हाई ब्लड प्रेशर १६० ओवर ११०, BP High Hone Ke Lakshan In Hindi, हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण और उपचार, हाई बीपी के लक्षण इन हिंदी, ब्लड प्रेशर के उपाय, High BP Ke Lakshan, High Blood Pressure Ke Lakshan, बीपी हाई होने के लक्षण, BP High Kyu Hota Hai, बीपी बढ़ने के क्या लक्षण है, High Blood Pressure Ke Lakshan Aur Upchar, High Blood Pressure Causes Symptoms And Treatment In Hindi
परिचय – हाई ब्लड प्रेशर १६० ओवर ११०, उच्च रक्तचाप
जब शरीर की धमनियों में रक्त का दबाव सामान्य से अधिक हो जाता है, तो उस स्थिति को उच्च रक्तचाप कहते हैं । ऐसा होने पर नसों के फटने का अंदेशा रहता है। साथ ही दिल से जुड़ी विभिन्न प्रकार की बीमारियां और किडनी तक में समस्या हो सकती है । इतना ही नहीं, अगर इसे समय रहते गंभीरता से न लिया जाए, तो यह साइलंट किलर की तरह काम कर सकता है। सामान्य परिस्थितियों में रक्तचाप 120/80 एमएम एचजी होता है। अगर रक्त का दबाव 130/85 या उससे अधिक पहुंच जाए, तो उसे उच्च रक्तचाप कहा जाता है।
रक्तचाप वर्गीकरण, हाई ब्लड प्रेशर १६० ओवर ११०
- 60 साल से कम आयु वाले लोगों में रक्त चाप 140/90 से ज़्यादा होना
- 60 साल से ज़्यादा आयु लोगों में रक्त चाप 150/90 से ज़्यादा होना
इसके अलवा हम रक्तचाप को आमतौर पर पांच श्रेणियों में बांटा जाता है-
- हाइपोटेंशन (कम रक्तचाप)
सिस्टोलिक mmHg 90 या उससे कम
डायस्टोलिक mmHg 60 या उससे कम
- सामान्य रक्तचाप
सिस्टोलिक mmHg 90-119
डायस्टोलिक mmHg 60-79
- प्रीहाइपरटेंशन
सिस्टोलिक mmHg 120-139
डायस्टोलिक mmHg 80-8 9
- उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) चरण 1
सिस्टोलिक mmHg 140-159
डायस्टोलिक mmHg 90- 99
- उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) चरण 2
सिस्टोलिक mmHg 160 से अधिक
डायस्टोलिक mmHg 100 से अधिक
रक्तचाप को मापने का तरीका
रक्तचाप को दो तरीके से मापा जाता है :
सिस्टोलिक : इसे उच्चतम रीडिंग कहा जाता है। जैसा कि ऊपर हमने बताया कि सामान्य रक्तचाप 120/80 एमएम एचजी होता है, तो इसमें 120 सिस्टोलिक होगा। इसे तब मापा जाता है, जब दिल धड़क रहा होता है।
डायस्टोलिक : इसे निचली रीडिंग कहा जाता है। 120/80 एमएम एचजी में से 80 को डायस्टोलिक कहा जाता है। इसे तब मापा जाता है, जब दिल की धड़क कुछ पल के लिए शांत होती है। जब रक्तचाप 90/60 होता है, तो इसे निम्न रक्तचाप कहा जाता है. High Blood Pressure Causes Symptoms and Treatment
कारक – उच्च रक्तचाप के कारक
आयु, पारिवारिक इतिहास, तापमान, प्रजातीय पृष्ठभूमि, मोटापा / अतिरिक्त वजन, फिजिकल इनएक्टिविटी, स्मोकिंग, अत्यधिक शराब का सेवन, उच्च नमक का सेवन, हाई फैट डाइट का सेवन, मानसिक तनाव, मधुमेह, सोरायसिस, गर्भावस्था (गेस्टशन हाइपरटेंशन) – ये सभी उच्च रक्तचाप के कारण हो सकते हैं.
