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परिचय – साइनस क्या है? (What is sinusitis/ sinus)

साइनस को साइनोसाइटिस (Sinusitis) के नाम से भी जाना जाता है। यह नाक में होने वाली एक गंभीर समस्या है. जब किसी व्यक्ति के नाक की हड्डी बढ़ जाती है और उसको जुखाम की समस्या रहती है, तो उस स्थिति को साइनस या साइनसाइटिस बीमारी कहते हैं. यह बीमारी मामूली सी सर्दी-जुकाम के रूप में शुरू होकर धीरे धीरे बैक्टीरियल, वायरल या फंगल संक्रमण के रूप में विकसित हो जाती है। कई बार यह बीमारी समय के साथ साथ ठीक हो जाती है. मगर अगर साइनस काफी लंबे समय तक रह जाए तो उसके लिए नाक की सर्जरी करवाना ही एकमात्र विकल्प है। साइनस से पीड़ित व्यक्ति को ठंडी हवा, धूल और धुएं के संपर्क में आने से बचना चाहिए। इसके अलावा साइनस का दर्द इस बात पर निर्भर करता है कि पीड़ित व्यक्ति को किस प्रकार के साइनसाइटिस की समस्या है।

Types of Sinusitis

साइनस के प्रकार (Types of Sinusitis in Hindi)
साइनस मुख्य रूप से 4 प्रकार होता है, जो निम्नलिखित है:
1-एक्यूट साइनस- यह सामान्य साइनस है, जिसे इंफेक्शन साइनस के नाम से भी जाना जाता है।
एक्यूट साइनस (Acute sinus) मुख्य रूप से उस स्थिति में होता है, जो कोई व्यक्ति किसी तरह के वायरस या बैक्टीरिया के संपर्क में आ जाता है।
2-क्रोनिक साइनस- इस तात्पर्य ऐसी स्थिति से है, जिसमें नाक के छेद्रों के आस-पास की कोशिकाएं सूज जाती हैं। क्रोनिक साइनस (Chronic sinus) होने पर नाक सूज जाता है और इसके साथ में व्यक्ति को दर्द भी होता है।
3-डेविएटेड साइनस- जब साइनस नाक के एक हिस्से पर होता है, तो उसे डेविएटेड साइनस (Deviated sinus) के नाम से जाना जाता है। इसके होने पर नाक बंद हो जाता है और व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है।
4-हे साइनस- हे साइनस (Hay sinus) को एलर्जी साइनस भी कहा जा सकता है। यह साइनस मुख्य रूप से उस व्यक्ति को होता है, जिसे धूल के कणों, पालतू जानवरों इत्यादि से एलर्जी होती है।

साइनस के लक्षण (Sinusitis Symptoms in Hindi)
1. सिर में दर्द और भारीपन
2. आवाज में बदलाव
3. बुखार और बेचैनी
4. आंखों के ठीक ऊपर दर्द
5. दांतों में दर्द
6. सूंघने और स्वाद की शक्ति कमजोर होना
7. बाल सफेद होना
8. नाक से पीला लिक्विड गिरने की शिकायत

साइनस के कारण (Sinusitis Causes in Hindi)
1. एलर्जी का होना- यह नाक की बीमारी मुख्य रूप से उस व्यक्ति को हो सकती है, जिसे किसी तरह की एलर्जी होती है। इसी कारण व्यक्ति को अपनी एलर्जी की जांच समय-समय पर कराती रहनी चाहिए।
2. रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना- यदि किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immune System) है, तो उसे साइनस की समस्या हो सकती है।
3. नाक की असामान्य संरचना का होना- जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया गया है कि नाक की यह समस्या उस स्थिति में हो सकती है, जब किसी व्यक्ति की नाक की संरचना असामान्य होती है।
अत: जब कोई व्यक्ति इस समस्या को लेकर किसी डॉक्टर के पास जाता है, तो उस स्थिति में डॉक्टर उसके नाक का एक्स-रे करते हैं ताकि उसकी नाक की संरचना का पता लगाया जा सके।
4. फैमली हिस्ट्री का होना- किसी भी अन्य समस्या की तरह साइनस भी फैमली हिस्ट्री की वजह से हो सकती है। अन्य शब्दों में, यदि किसी शख्स के परिवार में किसी अन्य व्यक्ति साइनस है, तो उसे यह नाक की बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है।
5. माइग्रेन से पीड़ित होना- साइनस उस शख्स को भी हो सकती है, जो माइग्रेन (Migraine) से पीड़ित है। अत: माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति को इसका इलाज सही से कराना चाहिए।

