psoriasis

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परिचय – सोरायसिस क्या है?

सोरायसिस त्वचा से संबंधित बीमारी या रोग है, इसके कारण स्किन पर जगह जगह लाल धब्बे पड़ा जाते है. सोरायसिस लंबे समय तक बने रहनेवाला एक ऑटोइम्यून डिज़ीज़ है. इसे स्किन का अस्थमा भी कहा जाता है। इसमें त्वचा के सेल्स काफी तेजी से विकसित होने लगते हैं और स्किन के ऊपरी हिस्से पर परत या पपड़ी के रूप में जम जाते है। इससे त्वचा रूखी और शुष्क हो जाती है, उसपर खुजली होती है, जिसके कारण त्वचा पर लाल सफेद धब्बे, पैचेज़ या चकत्ते पड़ जाते हैं। आमतौर पर लोग शुरुआत में सोरायसिस के लक्षणों को त्वचा की आम समस्या समझकर क्रीम और मॉइस्चराइज़र का उपयोग करने लगते हैं. जिसकी वजह से यह समस्या कई बार गंभीर हो जाती है. सोरियासिस को अपरस अथवा छालरोग अथवा चर्म रोग भी कहते है।  
अक्सर सोरायसिस किसी भावनात्मक आघात या तनाव से होता है, हालांकि इसके और कारण भी हैं। प्राचीन विज्ञान आयुर्वेद के अनुसार, हवा और कफ के असंतुलन के कारण सोरायसिस होता है। हालांकि इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि यह संसर्गजन्य यानी छुआछूत से फैलनेवाला रोग नहीं है, पर इससे त्वचा इतनी ख़राब दिखने लगती है कि व्यक्ति का आत्मविश्वास कहीं खो सा जाता है. यह शरीर के कुछ हिस्सों या किसी-किसी मामले में ज़्यादातर हिस्सों को प्रभावित कर सकता है. यह आमतौर पर सिर, कोहनी, घुटने, कमर, हाथ, पैर, नाखून, जननांग और त्वचा की सिलवट पर होते हैं.

क्‍या होता है स्‍कैल्‍प सोरायसिस? (scalp-psoriasis)

स्‍कैल्‍प सोरायसिस एक सामान्‍य रोग है जिसमें सिर की त्‍वचा पर लाल और परतदार पैचेज़ पड़ जाते हैं। इसमें एक बड़ा या कई छोटे पैचेज़ हो सकते हैं। ये पैचेज़ बालों से ढके रहते हैं लेकिन धीरे-धीरे माथे, गर्दन और कानों के पीछे तक पहुंच जाते हैं। चिकित्सा के इतिहास में अब तक स्‍कैल्‍प सोरायसिस की कोई जानकारी नहीं है। ये कोई संक्रामक रोग नहीं है बल्कि वंशानुगत है। अगर आपके परिवार में किसी को स्‍कैल्‍प सोरायसिस रहा है तो आपकी इसके चपेट में आने की संभावना बढ़ जाती है।

स्‍कैल्‍प सोरायसिस के लक्षणों में स्‍कैल्‍प पर स्‍केली और पैची स्किन, खुजली और डैंड्रफ होना आदि शामिल है। स्‍कैल्‍प सोरायसिस की वजह से बाल नहीं झड़ते हैं। अगर आपको स्‍कैल्‍प सोरायसिस है तो किसी डर्मेटोलॉजिस्‍ट से तुंरत संपर्क करें।

सोरायसिस के विभिन्न प्रकार क्या हैं? (What are the different types of psoriasis?)

