Mahashivratri-Vrat-vidhi

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है, महाशिवरात्रि व्रत विधि, महाशिवरात्रि पूजा विधि, शिव अभिषेक विधि, महाशिवरात्रि मंत्र, महाशिवरात्रि कथा, आरती, महत्व, महाशिवरात्रि व्रत में क्या खाना चाहिए, Mahashivratri Kyo Manayi Jati Hai, Mahashivratri Vrat Puja Vidhi, Shiv Abhishek Vidhi, Mahashivratri Mantra, Mahashivratri Katha, Aarti, Mahashivratri Vrat Mein Kya Khana Chahiye, Mahashivratri Ka Mahatva

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है, महाशिवरात्रि व्रत विधि, महाशिवरात्रि पूजन विधि, शिव अभिषेक विधि, महाशिवरात्रि मंत्र, महाशिवरात्रि कथा-आरती, महत्व, महाशिवरात्रि व्रत में क्या खाना चाहिए, Mahashivratri Kyo Manayi Jati Hai, Mahashivratri Vrat Puja Vidhi, Shiv Abhishek Vidhi, Mahashivratri Mantra, Mahashivratri Katha, Aarti, Mahashivratri Vrat Mein Kya Khana Chahiye, Mahashivratri Vrat Mein Kya Nhi Khana Chahiye, Mahashivratri Ka Mahatva, महाशिवरात्रि व्रत के नियम, Mahashivratri Vrat Ke Niyam

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है, महाशिवरात्रि व्रत विधि
वर्ष में आने वाली 12 शिवरात्रियों में से, महाशिवरात्री सबसे पवित्र पर्व हैं. महाशिवरात्रि त्योहार शिवरात्रि या शिव की महान रात के रूप में भी लोकप्रिय है. अमावस्यान्त पंचांग (दक्षिण भारतीय पंचांग) के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है. जबकि पूर्णिमान्त पंचांग (उत्तर भारतीय पंचांग) के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को यह पर्व मानाया जाता है. हालांकि पूर्णिमान्त व अमावस्यान्त दोनों ही पंचांगों के अनुसार महाशिवरात्रि (Mahashivratri) एक ही दिन पड़ती है. इस दिन शिवलिंग के रुद्राभिषेक का खास महत्व होता है. महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालु कावड़ के जरिए गंगाजल भी लेकर आते हैं जिससे भगवान शिव को स्नान करवाया जाता हैं. माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन विधि-विधान से व्रत रखने वालों को धन, सौभाग्य, समृद्धि, संतान और आरोग्य की प्राप्ति होती है.

क्‍यों मनाई जाती है शिवरात्रि?
1- शिवरात्रि मनाए जाने को लेकर तीन मान्‍यताएं प्रचलित हैं. एक पौराणिक मान्‍यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही शिव जी पहली बार प्रकट हुए थे. मान्‍यता है कि शिव जी अग्नि ज्‍योर्तिलिंग के रूप में प्रकट हु थे, जिसका न आदि था और न ही अंत. कहते हैं कि इस शिवलिंग के बारे में जानने के लिए सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने हंस का रूप धारण किया और उसके ऊपरी भाग तक जाने की कोशिश करने लगे, लेकिन उन्‍हें सफलता नहीं मिली. वहीं, सृष्टि के पालनहार विष्‍णु ने भी वराह रूप धारण कर उस शिवलिंग का आधार ढूंढना शुरू किया लेकिन वो भी असफल रहे.
2- एक अन्‍य पौराणिक मान्‍यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही विभन्नि 64 जगहों पर शिवलिंग उत्‍पन्न हुए थे. हालांकि 64 में से केवल 12 ज्‍योर्तिलिंगों के बारे में जानकारी उपलब्‍ध. इन्‍हें 12 ज्‍योर्तिलिंग के नाम से जाना जाता है.
3- तीसरी मान्‍यता के अनुसार महाशिवरात्रि की रात को ही भगवान शिव शंकर और माता शक्ति का विवाह संपन्न हुआ था.

