Dhanu Rashi Santan Prapti K Upay

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धनु राशि में संतान योग, Dhanu Rashi Santan Yog
यदि धनु राशि के किसी जातक को विवाह के कई साल बाद भी संतान प्राप्ति में समस्या आ रही है और वे तरह तरह के उपाय कर थक चुके हैं, तो वे शास्त्रों में बताएं गए कुछ उपाय व पूजा पाठ करके मनचाही श्रेष्ठ व संस्कारित संतान का सुख प्राप्त कर सकते है. बस हर राशि के जातक ये ध्यान रखें कि वे अपने राशि के अनुसार ही पूजा पाठ करके मनचाहे फल को प्राप्त कर सकते हैं. आज हम इस खबर में धनु राशि के जातक के लिए कुछ उपाय लेकर आए हैं. इस उपाय को कर आप निश्चित रूप से संतान प्राप्ति का सुख उठा पाएंगे. यहां जानिए संतान प्राप्ति न होने के ज्योतिषीय कारण व उपाय-

धनु राशि के लोगों को संतान प्राप्ति न होने के ज्योतिषीय कारण
1. दंपति की कुण्डली में नाड़ी दोष होने पर संतान नहीं होती यदि होती भी है तो उनमें शारीरिक विकार होता है. उसके लिए विवाह करने से पहले ही ज्योतिष के उपाय करें.
2. परिवार में पितृ दोष लगने के कारण संतान प्राप्ति में विघ्न उत्पन्न होते है.
3. पत्नी का बृहस्पत ग्रह नीच का होने पर ऐसी स्थिति बनती है.
4. पूर्व जन्म में हुए सर्पशाप, पितृश्राप, माताश्राप, भ्राताश्राप, प्रेतश्राप या कुलदेवता श्राप आदि के चलते संतान विलंब से होती है या नहीं भी होती है.
5. पिछले जन्म में अगर आपने पेड़-पौधे भी कटवाये हैं, तो यह स्थिति उत्पन्न हो जाती है. इसलिए कुंडली की विधिवत विवेचना कर इसका उपाय अपेक्षित है.

धनु राशि के लिए संतान प्राप्ति के उपाय, Dhanu Rashi Santan Prapti Ke Upay
A. संतान प्राप्ति के लिए अपने इष्ट देव की करें पूजा
इष्ट देव का अर्थ है अपनी राशि के पसंद के देवता. इष्ट देव की पूजा करने से ये फायदा होता कि कुंडली में चाहे कितने भी ग्रह दोष क्यों न हों, अगर इष्ट देव प्रसन्न हैं तो यह सभी दोष व्यक्ति को अधिक परेशान नहीं करते. इसलिए अगर कोई दंपति संतान सुख से वंचित है तो वह अपने राशि के अनुसार ईष्ट देव की पूजा कर संतान सुख पा सकता है. अरुण संहिता जिसे लाल किताब के नाम से भी जाना जाता है, के अनुसार व्यक्ति के पूर्व जन्म में किए गए कर्म के आधार पर इष्ट देवता का निर्धारण होता है और इसके लिए जन्म कुंडली देखी जाती है. कुंडली का पंचम भाव इष्ट का भाव माना जाता है. इस भाव में जो राशि होती है उसके ग्रह के देवता ही हमारे इष्ट देव कहलाते हैं. धनु राशि का स्वामी ग्रह गुरु है और इष्टदेव विष्णु जी और लक्ष्मी जी है. इसलिए धनु राशि के जातक संतान प्राप्ति के लिए विष्णु जी और लक्ष्मी जी की विधिवत् पूजा पाठ कर संतान प्राप्ति का वरदान पा सकते हैं.
धनु राशि स्वामी ग्रह – गुरु
धनु राशि इष्ट देव – विष्णु जी और लक्ष्मी जी
यहां जानिए संतान प्राप्ति के लिए किस तरह से करें विष्णु जी और लक्ष्मी जी की पूजा-

