Vrishabh Rashi-ke Acche Din Kab Aaenge

वृषभ राशि के अच्छे दिन कब आएंगे, Vrushabh Rashi Ke Acche Din Kab Aaenge, वृष राशि की किस्मत कब चमकेगी?, वृष राशि का अच्छा समय कब आएगा?, वृषभ राशि की परेशानी, वृषभ राशि वाले दुखी क्यों रहते हैं?, Vrishabha Rashi Ki Kismat Kab Chamkegi?, Vrishabha Rashi Ka Achchha Samay Kab Aaega?, Vrushabh Rashi Ki Pareshani, Vrsabha Rashi Vale Dukhi Kyon Rehte Hain?, वृषभ राशि का अच्छा वक्त कब आएगा, Vrish Rashi Ka Achchha Vakt Kab Aaega

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वृषभ राशि के अच्छे दिन कब आएंगे, Vrishabha Rashi Ke Acche Din Kab Aaenge
जिनके नाम का प्रथम अक्षर I, U, E, O, Wa, Wee, oo, We, Wo, इ, उ, ई, ओ, व, वी, व़ी, ऊ, वे, वो इत्यादि से प्रारंभ होता उनकी राशि वृषभ होती है. ये सभी अक्षर वृषभ राशि से संबध रखते है. वृषभ राशि चक्र की दूसरी राशि है जिसका राशि चिन्ह ’बैल’ होता है. जैसा कि हम सब जानते हैं कि बैल स्वभाव से बहुत पारिश्रमी और वीर्यवान होता है, लेकिन साधारण तौर पर वह शांत रहता है, लेकिन यदि इसे क्रोध आ जाये तो यह उग्र रूप धारण कर लेता है. यही स्वभाव वृषभ राशि के लोगों में भी देखने को मिलता है. कई बार इस राशि के लोग अपने जिद्दी व उत्तेजक स्वभाव के कारण अपने खुशियों को ही आग लगा देते हैं और बाद में पछताने के अलावा इनके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता, इसलिए आज इस खबर में हम आपके बताएंगे कि वृष राशि के अच्छे दिन कब और कैसे आएंगे, वृष राशि की परेशानी क्या है, वृष राशि वाले दुखी क्यों रहते हैं और परेशानी से छुटकारा पाने के उपाय-

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A. इष्ट देव की पूजा से वृषभ राशि के अच्छे दिन आएंगे
वृष राशि के जातक अगर अपने राशि के इष्ट देव (Isht Dev) की पूजा करें तो उन्हें विशेष फल की प्राप्ति होगी व अच्छे दिन आएंगे. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इष्ट देव की पूजा करने से व्यक्ति को अच्छे और शुभ फल की प्राप्ति होती है. अरुण संहिता जिसे लाल किताब के नाम से भी जाना जाता है, के अनुसार व्यक्ति के पूर्व जन्म में किए गए कर्म के आधार पर इष्ट देवता का निर्धारण होता है और इसके लिए जन्म कुंडली देखी जाती है. जैसा कि आप जानते हैं इष्ट देव का अर्थ है अपनी राशि के पसंद के देवता. इष्ट देव की पूजा करने से ये फायदा होता कि कुंडली में चाहे कितने भी ग्रह दोष क्यों न हों, अगर इष्ट देव प्रसन्न हैं तो यह सभी दोष व्यक्ति को अधिक परेशान नहीं करते. वृषभ राशि का ग्रह स्वामी शुक्र है और इष्ट देवी मां लक्ष्मी हैं, अत: वृष राशि के जातकों को अपने बुरे दिन से छुटकारा पाने और अच्छे दिन लाने के लिए अपनी अनुसार ईष्ट देव मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए.

1. लक्ष्मी पूजन से आएंगे वृषभ राशि के अच्छे दिन
लक्ष्मी पूजन की विधि (Laxmi Pooja) – अच्छे दिन लाने के लिए वृष राशि के जातक यहां बताई गई विधि का पालन करें. यह विधि बेहद ही सरल है और आप इसे आसानी से घर में कर सकते हैं. लक्ष्मी पूजन की विधि को षोडशोपचार पूजा के नाम से भी जाना जाता है और इस पूजा विधि को 16 चरणों में किया जाता है.
