्र की प्रथम राशि का दर्जा प्राप्त है. मेष राशि के जातक हमेशा अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहते हैं. लेकिन यदि मेष राशि में राहु- केतु की स्थिति शुभ न हो तो ये दोनों ग्रह व्यक्ति की जीवन में परेशानियों का अंबार लगा देते हैं. एक परेशानी समाप्त होती है तो दूसरी आरंभ हो जाती है. राहु-केतु के द्वारा निर्मिक कालसर्प दोष या फिर पितृ दोष जन्म कुंडली में मौजूद हो तो जीवन में और भी अधिक परेशानियां देखने को मिलती है. व्यक्ति जीवन भर भटकता रहता है. हर कार्य में असफलता प्राप्त होती है. करियर में बाधा आती है. इसके अलावा आपकी कुंडली में मौजूद ग्रहों की और नक्षत्रों की स्थिति भी संतान प्राप्त की राह में बाधा बन सकती है. कुंडली में राहु और केतु का स्थान यह निश्चित करता है कि आपको संतान प्राप्ति होगी या नहीं होगी अथवा संतान की प्राप्ति कब होगी? राहु और केतु आपकी कुंडली में नकारात्मक दोष उत्पन्न करते हैं जिसकी वजह से संतान प्राप्ति की राह और भी मुश्किल हो जाती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु और केतु को पाप ग्रह की श्रेणी में रखा गया है. ये सदैव अशुभ फल देते हैं ऐसा नहीं है. शुभ स्थान होने पर ये दोनों ग्रह बहुत अच्छे परिणाम भी देते हैं. इसलिए जरूरी है कि मेष राशि के जातक राहु- केतु दोष निवारण उपाय करें ताकि वे संतान सुख पाने के साथ ही जीवन की अन्य परेशानियों से छुटकारा पा सके. अगर संतान सुख की लालसा है और कोई सरल उपाय अभी तक नजर नहीं आया है तो एक बार इस उपाय को अपनाएं और राहू केतु की आराधना से समस्त क्लेशों को दूर करते हुए संतति प्राप्ति की बाधाओं को निष्क्रिय करें, क्योंकि इनको खुश करने से ही घर में किलकारियां गूंज सकती हैं.
राहु- केतु का उपाय
राहु और केतु को शांत रखने के लिए बुधवार को भगवान गणेश जी की पूजा करें. इस दिन गणेश जी को दुर्वा घास चढ़ाएं. मां दुर्गा के नवार्ण मंत्र का पाठ करने से भी इन ग्रहों को शांत रखने में मदद मिलती है. ये मंत्र इस प्रकार है- ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
राहु और केतु को खुश करने के लिए मंत्र
1. अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्यविमर्दनम्. सिंहिंकागर्भशंभूतम् तं राहुं प्रणमाम्यहम्..
2. ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नमः.
3. पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रहमस्तकम्. रौद्रं रौद्रात्मकम् घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्.

