Chanakya Niti

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चाणक्य नीति अध्याय 13, Chanakya Niti Chapter 13 In Hindi
कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में विश्वविख्‍यात और मौर्य साम्राज्य के संस्थापक आचार्य चाणक्य एक ऐसी महान विभूति थे, जिन्होंने अपनी विद्वत्ता, बुद्धिमता और क्षमता के बल पर भारतीय इतिहास की धारा को बदल दिया. आज हम आपके लिए “चाणक्य नीति” के सभी सत्रह अध्याय लेकर आए हैं. जानकारी के लिए बता दें कि “चाणक्य नीति” आचार्य चाणक्य की नीतियों का अद्भुत संग्रह है, जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना वह दो हजार चार सौ साल पहले था, जब इसे लिखा गया था.

चाणक्य नीति द्वारा मित्र-भेद से लेकर दुश्मन तक की पहचान, पति-परायण तथा चरित्र हीन स्त्रियों में विभेद, राजा का कर्तव्य और जनता के अधिकारों तथा वर्ण व्यवस्था का उचित निदान हो जाता है. जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि महापंडित आचार्य चाणक्य की ‘चाणक्य नीति’ में कुल सत्रह अध्याय है, इन्हे आप यहां पढ़ सकते हैं. हमने आपकी सुविधा के लिए हर एक अध्याय के नीचे बाकि के बचे सभी अध्याय की लिंक्स भी प्रकाशित कर दी है, ताकि आप एक ही जगह से संपूर्ण चाणक्य नीति का अध्ययन कर सके.

चाणक्य नीति तेरहवां अध्याय, Chanakya Niti Chapter 13
1- यदि आदमी एक पल के लिए भी जिए तो भी उस पल को वह शुभ कर्म करने में खर्च करे. एक कल्प तक जी कर कोई लाभ नहीं. दोनों लोक इस लोक और पर-लोक में तकलीफ होती है.
2- हम उसके लिए ना पछताए जो बीत गया. हम भविष्य की चिंता भी ना करे. विवेक बुद्धि रखने वाले लोग केवल वर्तमान में जीते है.
3- यह देवताओं का, संत जनों का और पालकों का स्वभाव है की वे जल्दी प्रसन्न हो जाते है. निकट के और दूर के रिश्तेदार तब प्रसन्न होते है जब उनका आदर सम्मान किया जाए. उनके नहाने का, खाने पीने का प्रबंध किया जाए. पंडित जन जब उन्हें अध्यात्मिक सन्देश का मौका दिया जाता है तो प्रसन्न होते है.
4- जब बच्चा माँ के गर्भ में होता है तो यह पाच बातें तय हो जाती है…
१. कितनी लम्बी उम्र होगी. २. वह क्या करेगा ३. और ४. कितना धन और ज्ञान अर्जित करेगा. ५. मौत कब होगी.
5- देखिये क्या आश्चर्य है? बड़े लोग अनोखी बातें करते है. वे पैसे को तो तिनके की तरह मामूली समझते है लेकिन जब वे उसे प्राप्त करते है तो उसके भार से और विनम्र होकर झुक जाते है.

6- जो व्यक्ति अपने घर के लोगों से बहुत आसक्ति रखता है वह भय और दुःख को पाता है. आसक्ति ही दुःख का मूल है. जिसे सुखी होना है उसे आसक्ति छोडनी पड़ेगी.
7- जो भविष्य के लिए तैयार है और जो किसी भी परिस्थिति को चतुराई से निपटता है. ये दोनों व्यक्ति सुखी है. लेकिन जो आदमी सिर्फ नसीब के सहारे चलता है वह बर्बाद होता है.
8- यदि राजा पुण्यात्मा है तो प्रजा भी वैसी ही होती है. यदि राजा पापी है तो प्रजा भी पापी. यदि वह सामान्य है तो प्रजा सामान्य. प्रजा के सामने राजा का उद्धारण होता है. और वह उसका अनुसरण करती है.
9- मेरी नज़रों में वह आदमी मृत है जो जीते जी धर्म का पालन नहीं करता. लेकिन जो धर्म पालन में अपने प्राण दे देता है वह मरने के बाद भी बेशक लम्बा जीता है.
10- जिस व्यक्ति ने न ही कोई ज्ञान संपादन किया, ना ही पैसा काया, मुक्ति के लिए जो आवश्यक है उसकी पूर्ति भी नहीं किया. वह एक निहायत बेकार जिंदगी जीता है जैसे के बकरी की गर्दन से झूलने वाले स्तन.

11- जो नीच लोग होते है वह दूसरे की कीर्ति को देखकर जलते है. वह दूसरे के बारे में अपशब्द कहते है क्यों की उनकी कुछ करने की औकात नहीं है.
12- यदि विषय बहुत प्रिय है तो वह बंधन में डालते है. विषय सुख की अनासक्ति से मुक्ति की और गति होती है. इसीलिए मुक्ति या बंधन का मूल मन ही है.
13- जो आत्म स्वरूप का बोध होने से खुद को शारीर नहीं मानता, वह हरदम समाधि में ही रहता है भले ही उसका शरीर कही भी चला जाए.
14- किस को सब सुख प्राप्त हुए जिसकी कामना की. सब कुछ भगवान के हाथ में है. इसलिए हमें संतोष में जीना होगा.
15- जिस प्रकार एक गाय का बछड़ा, हज़ारों गायों में अपनी माँ के पीछे चलता है उसी तरह कर्म आदमी के पीछे चलते है.

