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क्‍या है शरद पूर्णिमा, Kya Hai Sharad Purnima, शरद पूर्णिमा के विभिन्न नाम, शरद पूर्णिमा के दिन क्यों करते हैं लक्ष्मी पूजन, शरद पूर्णिमा पर चांद की रोशनी में खीर क्यों रखते हैं, शरद पूर्णिमा पर क्या न करें, Sharad Purnima Ke Naam, Sharad Purnima Ke Din Kyon Krte Hein Laxmi Puja, Sharad Purnima Par Kheer Ka Mahtva

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शरद पूर्णिमा – परिचय
आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन को कोजगारी पूर्णिमा, आश्विन पूर्णिमा और कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। शरद पूर्णिमा का पर्व संपूर्ण भारत में उत्साह और भक्ति के साथ मनाए जाने की परंपरा प्राचीन समय से ही चली आ रही है। भारत के विभिन्न प्रांतों में इस पूर्णिमा का रंग अलग-अलग रूप में दिखाई देता है। उत्तर भारत से दक्षिण भारत ओर पूर्व भारत से पश्चिम तक के स्थानों पर इस पूर्णिमा की अपनी मनयताएं और आधार हैं. ज्योतिषशास्त्रों के अनुसार, इस दिन सागर मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी का प्रकाट्य हुआ था। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और अपनी किरणों से अमृत की बूंदे पृथ्वी पर गिराते हैं। शरद पूर्णिमा की रात को खुले आसमान के नीचे चावल का खीर रखा जाता है। इसके अलावा शरद पूर्णिमा की रात को देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और घर-घर जाकर यह देखती हैं कि कौन रात को जग रहा है। इस कारण इसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं। कोजागरी का अर्थ होता है कि कौन-कौन जाग रहा है। आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा क्या है, शरद पूर्णिमा के विभिन्न नाम, क्यों करते हैं लक्ष्मी पूजन?, चांद की रोशनी में क्यों रखते हैं खीर? और शरद पूर्णिमा दिन कौन सा काम करने की है मनाही-

जानिए क्‍या है शरद पूर्णिमा /Kya Hai Sharad Purnima
भारतीय संस्कृति में सभी व्रत और त्योहारों का एक अलग ही रंग और संबंध देखने को मिलता है। इस श्रेणी में आश्विन मास में आने वाली शरद पूर्णिमा का मुख्य स्थान है। शरद पूर्णिमा केवल एक त्योहार तक ही सीमित नहीं है अपितु यह हमारे जीवन के सभी पहलुओं पर असर डालने वाला प्रमुख पर्व है। पूर्णिमा तिथि एक ऐसा समय होता है जब हमारे और प्रकृति के भीतर मौजूद संरचना में एक बदलाव दिखाई देता है। इस समय पर हम सभी में मौजूद कुछ गुण इस वक्‍त बदलाव को दर्शाते हैं।
शरद पूर्णिमा के विभिन्न नाम / Sharad Purnima ke Naam
शरद पूर्णिमा को आश्विन पूर्णिमा, रास पूर्णिमा, कोजागर पूर्णिमा, अमृत पूर्णिमा, आरोग्य पूर्णिमा, कौमुदि पूर्णिमा इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। शरद पूर्णिमा का त्‍योहार मां लक्ष्‍मी के जन्‍मदिन के रूप में मनाया जाता है।

शरद पूर्णिमा के दिन रात में क्यों होता है लक्ष्मी पूजन/ शरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी का पृथ्वी आगमन / Sharad Purnima Ke Din Kyon Krte Hein Laxmi Puja
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की तिथि पर देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने आती हैं और घर-घर जाकर भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। शरद पूर्णिमा की तिथि पर माता लक्ष्मी की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। शरद पूर्णिमा पर रात भर जागकर माता की स्तुति की जाती है। शरद पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं जिसमें देवी लक्ष्मी का प्रिय भोग और वस्तुएं अर्पित करते हैं। शरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कमल गट्टे की माला से इस मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र- ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम:।
शास्त्रों में इसे कोजागर व्रत यानी कौन जाग रहा है व्रत भी कहते हैं। इसदिन की लक्ष्मी पूजा सभी कर्जों से मुक्ति दिलाती हैं इसीलिए इसे कर्जमुक्ति पूर्णिमा भी इसी लिए कहते हैं। इस रात्रि को श्रीसूक्त का पाठ, कनकधारा स्तोत्र, विष्णु सहस्त्र नाम का जाप करना चाहिए।

