सिगरेट पीने के नुकसान, बीड़ी के नुकसान, स्मोकिंग करने के नुकसान, स्मोकिंग के नुकसान इन हिंदी, धूम्रपान के नुकसान, Cigarette Ke Nuksan, Beedi Peene Ke Nuksan, Dhumrapan Ke Nuksan, Cigarette Ke Side Effects In Hindi, Cigarette Pine Ke Nuksan In Hindi, Beedi Peene Ke Kya Nuksan Hai, Smoking Is Injurious To Health In Hindi, Dhumrapan Sehat Ke Liye Hanikarak Hai In Hindi

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नुकसान – सिगरेट बीड़ी के नुकसान, धूम्रपान/स्मोकिंग के नुकसान इन हिंदी

सिगरेट पीना आजकल युवाओं में काफी प्रचलित है. हलांकि कुछ बुजुर्ग लोग बीड़ी पीना पसंद करते हैं. धूम्रपान को भी एक सामाजिक बुराई के रूप में देखा जाता है. ज्यादातर जगहों पर धूम्रपान को निषेध किया जाता है.
सिगरेट या बीड़ी के धुएं में सबसे हानिकारक रसायनों में से कुछ निकोटीन, टार, कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोजन साइनाइड, फॉर्मलाडीहाइड, आर्सेनिक, अमोनिया, सीसा, बेंजीन, ब्यूटेन, कैडमियम, हेक्सामाइन, टोल्यूनि आदि हैं. ये रसायन धूम्रपान करने वालों और उनके आसपास वालों के लिए हानिकारक होते हैं. आइए सिगरेट पिने से होने वाले नुकसानों को जानें.

1 – सिगरेट बीड़ी पीने का मुंह, नाक, होंठ, मसूड़ों, दांतों पर असर 

  • सिगरेट बीड़ी पीने का असर नाक पर – जब आप सिगरेट या बीड़ी जलाते हैं तो माचिस या लाइटर और स्मोकिंग दोनों का धुआं मिलकर नाक की बाहरी परत को डैमेज कर देता है और नाक की नली में सिगरेट के धुएं में मौजूद टार और केमिकल जमने से सूंघने की क्षमता कमजोर होने लगती है.
  • सिगरेट बीड़ी पीने का असर होंठो पर –सिगरेट की हीट से चेहरे ,मुंह और नाक की स्किन पर असर पड़ता है. होंठ काले होते हैं और झुर्रियां पड़ने लगती हैं.
  • सिगरेट बीड़ी पीने का असर दांतों पर – जब सिगरेट का धुआं मुंह में जाता है तो वह दांतों के एनामल पर जमा होकर उन्हें पीला करने लगता है और सिगरेट का धुआं और हीट मुंह के अंदर की नाजुक स्किन को भी डैमेज करते हैं. दांतों के बीच की कैविटी में टार जमने लगता है.
  • सिगरेट बीड़ी पीने का मुंह पर असर –सिगरेट के धुएं में मौजूद टार आपके टेस्ट बड्स और सैलाइवा के ग्लैंड्स को ब्लॉक कर देता है. मुंह में लार कम बनती है. मुंह सूखने लगता है और टार और केमिकल्स मुंह और नाक को जोड़ने वाली नली में जमने लगते हैं. इससे ब्रीदिंग प्रॉब्लम हो सकती है. स्मोकिंग से मुंह के गुड बैक्टीरिया मर जाते हैं और मुंह से बदबू आने लगती है.
  • सिगरेट बीड़ी पीने का मसूड़ों पर असर – सिगरेट का धुआं और हीट मसूड़ों को भी काला बना देता है. मसूड़ों का कैंसर तक हो सकता है.

2 – सिगरेट बीड़ी पीने का गले पर असर

  • सिगरेट बीड़ी का धुआं गले में मौजूद पतली झिल्ली को बहुत नुकसान पहुंचाता है,  इससे ड्रायनेस, और इरिटेशन हो सकता है.
  • सिगरेट बीड़ी के धुएं में मौजूद फार्मेल्डीहाइड और एक्रोलीन नामक केमिकल थ्रॉट इन्फेक्शन और कैंसर का कारण बनते हैं.
  • सिगरेट बीड़ी के धुएं में मौजूद केमिकल्स वोकल कार्ड को नुकसान पहुंचाते हैं इससे आवाज पर असर पड़ता है. गले का कैंसर भी हो सकता है.
  • सिगरेट बीड़ी का धुआं गले में खरास करता है जो की सही तभी होता है जब आप डॉक्टर इलाज कराएं.

