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सास बहू को कैसे रहना चाहिए, एक बहू के कर्तव्य
बहू के कर्तव्य – स्त्री वर्ग अर्थात समर्पण से परिपूर्ण व्यक्तित्व ही स्त्री की सही परिभाषा है। जब एक लड़की बड़ी होती है, तो वह एक परिवार से जुड़ी हुई होती है, और जब वही लड़की बड़ी होती है तो जब उसकी शादी होती है, तो वह शादी के बाद अपने ससुराल चली जाती है। उस समय एक लड़की का दो घरों पर अपनी जिम्मेदारी निभाना पड़ता है, यह बहुत मुश्किल कार्य होता है, इसलिए स्त्री वर्ग को समर्पण से परिपूर्ण माना गया है। एक स्त्री का बहू के रूप में अपने ससुराल पर विभिन्न प्रकार की जिम्मेदारी होती है, जैसे कि, सास ससुर की सेवा, पति की सेवा, घर की जिम्मेदारी, बच्चों की जिम्मेदारी, घर की हर गृह कार्य की जिम्मेदारी ये सभी उसके कर्तव्यों मे शामिल है, जिसमे से वह सुबह उठने से लेकर, घर के पूरे कार्य करने से लेकर, सास ससुर की सेवा, बच्चों को स्कूल भेजना, खाना बनाना, फिर वहां से बर्तन से लेकर शाम का खाना, फिर रात को सास ससुर का सेवा करके, फिर थक कर सोना..!! यह एक बहू के उत्तर- दायित्व है। इसलिए कहा गया है कि नारी का दूसरा नाम ही समर्पण है, जिसकी लीला अपरंपार है।

हमारा सामाजिक जीवन पूरी तरह संबंधों पर निर्भर है। जीवन में संबंध जितने महत्त्वपूर्ण होते हैं, उतना ही महत्त्वपूर्ण होता है संबंधों को सफलतापूर्वक निभाना। कई बार संबंधों में कड़वापन आ जाता है परंतु धैर्य और समझ के साथ हर संबंध को कुशलतापूर्वक निभाया जा सकता है। सबसे ज्यादा कठिन माना जाने वाला संबंध सास-बहू का होता है परंतु वास्तव में यह उतना उलझा हुआ नहीं होता जितना समझा जाता है।

सास बहू में सामंजस्य, Saas Bahu Ka Rishta
बहू के केवल कर्तव्य और फ़र्ज़ ही क्यों, हक़ और अधिकार क्यों नहीं
सास बहू में सामंजस्य होना बहुत जरूरी है। ससुराल में आने के बाद बहू से अपेक्षा की जाए कि वह हमारे अनुरूप ढल जाए तो एकदम तो ऐसा नहीं होता। अपने प्यार से उसे समझाकर बताना चाहिए कि यह कार्य तुम्हें किस तरह करना चाहिए। यदि नहीं आता तो बता दें कि यह काम किस तरह होगा।

जहां से ब्याह कर बहू आई, वहां के तौर तरीके अलग होंगे। साफ-सफाई से लेकर रसोई के काम में समयानुसार कार्य प्रणाली में बदलाव तो आएगा ही। खाना बनाने का तरीका अलग अलग होगा तो स्वाद में भी फर्क तो पड़ेगा। धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा। सास को कभी भी मायके वालों को उलाहना या ताना नहीं देना चाहिए। आपने विवाह से पूर्व भी तो देखा भाला था। सबकी राजी खुशी से तो विवाह हुआ। बहू के आते ही सारा काम बहू पर नहीं डालकर थोड़ा-थोड़ा काम करने दें। घर के सदस्य भी यथायोग्य प्यार व सम्मान के साथ कोई काम कहेंगे तो बहू भी खुशी से काम करेगी। प्यार से बोलने में और रौब से कड़क कर बोलने में ऊर्जा व समय तो उतना ही खर्च होगा लेकिन प्यार से बोलने में विशेष क्या खर्च होगा? बहू भी अपने कर्तव्य में सास को सम्मान दें और उसे ही अपनी मां के रुप में देखें।

आपस में तालमेल बिठाकर चलें। सास ने भी तो गृहस्थी के अनुभव प्राप्त किए हैं। उन अनुभवों को बहू को फुर्सत के समय बताएं। ससुराल में रहन-सहन मायके से अलग होगा ही, धीरे-धीरे आदत डालें। जिद्दी स्वभाव नहीं रखें। सास-बेटी का एक नया रिश्ता रचें। मायके व ससुराल वालों में भी आपके द्वारा ही प्यार व सम्मान का रिश्ता बना रहेगा। बहू को भी बेटी की तरह मानना, उसे प्यार से पुकारना बहू की सारी थकावट को दूर कर देता है। सास की बीमार अवस्था में अच्छी देखरेख करना बहू का कर्तव्य है, वहीं अगर बहू अस्वस्थ है तब सास बहू की सेवा करे तो अनुचित क्या है।