साइनस से बचाव (Prevention of Sinusitis in Hindi)
1- हाथों को अच्छी तरह से धोएं और स्वच्छता बनाये रखें।
2- धूल और फफूंद जैसे प्रदूषण से बचें और अधिक से अधिक स्वच्छ वतावरण में रहने की कोशिश करें।
3- ऊपरी श्वसन प्रणाली के संक्रमण से बचें। इसके अलावा जो लोग सर्दी-जुकाम से ग्रस्त हो उन्हें न छुएं या 4- उनके संपर्क में न आएं। बार-बार अपने हाथ साबुन से धोएं खासकर भोजन करने से पहले।
5- अगर आपको कोई ज्ञात एलर्जी है तो उससे बचने की लोशिश करें।
6- धूम्रपान और प्रदूषित हवा से बचें। तम्बाकू का धुआं और प्रदूषित वायु आपके फेफड़े और नाक में सूजन पैदा करती है।

साइनस का घरेलू उपचार (Home Remedies for Sinusitis in Hindi)
साइनस के कारण लगातार दर्द होता है और छींक आती रहती है। इससे इंसान कमजोर हो जाता है। बिना दवा के ठीक होने के लिए सबसे जरूरी है आराम और अच्छी नींद। इसके बाद ही कोई घरेलू इलाज कारगर साबित होगा।
1. अगर आपको साइनस की वजह से सिरदर्द और सांस लेने में परेशानी महसूस कर रहे हैं, तो ऐसे में प्याज को धोकर कद्दूकस करके उसका रस निकालकर पानी में मिलाकर उबाल लें। फिर प्याज वाले पानी से कुछ देर भाप लेकर सो जाएं। इससे कुछ देर में आपकी बंद नाक खुल जाएगी।
2. साइनस के उपचार में तेल का उपयोग करना बेहद फायदेमंद होता है। आमतौर पर साइनस को ठीक करने के लिए पुदीने, नींबू और लौंग के तेल का इस्तेमाल किया जाता है। नियमित रूप से इन तेलों को गर्म करके सीने, नाक और सिर पर मसाज करने से राहत मिलती है। इन खास तेलों को घर में भी आसानी से बनाया जा सकता है। इसके लिए नारियल या जैतून के तेल में पुदीना पत्ती या नींबू के छिलकों डालकर गर्म करें या धूप में लगातार 1 सप्ताह रखें।
3. साइनस को दूर करने के लिए गर्मागर्म चाय पीना भी बेहद असरदार उपाय है। इसके लिए अदरक, तुलसी, लौंग और इलायची वाली चाय पीने से न सिर्फ बंद नाक खुलती है बल्कि सर्दी जुकाम और सिरदर्द में भी राहत मिलती है।
4.साइनस की समस्या से छुटकारा पाने के लिए टमाटर भी कारगर होता है। टमाटर, लहसुन,नमक एक मिक्सर में डालकर पेस्ट बना लें, फिर पानी डालकर एक उबाल आने तक पका लें फिर काली मिर्च पाउडर मिलाकर गर्मागर्म सूप का सेवन करें।
5.अगर आप साइनस की कड़वी दवाईयों और नोजल का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं, तो ऐसे में रोजाना लहसुन की 1-2 कलियों का सेवन करें या गर्मागर्म सूप बनाकर पीएं। लहसुन में एंटी फंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। जिससे इंफेक्शन को आसानी से दूर किया जा सकता है।
6. साइनस के दर्द के इलाज का सबसे आसान व प्रभावी घरेलू उपाय है स्टीम। स्टीम नाक के मार्ग को खोलने में मदद करती है। साथ ही इससे साइनस प्रेशर भी कम होता है। स्टीम लेने के लिए पहले आप एक बर्तन में पानी डालकर उसे उबाल लें. अब उस बर्तन के उपर अपना मुंह रखें। हालांकि पानी से थोड़ी दूरी बनाए रखें ताकि आप जल न जाएं। इसके बाद आप अपने सिर के उपर तौलिया रखें। साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि भाप आपके नाक के रास्ते भीतर जाए।
7. वार्म कंप्रेस साइनस के दर्द व प्रेशर से राहत पाने का एक प्रभावी उपाय है। इसके लिए आप एक तौलिए को गर्म पानी में डिप करें। अब इसे हल्का सा निचोड़कर अपने नाक व चीक्स के उपर रखें। इससे आपको काफी राहत महसूस होगी।