3 – स्मोकिंग का असर विंड पाइप पर
स्मोकिंग के धुएं से विंड पाइप जो की सांस लेने के लिए होती है के ऑर्गन को डैमेज होते हैं. इससे खांसी और लेरिंजाइटिस नामक प्रॉब्लम हो सकती है. गले में कफ की समस्या हो जाती है.
4 – स्मोकिंग का असर फूड पाइप पर
हमारे बॉडी की फ़ूड पाइप जो की खाना पानी को शरीर में पहुँचती है , स्मोकिंग के धुएं की वजह से फ़ूड पाइप के मसल्स डैमेज हो जाते हैं. इससे पेट का एसिड गले तक पहुंचकर जलन पैदा करता है और लेटने और सांस लेने में परेशानी होती है.
5 – स्मोकिंग का असर फेफड़ों पर
सिगरेट के धुएं में मौजूद टार फेफड़ों में जमा होकर ब्लॉकेज पैदा करता है. इससे थकान, ब्रीदलैसनेस, सीटी जैसी आवाज आने लगती है. सिगरेट का धुआं रेस्पिरेटरी सिस्टम में जमा होने लगता है. इससे ब्रॉंकाइटिस, अस्थमा जैसी प्रॉब्लम हो सकती है. सिगरेट के धुएं में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड गैस ब्लड में ऑक्सीजन लेवल कम कर देती है. इससे शरीर के सभी अंगों को नुकसान होता है. सिगरेट का धुआं जब आप इन्हेल करने के बाद वापस छोड़ते हैं तो यही प्रोसेस फिर से होती है और नुकसान डबल हो जाता है.
6 – धूम्रपान से सांस अथवा श्वसन समस्या 
स्मोकिंग सांस संबंधी विकारों जैसे अस्थमा और टीबी आदि की समस्या पैदा करता है , स्मोकिंग करने वालों को  श्वसन समस्याओं का अधिक खतरा होता है. धूम्रपान करने वाले माता-पिता के बच्चों में अस्थमा की समस्याएं  जयादा बढ़ जाती है. क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीस (सीओपीडी), जिसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग्स डिसीस कहा जाता है. यह एक प्रकार का प्रतिरोधी फेफड़े का रोग कहा जाता है. आम तौर पर यह समय के साथ बिगड़ता जाता है. इसके मुख्य लक्षणों में श्वसन में कमी, खांसी और कफ उत्पादन शामिल हैं. इसके अलावा, धूम्रपान में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड खून में प्रवेश करता है और आपकी ऑक्सीजन-क्षमता को सीमित करता है. इससे कफ को बढ़ाता है जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है. अपने फेफड़ों को स्वस्थ रखने और श्वसन समस्याओं को रोकने के लिए, सबसे अच्छा उपाय धूम्रपान छोड़ना है.

7 – खाना खाने के बाद सिगरेट है जयादा बुरी
कुछ लोगों का खाना खाने के बाद सिगरेट पीने का काफी मन करता है लेकिन डॉक्टरों का मानना है ऐसे समय में सिगरेट का असर दस गुना बढ़ हो जाता है. इसलिए खाना खाने के बाद पी गई सिगरेट बीड़ी आमतौर पर पी गई दस सिगरेट के बराबर नुकसान पहुंचाती है. यूं तो सिगरेट बीड़ी का कभी भी, किसी भी समय और किसी भी मात्रा में सेवन करना हानिकारक ही है लेकिन ठीक भोजन करने के बाद स्मोकिंग की जाए, तो इसका नकारात्मक प्रभाव बहुत भयावह होते है.
8 – धूम्रपान से हार्ट अटैक का खतरा
अगर आप से ये पुछा जाये की हर रोज 20 सिगरेट पीने वालों की तुलना में 1 सिगरेट पीने वाले को हार्ट अटैक का कितना खतरा होगा? शायद आपका जवाब होगा 20 गुना कम खतरा लेकिन वैज्ञानिक का कहना हैं कि रोज 1 सिगरेट पीने वालो को हार्ट अटैक का खतरा रोज 20 सिगरेट पीने वालों की तुलना में आधा कम होगा मतलब 50 फीसदी कम रहता है.
9 – धूम्रपान और शराब ज्यादा है खतरनाक
शराब संग धूम्रपान केमिकल रिएक्शन करता है , अगर कोई व्यक्ति शराब के साथ स्मोकिंग करता है, तो बीमारी और ज्यादा खतरनाक हो जाती है। निकोटीन सीधा शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाता, लेकिन यह दूसरे केमिकल के साथ रिएक्शन कर टार बनाता है. यह टार लंग्स को नुकसान करने लगता है.
9 – सिगरेट से ज्यादा नुक्सान देती है बीड़ी
बीड़ी के तंबाकू में 44 केमिकल्स की पहचान भी हो चुकी है विशेषज्ञ  के मुताबिक बीड़ी और सिगरेट दोनों ही खतरनाक हैं, लेकिन सिगरेट से कहीं ज्यादा बीड़ी खतरनाक है. दोनों में ही तंबाकू का इस्तेमाल किया जाता है.इसमें लगभग 44 ऐसे केमिकल्स हैं, जिसकी पहचान हो चुकी है। उन्होंने बताया कि इसकी वजह से लंग्स के साथ-साथ ब्रेन और गले कैंसर ज्यादा होता है. नॉर्थ-ईस्ट में बीड़ी पीने का चलन ज्यादा है, इसलिए देश में सबसे ज्यादा कैंसर के मरीज वहीं हैं.