1. भगवान विष्णु जी की पूजा विधि (Vishnu Puja Vidhi)
धनु राशि के लोग गुरुवार के दिन सुर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहन लें. इसके बाद एक चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा रखें. विष्णु पूजन से पहले प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा आवश्य करें. इसके लिए पहले गणेश जी को स्नान कराएं, वस्त्र अर्पित करें, तत्पश्चात पुष्प, अक्षत अर्पित करें, फिर उसके बाद ही भगवान विष्णु का पूजन शुरू करें. अब विष्णु भगवान के पूजन के लिए सबसे पहले भगवान विष्णु का आवाहन करें, उन्हें स्नान कराएं, पंचामृत एवं जल से उन को शुद्ध करें. तत्पश्चात आप विष्णु जी को वस्त्र पहनाएं, फिर आभूषण व यज्ञोपवीत के साथ साथ पीले फूलों की माला भी पहना सकते हैं. बता दें कि विष्णु जी को पीला रंग अधिक प्रिय है. इसलिए उनके आगे पीले फूल और पीले रंग के फलों का भोग लगाएं. तुलसीदल भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है, इसलिए इसका प्रयोग अवश्य करें, और ध्यान रखें भगवान विष्णु के पूजन में चावलों का प्रयोग सामान्यतः नहीं किया जाता है, तो इसकी जगह पर आप तिल का प्रयोग कर सकते हैं. अब सुगंधित इत्र के साथ माथे पर तिलक अर्पित करें. ध्यान रखें कि तिलक में अष्टगंध का प्रयोग किया जाता है. तत्पश्चात धूप, दीप अर्पित करें. इसके बाद विष्णु जी की आरती जरूर करें. आरती के बाद नैवेद्य अर्पित करें और मंत्र का जाप करें – ॐ नमः नारायणाय…गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है, इसलिए केले के पेड़ की पूजा जरूर करें. इस विधि से पूजा करने से धनु राशि के लोगों को भगवान विष्णु से अवश्य ही संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होगा.

2. लक्ष्मी जी की पूजा विधि (Laxmi Ji Ki Puja Vidhi)
लक्ष्मी जी की पूजा शुरू करने से पहले धनु राशि के लोग घर की अच्छी तरह से सफाई करें और सजाएं. पूजा की प्रक्रिया शुरू करने से पहले शुद्धिकरण अनुष्ठान के लिए पूरे घर में और परिवार के सभी सदस्यों पर गंगा जल छिड़कें. एक चौकी स्थापित करें जहां पूजा की जानी है. फिर चौकी पर एक लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर अनाज के दाने फैलाएं. हल्दी पाउडर से एक कमल बनाएं और उस पर देवी लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति रखें. तांबे के बर्तन में तीन चौथाई पानी भरकर इसमें सिक्के, सुपारी, किशमिश, लौंग, सूखे मेवे और इलायची डाल दें. बर्तन के ऊपर आम के पत्ते गोलाकार में रखें और इसके बीच में एक नारियल रखें. कलश को सिंदूर और फूलों से सजाएं.
मूर्तियों को शुद्ध जल, पंचामृत, चंदन और गुलाब जल से स्नान कराना चाहिए. फिर इन्हें हल्दी पाउडर, चंदन का लेप और सिंदूर से सजाएं. इसके बाद मूर्तियों के चारों ओर माला और फूल चढ़ाए जाते हैं.
लक्ष्मी पूजा से पहले गणेश जी की पूजा करें और फिर लक्ष्मी जी की पूजा होती है. प्रसाद में आमतौर पर बादशा, लड्डू, सुपारी और मेवा, सूखे मेवे, नारियल, मिठाई, घर की रसोई में बने व्यंजन होते हैं. इसके अलावा कुछ सिक्के भी पूजा में रखें. मंत्र जाप के दौरान दीपक और अगरबत्ती जलाई जाती है और फूल चढ़ाए जाते हैं. देवी लक्ष्मी की कहानी पढ़ें. कहानी के अंत में देवी की मूर्ति पर फूल चढ़ाए जाते हैं और मिठाई का भोग लगाया जाता है. आखिर में आरती गाकर पूजा का समापन किया जाता है. फिर देवी से समृद्धि और धन की प्रार्थना की जाती है और प्रसाद के रूप में मिठाई का सेवन किया जाता है. पूजा में स्थापित किये कलश के जल से सिक्का निकाल कर बाकि का जल किसी पेड़ में डाल दें और नारियल व सिक्के को किसी गणेश जी के मंदिर में दान कर दें. इस विधि से लक्ष्मी जी की पूजा करने से धनु राशि के लोगों को अवश्य ही माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से संतान प्राप्त होगी.

