Putra Prapti Ke Upay

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पुत्र प्राप्ति हेतु गर्भाधान का तरीका , पुत्र प्राप्ति के सरल उपाय, Putra Prapti Ke Upay In Hindi , संतान प्राप्ति के उपाय- हमारे पुराने आयुर्वेद ग्रंथों में पुत्र-पुत्री प्राप्ति हेतु दिन-रात, शुक्ल पक्ष-कृष्ण पक्ष तथा माहवारी के दिन से सोलहवें दिन तक का महत्व बताया गया है. धर्म ग्रंथों में भी इस बारे में जानकारी मिलती है. स्त्री के ऋतु दर्शन के सोलह रात तक ऋतुकाल रहता है, उस समय में ही गर्भ धारण हो सकता है, उसके अन्दर पहली चार रातें निषिद्ध मानी जाती है, कारण दूषित रक्त होने के कारण कितने ही रोग संतान और माता पिता में अपने आप पनप जाते है, इसलिये शास्त्रों और विद्वानो ने इन चार दिनो को त्यागने के लिये ही जोर दिया है. मासिक स्राव के बाद 4, 6, 8, 10, 12, 14 एवं 16वीं रात्रि के गर्भाधान से पुत्र तथा 5, 7, 9, 11, 13 एवं 15वीं रात्रि के गर्भाधान से कन्या जन्म लेती है. यदि आप पुत्र प्राप्त करना चाहते हैं और वह भी गुणवान, तो हम आपकी सुविधा के लिए हम यहाँ माहवारी के बाद की विभिन्न रात्रियों की महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं.

  • चौथी रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र अल्पायु और दरिद्र होता है.
  • पाँचवीं रात्रि के गर्भ से जन्मी कन्या भविष्य में सिर्फ लड़की पैदा करेगी.
  • छठवीं रात्रि के गर्भ से मध्यम आयु वाला पुत्र जन्म लेगा.
  • सातवीं रात्रि के गर्भ से पैदा होने वाली कन्या बांझ होगी.
  • आठवीं रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र ऐश्वर्यशाली होता है.
  • नौवीं रात्रि के गर्भ से ऐश्वर्यशालिनी पुत्री पैदा होती है.
  • दसवीं रात्रि के गर्भ से चतुर पुत्र का जन्म होता है.
  • ग्यारहवीं रात्रि के गर्भ से चरित्रहीन पुत्री पैदा होती है.
  • बारहवीं रात्रि के गर्भ से पुरुषोत्तम पुत्र जन्म लेता है.
  • तेरहवीं रात्रि के गर्म से वर्णसंकर पुत्री जन्म लेती है.
  • चौदहवीं रात्रि के गर्भ से उत्तम पुत्र का जन्म होता है.
  • पंद्रहवीं रात्रि के गर्भ से सौभाग्यवती पुत्री पैदा होती है.
  • सोलहवीं रात्रि के गर्भ से सर्वगुण संपन्न, पुत्र पैदा होता है.

इसके बाद की रातों को संयोग करने से पुत्र संतान की गुंजायश नही होती है. इसके बाद स्त्री का रज अधिक गर्म हो जाता है,और पुरुष के वीर्य को जला डालता है, परिणामस्वरूप या तो गर्भपात हो जाता है,अथवा संतान पैदा होते ही खत्म हो जाती है.

मनपंसद संतान-प्राप्ति के योग
कुछ राते ये भी है जिसमे शारीरिक रिलेशन बनाने से बचना चाहिए जैसे अष्टमी, एकादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा और अमवाश्या .चन्द्रावती ऋषि का कथन है कि लड़का-लड़की का जन्म गर्भाधान के समय स्त्री-पुरुष के दायां-बायां श्वास क्रिया, पिंगला-तूड़ा नाड़ी, सूर्यस्वर तथा चन्द्रस्वर की स्थिति पर निर्भर करता है. गर्भाधान के समय स्त्री का दाहिना श्वास चले तो पुत्री तथा बायां श्वास चले तो पुत्र होगा.

शुक्ल पक्ष में जन्मे लोग , Shukla Paksh me Janme Log
शास्त्रों में भी इस बात का उचित उल्लेख है कि हर महीने के पंद्रह दिन कृष्ण पक्ष में आते हैं और अन्य पंद्रह दिन शुक्ल पक्ष में और ऐसे में यदि किसी भी व्यक्ति का जन्‍म शुक्‍ल पक्ष की प्रतिपदा को हुआ है तो निश्चित रूप से आपकी कुंडली में चंद्रमा बालावस्‍था में होगा, जिसके अनुसार आपकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमजोर है और इस वजह से आपको इसके नकारात्‍मक प्रभाव मिल सकते हैं. शुक्ल पक्ष की अवधी में जन्म लेने वाले जातकों को सदैव लम्बी आयु प्राप्त होती है.