आवाहन (Aavahan) – शुक्रवार के दिन सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत होकर साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करें. घर के ईशान कोण को साफ कर वहां चौकी स्थापित करें. चौकी के उपर लाल वस्त्र बिछाकर उसपर मां लक्ष्मी जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. इसके बाद दीपक और धूप जलाएं. हाथ जोड़कर मां लक्ष्मी का ध्यान/आवाहन करें. आवाहन करते समय हम मां को आने का निमंत्रण देते हैं. मां लक्ष्मी का आवाहन करते समय उनकी मूर्ति पर फूल अर्पित करें और नीचे बताए गए मंत्र को बोलें-
आगच्‍छ देव-देवेशि! तेजोमय‍ि महा-लक्ष्‍मी !
क्रियमाणां मया पूजां, गृहाण सुर-वन्दिते !
.. श्रीलक्ष्‍मी देवीं आवाह्यामि ..
पुष्पाञ्जलि आसन (Pushpanjali Asana) – मां का आवाहन करने के बाद आप पांच तरह के फूल मां की मूर्ति के सामने रखें और नीचे बताए गए मंत्र का जाप करते हुए एक-एक फूल को छोड़े.
नाना रत्‍न समायुक्‍तं, कार्त स्‍वर विभूषितम् .
आसनं देव-देवेश ! प्रीत्‍यर्थं प्रति-गह्यताम् ..
.. श्रीलक्ष्‍मी-देव्‍यै आसनार्थे पंच-पुष्‍पाणि समर्पयामि ..
स्‍वागत – मां का आवाहन और उनको फूल चढ़ाने के बाद मां का स्वागत किया जाता है और मां का स्वागत करते हुए ‘श्रीलक्ष्‍मी देवी! स्‍वागतम्’ मंत्र का उच्‍चारण किया जाता है. इस मंत्र का अर्थ है कि हम मां का सच्चे मन से स्वागत करते हैं.
पाद्य – लक्ष्मी पूजन की विधि के अगले चरण को पाद्य कहा जाता है. इस चरण में मां के पैरों को जल से धोया जाता है और मां के पैर धोते हुए नीचे बताए गए मंत्र को बोला जाता है. ये मंत्र इस प्रकार है.
पाद्यं गृहाण देवेशि, सर्व-क्षेम-समर्थे, भो: !
भक्तया समर्पितं देवि, महालक्ष्‍मी ! नमोsस्‍तुते ..
.. श्रीलक्ष्‍मी-देव्‍यै पाद्यं नम:..
अर्घ्‍य – मां लक्ष्मी (laxmi pooja) के पैरों को जल से साफ करने के बाद मां को अर्घ्य दी जाती है और अर्घ्य देते समय नीचे दिए गया मंत्र पढ़ा जाता है.
नमस्‍ते देव-देवेशि ! नमस्‍ते कमल-धारिणि !
नमस्‍ते श्री महालक्ष्‍मी, धनदा देवी ! अर्घ्‍यं गृहाण .
गंध-पुष्‍पाक्षतैर्युक्‍तं, फल-द्रव्‍य-समन्वितम् .
गृहाण तोयमर्घ्‍यर्थं, परमेश्‍वरि वत्‍सले !
.. श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै अर्घ्‍यं स्‍वाहा ..
स्‍नान – मां को स्नान कराने के लिए दूध, दही, घी, शहद और चीनी के मिश्रण को मिलाकर पंचामृत बना जाता है और इससे मां को स्नान करवाया जाता है. मां पर पंचामृत डालने के बाद शुद्ध जल डाला जाता है और नीचे बताए गए मंत्र को बोला जाता है.
गंगासरस्‍वतीरेवापयोष्‍णीनर्मदाजलै: .
स्‍नापितासी मय देवी तथा शांतिं कुरुष्‍व मे ..