साइनस का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment to avoid sinus in Hindi)
आयुर्वेद इसका अच्छा व स्थाई रूप से समाधान प्रदान कर सकता है. इसके लिए आप निम्न उपाय कर सकते हैं.
1- नियमित प्राणायाम करें.
2- नाक में सुबह व शाम गाय के शुद्ध घी की कुछ बूंदें डालें.
3- रीढ़ की हड्डी पर किसी पोषक तेल की मालिश करें.
4- एक कप गुनगुने पानी में एक चुटकी नमक डालकर पानी को चुल्लू से नाक में लगभग एक से दो इंच तक अंदर खींचें, फिर निकाल दें. इससे तुरंत राहत मिलती है. यह इन्फ़ेक़्शन को कम करता है और साइनस के ब्लॉकेज को हटाता है.
5- रात में सोते समय आग में भुने हुए अनार के रस में अदरक का रस मिलाकर पिएं. अनार को माइक्रोवेव में भून सकते हैं.

साइनस की दवा ( Medicines for Sinusitis in Hindi)
साइनस के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।
Medicine Name
1. Blumox Ca
2. Bactoclav
3. Mega CV
4. Erox Cv
5. Moxclav 625 Mg Tablet
6. Novamox
7. Moxikind Cv
8. Pulmoxyl
9. Clavam
10. Advent
11. Augmentin
12. Clamp
13. Mox
14. Zemox Cl
15. P Mox Kid
16. Aceclave
17. Amox Cl
18. Zoclav
19. Polymox
20. Acmox
21. Staphymox
22. Acmox Ds
24. Amoxyclav
24. Zoxil Cv

साइनस की ओटीसी दवा (OTC Medicines for Sinusitis in Hindi)
साइनस के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।
OTC Medicine Name
1. Baidyanath Madhu
2. Baidyanath Agastya Haritaki Combo Pack of 3 By Baidyanath
3. Patanjali Divya Shadbindu Tail

साइनस का होम्योपैथी में इलाज
होम्योपैथी में साइनस के इलाज के लिए इस तरह की दवाएं दी जाती हैं जिनसे सिरदर्द में आराम मिले और कैविटी में भरा बलगम जुकाम के जरिए बाहर निकले। ये दवाएं हैं:
1. कली बिक्रोमियम (Kali Bichromicum) 30: 5-5 गोली दिन में तीन बार
2. आर्सेनिकम अल्बम (Arsenicum Album) 30: 5-5 गोली दिन में तीन बार
3. सिलैसिआ (Silicea) 30: 5-5 गोली दिन में तीन बार
4. सैम्बुकस निग्रा (Sambucus Nigra) 30: 5-5 गोली दिन में तीन बार
नोट: ये सभी दवाएं डॉक्टर मरीज की उम्र और बीमारी के लक्षणों के मुताबिक देता है। जब साइनस की प्रॉब्लम पहली बार हो तब ये दवाएं 1 से 2 हफ्ते चलती हैं। जब साइनस की प्रॉब्लम बार-बार हो या बीमारी पुरानी हो जाए तो दवाएं 3 से 6 महीने तक दी जाती हैं। दवा डॉक्टर से पूछे बिना कतई न लें।

