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हनुमानजी के सबसे सिद्ध और चमत्कारिक 10 मंदिर Hanuman Ji Ke Chamatkari Mandir

हनुमानजी के सबसे सिद्ध और चमत्कारिक 10 मंदिर Hanuman Ji Ke Chamatkari Mandir
हनुमान जी कल‌ियुग में मनोकामना पूरी करने वाले देवता माने जाते हैं और उनके ये मंद‌िर इस बात के सबूत माने जाते हैं जहां हर भक्त की सुनते हैं हनुमान और पूरी कर देते हैं मुराद।हनुमानजी के देशभर में हजारों मंदिर है उनमें से सैंकड़ों सिद्ध मंदिर है। उनमें से भी 10 मंदिरों का चयन करना बहुत ही मुश्‍किल है। फिर भी हमने बहुत ही खास 10 मंदिरों के बारे में यहां लिखा है। Hanuman Ji Ke Chamatkari Mandir

1. बालाजी हनुमान मंदिर मेहंदीपुर (राजस्थान) : राजस्थान के दौसा जिले के पास दो पहाड़ियों के बीच बसा हुआ घाटा मेहंदीपुर नामक स्थान है, जहां पर बहुत बड़ी चट्टान में हनुमानजी की आकृति स्वत: ही उभर आई है जिसे श्रीबालाजी महाराज कहते हैं। इसे हनुमानजी का बाल स्वरूप माना जाता है। इनके चरणों में छोटी-सी कुंडी है जिसका जल कभी समाप्त नहीं होता।
यहां के हनुमानजी का विग्रह काफी शक्तिशाली एवं चमत्कारिक माना जाता है तथा इसी वजह से यह स्थान न केवल राजस्थान में बल्कि पूरे देश में विख्यात है। यहां हनुमानजी के साथ ही शिवजी और भैरवजी की भी पूजा की जाती है। Hanuman Ji Ke Chamatkari Mandir

2. जगन्नाथ का मंदिर : जगन्नाथपुरी में ही सागर तट पर बेदी हनुमान का प्राचीन एवं प्रसिद्ध मंदिर है। कहावत है कि महाप्रभु जगन्नाथ में वीर मारुति को यहां समुद्र को नियंत्रित करने हेतु नियुक्त किया था, परंतु जब-तब हनुमान भी जगन्नाथ-बलभद्र एवं सुभद्रा के दर्शनों का लोभ संवरण नहीं कर पाते थे, सम्प्रति समुद्र भी उनके पीछे नगर में प्रवेश कर जाता। केसरीनंदन की इस आदत से परेशान हो जगन्नाथ महाप्रभु ने हनुमान को यहां स्वर्ण बेड़ी से आबद्ध कर दिया।

3. श्रीपंचमुख आंजनेय स्वामीजी : तमिलनाडु के कुंभकोणम नामक स्थान पर श्रीपंचमुखी आंजनेयर स्वामीजी (श्रीहनुमानजी) का बहुत ही मनभावन मठ है। यहां पर श्रीहनुमानजी का पंचमुख रूप में विग्रह स्थापित है, जो अत्यंत भव्य एवं दर्शनीय है। Hanuman Ji Ke Chamatkari Mandir
यहां पर प्रचलित कथाओं के अनुसार जब अहिरावण तथा उसके भाई महिरावण ने श्रीरामजी को लक्ष्मण सहित अगवा कर लिया था, तब प्रभु श्रीराम को ढूंढने के लिए हनुमानजी ने पंचमुख रूप धारण कर इसी स्थान से अपनी खोज प्रारंभ की थी और फिर इसी रूप में उन्होंने उन अहिरावण और महिरावण का वध भी किया था। यहां पर हनुमानजी के पंचमुख रूप के दर्शन करने से मनुष्य सारे दुखों, संकटों एवं बंधनों से मुक्त हो जाता है।
बाद में हनुमानजी गुजरात के समुद्री तट पर स्थित बेट द्वारका से पाताललोक गए थे। वहीं बेट द्वारका से 4 मील की दूरी पर मकरध्वज के साथ में हनुमानजी की मूर्ति स्थापित है। कहते हैं कि पहले मकरध्वज की मूर्ति छोटी थी, परंतु अब दोनों मूर्तियां एक-सी ऊंची हो गई है। अहिरावण ने भगवान श्रीराम-लक्ष्मण को इसी स्थान पर छिपाकर रखा था। जब हनुमानजी श्रीराम-लक्ष्मण को लेने के लिए आए, तब उनका मकरध्वज के साथ घोर युद्ध हुआ। अंत में हनुमानजी ने उसे परास्त कर उसी की पूंछ से उसे बांध दिया। उनकी स्मृति में यह मूर्ति स्थापित है। मकरध्वज हनुमानजी का पुत्र था।