यह पुष्टि करने के लिए कि एक रोगी उच्च रक्तचाप से पीड़ित है, एक प्रेशर रीडिंग रोगी में हाई ब्लडप्रेशर का निदान करने के लिए पर्याप्त नहीं है। जैसे ही दिन में ब्लडप्रेशर भिन्न हो सकता है, डॉक्टर एक मरीज में ब्लडप्रेशर पढ़ने में एक स्पाइक पंजीकृत कर सकता है, यहां तक कि अस्थायी तनाव के लिए या उस दिन वह क्या खा सकता है।तो निदान की पुष्टि होने से पहले, उच्च रक्तचाप निर्धारित करने के लिए कई रीडिंग एक निर्धारित अवधि में ली जाती हैं।
लक्षण – उच्च रक्तचाप के लक्षण
- सिरदर्द जो कई दिनों तक रहता है
- मतली, उल्टी और सिर हल्का होना
- ब्लर्रेड या डबल विज़न
- पल्पेशन और कुछ मामलों में, नाक से ब्लीडिंग होता है
- अनावश्यक पसीने के साथ श्वास की कमी
- लगातार सिरदर्द
- छाती में दर्द
- नजर कमजोर होना
इलाज – उच्च रक्तचाप का इलाज
हाई बीपी खतरनाक हो सकता है क्योंकि इससे दिल का दौरा, दिल का रुक जाना और गुर्दे का रोग जैसी बीमारियां हो सकती हैं। हाई बीपी के इलाज का लक्ष्य होता है कि हाई बीपी को कम किया जाए और अपने ज़रूरी अंग जैसे कि दिमाग, गुर्दा और हृदय को ख़राब होने से बचाया जाए। अनुसन्धान में यह पाया गया है कि हाई बीपी के इलाज से स्ट्रोक में 35%-40%, दिल के दौरे में 20%-25%, और दिल के रुक जाने में 50% से ज़्यादा कमी आई है।
हाई बीपी के इलाज के लिए दवाइयां
हाई बीपी को ठीक करने के लिए बहुत सारी दवाइयां उपलब्ध हैं, ये दवा डॉक्टर्स आपकी बी पी स्टेज देखकर देते है। जिनमें से कुछ यह हैं :
- एंजियोटेनसिन-परिवर्तित एंजाइम (ऐस) अवरोधक (Angiotensin-converting enzyme – ACE inhibitors)
- एंजियोटेनसिन द्वितीय रिसेप्टर ब्लॉकर्स (Angiotensin II receptor blockers – ARBs)
- मूत्रवर्धक (Diuretics)
- बीटा अवरोधक (Beta-blockers)
- कैल्शियम चैनल अवरोधक (Calcium channel blockers)
- अल्फा ब्लॉकर्स (Alpha-blockers)
- अल्फा-एगोनिस्ट (Alpha-agonists)
- रेनिन अवरोधकों (Renin inhibitors)
- संयोजन दवाएं
अक्सर जिन लोगों को हाई बीपी है उन्हें पहले मूत्रवर्धक दवा (Diuretics) लेने की सलाह दी जाती है।
अगर आपको कोई चिकित्सिक समस्या है तो आपके डॉक्टर मूत्रवर्धक दवा के आलावा कोई और दवा भी शुरू कर सकते है। उदहारण के तौर पर, ACE अवरोधक उन लोगों को दिया जाता है जिन्हे मदुमेह होता है। अगर एक दवाई काम नहीं करती तो दवाई बढ़ा दी जाती है या बदल दी जाती है।
अगर आपका रक्तचाप सामान्य रक्तचाप से 20/10 अंक ज़्यादा है, तो आपके डॉक्टर आपकी दवाइयों की शुरुआत दो दवाइयों या संयोजक दवाओं से करेंगे।
उच्च रक्तचाप पर पूर्णत: नियंत्रण पाया जा सकता है – घरेलु उपाय
- सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रोगी को नमक का प्रयोग बिल्कुल कम कर देना चाहिये। नमक ब्लड प्रेशर बढाने वाला प्रमुख कारक है।उच्च रक्तचाप का एक प्रमुख कारण है रक्त का गाढा होना। रक्त गाढा होने से उसका प्रवाह धीमा हो जाता है। इससे धमनियों और शिराओं में दवाब बढ जाता है।
- लहसुन ब्लड प्रेशर ठीक करने में बहुत मददगार घरेलू वस्तु है।यह रक्त का थक्का नहीं जमने देती है। धमनी की कठोरता में लाभदायक है। रक्त में ज्यादा कोलेस्ट्ररोल होने की स्थिति का समाधान करती है।
- एक बडा चम्मच आंवला का रस और इतना ही शहद मिलाकर सुबह -शाम लेने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है।
- जब ब्लड प्रेशर बढा हुआ हो तो आधा गिलास मामूली गरम पानी में काली मिर्च पावडर एक चम्मच घोलकर २-२ घंटे के फ़ासले से पीते रहें। ब्लड प्रेशर सही मुकाम पर लाने का बढिया उपचार है।
- तरबूज का मगज और पोस्त दाना दोनों बराबर मात्रा में लेकर पीसकर मिला लें। एक चम्मच सुबह-शाम खाली पेट पानी से लें।३-४ हफ़्ते तक या जरूरत मुताबिक लेते रहें।