 शिव का जलाभिषेक
महाशिवरात्रि के अवसर पर भक्त शिवलिंग की तीन या सात बार परिक्रमा करें और फिर शिवलिंग (शिव) का अभिषेक करें. भगवान शिव का अभिषेक अनेकों प्रकार से किया जाता है. जलाभिषेक(जल से) और दुग्‍धाभिषेक (दूध से). मिट्टी या तांबे के लोटे में पानी या दूध भरकर ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल, शहद, दूध, दही, शक्कर आदि डालकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए अर्थात् अभिषेक करना चाहिए. अगर आस-पास कोई शिव मंदिर नहीं है, तो घर में ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उनका पूजन करें. ध्यान रखें कि अभिषेक में तुलसी के पत्ते, हल्दी, चंपा और केतकी के फूल का प्रयोग नहीं किया जाता है.

पूजन सामग्री
महाशिवरात्रि के व्रत से एक दिन पहले ही पूजन सामग्री एकत्रित कर लें, जो इस प्रकार है: शमी के पत्ते, सुगंधित पुष्‍प, बेल पत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, गाय का कच्चा दूध, गन्‍ने का रस, दही, शुद्ध देसी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, कपूर, धूप, दीप, रूई, चंदन, पंच फल, पंच मेवा, पंच रस, इत्र, रोली, मौली, जनेऊ, पंच मिष्‍ठान, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री, दक्षिणा, पूजा के बर्तन आदि.

महाशिवरात्रि की पूजन विधि, महाशिवरात्रि व्रत पूजा विधि,
1. महाशिवरात्रि के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें और व्रत का संकल्‍प लें.
2. इसके बाद शिव मंदिर जाएं या घर के मंदिर में ही शिवलिंग पर जल चढ़ाएं.
3. जल चढ़ाने के लिए सबसे पहले तांबे के एक लोटे में गंगाजल लें. अगर ज्‍यादा गंगाजल न हो तो सादे पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाएं.
4. अब लोटे में चावल और सफेद चंदन मिलाएं और ऊं नम: शिवाय बोलते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं.
5. जल चढ़ाने के बाद चावल, बेलपत्र, सुगंधित पुष्‍प, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, गाय का कच्‍चा दूध, गन्‍ने का रस, दही, शुद्ध देसी घी, शहद, पंच फल, पंच मेवा, पंच रस, इत्र, मौली, जनेऊ और पंच मिष्‍ठान एक-एक कर चढ़ाएं.
6. अब शमी के पत्ते चढ़ाते हुए ये मंत्र बोलें:
अमंगलानां च शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च।
दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।
शमी के पत्ते चढ़ाने के बाद शिवजी को धूप और दीपक दिखाएं.
7. महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए.
8. फिर कर्पूर से आरती कर प्रसाद बांटें.
9. शिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण करना फलदाई माना जाता है.
10. शिवरात्रि का पूजन निशीथ काल (निशिता काल) में करना सर्वश्रेष्ठ रहता है. रात्रि का आठवां मुहूर्त निशीथ काल कहलाता है. निशिता काल वह समय है जब भगवान शिव लिंग स्वरुप में पृथ्वी पर अवतरित हुए थे. हालांकि भक्त रात्रि के चारों प्रहरों में से किसी भी एक प्रहर में सच्‍ची श्रद्धा भाव से शिव पूजन कर सकते हैं.
11. इस खास दिन अगर आप भोलेबाबा को मुर्दे की भस्म लगाते हैं तो वह और भी प्रसन्न होते हैं.

महाशिवरात्रि पूजा में छह वस्तुओं को अवश्य शामिल करें
1. शिव लिंग का पानी, दूध, शहद और बेर या बेल के पत्तो के साथ अभिषेक, जो आत्मा की शुद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं.
2. सिंदूर का पेस्ट स्नान के बाद शिव लिंग को लगाया जाता है. यह पुण्य का प्रतिनिधित्व करता है.
3. फल, जो दीर्घायु और इच्छाओं की संतुष्टि को दर्शाते हैं.
4. जलती धूप, धन, उपज (अनाज).
5. दीपक जो ज्ञान की प्राप्ति के लिए अनुकूल है.
6. पान के पत्ते जो सांसारिक सुखों के साथ संतोष अंकन करते हैं.