कटुता से प्रभावित रिश्ते
सासबहू के संबंध में कटुता आना अन्य रिश्तों को भी बुरी तरह प्रभावित करता है. मनोवैज्ञानिक स्टीव कूपर का मत है कि संबंध में कटुता एक कुचक्र है. एक बार यह शुरू हो गया तो संबंध निरंतर बिगड़ते चले जाते हैं. बिगड़ते रिश्तों में आप जीवन के आनंद से वंचित रह जाते हैं. अन्य रिश्ते जो प्रभावित होते हैं वे हैं छोटे बच्चों के साथ संबंध, देवरदेवरानी, ननदननदोई, जेठजेठानी, पति के भाईभाभी आदि. ये वह रिश्ते हैं जो परिवार में वृद्धि के साथ जन्म लेते हैं. इन रिश्तों को निभाना रस्सी पर नट के बैलेंस बनाने के समान है. हर रिश्ते में अहं अपना काम करता है और अनियंत्रित तथा असंतुलित अहं के कारण घर का माहौल शीघ्रता से बिगड़ता है.

बहू और जेठजेठानी
यह रिश्ता बड़े होने के साथ आदर व सम्मान चाहता है. बहू का कर्तव्य है वह रिश्तों को निभाते समय आदर व सत्कार से पेश आए. जेठजेठानी की तरफ से यह प्रयास होना चाहिए कि बहू को बच्चों के समान प्यार दें. उस की हर आवश्यकता का ध्यान रखें. यह प्यार दोतरफा है.
बहू और देवरदेवरानी
देवरदेवरानी के साथ बहू का रिश्ता सौहार्दपूर्ण होना चाहिए. अगर देवरदेवरानी से कोई गलत व्यवहार हो जाए तो बहू को क्षमाशील और सहनशील होना चाहिए. यहां यह नहीं कहा जा रहा है कि बहू को अपने सम्मान का खयाल नहीं रखना चाहिए. उस के आत्मसम्मान की रक्षा होनी चाहिए.

बहू और बच्चों के साथ व्यवहार
छोटे बच्चे संयुक्त परिवार में बड़े लाड़प्यार से पाले जाते हैं. सास तो उन को पूरा प्यार देती है. बहू को चाहिए वह भी उन्हें मां की तरह प्यार करे. उन का स्वभाव कोमल होता है. उन्हें कू्रर स्वभाव वाली बहू अच्छी नहीं लगती.
बहू और ननदननदोई के साथ व्यवहार
ननद शादी के बाद अकसर पति के साथ मायके आती है. वह बेशक थोड़े समय के लिए ही आए उस का स्वागत और सत्कार खुले दिल से होना चाहिए. घर के दामाद का भी आदर से भरपूर स्वागत होना चाहिए. बहू को चाहिए वह बढ़चढ़ कर परिवार के लोगों के साथ उन के सत्कार में भागीदार बने. उन्हें एहसास कराए कि उन का परिवार में आनाजाना उसे अच्छा लगता है. ननद परिवार की लड़की है. इस के लिए जाते समय ननदननदोई को उचित उपहार दे कर विदा किया जाए. सासबहू दोनों आपस में बातचीत कर के उपहार की व्यवस्था करें. जब पत्नी सब रिश्तों में अपने सद्भाव की मिठास भरती है, उन्हें अपने व्यवहार से सम्मान और प्यार देती है तो ऐसी बहू अपने पति की प्यारी और गर्व के योग्य बन जाती है. फिर कहा भी जाता है कि बहू वही जो पिया मन भाए.

बहू और वयस्क लड़कालड़की
संयुक्त परिवार में जब बहू प्रवेश करती है तो सब से अधिक खुश होते हैं परिवार के कुंआरे लड़कालड़की. उन्हें मित्रवत व्यवहार की जरूरत होती है. अगर ससुराल आने पर बहू का रवैया उन के साथ मित्रवत होता है तो वह सास का दिल जीत लेती है. बहू उन का मार्गदर्शन करने की स्थिति में होती है.