आदित्‍यवर्णे तपसोsधिजातो वनस्‍पतिस्‍तव वृक्षोsथ बिल्‍व: .
तस्‍य फलानि तपसा नुदन्‍तु मायान्‍तरायश्र्च ब्रह्मा अलक्ष्‍मी: .
.. श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै जलस्‍नानं समर्पयामि ..
वस्‍त्र – लक्ष्मी पूजन की विधि (laxmi pooja) के अगले चरण में वस्त्र दान किये जाते हैं. मां लक्ष्‍मी को मोली वस्त्र के रूप में अर्पित किया जाता है और मोली को अर्पित करते समय नीचे बताए गए मंत्र का जाप किया जाता है.
दिव्‍याम्‍बरं नूतनं हि क्षौमं त्‍वतिमनोहरम् .
दीयमानं मया देवि गृहाण जगदम्बिके ..
उपैतु मां देवसख: कीर्तिश्च मणिना सह .
प्रादुर्भूतो सुराष्‍ट्रेsस्मिन् कीर्तिमृद्धि ददातु मे .
.. श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै वस्‍त्रं समर्पयामि ..
आभूषण – वस्त्र अर्पित करने के बाद मां को आभूषण चढ़ाए जाते हैं और इस मंत्र का जाप किया जाता है-
रत्‍नकंकड़ वैदूर्यमुक्‍ताहारयुतानि च .
सुप्रसन्‍नेन मनसा दत्तानि स्‍वीकुरुष्‍व मे ..
क्षुप्तिपपासामालां ज्‍येष्‍ठामलक्ष्‍मीं नाशयाम्‍यहम् .
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वात्रिर्णद मे ग्रहात् ..
.. श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै आभूषणानि समर्पयामि ..
सिंदूर – लक्ष्मी पूजन की विधि (laxmi pooja) के अगले चरण के तहत लक्ष्‍मी मां को सिंदूर चढ़ाया जाता है और इस मंत्र को बोला जाता है.
ॐ सिन्‍दुरम् रक्‍तवर्णश्च सिन्‍दूरतिलकाप्रिये .
भक्‍त्या दत्तं मया देवि सिन्‍दुरम् प्रतिगृह्यताम् ..
.. श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै सिन्‍दूरम् सर्पयामि ..
कुमकुम – मां को कुमकुम चढ़ाते हुए नीचे बताए गए मंत्र को बोलें.
ॐ कुमकुम कामदं दिव्‍यं कुमकुम कामरूपिणम् .
अखंडकामसौभाग्‍यं कुमकुम प्रतिगृह्यताम् ..
.. श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै कुमकुम सर्पयामि ..
अक्षत – मां को कुमकुम चढ़ाने के बाद साफ और बिना टूटे हुए अक्षत चढ़ाएं और अक्षात चढा़ते समय ये मंत्र बोलें-
अक्षताश्च सुरश्रेष्‍ठं कुंकमाक्‍ता: सुशोभिता: .
मया निवेदिता भक्‍तया पूजार्थं प्रतिगृह्यताम् ..
.. श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै अक्षतान् सर्पयामि ..
पुष्‍प – मां को कमल का पुष्‍प समर्पित करें और इस मंत्र का जाप करें.
यथाप्राप्‍तऋतुपुष्‍पै:, विल्‍वतुलसीदलैश्च .
पूजयामि महालक्ष्‍मी प्रसीद मे सुरेश्वरि .
.. श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै पुष्‍पं सर्पयामि ..
अंग पूजन – अंग पूजन के तहत हाथ में फूल, चावल और चंदन लेकर दाहिने हाथ से मां लक्ष्‍मी की प्रतिमा को रखें और नीचे बताए मंत्र को बोलें.
ॐ चपलायै नम: पादौ पूजयामि .
ॐ चंचलायै नम: जानुनी पूजयामि .
ॐ कमलायै नम: कटिं पूजयामि .
ॐ कात्‍यायन्‍यै नम: नाभि पूजयामि .
ॐ जगन्‍मात्रै नम: जठरं पूजयामि .