महाशिवरात्रि के 4 प्रहर के 4 मंत्र
1. महाशिवरात्रि के प्रथम प्रहर में संकल्प करके शिवलिंग को दूध से स्नान करवाकर ॐ हीं ईशानाय नम: का जाप करना चाहिए.
2. महाशिवरात्रि के द्वितीय प्रहर में शिवलिंग को दधि (दही) से स्नान करवाकर ॐ हीं अधोराय नम: का जाप करें.
3. महाशिवरात्रि के तृतीय प्रहर में शिवलिंग को घृत से स्नान करवाकर ॐ हीं वामदेवाय नम: का जाप करें.
4. महाशिवरात्रि के चतुर्थ प्रहर में शिवलिंग को मधु (शहद) से स्नान करवाकर ॐ हीं सद्योजाताय नम: मंत्र का जाप करना करें.

महामृत्युंजय मंत्र, संजीवनी मंत्र, त्रयंबकम मंत्र (Mahamrityunjay Mantra)
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
महाशिवारात्रि व्रत में क्या खाना चाहिए
महाशिवारात्रि के व्रत में नमक का उपयोग नहीं करते हैं. हालांकि सेंधा नमक आप अपने खाने में डाल सकते हैं. व्रत के दौरान शरीर में पानी की कमी न हो इसके लिए अनार या संतरे आदि के जूस पी सकते हैं.ज्यादा से ज्यादा से पानी पीएं, ताकि आपको डिहाड्रेशन जैसी समस्या का सामना न करना पड़े. फलाहार में सेब, संतरा, पपीता, केला और खीरा आदि खा सकते हैं. इसके अलावा आलू फ्राइ, मखाना और मूंगफली को हल्के घी में फ्राई करके, दही आदि में सेंधा नमक और काली मिर्च मिला कर खा सकते हैं. इस व्रत में आप साबुदाने की खिचड़ी या पापड़, कुट्टू के आटे का खाना आदि का सेवन कर सकते हैं. मीठे में आप गाजर या लौकी की खीर आदि चीजें खा सकते हैं.

महाशिवारात्रि व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए
शिवरात्रि के व्रत के खाने में साधारण नमक का इस्तेमाल ना करें. व्रत में सेंधा नमक ही खाएं. महाशिवारात्रि के व्रत में अनाज का सेवन न करें. नॉनवेज, अंडा, प्याज-लहसुन से बनी चीजें, मदिरा पान का सेवन भी व्रत में ना करें. व्रत में बनाया जाने वाला खाना पूरी तरह सात्विक होता है. इसके अलावा जिन लोगों को गैस या एसिडिटी की समस्या जल्दी होती है, वे व्रत में चाय और कॉफी का सेवन कम करें.
महाशिवरात्रि व्रत का महत्व  , Mahashivratri Vrat Ka Mahatva
शिव भक्‍त साल भर अपने आराध्‍य भोले भंडारी की विशेष आराधना के लिए महाशिवरात्रि की प्रतीक्षा करते हैं. इस दिन शिवालयों में शिवलिंग पर जल, दूध और बेल पत्र चढ़ाकर भक्‍त शिव शंकर को प्रसन्‍न करने की कोशिश करते हैं. मान्‍यता है कि महाशिवरात्रि के दिन जो भी भक्‍त सच्‍चे मन से शिविलंग का अभिषेक या जल चढ़ाते हैं उन्‍हें महादेव की विशेष कृपा मिलती है. कहते हैं कि शिव इतने भोले हैं कि अगर कोई अनायास भी शिवलिंग की पूजा कर दे तो भी उसे शिव कृपा प्राप्‍त हो जाती है. यही कारण है कि भगवान शिव शंकर को भोलेनाथ कहा गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन शिवरात्रि का व्रत कुंवारी कन्याओं के लिए श्रेष्ठ माना गया है. यह व्रत करने से उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है. उत्तर भारत के प्रसिद्ध शिव मंदिरों, काशी विश्वनाथ व बद्रीनाथ धाम में इस दिन विशेष पूजा पाठ और दर्शन का आयोजन होता है. बड़ी संख्या में यहां भक्त दर्शन करते हैं.