B.  संतान प्राप्ति के लिए करें बृहस्पतिवार (गुरुवार) का व्रत
ज्योतिष के अनुसार बृहस्पतिवार (गुरुवार) को बृहस्पतिग्रह और भगवान विष्णु का दिन माना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. भगवान विष्णु को ही बृहस्पति भगवान भी कहते हैं. भगवान बृहस्पति की पूजा करने से ज्ञान, धर्म, संतान, विवाह और भाग्य बनते हैं. इसलिए बृहस्पति देव के हानिकारक प्रभावों से बचने के लिए धनु राशि के लोग गुरुवार का व्रत करें. कहा जाता है कि अगर किसी लड़की की शादी नहीं हो रही है या संतान प्राप्ति मे बाधा आ रही है तो उसे गुरुवार का व्रत करना चाहिए. वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति को गुरु का दर्जा दिया गया है. ऐसे में गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा करके व व्रत करके गुरु ग्रह की कृपा पाई जा सकती है. गुरु को प्रसन्न रखकर भगवान और ग्रह दोनों को प्रसन्न किया जा सकता है. यहां जानिए कि किस तरह से बृहस्पतिवार का व्रत कर धनु राशि के लोग संतान प्राप्ति के आशीर्वाद पा सकते हैं.
कैसे करें बृहस्पतिवार व्रत की शुरुआत – पौष माह को छोड़ कर किसी भी हिंदी महीने से बृहस्पतिवार के व्रत की शुरूआत कर सकते हैं. व्रत की शुरुआत शुक्ल पक्ष से करना शुभ माना जाता है. हर व्रत की तरह गुरुवार व्रत का भी अलग विधान होता है. नियम के अनुसार, यह व्रत 16 गुरुवार तक लगातार रखा जाता है और 17 वें गुरुवार को व्रत का उद्यापन किया जाता है. लेकिन यदि महिलाओं को इस बीच मासिक धर्म होता है तो उस गुरुवार को छोड़ कर अगले से व्रत करना चाहिए.
बृहस्पतिवार व्रत की विधि – बृहस्पतिवार के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र की स्थापना करनी चाहिए. भगवान विष्णु को पीला वस्त्र अर्पित कर, उन्हें पीले फूल, हल्दी तथा गुड़ और चना का भोग लगाया जाता है. हल्दी मिले जल से भगवान का अभिषेक किया जाता है. इसके बाद हाथ में गुड़ और चना लेकर बृहस्पति देव की कथा का पाठ करना चाहिए. बृहस्पतिवार की आरती की जाता है तथा दिन भर फलाहार व्रत रखना चाहिए. व्रत का पारण अगले दिन स्नान और दान के साथ करना चाहिए. बृहस्पतिवार के दिन केला और पीली वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है. इस विधि से व्रत व पूजा कर धनु राशि के लोग अवश्य ही संतान सुख को प्राप्त कर सकते हैं.