10 – प्रजनन क्षमता को कम करता है  
प्रजनन क्षमता में कमी के लिए धुम्रपान काफी हद तक जिम्मेदार है. एक शोध के अनुसार धूम्रपान, भ्रूण के विकास में पुरुष के शुक्राणुओं और कोशिकाओं की संख्या को नुकसान पहुंचाते हैं. महिलाओं के द्वारा धूम्रपान करने से गर्भस्राव या जन्म देने वाले बच्चे में स्वास्थ्य समस्याएं होने की अधिक संभावना होती है. इसके अलावा, धूम्रपान से ओवुलेशन समस्याएं हो सकती है.
11 – सिगरेट बीड़ी के नुकसान मधुमेह डायबिटीज के खतरे को बढ़ाएं  
एक अध्ययन के मुताबिक सक्रिय सिगरेट बीड़ी धूम्रपान टाइप-2 मधुमेह के खतरे से जुड़ा हुआ है. यह ग्लूकोज चयापचय को भी बिगाड़ता है, जो कि टाइप 2 मधुमेह की शुरुआत हो सकती है. इसके अलावा, यह बॉडी मास इंडेक्स स्वतंत्र तंत्र के माध्यम से मधुमेह के खतरे को बढ़ाता है. डायबिटीज के जर्नल जर्नल में 2012 में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि धुएं और सक्रिय धूम्रपान महिलाओं में टाइप 2 मधुमेह के खतरे से जुड़े हुए है. इसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने वाली महिलाओं को गर्भस्राव संबंधी मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है और बच्चे को बाद में मधुमेह का खतरा हो सकता है. जैसा कि मधुमेह अधिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानी पैदा कर सकता है, इस रोग की संभावना कम करने के लिए धूम्रपान छोड़ना बेहतर है.
12 – धूम्रपान से डिमेंशिया अथवा अल्जाइमर
धूम्रपान करने वाले दोनों पुरुष और महिलाओं में डिमेंशिया या अल्जाइमर जैसे रोग होने की संभावना अधिक होती है और बाद के वर्षों में मानसिक कमजोरी का अनुभव भी कर सकते हैं. सिगरेट में मौजूद निकोटीन मस्तिष्क के लिए हानिकारक है और डिमेंशिया या अल्जाइमर रोग की शुरूआत को बढ़ाता है. इसके अलावा, धूम्रपान ना करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वाले में समय के साथ अवसाद, घबराहट संबंधी विकार या सिज़ोफ्रेनिया विकसित होने की अधिक संभावना है.