महाशिवरात्रि व्रत के नियम (Mahashivratri Vrat Ke Niyam)
1- महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के दिन साधक को सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व उठकर जल में काले तिल डालकर स्नान करना चाहिए और इसके बाद साफ वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए. लेकिन आपको इस दिन काले वस्त्र बिल्कुल भी धारण नहीं करने चाहिए.
2- यह व्रत महाशिवरात्रि से शुरू होकर अगले दिन तक रखा जाता है. यदि आप निर्जला व्रत रखते हैं तो आप को भगवान शिव (Lord Shiva) का विशेष आर्शीवाद प्राप्त होगा. अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो आप एक समय भोजन कर सकते हैं.
3- इस दिन भगवान शिव का पूजन करने से पहले नंदी की पूजा अवश्य करें. इसके बाद भगवान शिव को पंचामृत से स्नान कराएं. जिसमें दूध, दही, घी, शहद और शक्कर सम्मिलित हो. पंचामृत से स्नान कराने के बाद भगवान शिव को गंगाजल से स्नान कराएं.
4- इसके बाद भगवान शिव को धूप दिखाएं और इसके बाद उन पर बेलपत्र, फूल, भांग, धतुरा आदि चढ़ाएं. भगवान शिव को भागं, धतुरा और बेलपत्र अति प्रिय हैं.
5- यह सब चढ़ाने के बाद भगवान शिव को बेर और अन्य फल फल अवश्य चढ़ाएं और भगवान शिव के मंत्र ऊं नम: शिवाय का वहीं बैठकर जाप करें.

महाशिवरात्रि की व्रत कथा
पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार प्राचीन काल में चित्रभानु नाम का एक शिकारी था. जानवरों की हत्या करके वह अपने परिवार को पालता था. वह एक साहूकार का कर्जदार था, लेकिन उसका ऋण समय पर न चुका सका. क्रोधित साहूकार ने शिकारी को शिवमठ में बंदी बना लि.। संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी. शिकारी ध्यानमग्न होकर शिव-संबंधी धार्मिक बातें सुनता रहा. चतुर्दशी को उसने शिवरात्रि व्रत की कथा भी सुनी. शाम होते ही साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने के विषय में बात की. शिकारी अगले दिन सारा ऋण लौटा देने का वचन देकर बंधन से छूट गया. अपनी दिनचर्या की भांति वह जंगल में शिकार के लिए निकला, लेकिन दिनभर बंदी गृह में रहने के कारण भूख-प्यास से व्याकुल था. शिकार खोजता हुआ वह बहुत दूर निकल गया. जब अंधकार हो गया तो उसने विचार किया कि रात जंगल में ही बितानी पड़ेगी. वह एक तालाब के किनारे एक बेल के पेड़ पर चढ़ कर रात बीतने का इंतजार करने लगा.बिल्व वृक्ष के नीचे शिवलिंग था जो बिल्वपत्रों से ढंका हुआ था. शिकारी को उसका पता न चला. पड़ाव बनाते समय उसने जो टहनियां तोड़ीं, वे संयोग से शिवलिंग पर गिरती चली गई. इस प्रकार दिनभर भूखे-प्यासे शिकारी का व्रत भी हो गया और शिवलिंग पर बिल्वपत्र भी चढ़ गए. एक पहर रात्रि बीत जाने पर एक गर्भिणी हिरणी तालाब पर पानी पीने पहुंची.

