Narak Chaturdashi

नरक चतुर्दशी के दिन करें इन 6 देवताओं की पूजा, वामन देव की पूजा, हनुमान जयंती पर हनुमान जी की पूजा, श्री कृष्ण की पूजा, यमदेव की पूजा, शिव पूजा, मां काली की पूजा- Narak Chaturdashi Maa Kali Ki Puja, Narak Chaturdashi Par Shiv Puja, Yamdev Ki Puja, Shri Krishna Ki Puja, Hanuman Jaynti Par Hanuman Ji Ki Puja, Vaman Dev Ki Puja

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नरक चतुर्दशी के दिन करें 6 देवताओं की पूजा
हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी मनाया जाता है। ये पर्व हर वर्ष दिवाली पर्व से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है जिसके कारण इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। इस दिन को नरक चौदस, रूप चौदस और रूप चतुर्दशी भी कहते हैं। इस दिन खासतौर पर मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है। लेकिन क्या आपको पता है कि नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के अलावा अन्य पांच देवताओं की भी पूजा की जाती है। तो आइए जानते हैं कि नरक चतुर्दशी (Narka Chaturdashi) के दिन किन छह देवताओं की पूजा की जाती है।

1. वामन पूजा : नरक चतुर्दशी के दिन वामन देव पूजा, Narak Chaturdashi Vaman Dev ki Puja
नरक चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की भी पूजा की जाती है। इसी दिन भगवान वामन ने राजा बलि को पाताल का राजा बनाया था और उन्हें चिरंजीवी होने का वरदान भी दिया था। भगवान वामन ने राजा बलि से कहा था कि तेरे राज्य में जो भी यम को दीपदान करेगा, उसके पितरों को कभी भी नर्क नहीं जाना पड़ेगा और न हीं उसे नर्क की यातनाओं को भोगना पड़ेगा। इसी वजह से इस दिन वामन देव की पूजा भी की जाती है। इस दिन लोग शाम के वक़्त अपने-अपने घरों में दीप जलाते व दीपदान भी। ऐसा करने वालों को इस दिन भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

2. हनुमान जयंती : नरक चतुर्दशी पर हनुमान जी की पूजा, Narak Chaturdashi Hanuman Ji Ki Puja
नरक चतुर्दशी के दिन राम भक्त हनुमान जी की पूजा भी की जाती है। कुछ विद्वानों के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था। इसी कारण इस दिन को हनुमान जंयती के रूप में भी मनाया जाता है। इसके अलावा कुछ विद्वानों के अनुसार हनुमान जी का जन्म चैत्र पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन भी माना जाता है। इस दिन हनुमान जी की पूजा-अराधना करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है, जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति होती है और लंबी आयु का वरदान मिलता है। इसके अलावा इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय भी समाप्त हो जाता है।

3. नरक चतुर्दशी : भगवान श्री कृष्ण की पूजा, Narak Chaturdashi Bhagwan Shri Krishna Ki Puja
इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ मिलकर नरकासुर नाम के राक्षस का वध किया था और 16000 राजकुमारियों को उसकी कैद से मुक्त कराया था। इसलिए इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की उनकी पत्नी सत्यभामा के साथ पूजा की जाती है। जब उन सभी राजकुमारियों ने भगवान श्री कृष्ण से अपने जीवन का अंत करने के लिए कहा तो भगवान श्री कृष्ण ने उन सभी राजकुमारियों से विवाह करके उन्हें समाज में मान दिया था.

4. यम पूजा : नरक चतुर्दशी पर यमदेव की पूजा, Narak Chaturdashi Yamdev Ki Puja
छोटी दिपावली के दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा आराधना की जाती है और दक्षिण दिशा में यमदीप जलाया जाता है, ऐसा इसलिए क्योंकि यमराज की दिशा दक्षिण की ओर मानी जाती है। जिससे नर्क के दोषों से मुक्ति पाई जा सके। इस दिन यमदेव की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय भी नहीं रहता। इतना ही नहीं इस दिन तिल के तेल की मालिश करने का भी विधान है। माना जाता है कि इस दिन तिल के तेल से मालिश करने से सभी प्रकार के रोग समाप्त होते हैं।

5. शिव चतुर्दशी : नरक चतुर्दशी पर भगवान शिव की पूजा, Narak Chaturdashi Bhagwan Shiv Ki Puja
नरक चतुर्दशी का दिन भगवान शिव का दिन भी माना जाता है इसलिए इसे कई जगह पर शिव चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव की उनके पूरे परिवार के साथ पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन शिवलिंग का प्राकट्य भी हुआ था। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्ट समाप्त हो जाते हैं और यमराज का भी भय नहीं रहता। इस क्योंकि भगवान शिव को कालों का भी काल माना गया है। इसलिए नरक चतुर्दशी भगवान शिव की पूजा भी की जाती है।

6. काली चौदस : नरक चतुर्दशी पर मां काली की पूजा, Narak Chaturdashi Maa Kali Ki Puja)
बंगाल राज्य में परंपरा अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन मां काली का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को वहां काली के जन्मोंत्सव के रूप में भी मनाया जाता है. यही कारण है कि इस दिन को काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन मां काली की पूजा- आराधना का विशेष महत्व होता है. काली चौदस को मुख्य रूप से बंगाल में मनाया जाता है। इस दिन मां काली की पूजा करने से शत्रुओं का नाश होता है। इसके अलावा इस दिन मां काली की पूजा से अकाल मृत्यु का भय भी समाप्त हो जाता है। इसलिए नरक चतुर्दशी के दिन मां काली की पूजा की जाती है।

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