E. नाड़ी दोष का उपाय कर पाएं संतान सुख
विवाह के समय कुंडली मिलान में बनने वाले दोषों में से एक है नाड़ी दोष. इस दोष के होने पर वैवाहिक स्थिति कभी ठीक नहीं रहती, दंपत्ति संतान सुख से वंचित रह सकते हैं साथ ही वर-वधू के जीवन पर मृत्यु का संकट मंडराया रहता है. नाड़ी दोष निवारण के लिए भगवान शिव की पूजा की जाती है. पूरे विधि-विधान से महामृत्युंजय मंत्र का जप करते हुए शिव को प्रसन्न किया जाता है. शिवजी की कृपा से ही नाड़ी दोष शांत होता है.
1. वर और कन्या दोनों की नाड़ी मध्य में हो तो पुरुष को प्राण का भय रहता है. इस स्थिति में पुरुष को महामृत्युंजय जाप कराना अति आवश्यक होता है. अगर वर और कन्या दोनों की नाड़ी आदि हो तो स्त्री को प्राण का भय रहता है. इस स्थिति में कन्या महामृत्युजंय जाप कराना अति आवश्यक होता है.
2. पूजा के पहले दिन 5 से 7 ब्राह्मण, पूजा करानेवाले लोग पूजा घर या मंदिर में साथ बैठकर भगवान शिव की आराधना करते हैं. शिव परिवार की पूजा करने के बाद मुख्य पंडितजी अपने सहायकों सहित कन्या और वर की कुंडली में स्थित नाड़ी दोष के निवारण के लिए सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र के जप का संकल्प लेते हैं.
3. नाड़ी दोष का प्रभाव कम करने के लिए किसी ब्राह्मण को गोदान या स्वर्णदान करना चाहिए. इसके अलावा सालगिराह पर अपने वजन के बराबर अन्न दान करना चाहिए. साथ ही ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्र दान करने से नाड़ी दोष शान्त हो जाता है.
4.  पीयूष धारा के अनुसार स्वर्ण दान, गऊ दान, वस्त्र दान, अन्नादान, स्वर्ण की सर्पाकृति बनाकर प्राण-प्रतिष्ठा तथा महामृत्युञ्जय जप करवाने से नाड़ी दोष शान्त हो जाता है.

F . विभिन्न श्राप दोषों से मुक्ति पाने के लिए करें उपाय
अथर्ववेद में वर्णित संतान प्रकरण को पढ़ें, दुर्गासप्तशती के संतान मंत्रों के सम्पुट से सतचंडी अनुष्ठान कराएं. नागपाश यंत्र एवं मंगलयंत्र पूजा कक्ष में रखें. यदि कुंडली में कालसर्प दोष हो, तो इसकी शांति कराएं. यदि पितृदोष हो, तो इसकी भी शांति कराएं.
G . पितृदोष दूर करने के उपाय
मानव जीवन में कई तरह के दोष होते हैं जिनमें से एक है पितृदोष, अपने पूर्वजों के अंतिम संस्कार किसी भी प्रकार की भूल हो जाने के कारण लोगों में पितृदोष चढ़ जाता है. पितरों को तारने के लिए उनका श्राद्ध किया जाता है उनकी मुक्ति के लिए प्रार्थना की जाती है जिससे पितृदोष दूर होता है और भविष्य में होने वाली संतान प्राप्ति की बाधा भी दूर होती है.

H. वास्तु दोषो को दूर करें
कहते हैं घर में कभी-कभी नकारात्मक उर्जा कभी संचार होने लगता है, जिसकी वजह से कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होती है जिनमें से एक समस्या संतान सुख ना मिलने की भी होती है. अपने घर में समस्त वास्तु दोषों को दूर करने का उपाय करें. ऐसे दंपत्ति जो संतान सुख चाहते हैं वह निश्चय करें कि घर में किसी भी तरह का वास्तु दोष ना पनपे.
I . नव ग्रहों की शांति की पूजा करें
संतान प्राप्ति के लिए नवग्रह पूजा कर सकते हैं. इसके लिए आप किसी ज्योतिष विशेषज्ञ से घर या मंदिर में हवन व अभिषेक कराकर नव ग्रहों की शांति की पूजा करवा सकते हैं. कहा जाता है कि ऐसा करने से सभी कमजोर ग्रह मजबूत होकर अपना शुभ प्रभाव देने लगते हैं.