शिकारी ने धनुष पर तीर चढ़ाकर ज्यों ही प्रत्यंचा खींची, हिरणी बोली, मैं गर्भिणी हूं. शीघ्र ही प्रसव करुंगी. तुम एक साथ दो जीवों की हत्या करोगे, जो ठीक नहीं है. मैं बच्चे को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत हो जाऊंगी, तब मार लेना. शिकारी ने प्रत्यंचा ढीली कर दी और हिरणी जंगली झाड़ियों में लुप्त हो गई. प्रत्यंचा चढ़ाने तथा ढीली करने के वक्त कुछ बिल्व पत्र अनायास ही टूट कर शिवलिंग पर गिर गए. इस प्रकार उससे अनजाने में ही प्रथम प्रहर का पूजन भी सम्पन्न हो गया. कुछ ही देर बाद एक और हिरणी उधर से निकली. शिकारी की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा. समीप आने पर उसने धनुष पर बाण चढ़ाया. तब उसे देख हिरणी ने विनम्रतापूर्वक निवेदन किया, हे शिकारी! मैं थोड़ी देर पहले ऋतु से निवृत्त हुई हूं. कामातुर विरहिणी हूं. अपने प्रिय की खोज में भटक रही हूं. मैं अपने पति से मिलकर शीघ्र ही तुम्हारे पास आ जाऊंगी. शिकारी ने उसे भी जाने दिया. दो बार शिकार को खोकर उसका माथा ठनका. वह चिंता में पड़ गया. रात्रि का आखिरी पहर बीत रहा था. इस बार भी धनुष से लग कर कुछ बेलपत्र शिवलिंग पर जा गिरे तथा दूसरे प्रहर का पूजन भी सम्पन्न हो गया.

तभी एक अन्य हिरणी अपने बच्चों के साथ उधर से निकली. शिकारी के लिए यह स्वर्णिम अवसर था. उसने धनुष पर तीर चढ़ाने में देर नहीं लगाई. वह तीर छोड़ने ही वाला था कि हिरणी बोली, हे शिकारी!’ मैं इन बच्चों को इनके पिता के हवाले करके लौट आऊंगी. इस समय मुझे मत मारो. शिकारी हंसा और बोला, सामने आए शिकार को छोड़ दूं, मैं ऐसा मूर्ख नहीं. इससे पहले मैं दो बार अपना शिकार खो चुका हूं. मेरे बच्चे भूख-प्यास से व्यग्र हो रहे होंगे. उत्तर में हिरणी ने फिर कहा, जैसे तुम्हें अपने बच्चों की ममता सता रही है, ठीक वैसे ही मुझे भी. हे शिकारी! मेरा विश्वास करों, मैं इन्हें इनके पिता के पास छोड़कर तुरंत लौटने की प्रतिज्ञा करती हूं. हिरणी का दीन स्वर सुनकर शिकारी को उस पर दया आ गई. उसने उस मृगी को भी जाने दिया. शिकार के अभाव में तथा भूख-प्यास से व्याकुल शिकारी अनजाने में ही बेल-वृक्ष पर बैठा बेलपत्र तोड़-तोड़कर नीचे फेंकता जा रहा था. पौ फटने को हुई तो एक हृष्ट-पुष्ट मृग उसी रास्ते पर आया. शिकारी ने सोच लिया कि इसका शिकार वह अवश्य करेगा. शिकारी की तनी प्रत्यंचा देखकर मृग विनीत स्वर में बोला, हे शिकारी! यदि तुमने मुझसे पूर्व आने वाली तीन मृगियों तथा छोटे-छोटे बच्चों को मार डाला है, तो मुझे भी मारने में विलंब न करो, ताकि मुझे उनके वियोग में एक क्षण भी दुःख न सहना पड़े. मैं उन हिरणियों का पति हूं. यदि तुमने उन्हें जीवनदान दिया है तो मुझे भी कुछ क्षण का जीवन देने की कृपा करो। मैं उनसे मिलकर तुम्हारे समक्ष उपस्थित हो जाऊंगा.