C. गुरुवार के दिन ये उपाय कर पाएं संतान सुख
यदि धनु राशि के जातक की कुंडली में बृहस्पति की स्थिति कमजोर हो तो इससे व्यक्ति के विवाह में देरी, संतान प्राप्ति में कठिनाई और जीवन के अन्य क्षेत्रों में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. बृहस्पति देव के हानिकारक प्रभावों से बचने के लिए धनु राशि के लोग गुरुवार के दिन ये उपाय कर सकते हैं.
1. गुरु दोष को दूर करने के लिए धनु राशि के लोग गुरुवार के दिन अपने नहाने के पानी में चुटकी भर हल्दी डालकर स्नान करें व नहाते वक्त ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें. मस्तक पर केसर का तिलक लगाएं. इससे कुंडली में गुरु ग्रह के दोष दूर होते हैं.
2. धनु राशि के लोग सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करने के बाद भगवान् विष्णु की पूजा अर्चना करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें. गुरुवार का व्रत रखें और यदि संभव हो तो केले के पौधे में जल में गुड़ और चने की दाल मिलाकर अर्पण करें. इसके साथ ही बृस्पतिदेव की कथा या सत्यनारायण भगवान की कथा सुने.
3. यदि धनु राशि के जातक के लग्न कुंडली में पंचमेश पीड़ित हैं तो उनकी आराधना करें. संतान सुख की प्राप्ति के लिए गुरु ग्रह की पूजा करें. गुरुवार के दिन गुड़ दान करें. गुरु ग्रह को मजबूत बनाने के लिए इन मंत्रों का जाप करें-
देवानां च ऋषिणां च गुरुं काञ्चनसन्निभम्. बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्..
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः. ह्रीं गुरवे नमः. बृं बृहस्पतये नमः.
4. दंपति गुरुवार का व्रत रखकर पीले वस्त्र धारण करें, पीली वस्तुओं का दान करें यथासंभव पीला भोजन ही करें.
5. गुरुवार के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने और उन्हें दान दक्षिणा देने से धनु राशि के लोगों को विशेष फल की प्राप्ति होती है.
6. गुरुवार के दिन स्त्रियों को पीले धागे में पिसी कौड़ी को कमर पर बांधने से प्रबल संतान के योग बनते है.
7. कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत बनाने के लिए बृहस्पतिवार के दिन किसी को उधार देते वक़्त ख़ास सावधानी बरतें. धन का लेन-देन करने से गुरु कमजोर होता है.
8. माता बनने की इच्छुक महिला को चाहिए गुरुवार के दिन गेंहू के आटे की 2 मोटी लोई बनाकर उसमें भीगी चने की दाल और थोड़ी सी हल्दी मिलाकर नियमपूर्वक गाय को खिलाएं

D. संतान प्राप्ति के लिए लाल किताब के उपाय
बृहस्पति को अन्य सभी ग्रहों का गुरु और ब्रह्मा जी का प्रतीक माना गया है. बृहस्पति की कृपा से जीवन में ज्ञान, धर्म, संतान और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, इसलिए कुंडली में बृहस्पति की स्थिति प्रबल होने बहुत आवश्यक है. जब जन्म कुंडली में बृहस्पति की स्थिति कमजोर हो तो, लाल किताब से संबंधित निम्न उपाय अवश्य करना चाहिए. इससे संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाएं दूर होगी.
1. हल्दी की गांठ पीले रंग के धागे में बांधकर दायीं भुजा पर बांधना चाहिए.
2. सोने की चेन और बृहस्पति यंत्र धारण करना चाहिए.
3. घर में पीले सूरजमुखी का पौधा लगाना चाहिए.
4. 27 गुरुवार तक केसर का तिलक लगाना और केसर की पुड़िया पीले रंग के कपड़े या कागज में अपने पास रखना चाहिए.
5. व्यक्ति को माता-पिता, गुरुजन और अन्य पूज्यनीय व्यक्तियों के प्रति आदर और सम्मान का भाव रखना चाहिए. गुरू, पुरोहित और शिक्षकों में बृहस्पति का निवास होता है अत: इनकी सेवा से भी बृहस्पति के दुष्प्रभाव में कमी आती है.
6. पीले रंग के वस्त्र पहनना और घर में पीले रंग के पर्दे लगाना शुभ होता है.
7. गुरुवार के दिन मंदिर में केले के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाना चाहिए.
8. गुरुवार के दिन ‘ॐ बृं बृहस्पतये नमः!’ मंत्र का जाप करें.
9. गुरुवार को बृहस्पति देव की पूजा में गंध, अक्षत, पीले फूल, पीले पकवान और पीले वस्त्र का दान करें.
10. पीपल के वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करना चाहिए.

E. संतान सुख के लिए बृहस्पतिवार को करें इन चीजों का दान
1. बृहस्पति ग्रह की शांति और उससे शुभ फल प्राप्त करने के लिए जिन वस्तुओं का दान करना चाहिए.
2. उनमें चीनी, केला, पीला कपड़ा, केसर, नमक, मिठाई, हल्दी, पीले फूल और पीला भोजन उत्तम माना गया है.
3. इस ग्रह की शांति के लिए बृहस्पति से संबंधित रत्न का दान करना भी श्रेष्ठ होता है. दान करते समय आपको ध्यान रहे कि दिन बृहस्पतिवार हो और सुबह का समय हो. किसी ब्राह्मण, गुरू अथवा पुरोहित को दान देना विशेष फलदायक होता है.
4. जिन लोगों का बृहस्पति कमजोर हो उन लोगों को केला और पीले रंग की मिठाईयां गरीबों, पक्षियों विशेषकर कौओं को देना चाहिए.
5. निर्धन और ब्राह्मणों को दही चावल खिलाना चाहिए.