सोरायसिस ट्रॉमा, इमोशनल स्ट्रेस से लेकर स्ट्रेप्टोकोकल इन्फेक्शन तक कई कारणों से हो सकता है. इस बीमारी के एक हालिया अध्ययन ने संकेत दिया है कि इम्यून सिस्टम में कुछ असामान्यता वह कारक है जो इस बीमारी को ट्रिगर करता है. सोरायसिस के पांच विभिन्न प्रकार हैं:
1- प्लाक सोरायसिस (Plaque Psoriasis): यह एक प्रकार का सोरायसिस है जो स्किन पर लाल उभरे हुए पैच होते है. प्लेक सोरायसिस के कारण शरीर पर सिल्वर (चांदी) रंग और सफेद लाइन बन जाती है। इसमें लाल रंग के धब्बे के साथ जलन होने लगती है। यह शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकती है, लेकिन ज्यादातर कोहनी, घुटने, सिर, पीठ में नीचे की ओर होती है। इसमें त्वचा पर लाल, छिलकेदार मोटे या चकत्ते निकल आते हैं। इनका आकार दो-चार मिमी से लेकर कुछ सेमी तक हो सकता है।
2- गुट्टेट सोरायसिस (Guttate Psoriasis): यह अक्सर कम उम्र के बच्चों के हाथ पांव, गले, पेट या पीठ पर होती है। यह छोटे-छोटे लाल-गुलाबी दानों के रूप में दिखाई पड़ती है। यह ज्यादातर हाथ के ऊपरी हिस्से, जांघ और सिर पर होती है। तनाव, त्वचा में चोट और दवाइयों के रिएक्शन के कारण यह रोग होता है। इससे प्रभावित त्वचा पर प्लेक सोरायसिस की तरह मोटी परतदार नहीं होती है। अनेक रोगियों में यह अपने आप, या इलाज से चार छह हफ्तों में ठीक हो जाती है। कभी-कभी ये प्लाक सोरायसिस में भी परिवर्तित हो जाती है।
3- इनवर्स सोरायसिस (Inverse Psoriasis): इस प्रकार का सोरायसिस आमतौर पर स्किन की सिलवटों में होता है. इसमें स्तनों के नीचे, बगल, कांख, या जांघों के ऊपरी हिस्से में लाल-लाल बड़े चकत्ते बन जाते हैं। ये ज्यादा पसीने, खराश और रगड़ने के कारण होते हैं।
4- पुस्टूलर सोरायसिस (Pustular Psoriasis): ये ज्यादातर वयस्क में पाया जाता है। इसमें अक्सर, हथेलियों, तलवों या कभी-कभी पूरे शरीर में लाल दानें हो जाते हैं, जिसमें मवाद हो जाता है। ये देखने में संक्रमित प्रतीत होता है। यह ज्यादातर हाथों और पैरों में होता है, लेकिन यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। इसके कारण कई बार बुखार, मतली आदि जैसी समस्याएं भी हो जाती हैं।
5- एरिथ्रोडर्मिक सोरायसिस (Erythrodermic Psoriasis): यह एक गंभीर सनबर्न जैसा दिखता है क्योंकि यह त्वचा को चमकदार लाल बनाता है. इस प्रकार के सोरायसिस में तेज हृदय गति, खुजली और दर्द होता है. यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि यह एक आपातकालीन स्थिति है जिसे डॉक्टर से परामर्श किया जाना चाहिए.
6- सोरियाटिक अर्थराइटिक (Psoriatic Arthritis): ये सोरायसिस और अर्थराइटिस का जोड़ है। 70 फीसदी रोगियों में तकरीबन 10 साल की उम्र से इस सोरायसिस की समस्या रहती है। इसमें जोड़ों में दर्द, उंगलियों और टखनों में सूजन आदि जैसी समस्याएं होती हैं।

लक्षण – सोरायसिस के लक्षण? (Symptoms of Psoriasis?)

अबनॉर्मल सेल ग्रोथ वाली त्वचा समस्या सो‌रायसिस के साथ सबसे बड़ी दिक़्क़त यह है कि समय-समय पर इसके लक्षण आते-जाते रहते हैं. अलग-अलग व्यक्तियों में इसके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं. फिर भी इसके कुछ आम लक्षण ये हैं.
1- फटी हुई या रूखी-सूखी त्वचा
2- क्रैक्स से ख़ून निकलना
3- स्किन पर लगातार खुजली होना
4- जोड़ों में सूजन और दर्द
5- त्वचा पपड़ीदार होना या लाल-लाल चकत्ते बनना

सोरायसिस से प्रभावित होने वाले अंग (Psoriasis Affected Body Parts)