16- जिस के काम करने में कोई व्यवस्था नहीं, उसे कोई सुख नहीं मिल सकता. लोगों के बीच या वन में. लोगों के मिलने से उसका ह्रदय जलता है और वन में तो कोई सुविधा होती ही नहीं.
17- यदि आदमी उपकरण का सहारा ले तो भूगर्भ से पानी निकाल सकता है. उसी तरह यदि विद्यार्थी अपने गुरु की सेवा करे तो गुरु के पास जो ज्ञान निधि है उसे प्राप्त करता है.
18- हमें अपने कर्म का फल मिलता है. हमारी बुद्धि पर इसके पहले हमने जो कर्म किये है उसका निशान है. इसीलिए जो बुद्धिमान लोग है वह सोच विचार कर कर्म करते है.
19- जिस व्यक्ति ने आपको अध्यात्मिक महत्ता का एक अक्षर भी पढाया उसकी पूजा करनी चाहिए. जो ऐसे गुरु का सम्मान नहीं करता वह सौ बार कुत्ते का जन्म लेता है. और आखिर चंडाल बनता है. चांडाल वह है जो कुत्ता खाता है.
20- जब युग का अंत हो जायेगा तो मेरु पर्वत डिग जाएगा. जब कल्प का अंत होगा तो सातों समुद्र का पानी विचलित हो जायेगा. लेकिन साधु कभी भी अपने अध्यात्मिक मार्ग से नहीं डिगेगा.
21- इस धरती पर अन्न, जल और मीठे वचन ये असली रत्न है. मूर्खों को लगता है पत्थर के टुकड़े रत्न है.

चाणक्य नीति के सभी अध्याय यहां पढ़ें

  1. चाणक्य नीति अध्याय 1, चाणक्य नीति पहला भाग, Chanakya Niti Adhyay Ek, Chanakya Niti Pratham Adhyay, Chanakya Niti Chapter 1 In Hindi
  2. चाणक्य नीति अध्याय 2, चाणक्य नीति दूसरा भाग, Chanakya Niti Adhyay Do, Chanakya Niti Dwitiya Adhyay, Chanakya Niti Chapter 2 In Hindi
  3. चाणक्य नीति अध्याय 3, चाणक्य नीति तीसरा भाग, Chanakya Niti Adhyay Teen, Chanakya Niti Tritiya Adhyay, Chanakya Niti Chapter 3 In Hindi
  4. चाणक्य नीति अध्याय 4, चाणक्य नीति चौथा भाग, Chanakya Niti Adhyay Char, Chanakya Niti Chautha Adhyay, Chanakya Niti Chapter 4 In Hindi
  5. चाणक्य नीति अध्याय 5, चाणक्य नीति पांचवा भाग, Chanakya Niti Adhyay Paanch, Chanakya Niti Panchwa Adhyay, Chanakya Niti Chapter 5 In Hindi
  6. चाणक्य नीति अध्याय 6, चाणक्य नीति छठवाँ भाग, Chanakya Niti Adhyay Chah, Chanakya Niti Chhatwa Adhyay, Chanakya Niti Chapter 6 In Hindi
  7. चाणक्य नीति अध्याय 7, चाणक्य नीति सातवाँ भाग, Chanakya Niti Adhyay Saat, Chanakya Niti Saatwa Adhyay, Chanakya Niti Chapter 7 In Hindi
  8. चाणक्य नीति अध्याय 8, चाणक्य नीति आठवाँ भाग, Chanakya Niti Adhyay Aath, Chanakya Niti Aathvan Adhyay, Chanakya Niti Chapter 8 In Hindi
  9. चाणक्य नीति अध्याय 9, चाणक्य नीति नौवाँ भाग, Chanakya Niti Adhyay Nau, Chanakya Niti Nauvaan Adhyay, Chanakya Niti Chapter 9 In Hindi
  10. चाणक्य नीति अध्याय 10, चाणक्य नीति दसवां भाग, Chanakya Niti Adhyay Dus, Chanakya Niti Dasvan Adhyay, Chanakya Niti Chapter 10 In Hindi
  11. चाणक्य नीति अध्याय 11, चाणक्य नीति ग्यारहवाँ भाग, Chanakya Niti Adhyay Gyarah, Chanakya Niti Gyarahva Adhyay, Chanakya Niti Chapter 11 In Hindi
  12. चाणक्य नीति अध्याय 12, चाणक्य नीति बारहवाँ भाग, Chanakya Niti Adhyay Baarah, Chanakya Niti Barahwa Adhyay, Chanakya Niti Chapter 12 In Hindi
  13. चाणक्य नीति अध्याय 13, चाणक्य नीति तेरहवां भाग, Chanakya Niti Adhyay Terah, Chanakya Niti Terwa Adhyay, Chanakya Niti Chapter 13 In Hindi
  14. चाणक्य नीति अध्याय 14, चाणक्य नीति चौदहवां भाग, Chanakya Niti Adhyay Chaudah, Chanakya Niti Chaudahavaan Adhyay, Chanakya Niti Chapter 14 In Hindi
  15. चाणक्य नीति अध्याय 15, चाणक्य नीति पन्द्रहवां भाग, Chanakya Niti Adhyay Pandrah, Chanakya Niti Pandrahva Adhyay, Chanakya Niti Chapter 15 In Hindi
  16. चाणक्य नीति अध्याय 16, चाणक्य नीति सोलहवाँ भाग, Chanakya Niti Adhyay Solah, Chanakya Niti Solahva Adhyay, Chanakya Niti Chapter 16 In Hindi
  17. चाणक्य नीति अध्याय 17, चाणक्य नीति सतरहवाँ भाग, Chanakya Niti Adhyay Satrah, Chanakya Niti Satrahavaan Adhyay, Chanakya Niti Chapter 17 In Hindi

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