Chanakya Niti

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चाणक्य नीति अध्याय 10, Chanakya Niti Chapter 10 In Hindi
कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में विश्वविख्‍यात और मौर्य साम्राज्य के संस्थापक आचार्य चाणक्य एक ऐसी महान विभूति थे, जिन्होंने अपनी विद्वत्ता, बुद्धिमता और क्षमता के बल पर भारतीय इतिहास की धारा को बदल दिया। आज हम आपके लिए “चाणक्य नीति” के सभी सत्रह अध्याय लेकर आए हैं. जानकारी के लिए बता दें कि “चाणक्य नीति” आचार्य चाणक्य की नीतियों का अद्भुत संग्रह है, जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना वह दो हजार चार सौ साल पहले था, जब इसे लिखा गया था ।

चाणक्य नीति द्वारा मित्र-भेद से लेकर दुश्मन तक की पहचान, पति-परायण तथा चरित्र हीन स्त्रियों में विभेद, राजा का कर्तव्य और जनता के अधिकारों तथा वर्ण व्यवस्था का उचित निदान हो जाता है। जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि महापंडित आचार्य चाणक्य की ‘चाणक्य नीति’ में कुल सत्रह अध्याय है, इन्हे आप यहां पढ़ सकते हैं. हमने आपकी सुविधा के लिए हर एक अध्याय के नीचे बाकि के बचे सभी अध्याय की लिंक्स भी प्रकाशित कर दी है, ताकि आप एक ही जगह से संपूर्ण चाणक्य नीति का अध्ययन कर सके.

चाणक्य नीति दसवां अध्याय, Chanakya Niti Chapter 10
1- जिसके पास धन नहीं है वह गरीब नहीं है, वह तो असल में रईस है, यदि उसके पास विद्या है. लेकिन जिसके पास विद्या नहीं है वह तो सब प्रकार से निर्धन है.
2- हम अपना हर कदम फूँक-फूँक कर रखे. हम छाना हुआ जल पिए. हम वही बात बोले जो शास्त्र सम्मत है. हम वही काम करे जिसके बारे हम सावधानी पुर्वक सोच चुके है.
3- जिसे अपने इन्द्रियों की तुष्टि चाहिए, वह विद्या अर्जन करने के सभी विचार भूल जाए. और जिसे ज्ञान चाहिए वह अपने इन्द्रियों की तुष्टि भूल जाये. जो इन्द्रिय विषयों में लगा है उसे ज्ञान कैसा, और जिसे ज्ञान है वह व्यर्थ की इन्द्रिय तुष्टि में लगा रहे यह संभव नहीं.
4- वह क्या है जो कवि कल्पना में नहीं आ सकता. वह कौनसी बात है जिसे करने में औरत सक्षम नहीं है. ऐसी कौनसी बकवास है जो दारू पिया हुआ आदमी नहीं करता. ऐसा क्या है जो कौवा नहीं खाता.
5- नियति एक भिखारी को राजा और राजा को भिखारी बनाती है. वह एक अमीर आदमी को गरीब और गरीब को अमीर.

6- भिखारी यह कंजूस आदमी का दुश्मन है. एक अच्छा सलाहकार एक मूर्ख आदमी का शत्रु है.
वह पत्नी जो पर पुरुष में रुचि रखती है, उसके लिए उसका पति ही उसका शत्रु है.
जो चोर रात को काम करने निकलता है, चन्द्रमा ही उसका शत्रु है.
7- जिनके पास यह कुछ नहीं है- १- विद्या, २- तप, ३- ज्ञान, ४- अच्छा स्वभाव, ५- गुण, ६- दया भाव, वह धरती पर मनुष्य के रूप में घूमने वाले पशु है. धरती पर उनका भार है.
8- जिनके भेजे खाली है, वह कोई उपदेश नहीं समझते. यदि बाँस को मलय पर्वत पर उगाया जाये तो भी उसमें चन्दन के गुण नहीं आते.
9- जिसे अपनी कोई अकल नहीं उसकी शास्त्र क्या भलाई करेंगे. एक अंधा आदमी आईने का क्या करेगा.
10- एक बुरा आदमी सुधर नहीं सकता. आप पृष्ठ भाग को चाहे जितना साफ़ करे वह श्रेष्ठ भागों की बराबरी नहीं कर सकता.