4. हनुमानगढ़ी : अयोध्या में स्थित यह सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। यह मंदिर अयोध्या में सरयू नदी के दाहिने तट पर एक ऊंचे टीले पर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए 76 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। यहां पर स्थापित हनुमानजी की प्रतिमा केवल छः (6) इंच लंबी है, जो हमेशा फूल-मालाओं से सुशोभित रहती है।
इस मंदिर के जीर्णोद्धार के पीछे एक कहानी है। सुल्तान मंसूर अली लखनऊ और फैजाबाद का प्रशासक था। तब एक बार सुल्तान का एकमात्र पुत्र बीमार पड़ा। वैद्य और डॉक्टरों ने जब हाथ टेक दिए, तब सुल्तान ने थक-हारकर आंजनेय के चरणों में अपना माथा रख दिया। लेकिन मुसलमान होने के नाते किसी मूर्ति के समक्ष झुकने से उसे ग्लानि हो रही थी। लेकिन मन में श्रद्धा थी और उसने सोचा कि खुदा और ईश्वर में कोई फर्क नहीं। उसने हनुमान से विनती की और तभी चमत्कार हुआ कि उसका पुत्र पूर्ण स्वस्थ हो गया। उसकी धड़कनें फिर से सामान्य हो गईं।
तब सुल्तान से खुश होकर अपनी आस्था और श्रद्धा को मूर्तरूप दिया- हनुमानगढ और इमली वन के माध्यम से। उसने इस जीर्ण-शीर्ण मंदिर को विराट रूप दिया और 52 बीघा भूमि हनुमानगढ़ी और इमली वन के लिए उपलब्ध करवाई। संत अभयारामदास के सहयोग और निर्देशन में यह विशाल निर्माण संपन्न हुआ। संत अभयारामदास निर्वाणी अखाड़ा के शिष्य थे और यहां उन्होंने अपने संप्रदाय का अखाड़ा भी स्थापित किया था। Hanuman Ji Ke Chamatkari Mandir

5. बालाजी हनुमान मंदिर, सालासर (राजस्थान) : हनुमानजी का यह मंदिर राजस्थान के चुरु जिले के गांव सालासर में स्थित है। इन्हें सालासर के बालाजी हनुमान के नाम से पुकारा जाता है। यहां स्थित हनुमानजी की प्रतिमा दाढ़ी व मूंछ से सुशोभित है। दूर-दूर से श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और मनचाहा वरदान पाते हैं।
इस मंदिर के संस्थापक श्री मोहनदासजी बचपन से श्री हनुमानजी के प्रति अगाध श्रद्धा रखते थे। माना जाता है कि हनुमानजी की यह प्रतिमा एक किसान को जमीन जोतते समय मिली थी जिसे सालासर में सोने के सिंहासन पर स्थापित किया गया है।

6. संकटमोचन हनुमान मंदिर : भूतभावन आशुतोष की पावन नगरी बनारस में अवस्थित है संकटमोचन हनुमान मंदिर। इस पावन नगरी में जिस स्थान पर गोस्वामी तुलसीदास को अंजनीसुत ने दर्शन दिए, वही स्थान आज संकटमोचन के नाम से सुविख्यात है। जिस मुद्रा में गोस्वामी को दर्शन हुए, उसी की प्रतिकृति है यहां का विग्रह। स्वयं तुलसीदासजी ने यह मूर्ति स्थापित करवाई थी। इस मंदिर के प्रांगण में हनुमत विग्रह के सामने ही सानुज श्रीराम, माता जानकी के साथ विराजित हैं।
काशी से ही जिस गुफानुमा कोठरी में गोस्वामी ने साधनारत अपने जीवन का अंतिम समय गुजारा वहां भी ‘गुफा के हनुमान’ के रूप में प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है। Hanuman Ji Ke Chamatkari Mandir

7. अलीगंज का हनुमान मंदिर : लखनऊ को किसी समय लक्ष्मणपुर कहा जाता था। लखनऊ के अलीगंज में है एक प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है, जो बेहद ही चमत्कारिक मंदिर है। आसपास या दूरदराज में जहां भी हनुमान मंदिर बनाया जा रहा है उसके लिए यहीं से सिंदूर और लंगोट ले जाकर प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है। ज्येष्ठ मास के प्रत्येक मंगलवार को यहां विशाल मेला लगता है।
अंग्रेज काल में लखनऊ के नवाब मुहम्मद अली शाह रहते थे। उनकी बेगम राबिया को कोई औलाद नहीं हो रही थी। सब दवा-दुआ बेकार जा रहा थी। किसी ने बताया कि इस्लामबाड़ी में एक हिन्दू संत रहता है, उसके सामने झोली फैलाओ।
इस्लामबाड़ी को पहले हनुमानबाड़ी कहते थे। यहां हनुमान मंदिर था लेकिन 600 वर्ष पूर्व बख्तियार खिलजी ने इसका नाम बदलकर इस्लामबाड़ी कर दिया। खैर, इस्लामबाड़ी में इस हिन्दू संत को बाड़ी वाले बाबा कहकर पुकारते थे। ये बजरंग बली के परम भक्त थे। Hanuman Ji Ke Chamatkari Mandir