F. ज्योर्तिलिंग पर पूजा करने से होगी संतान सुख की प्राप्ति
देवाधिदेव भगवान् महादेव सर्वशक्तिमान हैं. भगवान भोलेनाथ ऐसे देव हैं जो थोड़ी सी पूजा से भी प्रसन्न हो जाते हैं. संहारक के तौर पर पूज्य भगवान शंकर बड़े दयालु हैं. उनके अभिषेक से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसी प्रकार विभिन्न राशि के व्यक्तियों के लिए शास्त्र अलग-अलग ज्योर्तिलिंगों की पूजा का महत्व बताया गया है. भगवान शंकर के पृथ्वी पर 12 ज्योर्तिलिंग हैं. भगवान शिव के सभी ज्योतिर्लिंगों को अपना अलग महत्व है. शास्त्रों के अनुसार भगवान शंकर के ये सभी ज्योजिर्लिंग प्राणियों को दु:खों से मुक्ति दिलाने में मददगार है. इन सभी ज्योर्तिलिंगों को 12 राशियों से भी जोड़कर देखा जाता है.
इस आधार पर धनु राशि के व्यक्ति को संतान प्रप्ति के लिए वाराणसी स्थित काशी विश्‍वनाथ ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का संबंध धनु राशि से है. इस राशि वाले व्यक्ति को सावन के महीने तथा महाशिवरात्रि के दिन गंगाजल में केसर मिलाकर शिव को अर्पित करना चाहिए. विल्वपत्र एवं पीला अथवा लाल कनेर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए. धनु राशि के लिए शिव मंत्र -ओम तत्पुरूषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रूद्रः प्रचोदयात।।. इस मंत्र से शिव की पूजा करें. काशी विश्वनाथ मंदिर सबसे प्रसिद्ध भगवान शिव का मंदिर है. यह ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी के गंगा नदी के पश्चिमी तट पर अवस्थित है. दुनिया में यह सबसे पुराना जीवित शहर जो मंदिरों का शहर काशी कहा जाता है और इसलिए मंदिर लोकप्रिय काशी विश्वनाथ भी कहा जाता है. वाराणसी के पवित्र शहर में भीड़ गलियों के बीच स्थित है. मुक्ति पाने वाले यहां आते हैं तारक मंत्र लेकर प्रार्थना करते हैं भक्ति के साथ विश्वेश्वर पूजा जिससे सभी इच्छाओं और सभी सिद्धियां उपलब्ध होती है और अंत में मनुष्य मुक्त हो जाता है.

G. पितृ दोष के उपाय से धनु राशि को मिलेगा संतान सुख
ऐसा माना जाता है कि यदि व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है तो उस व्यक्ति को जीवन में संतान का सुख नहीं मिल पाता है. अगर मिलता भी है तो कई बार संतान विकलांग होती है, मंदबुद्धि होती है या फिर चरित्रहीन होती है या फिर कई बार बच्‍चे की पैदा होते ही मृत्‍यु हो जाती है. इसलिए संतान सुख की प्राप्ति के लिए जरूरी है कि धनु राशि के लोग अपनी कुंडली में मौजूद पितृ दोष को दूर करने का उपाय करें.
1. पूर्वजों के निधन की तिथि पर ब्राह्मणों को श्रृद्धापूर्वक भोजन करवाएं और यथाशक्ति दान भी करें.
2. कुंडली में पितृ दोष होने पर व्‍यक्ति को दक्षिण दिशा में पितरों की फोटो लगाकर उनको रोजाना माला चढ़ाकर उनका स्‍मरण करना चाहिए. ऐसा करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलने के साथ ही पितृदोष के प्रभाव समाप्‍त होता है.
3. कुंडली में पितृदोष दूर करने के लिए किसी गरीब कन्‍या का विवाह करने या फिर विवाह में मदद करने से भी आपको लाभ होता है.
4. शाम के वक्‍त रोजाना दक्षिण दिशा में एक दीपक जरूर जलाएं. रोजाना नहीं जला सकते हैं तो कम से कम पितर पक्ष में जरूर जलाएं.
5. घर के पास में लगे पीपल के पेड़ पर दोपहर में जल चढ़ाएं. पुष्‍प, अक्षत, दूध, गंगाजल और काले तिल भी चढ़ाएं. पितरजनों को याद करें. इससे पितृ दोष का प्रभाव कम होता है.