मृग की बात सुनते ही शिकारी के सामने पूरी रात का घटनाचक्र घूम गया, उसने सारी कथा मृग को सुना दी. तब मृग ने कहा, मेरी तीनों पत्नियां जिस प्रकार प्रतिज्ञाबद्ध होकर गई हैं, मेरी मृत्यु से अपने धर्म का पालन नहीं कर पाएंगी. अतः जैसे तुमने उन्हें विश्वासपात्र मानकर छोड़ा है, वैसे ही मुझे भी जाने दो. मैं उन सबके साथ तुम्हारे सामने शीघ्र ही उपस्थित होता हूं. शिकारी ने उसे भी जाने दिया. इस प्रकार सुबह हो आई. उपवास, रात्रि-जागरण तथा शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ने से अनजाने में ही पर शिवरात्रि की पूजा पूर्ण हो गई. पर अनजाने में ही की हुई पूजन का परिणाम उसे तत्काल मिला. शिकारी का हिंसक हृदय निर्मल हो गया. उसमें भगवद्शक्ति का वास हो गया. थोड़ी ही देर बाद वह मृग सपरिवार शिकारी के समक्ष उपस्थित हो गया, ताकि वह उनका शिकार कर सके. किंतु जंगली पशुओं की ऐसी सत्यता, सात्विकता एवं सामूहिक प्रेमभावना देखकर शिकारी को बड़ी ग्लानि हुई. उसने मृग परिवार को जीवनदान दे दिया. अनजाने में शिवरात्रि के व्रत का पालन करने पर भी शिकारी को मोक्ष की प्राप्ति हुई. जब मृत्यु काल में यमदूत उसके जीव को ले जाने आए तो शिवगणों ने उन्हें वापस भेज दिया तथा शिकारी को शिवलोक ले गए. शिव जी की कृपा से ही अपने इस जन्म में राजा चित्रभानु अपने पिछले जन्म को याद रख पाए तथा महाशिवरात्रि के महत्व को जान कर उसका अगले जन्म में भी पालन कर पाए.