13 – चाय के साथ सही नहीं धूम्रपान
वहीं कई जानकारों का ये भी कहना है कि चाय के साथ भी सिगरेट नहीं पीनी चाहिए, क्योंकि चाय में कैफीन होता है जो कि सिगरेट के निकोटिन के साथ मिलकर शरीर को भारी नुकसान पहुंचाता है. इसलिए चाय और सिगरेट दोनों को कभी एक साथ ना लें.
14 – धूम्रपान के आंखों के लिए दुष्परिणाम 
धूम्रपान करने वाले लोगों में आयु-संबंधित धब्बेदार अध पतन जैसी दृष्टि संबंधी समस्याएं होने की अधिक संभावना है. जो लोग धूम्रपान करते हैं उनकी वजह से आसपास के लोगों में भी इसका ख़तरा बढ़ रहा है. धूम्रपान से मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, मधुमेह के रेटिनोपैथी और ड्राई आई सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है. सिगरेट के धुएं में आर्सेनिक, फार्मलाडिहाइड और अमोनिया शामिल हैं. ये रसायन खून में शामिल होकर आंखों के नाजुक ऊतकों तक पहुंच जाते हैं जिससे रेटिना कोशिकाओं की संरचना को नुकसान होता है. धूम्रपान छोड़ने से, आप निश्चित तौर पर आयु-संबंधित धब्बेदार अध: पतन विकसित करने का जोखिम कम कर सकते हैं.
15 – खाली पेट ना करें धूम्रपान
अगर आप भी ऐसा करते हैं तो आपको इस आदत को बदल देना चाहिए. दरअसल अगर आप खाली पेट सिगरेट पीएंगे तो गैस की समस्या के साथ पाचन शक्ति भी कमजोर हो जाएगी.
16 – धूम्रपान करने वालो के घाव देरी से भरते हैं
कई रोगों के अलावा, धूम्रपान करने वाले लोगों के घावों और हड्डियों के फ्रैक्चर को ठीक करने में कठिनाई होती है. सिगरेट के धुएं में कई यौगिक जैसे निकोटीन, टायर, नाइट्रिक ऑक्साइड, हाइड्रोजन साइनाइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सुगंधित अमाइन, एनोक्सिया, हाइपोक्सिया, व्हेसोकोनस्ट्रक्शन के प्रभाव के माध्यम से उपचार को रोकते हैं.

17 – स्मोकिंग साइड इफेक्ट्स करें उम्र बढ़ाने की प्रक्रिया तेज
धूम्रपान आपकी त्वचा की सामान्य उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज कर सकता है, समय से पहले झुर्रियाँ, त्वचा की सूजन, फाइन लाइन और एज स्पॉट्स में योगदान देता है. त्वचा की उम्र बढ़ना सिर्फ चेहरे पर ही नहीं है बल्कि पूरे शरीर में भी बदलाव दिखाई देते हैं. सिगरेट में निकोटीन रक्त वाहिकाओं को कम करने का कारण बनता है, जिसका अर्थ है आपकी त्वचा की बाहरी परतों में रक्त प्रवाह कम होना. कम रक्त प्रवाह के साथ, आपकी त्वचा को पर्याप्त ऑक्सीजन और महत्वपूर्ण पोषक तत्व नहीं मिलते हैं.
18 – पैसिव स्मोकिंग और एक्टिव स्मोकिंग 
पैसिव स्मोकिंग धूम्रपान करने वाला व्यक्ति जो धुंआ छोड़ता है उसे एक्सहेल्ड मेनस्ट्रीम स्मोक कहा जाता है जबकि जली हुई सिगरेट से निकलने वाला धुंआ साइडस्ट्रीम स्मोक कहलाता है. मेनस्ट्रीम व साइडस्ट्रीम धुंए के इस मेल को सेकेंड हैंड स्मोक या पैसिव स्मोकिंग कहा जाता है. इस स्थिति में व्यक्ति खुद धूम्रपान नहीं करता लेकिन दूसरे के धुएं को सांस के जरिए अंदर लेने पर मजबूर होता है. इससे सबसे ज्यादा बच्चे व महिलाएं प्रभावित होती हैं.

सिगरेट बीड़ी के धुएं में बेहद खतरनाक चीजें 

  • टार – ये फेफड़ों में मौजूद इन्फेक्शन और बैक्टीरिया पैदा करता है और फेफड़ों पर जम जाता है. इसमें मौजूद केमिकल कैंसर का कारण बनते हैं.
  • कार्बन मोनोऑक्साइड : ये खून में मौजूद ऑक्सीजन को कम करती है. इससे जल्दी थकान और कमजोरी आने लगती है. सांस लेने में परेशानी होती है फेफड़ों की बीमारी हो सकती है.
  • ऑक्सीडेंट गैसें- ये गैसें ऑक्सीजन के साथ नेगेटिव रिएक्ट करती हैं और खून को ज्यादा गाढ़ा बना देती हैं, इससे स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.
  • बेंजीन– ये हमारे शरीर के सेल्स को डैमेज करता है जो कई तरह के कैंसर का कारण भी बन सकता है.

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