H. नाड़ी दोष का उपाय कर पाएं संतान सुख
विवाह के समय कुंडली मिलान में बनने वाले दोषों में से एक है नाड़ी दोष. इस दोष के होने पर वैवाहिक स्थिति कभी ठीक नहीं रहती, दंपत्ति संतान सुख से वंचित रह सकते हैं साथ ही वर-वधू के जीवन पर मृत्यु का संकट मंडराया रहता है. नाड़ी दोष निवारण के लिए भगवान शिव की पूजा की जाती है. पूरे विधि-विधान से महामृत्युंजय मंत्र का जप करते हुए शिव को प्रसन्न किया जाता है. शिवजी की कृपा से ही नाड़ी दोष शांत होता है.
1. नाड़ी दोष निवारण की पूजा वर और वधू दोनों को साथ बिठाकर की जाती है. इस पूजा में सवा लाख महामृत्युंजय मंत्रों का जप किया जाता है.
2. पूजा के पहले दिन 5 से 7 ब्राह्मण, पूजा करानेवाले लोग पूजा घर या मंदिर में साथ बैठकर भगवान शिव की आराधना करते हैं. शिव परिवार की पूजा करने के बाद मुख्य पंडितजी अपने सहायकों सहित कन्या और वर की कुंडली में स्थित नाड़ी दोष के निवारण के लिए सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र के जप का संकल्प लेते हैं. जप पूरा हो जाने के बाद विधि पूर्वक हवन कर ज्योतिषाचार्यों के परामर्श के अनुसार दान दिया जाता है.
3. आमतौर पर यदि वर और कन्या की कुंडली में नाड़ी दोष हो तो विवाह न करने की सलाह दी जाती है. लेकिन कुछ खास परिस्थितियों में जरूरी उपाय करके इस दोष को शांत किया जा सकता है. इसक लिए ब्राह्मण को गाय का दान दिया जाता है.
4. अपने जन्मदिन पर अपने वजन के बराबर अन्न का दान करने पर नाड़ी दोष के प्रभावों से शांति मिलती है.
5. समय-समय पर ब्राह्मणों को भोजन कराकर वस्त्र दान करने से भी नाड़ी दोष के प्रभावों को शांत किया जा सकता है.
6. पीयूष धारा के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति के विवाह में नाड़ी दोष बाधा बन रहा है तो उसे स्वर्ण दान, वस्त्र दान, अन्न दान करना चाहिए. सोने से सर्प की आकृति बनाकर, उसकी विधि पूर्वक प्राण-प्रतिष्ठा करके महामृत्युंजय मंत्र का जप कराने से नाड़ी दोष शांत होता है.

I. ग्रहों की शांति से धनु राशि को मिलेगा संतान सुख
ग्रहों के कारण संतान सुख में बाधा आ रही हो, तो सूर्य के लिए हरिवंश पुराण का पाठ करें. चंद्रमा के लिए सोमवार का व्रत रख कर शिव की उपासना करनी चाहिए. मंगल के लिए महारुद्र या अतिरुद्र यज्ञ कराएं. बुध के लिए महाविष्णु की उपासना करें. गुरु के लिए पितरों का श्राद्ध करें. शुक्र के लिए गौपालन एवं उसकी सेवा करें. शनि के लिए महामृत्युंजय का जप एवं हवन करें. राहु के लिए नागपाश यंत्र की पूजा व बुधवार को व्रत रख करना चाहिए. ऐसे लोगों के लिए कन्यादान करना भी श्रेष्ठ माना गया है. केतु के लिए ब्राह्मण भोजन करा कर उन्हें वस्त्र भेंट करें. इसके अलावा “नवग्रह शांति पाठ”, संतान प्राप्ति में बेहद मददगार होता है इस पाठ से सारे दोष से निवारण मिलता है.

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