ॐ विश्‍व-वल्‍लभायै नम: वक्ष-स्‍थलं पूजयामि .
ॐ कमल-वासिन्‍यै नम: हस्‍तौ पूजयामि .
ॐ कमल-पत्राक्ष्‍यै नम: नेत्र-त्रयं पूजयामि .
ॐ श्रियै नम: शिर पूजयामि .
मंत्र बोलने के बाद मां के सामने धूप और दीपक जलाएं और मां को भोग अर्पित करें. मां से जुड़ा पाठ करें और अंत में मां लक्ष्‍मी की आरती करें. लक्ष्मी पूजन की विधि (laxmi pooja) समाप्त होने के बाद माँ लक्ष्मी की आरती ज़रूर करें.

B. शुक्रवार का व्रत करने से आएंगे वृषभ राशि के अच्छे दिन
वृष राशि के जातक अपने अच्छे दिन लाने के लिए 16 शुक्रवार का व्रत करें. धर्म शास्त्रों की मानें तो शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी के साथ ही माता संतोषी को भी समर्पित होता है इसलिए इस दिन इनकी पूजा और व्रत को बेहद शुभ माना जाता है. संतोषी माता का व्रत 16 शुक्रवार (Friday) तक करने से स्त्री-पुरुषों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, परीक्षा में सफलता मिलती है, व्यवसाय में लाभ होता है और घर में सुख-समृद्धि भी आती है. अविवाहित कन्याएं अगर संतोषी माता का व्रत करें तो मां की कृपा से उन्हें सुयोग्य वर मिलता है. यहां जानिए शुक्रवार के व्रत की संपूर्ण विधि-
शुक्रवार के दिन सूर्योदय से पूर्व उठें, ओर घर कि सफाई करने के बाद पूरे घर में गंगा जल छिडक कर शुद्ध कर लें. इसके पश्चात स्नान आदि से निवृ्त होकर, घर के ईशान कोण दिशा में एक एकान्त स्थान पर माता संतोषी माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. माता संतोषी के सामने कलश रखें. कलश के ऊपर कटोरी में गुड़ व चना रखें. संतोषी माता के सामने घी का दीपक जलाएं. माता को रोली, अक्षत, फूल, नारियल, लाल वस्त्र या चुनरी अर्पित करें. माता संतोषी को गुड़ व चने का भोग लगाएँ. संतोषी माता की जय बोलकर माता की कथा प्रारंभ करें. कथा पूरी होने पर आरती करें और सभी को गुड़-चने का प्रसाद बाँटें
अंत में कलश में भरे जल को घर में जगह-जगह छिड़क दें तथा शेष जल को तुलसी के पौधे में डाल दें. इसी प्रकार 16 शुक्रवार का नियमित उपवास रखें. अंतिम शुक्रवार को व्रत का विसर्जन करें. विसर्जन के दिन उपरोक्त विधि से संतोषी माता की पूजा कर 8 बालकों को खीर-पुरी का भोजन कराएँ तथा दक्षिणा व केले का प्रसाद देकर उन्हें विदा करें. अंत में स्वयं भोजन ग्रहण करें.

वृषभ राशि की किस्मत कब चमकेगी?, Vrishabha Rashi Ki Kismat Kab Chamkegi?
A. शुक्र ग्रह के उपाय से चमकेगी वृष राशि की किस्मत
वृषभ राशि का स्वामी ग्रह शुक्र होता है. शुक्र ग्रह वैभवशाली जीवन देने वाला होता है. अगर वृष राशि के जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह उच्च स्थान पर हो और शुभ फल देने वाला हो तो उसके जीवन में सुख का आगमन बिना किसी प्रयास के होता है. ऐसे व्यक्ति का जीवन राजा के समान होता है. ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में वह सब कुछ पाते हैं जो वह चाहते हैं, लेकिन इसके ठीक विपरीत जिनकी कुंडली में शुक्र रुष्ठ हों यानी नीच घर में बैठे हो या उनके घर में उनका शत्रु ग्रह भी मौजूद हो तो जातक को शुक्र ग्रह के वैभव का लाभ नहीं मिलता. ऐसे व्यक्ति जीवन में तमाम मेहनत और निष्ठा के बाद भी वह स्थान नहीं पा पाता जो उसे मिलना चाहिए. ऐसे में वृष राशि के जातकों को अपनी किस्मत चमकाने के लिए शुक्र को प्रसन्न करना बेहद जरूरी है. तो आइए आज शुक्र ग्रह को मनाने और अपनी किस्मत को चमकाने के लिए आपको यहां दिए गए कुछ उपाय करने होंगे.