J. ज्योर्तिलिंग पर पूजा करने से होगी संतान सुख की प्राप्ति
भगवान शंकर के पृथ्वी पर 12 ज्योर्तिलिंग हैं. भगवान शिव के सभी ज्योतिर्लिंगों को अपना अलग महत्व है| शास्त्रों के अनुसार भगवान शंकर के ये सभी ज्योजिर्लिंग प्राणियों को दु:खों से मुक्ति दिलाने में मददगार है| इन सभी ज्योर्तिलिंगों को 12 राशियों से भी जोड़कर देखा जाता है. आइये जानें कि मेष राशि के व्यक्ति को किस ज्योर्तिलिंग पर पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होगी-
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग – मेष राशि वालों को सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के सोमनाथ देव की पूजा पंचामृत से करनी चाहिए. गंगाजल, दूध, दही, शहद व घी को मिलाकर पंचामृत का निर्माण किया जाता है. शिव परिवार को पंचामृत अर्पण करने का भी विशेष महत्व है. सोमवार के दिन शिव की पंचामृत पूजा हर मनौती को पूरा करने वाली मानी गई है. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र (काठियावाड़) के वेरावल बंदरगाह में स्थित है जिसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था. इस मंदिर में सोमनाथ देव की पूजा पंचामृत से की जाती है. कहा जाता है कि जब चंद्रमा को शिव ने शाप मुक्त किया तो उन्होंने जिस विधि से साकार शिव की पूजा की थी उसी विधि से आज भी सोमनाथ की पूजा होती है. सोमनाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक व पर्यटन स्थलों में एक है. लोककथाओं के अनुसार यहीं श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था.

K. संतान सुख की प्राप्ति के लिए करें लाल किताब के ये उपाय
1. उपाय तो मंत्र-तंत्र-यंत्र एवं ज्योतिष में बहुत है पर आवश्यकता है तो मात्र श्रद्धा व पूर्ण विश्वास की. यदि ईश्वर पर पूर्ण विश्वास एवं श्रद्धा है तो ‘संतान गोपाल साधना’ करें, निश्चित रूप से मनोकामना पूर्ण होगी और अवश्य होगी. लाल किताब के अनुसार नि:संतान दंपत्ति को संतान गोपाल साधना करने की सलाह दी जाती है. यह प्रयोग हजारों बार सफल होते देखा गया है, जो नि:संतान हैं, उनके लिए इससे बढ़ कर कोई उपाय है ही नहीं.
2. धन्योऽपि गृहस्थ आश्रम : चार आश्रम, ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ व संन्यास आश्रम में से गृहस्थ आश्रम की महिमा ऋषि-महर्षियों ने भी प्रतिपादित की है. देव भी गृहस्थाश्रम सुख भोगने के लिए पृथ्वी लोक पर बार-बार जन्म लेते हैं.
3. यदि बच्चे जन्म लेते ही मृत्यु को प्राप्त हो जाते हों तो ऐसी स्थिति में कुछ उपाय कर निदान किया जा सकता है. जैसे गर्भधारण करते ही गर्भवती स्त्री की कलाई पर लाल रंग का धागा बांधना चाहिए. संतान होने पर वह धागा मां की कलाई से खोलकर बच्चे की कलाई पर बांध दें एवं मां की कलाई पर दूसरा धागा बांध दें. यह धागा 18 माह तक बंधा रहे, इस बात का विशेष ध्यान रखें.

L . अन्य उपाय-  ग्रहों के कारण संतान सुख में बाधा आ रही हो, तो सूर्य के लिए हरिवंश पुराण का पाठ करें. चंद्रमा के लिए सोमवार का व्रत रख कर शिव की उपासना करनी चाहिए. मंगल के लिए महारुद्र या अतिरुद्र यज्ञ कराएं. बुध के लिए महाविष्णु की उपासना करें. गुरु के लिए पितरों का श्राद्ध करें. शुक्र के लिए गौपालन एवं उसकी सेवा करें. शनि के लिए महामृत्युंजय का जप एवं हवन करें. संतान की इच्छा रखने वाली स्त्रियों को “सर्प-पूजन” करना चाहिए, इससे संतान दोष दूर हो जाता है. ऐसा माना जाता है कि जिन स्त्रियों को संतान की चाह होती है उन्हें रामेश्वरम (जिसे पूरी के नाम से भी जाना जाता है) उसकी यात्रा करनी चाहिए.

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