साइनस के दौरान बरतें ये सावधानियां (Take these precautions during sinus)
साइनस के दौरान कुछ बातों का ख्याल रखना जरूरी होती है।
1. पर्याप्त जल : शरीर में पर्याप्त जल की कमी कई शारीरिक बीमारियों को दावत दे सकती है, इसलिए दिनभर 3-4 लीटर पानी पीने की सलाह दी जाती है। जहां तक संभव हो, गुनगुने पानी का सेवन करें।  पानी का संचार शरीर के विषैले तत्वों को मल-मूत्र के जरिए बाहर निकालने में मदद करता है ।
2. खान-पान : असंयमित भोजन न सिर्फ साइनस, बल्कि संपूर्ण शरीर की समस्याओं की जड़ बन सकता है। इसलिए, खानपान और इससे जुड़ी बातों को गंभीरता से लें। ध्यान रहे, साफ और पौष्टिक तत्वों से भरपूर भोजन आपके शरीर के सच्चे मित्र होते हैं। खाने-पीने का समय तय रखें। इसके अलावा धूम्रपान और शराब पूरी तरह से छोड़ दें।
3. वेंटिलेशन : शयन कक्ष या फिर जिस कमरे में ज्यादा समय बिताते हो, वहां खिड़कियां जरूरी होनी चाहिएं, ताकि बाहर की ताजा हवा आपके शरीर तक पहुंच सके। स्वच्छ हवा के अभाव में आप साइनस की समस्या से ग्रसित हो सकते हैं। अगर आपके कमरे में एसी लगा हुआ है, तो आप बीच-बीच में उसे बंद कर खिड़कियों को जरूर खोलें। ज्यादा समय एसी में रहने की वजह से भी सांस संबंधी परेशानियों का खतरा बढ़ सकता है ।
4. करें आराम: सही समय पर सोएं और पर्याप्त नींद लें। देर रात तक न जागें। आपको शायद पता न हो लेकिन साइनस के पेन से राहत पाने के लिए पर्याप्त आराम करना भी बेहद जरूरी है। इसलिए अच्छी नींद लेने से भी आप जल्दी ठीक हो सकते हैं.
5. आसपास की जगहों को साफ रखें :  प्रभावित करती है। आर्द्रता का गलत प्रभाव श्वसन संक्रमण और एलर्जी को बढ़ा सकता है। कमरे में अत्यधिक या कम आर्द्रता के कारण समस्या खड़ी हो सकती हैं। इसलिए, कमरे में इसका संतुलन (40 से 60 प्रतिशत) बनाकर रखें । आर्द्रता को आप आर्द्रतामापी यंत्र के द्वारा नाप सकते हैं। यह यंत्र बाजार में आसानी से मिल जाएगा। अंग्रेजी में इसे इंडोर हाइड्रोमीटर कहते हैं।
6. प्राणायम: साइनस ठीक रखने में अनुलोम विलोम प्राणायम बहुत फायदेमंद है। इसके अलावा उत्तानासन, कपालभाती और कर्नापीड़ासन साइनस के लिए रामबाण हैं।
7. जागरूकता : आप किसी भी समस्या का हल तभी निकाल सकते हैं, जब आपको उससे संबंधित जानकारी हो। साइनस की समस्या से बचने का सबसे कारगर तरीका जागरूकता है। इसलिए, बताए गए साइनस के लक्षणों को ठीक से समझ लें, ताकि मुसीबत के समय आप अपना इलाज स्वयं कर सकें।