1. वृषभ राशि के जातकों को अपनी किस्मत चमकाने के लिए शुक्र के बीज मंत्र ‘ओम शुं शुक्राय नम:’ का जप करना. इस मंत्र के जप से न सिर्फ मन शांत रहता है बल्कि भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है.
2. जिन लोगों का शुक्र ग्रह कमजोर है, उनको 16 बार, 21 बार या 31 बार शुक्रवार का व्रत करना चाहिए. शुक्रवार का व्रत करने से शुक्र मजबूत होता है और माता लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है. इस व्रत के प्रभाव से सुख, सौभाग्य और समृद्धि बढ़ती है.
3. शुक्र को प्रबल बनाने व अपनी किस्मत चमकाने के लिए वृष राशि के जातकों को सफेद कपड़े, सुंदर वस्त्र, चावल, घी, चीनी आदि का दान करना चाहिए. इनके अलावा आप श्रृंगार सामग्री, कपूर, मिश्री, दही आदि का भी दान कर सकते हैं.
4. शुक्र के लिए हीरा, सोना, स्फटिक भी दान करने के लिए कहा जाता है, लेकिन यह सबके लिए संभव नहीं है.
5. जिनका शुक्र कमजोर होता है, उनको अपनी किस्मत चमकाने के लिए हीरा पहनना चाहिए. इसके अलावा आप शुक्र का उपरत्न कुरंगी, दतला, तुरमली या सिम्मा भी धारण कर सकते हैं. इसके लिए आप किसी अच्छे ज्योतिषाचार्य की मदद ले सकते हैं.
6. शुक्रवार को सफेद वस्त्र पहनकर ओम द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए. इस मंत्र की 5, 11 या 21 माला का जाप करने से शुक्र प्रबल होता है.
7. शुक्र को मजबूत करने और अपनी किस्मत को चमकाने के लिए वृष राशि के जातकों को भोजन में चीनी, चावल, दूध, दही और घी से बने भोज्य पदार्थ खाना चाहिए. किसी को कोई सेहत वाली समस्या हो तो परहेज करें.
8. महिलाओं का सम्मान करने, साफ-सफाई रखने और इत्र आदि का प्रयोग करने से भी शुक्र ग्रह मजबूत होता है.
9. वृष राशि के जातकों को अपनी किस्मत चमकाने व शुक्र को मजबूत करने के लिए शुक्रवार के दिन किसी कन्या को बुलाकर सफेद मिठाई खिलानी चाहिए. यह टोटका ग्यारह शुक्रवार तक करना चाहिए.
10. शुक्र की स्थिति ठीक करने के लिए गौपालन एवं उसकी सेवा करें. ऐसा करने से किस्मत के सितारें बुलंद होते हैं.

B. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग पर पूजा करने से चमकेगी वृष राशि की किस्मत
भगवान शंकर के पृथ्वी पर 12 ज्योतिर्लिंग हैं. भगवान शिव के सभी ज्योतिर्लिंगों का अपना अलग महत्व है. शास्त्रों के अनुसार भगवान शंकर के ये सभी ज्योतिर्लिंग प्राणियों को दु:खों से मुक्ति दिलाने में मददगार है. इसी प्रकार विभिन्न राशि के व्यक्तियों के लिए शास्त्रों में अलग-अलग ज्योतिर्लिंगों की पूजा का महत्व बताया गया है. इन सभी ज्योतिर्लिंगों को 12 राशियों से भी जोड़कर देखा जाता है. इस आधार पर वृष राशि के व्यक्तियों को मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग पर पूजा करनी चाहिए. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग पर पूजा करने से वृष राशिवालों की किस्मत चमक उठेगी. भगवान शिव का यह पवित्र मंदिर नल्लामलाई की आकर्षक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है. वृष राशि के जातकों को अपनी किस्मत के सितारें बुलंद करने के लिए मल्लिकार्जुन का ध्यान करते हुए ओम नमः शिवायः मंत्र का जप करते हुए कच्चे दूध, दही, श्वेत पुष्प के साथ मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक करना चाहिए. भगवान शिव के प्रकाशमय स्वरूप का ध्यान करना चाहिए. ताम्बे के पात्र में दूध भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें, ॐ श्री कामधेनवे नमः का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें, पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवायः का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर दूध की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें. अभिषेक करते हुए ॐ सकल लोकैक गुरुर्वै नमरू मंत्र का जाप करे. श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग ऐसा तीर्थ है, जहां शिव और शक्ति की आराधना से देव और दानव दोनों को सुफल प्राप्त हुए. शास्त्रों में बताया गया है कि श्री शैल शिखर के दर्शन मात्र से मनुष्य सब कष्ट दूर हो जाते हैं और अपार सुख प्राप्त कर जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति पाते हैं. देवाधिदेव भगवान् महादेव सर्वशक्तिमान हैं. भगवान भोलेनाथ ऐसे देव हैं जो थोड़ी सी पूजा से भी प्रसन्न हो जाते हैं. संहारक के तौर पर पूज्य भगवान शंकर बड़े दयालु हैं. उनके अभिषेक से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होंगी और किस्मत चमक उठेगी.

वृष राशि की परेशानी, Vrish Rashi Ki Pareshani
वृष राशि के कई जातक अपने जीवन का ज्यादातर समय परेशानी में बिताते हैं, उनका स्वभाव ही कई बार उनकी परेशानी की वजह बन जाता है. आइये जानते हैं वे कौन से कारण हैं जिसके चलते वृष राशि के व्यक्ति अक्सर परेशान रहते हैं-
1. वृषभ लग्न के अंतर्गत जन्म लेने के कारण आप कुछ अव्यवहारिक हो सकते है. जिसके कारण कई बार नए लोग आपको ज्यादा पसंद नहीं करते.
2. इस राशि के जातक अपने शांत और अंतर्मुखी व्यवहार, के कारण नए लोगों से मिलना जुलना पसंद नहीं करते हैं और इसी कारण ये ज्यादा समाजिक प्राणी नहीं होते और इनको अक्सर नए दोस्त बनाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
3. अगर वृष राशि के लोगों के साथ ठीक से व्यवहार नहीं किया जाता और समझा भी नहीं जाता, तो उनमें दूसरों के प्रति आक्रोश और रूढ़िवादिता की भावना उत्पन्न हो सकती है.
4. वृष राशि के लोग कभी-कभी क्रोध में आकर सीमाओं को भी पार कर देते हैं और किसी को भी डराने या धमकाने से पीछे नहीं हटते.
5. ये लोग अपनी दिनचर्या में किसी तरह का परिवर्तन पसंद नहीं करते हैं.
6. वृषभ राशि के जातक अपने साथी को स्वतंत्रता देने के लिए इच्छुक नहीं होते हैं.
7. वृषभ राशि के लोग बुरे वक्त में गंदी आदतों में आसानी से फंस जाते हैं.
8. वृष राशि के व्यक्ति अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक रूढ़िवादी होते हैं.
9. चटोरापन इनकी आदत होती है, भोजन के मामले में ये संयम नहीं रख पाते हैं.

वृषभ राशि वाले दुखी क्यों रहते हैं?, Vrishabha Rashi Vale Dukhi Kyon Rehte Hain? 