- बढे हुए ब्लड प्रेशर को जल्दी कंट्रोल करने के लिये आधा गिलास पानी में आधा निंबू निचोडकर २-२ घंटे के अंतर से पीते रहें। हितकारी उपचार है।
- तुलसी की १० पती और नीम की ३ पत्ती पानी के साथ खाली पेट ७ दिवस तक लें।
- पपीता आधा किलो रोज सुबह खाली पेट खावें। बाद में २ घंटे तक कुछ न खावें। एक माह तक प्रयोग से बहुत लाभ होगा।
- नंगे पैर हरी घास पर १५-२० मिनिट चलें। रोजाना चलने से ब्लड प्रेशर नार्मल हो जाता है।
- सौंफ़,जीरा,शकर तीनों बराबर मात्रा में लेकर पावडर बनालें। एक गिलास पानी में एक चम्मच मिश्रण घोलकर सुबह-शाम पीते रहें।
- उबले हुए आलू खाना रक्त चाप घटाने का श्रेष्ठ उपाय है।आलू में सोडियम(नमक) नही होता है।
- पालक और गाजर का रस मिलाकर एक गिलास रस सुबह-शाम पीयें। अन्य सब्जीयों के रस भी लाभदायक होते हैं।
- नमक दिन भर में ३ ग्राम से ज्यादा न लें।
- अण्डा और मांस ब्लड प्रेशर बढाने वाली चीजें हैं। ब्लड प्रेशर रोगी के लिये वर्जित हैं।
- करेला और सहजन की फ़ली उच्च रक्त चाप-रोगी के लिये परम हितकारी हैं।
- केला,अमरूद,सेवफ़ल ब्लड प्रेशर रोग को दूर करने में सहायक कुदरती पदार्थ हैं।
- मिठाई और चाकलेट का सेवन बंद कर दें।
- सूखे मेवे :–जैसे बादाम काजू, आदि उच्च रक्त चाप रोगी के लिये लाभकारी पदार्थ हैं।
- चावल:-(भूरा) उपयोग में लावें। इसमें नमक ,कोलेस्टरोल,और चर्बी नाम मात्र की होती है। यह उच्च रक्त चाप रोगी के लिये बहुत ही लाभदायक भोजन है। इसमें पाये जाने वाले केल्शियम से नाडी मंडल की भी सुरक्षा हो जाती है।
- अदरक:-प्याज और लहसून की तरह अदरक भी काफी फायदेमंद होता है। बुरा कोलेस्ट्रोल धमनियों की दीवारों पर प्लेक यानी कि कैलसियम युक्त मैल पैदा करता है जिससे रक्त के प्रवाह में अवरोध खड़ा हो जाता है और नतीजा उच्च रक्तचाप के रूप में सामने आता है। अदरक में बहुत हीं ताकतवर एंटीओक्सीडेट्स होते हैं जो कि बुरे कोलेस्ट्रोल को नीचे लाने में काफी असरदार होते हैं। अदरक से आपके रक्तसंचार में भी सुधार होता है, धमनियों के आसपास की मांसपेशियों को भी आराम मिलता है जिससे कि उच्च रक्तचाप नीचे आ जाता है।
- लालमिर्च:-धमनियों के सख्त होने के कारण या उनमे प्लेक जमा होने की वजह से रक्त वाहिकाएं और नसें संकरी हो जाती हैं जिससे कि रक्त प्रवाह में रुकावटें पैदा होती हैं। लेकिन लाल मिर्च से नसें और रक्त वाहिकाएं चौड़ी हो जाती हैं, फलस्वरूप रक्त प्रवाह सहज हो जाता है और रक्तचाप नीचे आ जाता है।
उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) के लिए कुछ व्यायाम और योगासन
- अनुलोम-विलोम : सुखासन में बैठकर आंखें बंद कर लें। इसके बाद दाएं हाथ के अंगुठे से दाईं नासिका को बंद कर लें और बाईं नासिका से बिना आवाज किए सांस लें। फिर अंगुली से बाईं नासिका को बंंद कर दें और दाईं नासिका से सांस छोड़ें। इसी तरह दाईं नासिका से सांस लेकर, बाईं नासिका से छोड़ें।
- भ्रामरी प्राणायाम : सुखासन में बैठ जाएं और आंखें बंद करके गहरी सांस खींचें। फिर दोनों हाथों की मध्यम अंगुलियों को नासिकाओं के मूल में आंखों के पास रखकर हल्का दबाएं और दोनों अंगुठों से कान बंद कर दें। इसके बाद मुंह को बंद रखकर ओम का उच्चारण करें और मधुमक्खी के गुनगुनाने की ध्वनी के साथ सांस छोड़ें। ऐसा करने से पूरे शरीर में कंपन महसूस होगा।
- बालासन : आप वज्रासन में बैठ जाएं और सांस लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएं। कमर को सीधा रखें। अब सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। जब तक आपकी हथेलियां जमीन से न लग जाएं, तब तक झुकते रहें। ध्यान रहे कि आपको कमर से झुकना है, कूल्हों को ऊपर नहीं उठाना। सिर को जमीन से लगाने का प्रयास करें। कुछ देर इसी मुद्रा में रहने के बाद सांस लेते हुए सामान्य मुद्रा में आ जाएं।