भगवान कृष्ण शरद पूर्णिमा पर गोपियों संग रचाते हैं महारास
ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण शरद पूर्णिमा की तिथि पर ही वृंदावन में सभी गोपियों संग महारास रचाया था। इस वजह भी शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। शरद पूर्णिमा के दिन मथुरा और वृंदावन सहित देश के कई कृष्ण मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं।
अमृत का वास
इस पूर्णिमा के दिन पर चंद्रमा की उज्जवलता में अमृत का वास माना गया है। इस शुभ तिथि अवसर पर जहां चंद्रमा अपने चरम सौंदर्य को पाता है वहीं पृथ्वी को इस दिन अमृत वर्ष की प्राप्ति होती है। चंद्रमा की उज्जवल रोशनी के कण-कण में अमृत का वास होता है। ऐसे में चारों ओर प्रेम व सौंदर्य के दर्शन होते है। यह समय जीवन में नवीन सुख का आगमन दर्शाता है। जीवन को आरोग्य देता है, इच्छाओं को अमृत से सींचता है।
शरद पूर्णिमा पर भूलकर भी ना करें ये कार्य
शास्त्रों में इस दिन को बहुत शुभ व पवित्र माना गया है इसलिए कुछ चीजों को ना करने के लिए भी कहा गया है। ऐसा करने से माता लक्ष्मी नाराज होती हैं और धन-धान्य की समस्या होने लगती है। आइए जानते हैं ऐसे कौन से कार्य हैं, जो शरद पूर्णिमा के दिन नहीं करने चाहिए…

1- मां लक्ष्मी होती हैं नाराज
शरद पूर्णिमा के दिन भूलकर भी धन का लेन-देन नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन दिया गया धन वापस लौटकर मुश्किल से आता है। इस दिन कर्ज देने से माता लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं और रिश्तों में भी कड़वाहट आ जाती है।
2- मांस-मदिरा का सेवन न करें
शरद पूर्णिमा का दिन माता लक्ष्मी की पूजा का दिन होता है। इस दिन भूलकर भी तामसिक भोजन खासतौर पर मांस-मदिरा का सेवन करने से बचना चाहिए। ऐसा करने से माता लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं। इस दिन सात्विक भोजन करना चाहिए, साथ ही इसको आदत भी बना लें।
3- शारीरिक संबंध बनाने से बचें
शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि शरद पूर्णिमा के दिन पति-पत्नी को दूर रहना चाहिए अर्थात शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए। ऐसा करने से धन की समस्या के साथ-साथ वैवाहिक जीवन पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। शारीरिक संबंध के लिए यह दिन उचित नहीं है।

4- सुहागन स्त्री का करें सत्कार
शरद पूर्णिमा के दिन अगर कोई सुहागन महिला घर पर आए तो उसको खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए। सुहागन स्त्री का सत्कार करें और दान देकर ही घर से विदा करें। ऐसा करने से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
5- चूल्हे पर तवा चढ़ाने से बचें
शरद पूर्णिमा के दिन चूल्हा पर तवा नहीं चढ़ाना चाहिए अर्थात रोटी नहीं खाना चाहिए। इस दिन तली हुई चीज का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर पर अपना आशीर्वाद बनाए रखती हैं।
6- इस समय दान न करें
शरद पूर्णिमा के दिन सुबह के समय दान करना चाहिए लेकिन भूलकर भी सांयकाल के समय किसी को दान नहीं देना चाहिए। खासतौर पर सरसों, हल्दी व जीरा तो बिल्कुल न दें। ऐसा करने से धन-धान्य की समस्या बन जाती है।

7- वाद-विवाद न करें
शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी का ध्यान करना चाहिए। इस दिन वाणी पर संयम रखना चाहिए और घर में सुख-शांति का वास रखना चाहिए। इस दिन घर में किसी भी तरह की कलह नुकसान दायक हो सकती है। साथ ही इस दिन सफाई का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।
8- इस समय बाल न बनाएं
शरद पूर्णिमा के दिन सांयकाल के समय महिलाओं को बाल नहीं बनाना चाहिए, ऐसा करना अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से माता लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं और घर की सुख-शांति में बाधा आती है।

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