वृष राशि वाले जातकों का स्वभाव हद से ज़्यादा अड़ियल होता है. यह अगर किसी एक बात पर अड़ जाएं तो फिर इन्हें किसी दूसरे की बात सुनाई नहीं देती. अपने इसी स्वभाव के कारण यह मनमानी करते हैं जिसके कारण दूसरे लोग इनके साथ किसी भी तरह का कोई काम करना पसंद नहीं करते. इस राशि वाले व्यक्तियों में खुद को महान समझने की भावना होती है. वह किसी भी सफल या उनसे ज्यादा खुश व्यक्ति को देख कर ईर्ष्या करते हैं, पर खुद वैसी ही सफलता पाने के लिए मेहनत नहीं करते और इस कारण दुखी रहते हैं. वैसे आमतौर पर इन लोगों का स्वभाव शांत होता है लेकिन जब इन्हें गुस्सा आता है तो फिर यह अपने गुस्से पर काबू नहीं कर पाते. इनका यह अड़ियल स्वभाव ही इनके मार्ग की सबसे बड़ी बाधा है. अगर वृष राशि के लोगों के साथ ठीक से व्यवहार नहीं किया जाए तो उनमें दूसरों के प्रति आक्रोश और रूढ़िवादिता की भावना उत्पन्न हो सकती है. इस राशि वाले लोग स्वभाव से अत्यंत आलसी होते हैं और अपना सामान व्यवस्थित नहीं रखते हैं. इनमें अपना सामान फ़ैला कर रखने की गन्दी आदत होती हैं, और जब कोई इन्हें टोकता है तो वे अपनी आदत सुधारने के बजाय दुखी हो जाते हैं. वृषभ लग्न के लोग कम उचाई वाले और कभी कभी दुबले कद काठी के होते हैं. अपनी शारीरिक बनावट के कारण इनमें कौंफिडेंट की कमी होती है. वृष राशि वाले जातक थोड़े रूढ़िवादी विचारों वाले होते हैं. ये वैभव-विलासिता वाला जीवन जीना पसन्द करते हैं. इन्हें फैशन अधिक प्रभावित करता है. इन्हें फिल्में, गीत-संगीत एवं नृत्य इत्यादि में विशेष रूचि होती है. वृष राशि वाले जातक भोग-विलास में बहुत रूचि लेते हैं. इनका स्वभाव कामुक होता है और जब इन्हें अपने हिसाब से मनमुताबिक चीजें नहीं मिलती तो ये दुखी हो जाते हैं.

दुखों से छुटकारा पाने के उपाय, Dukho Se Chutkara Paane Ke Upay
1. दुखों से छुटकारा पाने के लिए शुक्रवार को मां संतोषी या लक्ष्मी जी का व्रत रखें. यदि व्रत रखना संभव न हो सके तो लक्ष्मी जी की पूजा अवश्य करें.
2. दुखों से छुटकारा पाने के लिए शिव उपासना भी शुभ फलदायि होता है.
3. वृष राशि के जातक कोई भी महत्वपूर्ण कार्य शुक्रवार को करें तो श्रेष्ठ फल प्राप्त होगा.
4. दुखों से छुटकारा पाने के लिए शुक्रवार के दिन ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः शुक्राय नमः’- मंत्र का 16000 बार जाप करना चाहिए .
5. अपने दुखों के निवारण के लिए वृष राशि के जातक को 9 वर्ष से कम आयु की कन्याओं के चरण छुने चाहिए.
6. प्रतिदिन भोजन में से कुछ अंश गाय आदि जानवरों को दें.

वृषभ राशि के अच्छे दिन कब आएंगे, Vrushabh Rashi Ke Acche Din Kab Aaenge, वृष राशि की किस्मत कब चमकेगी?, वृष राशि का अच्छा समय कब आएगा?, वृषभ राशि की परेशानी, वृषभ राशि वाले दुखी क्यों रहते हैं?, Vrishabha Rashi Ki Kismat Kab Chamkegi?, Vrishabha Rashi Ka Achchha Samay Kab Aaega?, Vrushabh Rashi Ki Pareshani, Vrsabha Rashi Vale Dukhi Kyon Rehte Hain?, वृषभ राशि का अच्छा वक्त कब आएगा, Vrish Rashi Ka Achchha Vakt Kab Aaega