साइनस संक्रमण या साइनसाइटिस का परिक्षण कैसे किया जाता है? Diagnosis of Sinusitis in Hindi
साइनस संक्रमण का निदान अक्सर पिछली चिकित्सा की जानकारी और डॉक्टर द्वारा किए गए परिक्षण के आधार पर किया जाता है। साइनस का खाली एक्स-रे अध्ययन भ्रामक हो सकता है। सीटी स्कैन और एमआरआई स्कैन साइनस संक्रमण का निदान करने की क्षमता में बहुत संवेदनशील मशीनें होती हैं, लेकिन ये मशीनें बहुत महंगी होती हैं और ज्यादातर अस्पतालों में उपलब्ध नहीं होती। इसीलिए आम तौर पर साइनस संक्रमण का शुरुआती निदान और इलाज मेडिकल निष्कर्षों के आधार पर किया जाता है। इसमें नीचे दिए गए निष्कर्ष शामिल हो सकते हैं-

नाक के मार्ग में सूजन आना और लाल हो जाना, नाक से बलगम या पस (pus) निकलना (लक्षणों के रूप से साइनस संक्रमण के निदान के लिए यह सबसे संभावित लक्षण हो सकता है), गाल या माथे की त्वचा को छूने पर त्वचा में दर्द महसूस होना, आंखों के पास और गालों पर सूजन, कभी-कभी गुप्त कोशिकाओं के लिए नाक के स्त्राव की जांच की जाती है जो संक्रामक और एलर्जिक साइनसाइटिस के बीच अंतर बताने में मदद करती है।

अगर साइनस संक्रमण शुरुआती उपचार से ठीक नहीं होता, तो सीटी स्कैन और एमआरआई स्कैन की मदद से गहन अध्ययन किए जा सकते हैं। गर्भवती महिलाओं में साइनस के संक्रमण का निदान करने के लिए अल्ट्रासाउंड का प्रयोग किया जाता है, पर यह सी.टी. स्कैन, एमआरआई और राइनोस्कॉपी या एंडोस्कॉपी की तरह सटीक लक्षण नहीं दिखा पाता। इसके अलावा, एंडोस्कॉपी का प्रयोग साइनस के नैदानिक सामग्री प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह प्रतिक्रिया सामान्य बेहोशी की दवा की मदद से ऑटोलेरिंगोलोजिस्ट (otolaryngologist) द्वारा की जाती है। कभी-कभी मरीज को शामक (बेहोशी की दवा) देने की जरूरत भी पड़ सकती है। कुछ जांचकर्ताओं के अनुसार, सुई द्वारा छेद करके प्राप्त किए गए नमूनों से एंडोस्कॉपी के नमूने तुलनीय हैं।

कवक संक्रमण (फंगल इन्फेक्शन) का निदान आम तौर से बायोप्सी प्रतिक्रिया (biopsy procedures) द्वारा किया जाता है। एलर्जिकल फंगल साइनसाइटिस, साइनस कैविटी के फंगल तत्वों में सूजन पैदा करता है, इसका निदान सीटी स्कैन और इमेंजिंग टेस्ट के आधार पर या फिर शारीरिक परिक्षण के आधार पर किया जाता है।

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए –
क्रोनिक साइनसाइटिस विकसित होने से पहले आपको कई बार एक्यूट साइनसाइटिस हो सकता है। बार-बार एक्यूट साइनसाइटिस होने के साथ इन स्थितियों में डॉक्टर को जरूर दिखाएं। आपको एक्यूट साइनसाइटिस कई बार हो चुका है और इलाज करने पर भी ठीक नहीं हो रहा है। साइनसाइटिस के लक्षण सात दिन से ज्यादा चल रहे हों या फिर डॉक्टर को दिखाने के बाद भी लक्षणों में सुधार नहीं आता है। इसके अलावा तेज बुखार, आखों के आसपास त्वचा का लाल पड़ जाना और सूजन, सिर में बहुत अधिक दर्द महूसस करना और दवा लेने पर भी ठीक न होना, लगातार उलझन महसूस करना, एक चीज दो बार दिखाई देना या देखने में अन्य परेशानी, गर्दन में अकड़न लक्षण अगर आप मससूस करते हैं तो डॉक्टर से तुरंत सलाह लें। यह लक्षण गंभीर संक्रमण के संकेत हो सकते हैं।

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