सोरायसिस 20 से 30 वर्ष की आयु में होती है, जो शरीर के इन अंगों में हो सकती हैः-
1- हथेलियों
2- पांव के तलवे
3- कोहनी
4- घुटने
5- सोयसाइसिस पीठ पर अधिक होता है

कारण – सोरायसिस के कारण क्या हैं? (What are the causes of psoriasis)

सोरायसिस का सही कारण ज्ञात नहीं है लेकिन कई अन्य कारक हो सकते हैं जो सोरायसिस का कारण बन सकते हैं.
1- इम्यून सिस्टम (Immune system): हमारा इम्यून सिस्टम हमें वायरस और बैक्टीरिया के इन्फेक्शन से सुरक्षित रखने में मदद करती है लेकिन अगर कुछ गलत हो जाता है तो हमारा सिस्टम इसके विपरीत काम करना शुरू कर देता है. शोधकर्ताओं का मानना है कि सोरायसिस के लिए इम्यून सिस्टम एक कारण है. जब हमारा इम्यून सिस्टम ओवरएक्टिव काम कर रहा होता है तो यह शरीर के अंदर सूजन पैदा करता है. बड़ी संख्या में स्वस्थ कोशिकाओं का उत्पादन होता है. ये अतिरिक्त कोशिकाएं तब त्वचा की सतह पर बहुत जल्दी आने लगती हैं. आपकी त्वचा पर दिखने वाले ये ढेर सारे त्वचा कोशिकाएं सोरायसिस हैं. यह रंग में लाल है और त्वचा में सूजन का कारण बनता है.
2- हार्मोनल चेंजस (Hormonal changes): पुबेर्टी या मेनोपौसे के दौरान, इस मुद्दे को त्वचा पर देखा जा सकता है. यदि आप एक गर्भवती महिला हैं, तो आपको सोरायसिस होने की संभावना है. एक बार प्रसव हो जाने के बाद, आप फिर से इसे त्वचा की सतह पर देख सकते हैं.
3- मेडिकेशन (Medication): कुछ दवाएं जैसे कि लिथियम (जो बाइपोलर डिसऑर्डर और मानसिक बीमारी का इलाज करती है), हाई ब्लड प्रेशर की दवाएं (प्रोप्रानोलोल, बीटा-ब्लॉकर्स, एसीई इन्हिबिटर, क्विनिडाइन सहित), एंटीमाइरियल दवाएं (क्लोरोक्वाइन, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, प्लाक्विनिल और क्विनक्राइन सहित) बढ़ सकती हैं. सोरायसिस के लिए और अधिक है.
4- अल्कोहल (Alcohol): जो लोग नियमित रूप से शराब पीते हैं, उनमें जोखिम अधिक होता है, खासकर युवा पुरुषों में होता. यह भी उल्लेख किया जाना चाहिए कि शराब भी उपचार को कम प्रभावी बनाती है.
5- सूरज की रोशनी (sunlight): थोड़ी सी धूप स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है क्योंकि यह शरीर को प्राकृतिक विटामिन डी प्रदान करती है. लेकिन कभी-कभी, सनबर्न से स्थिति और खराब हो सकती है, इसलिए धूप में बाहर जाने से पहले अपनी त्वचा की उचित देखभाल करने की सलाह दी जाती है.
6- एचआईवी (HIV): एचआईवी (HIV) से पीड़ित मरीजों में सोरायसिस होने का खतरा अधिक होता है. लेकिन, जैसे ही आप एचआईवी का इलाज शुरू करेंगे, आप खुद को बेहतर देखेंगे.