- वज्रासन : इसमें घुटनों को मोड़कर कूल्हों को एड़ियों से सटा दें। इसे आप किसी भी समय कर सकते हैं। यहां तक कि भोजन करने के बाद भी इसे किया जा सकता है।
- सेतुबंधासन : पीठ के बल सीधा लेट जाएं और हाथों को शरीर से सटाकर रखें। हथेलियां जमीन से सटी होनी चाहिए। अब घुटनों को मोड़ लें और तलवों को जमीन से सटा कर रखें। इसके बाद सांस लेते हुए हाथों के बल कूल्हों, पीठ और शरीर के ऊपरी हिस्से को ऊपर उठाएं। बिना ठोड़ी को हिलाए छाती को उससे छूने का प्रयास करें। इस दौरान शरीर का पूरा भार हाथों, कंधों व पैरों पर रहेगा। करीब एक-दो मिनट इस मुद्रा में रहने के बाद मूल स्थिति में लौट आएं।
- कार्डियो या एरोबिक्स व्यायाम : इससे उच्च रक्तचाप कम होता है और ह्रदय मजबूत होता है। इसमें आप कुछ देर पैदल चल सकते हैं, जॉगिंग कर सकते हैं, साइकल चला सकते हैं या फिर वॉटर एरोबिक्स कर सकते हैं। इस तरह के व्यायाम में स्विमिंग को सबसे बेहतर माना गया है। स्विमिंग करने से शरीर के सभी अंग सक्रिय हो जाते हैं।
- स्ट्रैंथ ट्रेनिंग : इसे करने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं, जिससे अधिक कैलोरी बर्न करने में मदद मिलती है। यह शरीर के सभी जोड़ों व हड्डियों के लिए अच्छा है।
- स्ट्रेचिंग : इससे शरीर में लचीलापन आता है। आप दिनभर के काम आसानी से कर पाते हैं।
उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) के लिए कुछ और टिप्स
शरीर का वजन : उच्च रक्तचाप के कारण शरीर का वजन प्रभावित हो सकता है। इसलिए, शरीर के वजन को बनाए रखने के लिए डॉक्टर से बॉडी मास इंडेक्स को मापने और गणना के लिए जरूर कहें।
धूम्रपान : उच्च रक्तचाप का एक कारण धूम्रपान भी है। इसलिए, हाई ब्लड प्रेशर की पहचान होने पर धूम्रपान बिल्कुल न करें।
भोजन: उच्च रक्तचाप को कम करने के लिए DASH (Dietary Approaches to Stop Hypertension) Diet का पालन करें। DASH फल, सब्जी व दूध आधारित खाध पदार्थ और बिना चर्बी वाले मांस का सेवन करने के लिए प्रोत्साहित करता है। इस डाइट के माध्यम से हाई बीपी को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
योग : योग एक आध्यात्मिक मार्ग है, जो तनाव को कम करके उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है। शरीर को रोगमुक्त और स्वस्थ रखने के लिए विभिन्न प्रकार के योगासन किए जाते हैं। रक्तचाप के लिए शुरुआत में किसी योग्य योग विशेषज्ञ से योग सीख सकते हैं।
अल्कोहल: अधिक शराब का सेवन करने से भी उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ जाता है। अगर कोई हाई ब्लड प्रेशर का मरीज हैं, तो भूलकर भी मदिरापान न करें।
तनाव पर नियंत्रण: अधिक तनाव कई शारीरिक बीमारियों की जड़ है, जिसमें हाइपरटेंशन भी शामिल है। इसलिए, हाई ब्लड प्रेशर से निजात पाने के लिए तनाव पर नियंत्रण रखना जरूरी है। अधिक तनाव के कारण शरीर में वाहिकासंकीर्णन (vasoconstriction) हार्मोन की वृद्धि होती है। यह हार्मोन रक्त वाहिकाओं को संकीर्ण कर और ह्रदय गति को बढ़ाकर उच्च रक्तचाप का कारण बनता हैं। तनाव को नियंत्रित कर हाई बीपी का इलाज किया जा सकता है।
उच्च रक्तचाप एक ऐसी शारीरिक समस्या है, जिसे पूरी तरह खत्म कर पाना मुश्किल है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इस लेख में बताए गए घरेलू नुस्खों को जीवनशैली का हिस्सा बनाकर हाई ब्लड प्रेशर को कुछ काबू किया जा सकता है। High Blood Pressure Causes Symptoms and Treatment
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