शिवजी की आरती, Lord Shiv Aarti in Hindi

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

ये भी पढ़े –

  1. शंकर जी, भगवान शिव की पूजा विधि, Shiv Pujan, भगवान शिव जी को प्रसन्न कैसे करें, शिव जी की कथा, शिव पूजन सामग्री, शिव पूजा के दौरान पहने जाने वाले वस्त्र.
  2. सोमवार व्रत कैसे करें, सोमवार व्रत पूजन विधि नियम कथा आरती, प्रति सोमवार व्रत विधि, सोमवार व्रत के नियम, सोमवार व्रत का उद्यापन कैसे करें.
  3. 16 सोमवार व्रत विधि, 16 Somvar Vrat Vidhi In Hindi, 16 सोमवार व्रत कब से शुरू करें, सोलह सोमवार व्रत कथा आरती और उद्द्यापन, 16 Somvar Vrat Kab Se Shuru Kare.
  4. मंगलवार व्रत के नियम, Mangalvar Vrat Ke Niyam, मंगलवार व्रत विधि विधान, मंगलवार व्रत का खाना, मंगलवार के व्रत में नमक खाना चाहिए या नहीं, मंगलवार का व्रत.
  5. बुधवार व्रत विधि विधान, बुधवार का व्रत कैसे किया जाता है, बुधवार व्रत कथा आरती, बुधवार व्रत उद्यापन विधि, बुधवार के व्रत में नमक खाना चाहिए या नहीं.
  6. गुरुवार बृहस्पतिवार वीरवार व्रत विधि, वीरवार की व्रत कथा आरती, गुरुवार व्रत कथा आरती, गुरुवार का उद्यापन कब करना चाहिए, बृहस्पतिवार व्रत कथा उद्यापन.
  7. लक्ष्मी पूजा , शुक्रवार वैभव लक्ष्मी व्रत विधि, वैभव लक्ष्मी पूजा विधि, वैभव लक्ष्मी व्रत कथा, वैभव लक्ष्मी की आरती, वैभव लक्ष्मी व्रत कैसे करें, वैभव लक्ष्मी व्रत फल.
  8. संतोषी माता व्रत विधि , शुक्रवार व्रत विधि , शुक्रवार व्रत कथा आरती, संतोषी माता व्रत कथा, संतोषी माता की आरती, मां संतोषी का व्रत कैसे करें.
  9. शनिवार व्रत पूजा विधि, शनिवार के व्रत का उद्यापन, शनिवार के कितने व्रत करना चाहिए, शनिवार व्रत के लाभ, शनिवार का उद्यापन कैसे होता है.
  10. रविवार व्रत विधि विधान पूजा विधि व्रत कथा आरती, रविवार के कितने व्रत करने चाहिए, रविवार व्रत कब से शुरू करना चाहिए, रविवार के व्रत में क्या खाना चाहिए.
  11. माता पार्वती की पूजा विधि आरती जन्म कथा, Mata Parvati Puja Vidhi Aarti Janm Katha, माता पार्वती की पूजन सामग्री, Maa Parvati Mantra, Parvati Mata Mantra.
  12. बीकासूल कैप्सूल खाने से क्या फायदे होते हैं, बिकासुल कैप्सूल के लाभ, Becosules Capsules Uses in Hindi, बेकासूल, बीकोस्यूल्स कैप्सूल.
  13. जिम करने के फायदे और नुकसान, Gym Karne Ke Fayde, जिम जाने से पहले क्या खाएं, Gym Jane Ke Fayde, जिम से नुकसान, जिम जाने के नुकसान.
  14. मोटापा कम करने के लिए डाइट चार्ट, वजन घटाने के लिए डाइट चार्ट, बाबा रामदेव वेट लॉस डाइट चार्ट इन हिंदी, वेट लॉस डाइट चार्ट.
  15. बच्चों के नये नाम की लिस्ट, बेबी नाम लिस्ट, बच्चों के नाम की लिस्ट, हिंदी नाम लिस्ट, बच्चों के प्रभावशाली नाम, हिन्दू बेबी नाम, हिन्दू नाम लिस्ट.
  16. रेखा की जीवनी , रेखा की बायोग्राफी, रेखा की फिल्में, रेखा का करियर, रेखा की शादी, Rekha Ki Jivani, Rekha Biography In Hindi, Rekha Films, Rekha Career.
  17. प्यार का सही अर्थ क्या होता है, Pyar Kya Hota Hai, Pyar Kya Hai, प्यार क्या होता है, प्यार क्या है, Pyaar Kya Hai, Pyar Ka Matlab Kya Hota Hai, Love Kya Hota Hai.
  18. शराब छुड़ाने की आयुर्वेदिक दवा , होम्योपैथी में शराब छुड़ाने की दवा, शराब छुड़ाने के लिए घरेलू नुस्खे , शराब छुड़ाने का मंत्र , शराब छुड़ाने के लिए योग.
  19. ज्यादा नींद आने की वजह, Jyada Nind Kyon Aati Hai, ज्यादा नींद आना के कारण, ज्यादा नींद आना, शरीर में सुस्ती, शरीर में थकावट.
  20. भगवान राम के नाम पर बच्चों के नाम, भगवान राम के नाम पर लड़कों के नाम, लड़कों के लिए भगवान राम के नाम, भगवान राम से बेबी बॉय नेम्स, राम जी के नाम पर लड़के का नाम.
  21. भगवान शिव के नाम पर बच्चों के नाम, भगवान शिव के नाम पर लड़कों के नाम, लड़कों के लिए भगवान शिव के नाम, शिव जी के नाम पर लड़के का नाम.

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है, महाशिवरात्रि व्रत विधि, महाशिवरात्रि पूजन विधि, शिव अभिषेक विधि, महाशिवरात्रि मंत्र, महाशिवरात्रि कथा-आरती, महत्व, महाशिवरात्रि व्रत में क्या खाना चाहिए, Mahashivratri Kyo Manayi Jati Hai, Mahashivratri Vrat Puja Vidhi, Shiv Abhishek Vidhi, Mahashivratri Mantra, Mahashivratri Katha, Aarti, Mahashivratri Vrat Mein Kya Khana Chahiye, Mahashivratri Vrat Mein Kya Nhi Khana Chahiye