सोरायसिस रोग में क्या खाएं (Your Diet for Psoriasis Disease)

पोषण वाला भोजन नहीं खाने से भी इस रोग का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा तनाव और मानसिक विकार होने, शराब और धूम्रपान जैसी आदतों से भी सोरायसिस बढ़ सकता है। इसलिए सोरायसिस से ग्रस्त लोगों का आहार ऐसा होना चाहिएः-
1- अनाज: पुराना चावल, गेहूं, जौ
2- दाल: अरहर, मूंग, मसूर दाल
3- फल एवं सब्जियां: सहजन, टिण्डा, परवल, लौकी, तोरई, खीरा, हरिद्रा, लहसुन, अदरक, अनार, जायफल
4- अन्य: अजवाइन, शुंठी, सौंफ, हिंग, काला नमक, जीरा, लहसुन, गुनगुना पानी का सेवन करें

सोरायसिस रोग में क्या ना खाएं (Food to Avoid in Psoriasis Disease)

आज हम आपको उन्हीं आहारों के बारे में बता रहें है जिनको खाने से सोरायसिस बढ़ सकता है। अगर समय रहते उन खाद्दय पदार्थों को खाना बंद न किया जाए तो समस्या बद से बदतर हो सकती है। तो आइए जानते हैं उन आहारों के बारे में।
1- अनाज: नया धान, मैदा,
2- दाल: चना, मटर, उड़द
3- फल एवं सब्जियां: पत्तेदार सब्जियाँ– सरसों, टमाटर, बैंगन, नारंगी, नींबू, खट्टे अंगूर, आलू, कंद–मूल
4- अन्य: दही, मछली, गुड़, दूध, अधिक नमक. कोल्ड्रिंक्स, संक्रमित/फफूंदी युक्त भोजन, अशुद्ध एवं संक्रमित जल
5- सख्त मना: तैलीय मसालेदार भोजन, मांसहार और मांसाहार सूप, अचार, अधिक तेल, अधिक नमक, कोल्डड्रिंक्स, मैदे वाले पर्दाथ, शराब, फास्टफूड, सॉफ्टडिंक्स, जंक फ़ूड, डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ, तला हुआ एवं कठिनाई से पाचन वाला भोजन
6- विरुद्ध आहार: मछली + दूध

घरेलू नुस्खे – सोरायसिस को दूर करने के घरेलू नुस्खे (Home Remedies for Psoriasis Treatment in Hindi)

1- सोरायसिस का घरेलू उपचार सेब के सिरके से – सेब के सिरके में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण स्कैल्प सोरायसिस के कारण होने वाले दर्द, जलन और रेडनेस को कम करने में आपकी सहायता करता है. करीब आधे कप पानी में 2 चम्मच सिरके को मिलाकर बीस मिनट तक उसे प्रभावित क्षेत्र पर मले. फिर हल्के गुनगुने पानी से उसे धो लें. इस प्रक्रिया को सप्ताह में कम से कम दो बार करें. लेकिन इस बात का ध्यान ज़रूर रखें कि कहीं आपकी त्वचा फटी न हो वरना खुले घावों पर सिरके की जलन बहुत अधिक बढ़ जाती है.
2- सोरायसिस का घरेलू उपचार एलोवेरा यानी ग्वारपाठा से – ऐलोवेरा जैल में मौजूद एंटीसेप्टीक गुण इसे स्कैल्प सोरायसिस (Psoriasis home treatment) के उपचार में काफी लाभकारी साबित करते हैं. इसके प्रयोग से जलन और खुजली में कमी आती है. बेहतर नतीजों के लिए एलोवेरा जैल को लैवेंडर ऑयल के साथ प्रयोग करें. इसकी हर मालिश के बाद बालों को हल्के औषधीय शैम्पू से धो लें.
3- सोरायसिस का घरेलू उपचार फिटकरी से फिटकरी के पानी से नहाएं। इससे सोरियासिस से होने वाली खुजली और रूखापन दूर होता है। इसके लिए नहाने के पानी में 2 कप फिटकरी डाल लें। 15 मिनट तक पानी में प्रभावित अंग को डुबाएं रखें।
4- सोरायसिस का घरेलू उपचार नारियल तेल से –  नारियल तेल त्वचा के धब्बे हटाने में सबसे कारगर नुस्खों में से एक है. ये स्कैल्प के भीतर तक जाकर सूखेपन और त्वचा पर जमी पपड़ी को दोबारा होने से रोकने में काफी सहायता करता है. नारियल तेल को पहले हल्का गर्म कर ले और फिर त्वचा पर मालिश करके रात भर वैसे ही रहने दें.
5- हल्दी और गुलाब जल से सोरायसिस का इलाज – हल्दी और गुलाब पानी का लेप बना लें। इसे रोज सुबह-शाम लगाएं। इससे सोरायसिस का उपचार होता है। यह एक फायदेमंद नुस्खा है।
6- सोरायसिस का घरेलू उपचार दही से –  सोरायसिस से लड़ने का एक और घरेलू नुस्खा है दही का उपयोग. दही आपकी त्वचा में नमी लाने में मदद करती है. जिसकी वजह से खारिश और स्कैल्प पर सूखी पपड़ी से निजात मिलती है. दही को करीब 20 मिनट तक अपने स्कैल्प पर मसाज करने के बाद एक एंटीसैप्टीक शैम्पू से धो लें.
7- सोरायसिस का घरेलू उपचार एलोविरा से –  एलोवेरा के ताजे पत्ते का गूदा निकालकर प्रभावित स्थान पर लगाएं। आपको हल्के हाथों से मालिश करना है। रोज ऐसा करने से खुजली से आराम मिलता है।
8- सोरायसिस का घरेलू उपचार डेड सी सॉल्ट से – डेड सी सॉल्ट कई चर्म रोगों के उपचार में उपयोग किया जाता है. सोरायसिस में भी इसका इस्तेमाल काफी प्रचलित है. डेड सी सॉल्ट को गर्म पानी में मिलाएं और अपने स्कैल्प को उससे करीब 15 मिनट धोएं. ये खुस्क परत हटाने और खारिश कम करने में काफी कामगर सिद्ध होता है.