सास- बहू से अच्छे व्यवहार की अपेक्षा, Saas Bahu Ka Pyar
1- नकचढ़ी और जिद्दी स्वभाव से हार न मानते हुए, सभी रिश्तेदारों की जिम्मेदारी होती है कि वे उन्हें अवसर दें कि निम्न बिंदुओं पर खुद को पू्रव कर सकें.
2- दूसरे रिश्तेदारों की स्थिति में खुद को रख कर सोचें. उन की अपेक्षा क्या है, उस के अनुसार व्यवहार द्वारा घर वालों का दिल जीतें.
3- उन से व्यवहार करने में क्षमाशील और सहनशील बनें. गलती सभी से हो सकती है, यह मान कर चलें. अपनी गलती सहर्ष स्वीकारें.
4- अपना नजरिया सैक्रीफाइस वाला रखें. पौजिटिव सोच रिश्तों के पोषण के लिए टौनिक का काम करती है. गिव ऐंड टेक अच्छी नीति है.

आदर्श सास बनने के गुण, Achchhi Saas Ke Gun
उसी तरह बहू की भी उम्मीदें होती है|एक खुशहाल परिवार के लिए घर में सास को ही सोच समझ के कदम उठाने होते हैं क्योंकि बहु घर में नई होती है|सास पर निर्भर है कि कमी ढुढंने की बजाए कैसे बहु को घर की बेटी बनांए|
आदर्श सास बनने के लिए, Achchhi Saas Ke Kartavy
1- आपको एक माँ की तरह बहू की तकलीफों या दुखों को सुनना चाहिए और उसे समझना चाहिए.
2- बहू को नए माहौल में ढलने और वहाँ के लोगों की पसंद-नापसंद को समझने का पर्याप्त समय दिजीए.
3- यदि वह आपके घर के काम को नहीं कर पा रही है तो उसे सिखाने का प्रयास करना चाहिए.
4- बहू के घरवालों के लिए भला-बुरा ना कहें|जब बात माँ बाप की आती है तो कोई भी इंसान बरदाश नहीं कर पाता.
5- हर बात पे मेरा बेटा मेरा बेटा ना करें|अब वो एक पति भी है.
6- बेटे-बहू में किसी बात पर बहस हो तो ऐसे में आप अपने बेटे के स्थान पर बहु का साथ देने की कोशिश करें, यदि वह सही है तो. इससे उनके बीच प्रेम बना रहेगा और बहू के मन में आपके लिए सम्मान बढ़ जाएगा.
7- बेटे को भी समझांए कि बहू को समय दे और उसे हर बात प्यार से समझांए.
8- बेटे को अपनी ओर करने या बहु के लिए उसके मन में बुराई पैदा करने से आप अपने बेटे और बहु दोनों की नज़र में बुरी बन जाएँगी|यह ना करें.
9- सास-बहू का व्यवहार पूरे घर को प्रभावित करता है. जरुरी नहीं है कि आपकी बहू हर समय पूरी तरह से सही हो आप उसे विनम्रता से समझाएँगे या उससे कभी ऊँचे स्वर में नहीं बोलेंगे तो वह भी आपको जरूर समझेगी.
10- अपनी बहू की बुराइयाँ या कमियाँ बाहर वालों से ना करें. इससे आपकी बहु आपके खिलाफ हो जाएगी.
11- उसकी कमियाँ एक माँ भाँति उसे बता सकती हैं और इस अंदाज़ से कहें कि उसे बुरा भी न लगे और वह आपकी बात समझ भी जाए.
12- दूसरों के आगे बहू की अचाछियाँ ज़ाहिर करें.
13- बहू के घरवाले घर आंए तो खुशी प्रकट करें. बहू को बहुत अच्छा लगेगा.
14- दहेज या किसी सामाम का ताना ना दें.
15- रिशतेदारों की बहूओं से तुलना ना करें.
16- उससे आगे से बात करें क्योंकि आपका यह व्यवहार देखकर वह भी आपसे बोलेगी और उसके मन में आपके प्रति कोई बैर नहीं रहेगा.
17- बहू बिमार हो तो उसे जतांए की आपको उसकी फिक्र है.
18- पहल आप करें घर आपका है. बहू भी आपकी ही है. अनुभव और समझदारी में आप उसे आगे हैं. बहू को भी हर बात दिल पे नहीं लगानी चाहिए. सास-बहू के रिश्ते में कभी दरार न आ पाए इसके लिए दौनों को समझदारी से रिश्तों को बांधे रखना जरुरी है. आप सास बने के बाद,एक बार फिर माँ बने की कोशिश करें.