शुक्ल पक्ष में जन्मे जातक का स्वभाव
शुक्ल पक्ष में जन्मे जातक अन्नदाता, पालन करने वाले, पुत्रवान, दानवीर और उच्च श्रेणी के मित्र वाले इन्सान होते हैं. इस पक्ष को चांदण पक्ष भी कहा जाता है. चूंकि शुक्ल पक्ष में जन्मे जातक रौशनी और उजाले का प्रतीक माने जाते हैं इसलिए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह बताया गया है कि शुक्ल पक्ष में जन्म लेने वाले व्यक्ति का स्वभाव भी पूर्णिमा के चांद के समान उज्जवल और रौशन होता है. जो भी शिशु इस पक्ष में जन्म लेता है उसे ज्ञानी और कई विषयों में महारथ रखने वाला माना जाता है, साथ ही इन जातकों की बुद्धि सुन्दर और शुद्ध होती है. यह भी मान्यता है कि इस दौरान जन्म लेने वाले व्यक्ति जिस भी कार्य को करने की ठान लेते हैं, उसे पूरे मन से और पूरी कुशलता के साथ करते हैं. क्योंकि ये जातक बहुत ही परिश्रमी होते हैं और इनकी सबसे खास बात ये होती है कि ये लोग कभी भी मेहनत करने से पीछे नही हटते.

शुक्ल पक्ष में जन्मे लोगों की और भी है खासियत
शुक्ल पक्ष में जन्मे व्यक्ति मेहनत करने से नहीं कतराते. साथ ही ये कठिनाइयों को भी आसानी से पार कर लेते हैं. ये अपनी बुद्धिमता और मेहनत से धन को अर्जित करने में भी सफल रहते हैं, इसलिए इन्हें कभी भी धन से संबंधित किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है. इनके स्वभाव की सबसे अच्छी विशेषता यही है कि ये सरल और स्नेहशील परवर्ती के व्यक्ति होते हैं. ये जातक अपने से बड़ो का आदर करने में कभी कोताही नहीं बरतते और अपने से छोटों के प्रति इनके मन में हमेशा प्रेम भाव बना रहता है. कला में भी ये काफी दिलचस्पी रखते हैं.

शुक्ल पक्ष की एकादशी से कृष्णपक्ष की पंचमी तक जन्‍म लेने वाले लोग
शुक्ल पक्ष की एकादशी से कृष्णपक्ष की पंचमी तक जन्‍म लेने वाले जातकों की कुंडली में चंद्रमा बेहद ही मजबूत स्थिति में होती है. ऐसे में इन जातकों को चंद्रमा के प्रभाव में सकारात्‍मक फल प्राप्‍त होते हैं. चंद्रमा की शुभ स्थिति के कारण ये लोग इससे जुड़े भाव में सफलता हासिल करते हैं.

कैसे होते हैं कृष्ण पक्ष में जन्में लोग , krishna Paksha Me Janme Log
कृष्णपक्ष में जन्म लेने वाले स्वभाव से निष्ठुर, द्वेषी स्वभाव, क्रूर होते हैं इसी के साथ वो ज्यादा सुंदर शरीर वाले भी नहीं होते हैं. हालांकि वो परिश्रमशील होते हैं. रात में जन्म लेने वाले लोग तामसिक स्वभाव वाले होते हैं और काम को छिपाकर कर करते हैं. इसी के साथ ऐसे लोग व्यर्थ में और अधिक बोलने वाले होते हैं.

हिंदी महीनों के अनुसार जन्म लेने वालों का स्वभाव

  • ग्रीष्म ऋतु में जन्म लेने वाले अन्य व्यक्तियों के मुकाबले चिद्दी व हठी स्वभाव, क्रोधी वृत्ति के, कृशदेह (दुबले) अधिक बोलने वाले होते हैं.
  • आषाढ़ मास में जन्म लेने वाले जातक धर्मकर्म में रुचि लेने वाले किंतु ऋणी और आर्थिक तंगी से परेशान रहते हैं इन्हें शास्त्रों में अल्प सुखी कहा गया है.
  • कार्तिक मास में जन्म लेने वालों को काम प्रवृत्ति के दुष्ट हृदय वाले और कटुवाणी के दोष लगते हैं. किंतु ये धनवान हो जाते हैं.
  • माघ मास में जन्मे जातक बुद्धिमान तो होते हैं, पैसा कमाने में भी सफल हो जाते हैं किंतु खरा बोलने से अलोकप्रिय हो जाते हैं. इनमें काम भावना प्रबल होती है.
  • प्रतिपदा को जन्मे जातक दुर्जन और कुसंगी हो जाते हैं. व्यसन इनका प्रमुख दोष होता है.
  • द्वितीया तिथि को जन्मे लोग ज्यादा स्वार्थी होते हैं. परस्त्रीरत या कुदृष्टि वाले होते हैं. इनका व्यवहार अच्छा नहीं होता है. चोरों में ऐसे लोग ज्यादा होते हैं.
  • तृतीया को जन्मे व्यक्ति ईर्ष्यालु एवं कुतर्की होते हैं.
  • पष्ठी को जन्मे लोग लड़ाकू एवं संघर्षशील होते हैं. ये विवेक से काम नहीं लेते हैं.
  • द्वादशी तिथि में जन्मे जातकों का स्वास्थ्य कमजोर रहता है. ये अस्थिर विचारधारा के होते हैं.
  • अमावस्या को जन्मे व्यक्ति दीर्घसूत्री, आलसी होते हैं. अंतरज्ञानी या फिर मूर्ख भी होते हैं.

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