होम्योपैथिक दवा – सोरायसिस की होम्योपैथिक दवा और इलाज – Homeopathic medicine and treatment for Psoriasis in Hindi

1-  क्राइसैरोबिनम (Chrysarobinum)

सामान्य नाम: गोवा पाउडर (Goa powder)
लक्षण: क्राइसैरोबिनम का उपयोग मुख्य रूप से सोरायसिस और दाद जैसे त्वचा रोगों वाले व्यक्तियों में किया जाता है। निम्नलिखित अन्य लक्षणों में भी इस दवा से इलाज किया जाता है:

  • त्वचा पर मवाद वाली रूखी पपड़ी बनना
  • त्वचा पर रूखे और स्केली दाने निकलना
  • जांघों, कान और पैर जैसे क्षेत्रों में गंभीर खुजली होना
  • बहुत खराब गंध के साथ फफोलेदार घाव होना

2- केलियम आर्सेनिकोसम (Kalium Arsenicosum)

सामान्य नाम: फाउलर्स सोल्युशन (Fowler’s solution)
लक्षण: यह दवा बेचैन और व्याकुल लोगों के लिए या पुराने त्वचा रोगों से पीड़ित लोगों के लिए सबसे अच्छे उपचार में से एक है। इसका उपयोग एनीमिया के इलाज में भी किया जा सकता है। निम्नलिखित कुछ अन्य लक्षणों के लिए भी इस दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है:

  • सूखी और स्केली त्वचा जिसपर असहनीय खुजली होना जो गर्म मौसम में बढ़ जाती हो
  • त्वचा के नीचे कई छोटी छोटी गांठे जो मौसम में परिवर्तन के साथ गंभीर हो जाती हो
  • मवाद युक्त छोटे फफोले जो मासिक धर्म के दौरान गंभीर हो जाते हो

3- सीपिया औफिसिनेलिस (Sepia Officinalis)

सामान्य नाम: कटलफिश का स्याही के रंग का जूस (Inky juice of cuttlefish)
लक्षण: यह दवा विशेष रूप से पीले रंग वाले व्यक्तियों में उपयोगी है जो कमजोरी और दर्द से पीड़ित होते हैं। यह दवा निम्नलिखित लक्षणों को दूर करने में मदद करती है:

  • प्रभावित क्षेत्र में खुजली होना जो खुजलाने से भी कम नहीं होती
  • खुजली जो कि जोड़ों के मुड़ने वाली जगह पर अधिक होती होती है, जैसे, कोहनी और घुटने में
  • पैरों और पैर की उंगलियों में अत्यधिक पसीना आना और शरीर में भी गंध के साथ अत्यधिक पसीना आना
  • खराब गंध के साथ स्केली और मोटी त्वचा
  • नाक, होंठ और मुंह पर भूरे धब्बे बनना
  • इस दवा को लेने वाले व्यक्ति सुबह और शाम को खराब महसूस करते हैं। वे गर्म बिस्तर, गर्म सिकाई, व्यायाम, ठंडा स्नान और नींद लेते समय बेहतर महसूस करते हैं।

4- ग्रेफाइट्स (Graphites)

सामान्य नाम: ब्लैक लेड (Black lead)
लक्षण: यह दवा मुख्य रूप से संक्रमण के कारण होने वाले त्वचा के चकत्ते का इलाज करने के लिए उपयोग की जाती है। यह एनीमिया के इलाज के साथ चेहरे की लालिमा और जननांगों में सूजन के लिए भी उपयोगी है। इस दवा से निम्नलिखित अन्य लक्षणों का इलाज भी किया जा सकता है:

  • त्वचा लगातार रूखी, सख्त और खुरदरी रहना
  • त्वचा में दानों के साथ चिपचिपा रिसाव होना
  • अस्वस्थ त्वचा के कारण सभी तरह की चोटों से पीप आना
  • पतले, तरल पदार्थ और चिपचिपे स्राव के साथ त्वचा में छाले होना
  • चेहरे पर जलन और चुभने वाले दर्द के साथ चकत्ते होना
  • गर्म जलवायु, रात और मासिक धर्म के दौरान और बाद में लक्षण बढ़ जाते हैं और अंधेरे में ठीक होते हैं।

5- लाइकोपोडियम क्लेवेटम (Lycopodium Clavatum)

सामान्य नाम: क्लब मॉस (Club moss)
लक्षण: लाइकोपोडियम क्लेवेटम कुपोषित और कमजोर लोगों तथा खराब पाचन वाले लोगों के लिए सबसे उपयुक्त है। यह पुरानी इंफ्लेमेटरी समस्याओं वाले लोगों के लिए भी उपयोगी है। निम्नलिखित अन्य लक्षणों में भी इस दवा का उपयोग करने से राहत महसूस करते हैं:

  • त्वचा पर छाले या त्वचा के नीचे फोड़े होना
  • पित्ती और स्केली दानों पर बहुत तेज खुजली होना
  • प्रभावित क्षेत्र पर त्वचा रूखी और सिकुड़ी हुई होना
  • त्वचा मोटी और सख्त हो जाना
  • चिपचिपा और बदबूदार पसीना आना
  • यह दवा लेने वाले लोग खाने के बाद या कुछ गर्म पीने के बाद बेहतर महसूस करते हैं

6- कार्बोलिकम एसिडम (Carbolicum Acidum)

सामान्य नाम: फिनोल (Phenol)
लक्षण: यह दवा गंभीर दर्द वाले लोगों, शारीरिक परिश्रम के कारण फोड़े होने, खराब गंध, स्पास्मोडिक खांसी या गठिया के लिए सबसे उपयुक्त है। यह निम्नलिखित लक्षणों में भी उपयोगी है:

  • खुजली वाले फफोले और जलन वाला दर्द
  • जलन जिससे त्वचा पर छाले हो जाते हैं

7- सल्फर (Sulphur)

सामान्य नाम: सब्लिमेटेड सल्फर (Sublimated sulphur)
लक्षण: सल्फर त्वचा की जलन ठीक करने में सबसे उपयोगी दवाओं में से एक है। इसका उपयोग निम्नलिखित लक्षणों के उपचार के लिए भी किया जा सकता है:

  • सूखी, पपड़ीदार और अस्वस्थ त्वचा
  • किसी भी तरह की चोट में मवाद बन जाना
  • त्वचा पर खुजली और जलन महसूस होना जो रगड़ने और धोने से बढ़ जाती हो
  • छाले, फुंसी जैसे दाने और नाखूनों के जड़ की फटी हुई त्वचा
  • खुर्ची और घिसी हुई त्वचा, विशेष रूप से जोड़ों में
  • लोकल दवा लगाने के कारण त्वचा की समस्याएं
  • यह दवा लेने वाले व्यक्ति में, प्रभावित क्षेत्र को धोने, स्नान करने, आराम करने, खड़े होने, मादक उत्तेजक का सेवन करने, बिस्तर की गर्मी और रात में 11 बजे तक लक्षण बढ़ सकते हैं। सूखे और गर्म मौसम में, दाहिनी ओर लेटने पर और प्रभावित अंग को खींचने से लक्षण ठीक होते हुए महसूस होते हैं।

8- आर्सेनिकम एल्बम (Arsenicum Album)

सामान्य नाम: आर्सेनियस एसिड (Arsenious acid)
लक्षण: यह दवा सभी अंगों और ऊतकों पर काम करती है। यह जलन वाले दर्द, मामूली शारीरिक गतिविधि से होने वाली थकान, बेचैनी और समुद्र के आसपास के क्षेत्र के कारण होने वाली स्वास्थ्य संबंधी शिकायतों वाले लोगों के लिए सबसे उपयुक्त उपचार है। आर्सेनिकम एल्बम का उपयोग करके निम्नलिखित अन्य लक्षणों का इलाज किया जा सकता है:

  • त्वचा पर खुजली, जलन और सूजन
  • सूखी, खुरदरी और पपड़ीदार त्वचा के साथ फोड़े फुंसी और दाने होना, ये लक्षण ठंड के मौसम में बढ़ जाते हैं
  • छालों के साथ बदबूदार रिसाव
  • ऊतकों के असामान्य और अत्यधिक विकास के कारण ऊतकों का छिलना और त्वचा पर दाने होना
  • मानसून के दौरान, आधी रात के बाद और कोल्ड ड्रिंक्स तथा खाद्य पदार्थों के सेवन से व्यक्ति की स्थिति खराब हो सकती है। गर्म मौसम में और गर्म पेय के सेवन से स्थिति सुधर सकती है।

9- केलियम ब्रोमेटम (Kalium Bromatum)

सामान्य नाम: ब्रोमाइड ऑफ पोटाश (Bromide of potash)
लक्षण: यह दवा सोरायसिस और अचानक होने वाले गांठदार गाउट के लिए सबसे अच्छे उपचार में से एक है। इसका उपयोग निम्नलिखित लक्षणों के इलाज में किया जा सकता है:

  • चेहरे पर मुंहासे या फुंसियां जिसमें मवाद आना (और पढ़ें – कील मुंहासे हटाने के घरेलू उपाय)
  • खुजली होना, विशेष रूप से कंधे, छाती और चेहरे पर
  • खुजली के साथ लाल और पपड़ीदार त्वचा
  • व्यक्ति को तब अच्छा लगता है जब मानसिक या शारीरिक रूप से वह किसी काम में लगा रहता है।

10- आर्सेनिकम आयोडेटम (Arsenicum Iodatum)

सामान्य नाम: आयोडाइड ऑफ आर्सेनिक (Iodide of arsenic)
लक्षण: यह दवा शरीर के विभिन्न क्षेत्रों से लगातार जलन और तेज रिसाव की समस्या वाले लोगों के लिए उपयुक्त है। यह रिसाव उन विभिन्न झिल्लियों की जलन का कारण बनता है जो इसके संपर्क में आती हैं। यह दवा लाल और सूजन वाली श्लेष्म झिल्ली के साथ खुजली और जलन जैसे लक्षणों में भी सहायक है। निम्नलिखित अन्य लक्षणों में आर्सेनिकम आयोडेटम का उपयोग करके इलाज किया जा सकता है:

  • बड़े पैमाने पर त्वचा का गंभीर एक्सफोलिएशन (मृत त्वचा का हटना), जिसके कारण इसकी नीचे वाली रिसती हुई कच्ची सतह का दिख जाना
  • खुजली के साथ रूखी, सख्त और पपड़ीदार त्वचा
  • रात को पसीने से जाग जाना
  • दाढ़ी के क्षेत्र में एक्जिमा जो त्वचा में गीलापन, रिसाव और खुजली पैदा करता है, प्रभावित त्वचा को धोने पर स्थिति खराब हो जाती है
  • फफोले या मुंहासे, जिनमें मवाद होता है