पाठकों की प्रतिक्रियाएं, Reader’s Feedback Pathako Ki Pratikriya
बहू का सास से डरना कितना सही है, इस सवाल पर मिली पाठकों की कुछ और प्रतिक्रियाएं पेश हैं –
1- शादी को 15 साल हो गए मगर आज भी सास मुझे नीचा दिखाने का एक भी मौका नहीं छोड़तीं। – सीमा
2- सास को भी मौका दीजिए कि वो भी आपको समझें क्योंकि दोनों को एक साथ चलना होता है। – सपना राय
3- बहुओं को सास से डरना नहीं पड़ेगा अगर वो पारदर्शी और प्रेडिक्टेबल हैं। – अशोक गुप्ता
4- मेरी शादी को सात महीने हुए हैं और इस दौरान सास का वो रूप देखा है कि 17 साल में भी नहीं देख सकता। – पायल
5- सास तब तक डराती है जब तक बहू डरती है। पर बहुत कुछ पति पर भी निर्भर करता है। – अमिता अग्रवाल
6- किसी भी रिश्ते में हमें एक दूसरे के विचारों का सम्मान करना होता है। ऐसा होगा तो परेशानी नहीं आएगी। – डॉ. छवि गुप्ता
7- अपनी मां भी तो डांटती थी फिर सास की डांट को अलग नजरिए से क्यों देखते हो? – अरुणा मलिक
8- सास को अपनी सारी बातें बताइए, ऐसा करने से उन्हें अपने घर में बेटी दिखाई देगी और हमें अपनी मां। – ज्योत्सना सिंह
9- हम सास की खराब इमेज को दिल से निकालें। अगर वह हमें प्यार और पर्सनल स्पेस के अलावा घूमने, खाने-पहनने की आजादी दे तो रिश्ते में चेंज आना बहुत मुश्किल नहीं होगा। – मंजू अरोड़ा
10- सास और बहू दोनों को एक दूसरे के साथ अडजस्ट करना होगा। – रितु, बबीता रानी वर्मा, साक्षी, पूजा, विनीता गोयल, तपस्या, सुभाष कुमार, राजेश
11- बहू कितनी भी एक्सपर्ट क्यों न हो सास का खौफ दिल में रहता ही है। मगर जो भी आप कर रहे हो लॉजिकली उसे सास को समझा सको तो डरने की जरूरत नहीं। – डॉ. रेणु छाछड़
12- सास न खुद खुश रहती है और न बहू को खुश रहने देती है। – सपना
13- नई-नई शादी में हर सास बहू को डराती है मगर यह आप पर डिपेंट करता है कि आप हालात को कैसे हैंडल करते हो। – एक रीडर
14- सभी को अपनी-अपनी हद में रहना चाहिए। – विकास गुप्ता
15- जब बहू को लगे कि मैं यह काम सास के बिना नहीं कर पाऊंगी, तभी बहू को उनसे डरना चाहिए। – आदित्य पवार
16- मैंने सास को कभी हव्वा नहीं माना। तीन साल हो गए शादी को कभी सास से परेशानी नहीं हुई। सास के खिलाफ पढ़कर दुख हुआ। आज की बहू भी तो अडजस्ट नहीं करना चाहती। – सुमन ममगाईं
17- सास से डरने के बजाय उनसे अपने अच्छे व्यवहार और संस्कारों से डराना चाहिए ताकि वो आपको कभी डराने की कोशिश न करें। – एक रीडर
18- सास से डरने का मतलब, खुद पर से विश्वास खोना और मैं आठ साल से यह सजा भुगत रही हूं। – एक रीडर
19- मेरी सास ने मुझे मां जैसा प्यार दिया। आज वह नहीं हैं मगर हमेशा मेरे दिल में रहेंगी। – आशू
20- डर तो दोनों को होता है। अगर सास के पास अधिकार हैं तो बहू के पास पति का प्यार भी है। – विनीता रुस्तगी
21- आज की गल्र्स को घर और ऑफिस मैनेज करना आता है मगर उन्हें ईगो को बीच में नहीं लाना चाहिए। सास टीवी सीरियल की तरह नहीं होती। – सुभाष शर्मा
22- सास से डरना चाहिए मगर इतना भी नहीं कि उसका वह गलत फायदा उठाएं। – ज्योति तंवर
23- प्लीज सासू जी अगर आप बहू को बेटी मानोगी तभी तो बहू आपको अपनी मां समझेगी। – सुमन, पप्पी, गुलशन वर्मा
24- एक अच्छी बहू का कर्तव्य बनता है कि वो सास को सम्मान दे और जो सास को नफरत से देखती है वह एक अच्छी बहू से सबक ले। – जेएस कालरा
25- लड़की ससुराल जाने से डरती नहीं बल्कि सास अपनी बात मनवाने के लिए उसे डराती है, तभी बहू उसे कभी मां नहीं समझ पाती। – रश्मि वासुदेव
26- मैं तो जरूरत पडऩे पर सास से लड़ भी लेती हूं। डर तो उसे लगता है जो लड़ नहीं सकता। – अर्चना गुप्ता
27- मैंने अपनी सास के कारण ही अपने सारे सपने पूरे किए हैं। – हेमा शर्मा

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