11- अपने निकट संबंधियों का अपमान करने से जान जाती है.
दूसरों का अपमान करने से दौलत जाती है.
राजा का अपमान करने से सब कुछ जाता है.
एक ब्राह्मण का अपमान करने से कुल का नाश हो जाता है.
12- यह बेहतर है की आप जंगल में एक झाड़ के नीचे रहे, जहाँ बाघ और हाथी रहते है, उस जगह रहकर आप फल खाए और जलपान करे, आप घास पर सोये और पुराने पेड़ों की खालें पहने. लेकिन आप अपने सगे संबंधियों में ना रहे यदि आप निर्धन हो गए है.
13- ब्राह्मण एक वृक्ष के समान है. उसकी प्रार्थना ही उसका मूल है. वह जो वेदों का गान करता है वही उसकी शाखाएं है. वह जो पुण्य कर्म करता है वही उसके पत्ते है. इसीलिए उसे अपने मूल को बचाना चाहिए. यदि मूल नष्ट हो जाता है तो शाखाएं भी ना रहेगी और पत्ते भी.
14- लक्ष्मी मेरी माता है. विष्णु मेरे पिता है. वैष्णव जन मेरे सगे सम्बन्धी है. तीनों लोक मेरा देश है.
15- रात्रि के समय कितने ही प्रकार के पंछी वृक्ष पर विश्राम करते है. भोर होते ही सब पंछी दसों दिशाओं में उड़ जाते है. हम क्यों भला दुःख करे यदि हमारे अपने हमें छोड़कर चले गए.
16- जिसके पास में विद्या है वह शक्तिशाली है. निर्बुद्धि पुरुष के पास क्या शक्ति हो सकती है? एक छोटा खरगोश भी चतुराई से मदमस्त हाथी को तालाब में गिरा देता है.
17- हे विश्वम्भर तू सब का पालन करता है. मैं मेरे गुज़ारे की क्यों चिंता करुँ जब मेरा मन तेरी महिमा गाने में लगा हुआ है. आपके अनुग्रह के बिना एक माता की छाती से दूध नहीं बह सकता और शिशु का पालन नहीं हो सकता. मैं हरदम यही सोचता हुआ, हे यदु वंशियो के प्रभु, हे लक्ष्मी पति, मेरा पूरा समय आपकी ही चरण सेवा में खर्च करता हू.

चाणक्य नीति के सभी अध्याय यहां पढ़ें

  1. चाणक्य नीति अध्याय 1, चाणक्य नीति पहला भाग, Chanakya Niti Adhyay Ek, Chanakya Niti Pratham Adhyay, Chanakya Niti Chapter 1 In Hindi
  2. चाणक्य नीति अध्याय 2, चाणक्य नीति दूसरा भाग, Chanakya Niti Adhyay Do, Chanakya Niti Dwitiya Adhyay, Chanakya Niti Chapter 2 In Hindi
  3. चाणक्य नीति अध्याय 3, चाणक्य नीति तीसरा भाग, Chanakya Niti Adhyay Teen, Chanakya Niti Tritiya Adhyay, Chanakya Niti Chapter 3 In Hindi
  4. चाणक्य नीति अध्याय 4, चाणक्य नीति चौथा भाग, Chanakya Niti Adhyay Char, Chanakya Niti Chautha Adhyay, Chanakya Niti Chapter 4 In Hindi
  5. चाणक्य नीति अध्याय 5, चाणक्य नीति पांचवा भाग, Chanakya Niti Adhyay Paanch, Chanakya Niti Panchwa Adhyay, Chanakya Niti Chapter 5 In Hindi
  6. चाणक्य नीति अध्याय 6, चाणक्य नीति छठवाँ भाग, Chanakya Niti Adhyay Chah, Chanakya Niti Chhatwa Adhyay, Chanakya Niti Chapter 6 In Hindi
  7. चाणक्य नीति अध्याय 7, चाणक्य नीति सातवाँ भाग, Chanakya Niti Adhyay Saat, Chanakya Niti Saatwa Adhyay, Chanakya Niti Chapter 7 In Hindi
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  9. चाणक्य नीति अध्याय 9, चाणक्य नीति नौवाँ भाग, Chanakya Niti Adhyay Nau, Chanakya Niti Nauvaan Adhyay, Chanakya Niti Chapter 9 In Hindi
  10. चाणक्य नीति अध्याय 10, चाणक्य नीति दसवां भाग, Chanakya Niti Adhyay Dus, Chanakya Niti Dasvan Adhyay, Chanakya Niti Chapter 10 In Hindi
  11. चाणक्य नीति अध्याय 11, चाणक्य नीति ग्यारहवाँ भाग, Chanakya Niti Adhyay Gyarah, Chanakya Niti Gyarahva Adhyay, Chanakya Niti Chapter 11 In Hindi
  12. चाणक्य नीति अध्याय 12, चाणक्य नीति बारहवाँ भाग, Chanakya Niti Adhyay Baarah, Chanakya Niti Barahwa Adhyay, Chanakya Niti Chapter 12 In Hindi
  13. चाणक्य नीति अध्याय 13, चाणक्य नीति तेरहवां भाग, Chanakya Niti Adhyay Terah, Chanakya Niti Terwa Adhyay, Chanakya Niti Chapter 13 In Hindi
  14. चाणक्य नीति अध्याय 14, चाणक्य नीति चौदहवां भाग, Chanakya Niti Adhyay Chaudah, Chanakya Niti Chaudahavaan Adhyay, Chanakya Niti Chapter 14 In Hindi
  15. चाणक्य नीति अध्याय 15, चाणक्य नीति पन्द्रहवां भाग, Chanakya Niti Adhyay Pandrah, Chanakya Niti Pandrahva Adhyay, Chanakya Niti Chapter 15 In Hindi
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