राबिया बेगम ने बाड़ी वाले बाबा के सामने दामन फैलाया तो बाबा ने बेगम की फरियाद पहुंचा दी रामदूत हनुमान के पास तक। हनुमानजी ने बेगम की आस्था को जांचने की सोची और स्वप्न में बेगम को आदेश दिया- इस्लामबाड़ी के टीले के नीचे मेरी मूर्ति दबी पड़ी है, उसका उद्धार कर किसी मंदिर में स्थापित करो।
सुबह राबिया बेगम बाबा के पास गई और बताया कि हनुमानजी स्वप्न में आए थे। बाबा के निर्देशन में टीले की खुदाई हुई और दबी हुई मूर्ति को निकाला गया। वही मूर्ति आज अलीगंज के मंदिर में स्थापित है। बेगम ने यहां बाबा का मंदिर बनवाया और बेगम को संतान सुख प्राप्त हुआ। famous hanuman temple in india

8. यंत्रोद्धारक हनुमान मंदिर, हंपी (कर्नाटक) : बेल्लारी जिले के हंपी नामक नगर में एक हनुमान मंदिर स्थापित है। इस मंदिर में प्रतिष्ठित हनुमानजी को यंत्रोद्धारक हनुमान कहा जाता है। विद्वानों के मतानुसार यही क्षेत्र प्राचीन किष्किंधा नगरी है। वाल्मीकि रामायण व रामचरित मानस में इस स्थान का वर्णन मिलता है। संभवतया इसी स्थान पर किसी समय वानरों का विशाल साम्राज्य स्थापित था। आज भी यहां अनेक गुफाएं हैं। इस मंदिर में श्रीरामनवमी के दिन से लेकर 3 दिन तक विशाल उत्सव मनाया जाता है।

9. कष्टभंजन हनुमान दादा महाराज मंदिर, सारंगपुर ‍(गुजरात) : गुजरात के भावनगर के सारंगपुर में विराजने वाले कष्‍टभंजन महाराजाधिराज हनुमान यहां हनुमान दादा के नाम से पुकारे जाते हैं। अहमदाबाद-भावनगर रेलवे लाइन पर स्थित बोटाद जंक्शन से सारंगपुर लगभग 12 मील दूर है।
सोने के सिंहासन पर विराजमान हनुमान दादा की यहां स्थित मूर्ति के चरणों में शनि महाराज विराजमान हैं। कहा जाता है कि एक समय था, जब शनिदेव का पूरे राज्य पर आतंक था। आखिरकार भक्तों ने अपनी फरियाद बजरंग बली से की। भक्तों की बातें सुनकर हनुमानजी शनिदेव को मारने के लिए उनके पीछे पड़ गए। अब शनिदेव के पास जान बचाने का आखिरी विकल्प बाकी था, सो उन्होंने स्त्री रूप धारण कर लिया क्योंकि उन्हें पता था कि हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी हैं और वे किसी स्त्री पर हाथ नहीं उठाएंगे। लेकिन भगवान राम के आदेश से उन्होंने स्त्री-स्वरूप शनिदेव को अपने पैरों तले कुचल दिया। famous hanuman temple in india

10. हनुमान धारा, चित्रकूट, उत्तरप्रदेश : उत्तरप्रदेश के सीतापुर नामक स्थान से 3 मील दूर पर्वतमाला के मध्यभाग में यह हनुमान मंदिर स्थापित है। पहाड़ के सहारे हनुमानजी की एक विशाल मूर्ति के ठीक सिर पर जल के दो कुंड हैं, जो हमेशा जल से भरे रहते हैं और उनमें से निरंतर पानी बहता रहता है। इस धारा का जल हनुमानजी को स्पर्श करता हुआ बहता है इसीलिए इसे हनुमान धारा कहते हैं।
कहा जाता है कि श्रीराम के अयोध्या में राज्याभिषेक होने के बाद एक दिन हनुमानजी ने भगवान श्री रामचंद्र से कहा- ‘हे भगवन्! मुझे कोई ऐसा स्थान बतलाइए, जहां लंका दहन से उत्पन्न मेरे शरीर का ताप मिट सके।’ तब भगवान श्रीराम ने हनुमानजी को यह स्थान बताया था।

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