11- थायरॉइडीनम (Thyroidinum)

सामान्य नाम: भेड़ की सूखी हुई थायरॉयड ग्रंथि (Dried thyroid gland of the sheep)
लक्षण: यह दवा कमजोरी, पसीना आने, झुनझुनी महसूस करने और रेशेदार ट्यूमर वाले लोगों में सबसे बेहतर काम करती है। कुछ अन्य लक्षण निम्नलिखित हैं जिन्हें थायरॉइडीनम का उपयोग करके नियंत्रित किया जा सकता है:

  • सूखी और पपड़ीदार त्वचा जिसमें लालिमा और खुजली हो
  • हाथ और पैर ठंडे होना
  • त्वचा पर भूरे रंग की सूजन
  • ऑटोइम्यून बीमारी के कारण त्वचा में इंफ्लमैशन और सूजन
  • बीना कोई दाने निकले खुजली होना जो रात में बढ़ जाती हो

होम्योपैथी में सोरायसिस के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव 

होम्योपैथी के संस्थापक डॉ हैनिमैन जीवनशैली में कुछ बदलाव की सलाह देते हैं ताकि रोजमर्रा की आदतों को उपचार की क्रिया में हस्तक्षेप करने से रोका जा सके। ऐसे ही कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं:
1- क्या करें:  अपने भोजन में ऐसे उपयुक्त पौष्टिक आहार को शामिल करें जिसमें कोई औषधीय गुण न हो। साफ सफाई वाली जगह पर ही रहें। शारीरिक रूप से सक्रिय जीवन शैली का पालन करें और अपनी दिनचर्या में वाकिंग या चलने जैसी गतिविधियों को शामिल करें।
2- क्या न करें: कॉफी, औषधीय मसालों से बनी शराब या तेज गंध वाले पेय पदार्थ नहीं पीने चाहिए।
मसालेदार खाना न खाएं और औषधीय गुणों वाले पौधों की जड़ों और तनों से भी बचे। बहुत अधिक क्रोध या दु: ख या किसी भी तरह की अन्य भावनाओं से बचें, जो शारीरिक या मानसिक परेशानी का कारण बन सकती हैं।

सोरायसिस के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल – जवाब 

1- सवाल  – क्या सोरायसिस वंशानुगत है?
जवाब – सोरायसिस, वंशानुगत भी है। अगर परिवार में किसी सदस्य को यह बीमारी रह चुकी है, तो यह संभव है कि यह रोग आपको भी हो सकता है।
2- सवाल  -क्या छालरोग संक्रामक है?
जवाब – नहीं, सोरायसिस संक्रामक नहीं है। यह संपर्क से नहीं फैलता है।
3- सवाल  -क्या सोरायसिस ठीक होने की प्रक्रिया के दौरान खुजली हो सकती है?
जवाब – खुजली सोरायसिस के मुख्य लक्षणों में से एक है। जब सोरायसिस से प्रभावित त्वचा ठीक होने लगती हैं, तो खुजली भी कम होने लगती है।
4- सवाल  -क्या सोरायसिस के चकत्ते मिट जाते हैं?
जवाब – प्रभावी उपचार के कारण सोरायसिस के चकत्ते काफी हद तक मिट जाते हैं, लेकिन इसमें कुछ महीने या अधिक समय भी लग सकता है।
5- सवाल  -क्या लेजर उपचार से सोरायसिस दूर हो सकता है?
जवाब – जी हां, अल्ट्रावायलेट (यूवी) बी 308-एनएम एक्साइमर लेजर थेरेपी के जरिए सोरायसिस का उपचार किया जा सकता है ।
6- सवाल  -क्या सोरायसिस अन्य ऑटोइम्यून बीमारियों से जुड़ा है?
जवाब – सोरायसिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जो आसानी से अन्य ऑटोइम्यून बीमारियों का कारण बन सकती है, जैसे सोरायसिस गठिया व मधुमेह आदि ।

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