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शंकर जी, भगवान शिव की पूजा विधि, Shiv Pujan Vidhi, Shiv Ji Ki Katha
इंसान, पशु-पक्षी, जलचर, नभचर, पाताललोक वासी अथवा बैकुण्ठवासी, राक्षस, भूत-प्रेत और देवता सभी देवो के देवाधिदेव महादेव की पूजा करते हैं. क्योंकि शिव पुराण कथा के अनुसार भगवान शंकर ही एकमात्र ऐसे देवता हैं, जो अपने भक्तों की भक्ति भावना से शीघ्र प्रसन्न होकर उन्हें मनचाहा वरदान दे देते हैं। भोलेनाथ अपने भक्तों के कल्याण के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। वे यह नहीं देखते कि उनकी भक्ति करने वाला कौन है। इसलिए कहा भी जाता है कि सभी देवताओं में शिव को प्रसन्न करना सबसे आसान है इसलिए तो उन्हे भोलेनाथ भी कहा जाता है। भोले भंडारी, देवो के देव महादेव भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। एक लोटा जल चढ़ा देने से प्रसन्न हो जाने वाले भगवान शंकर की पूजा कर इंसान बड़ी बड़ी बाधाओं और कष्टों से मुक्ति पा लेता है। लेकिन भगवान शिव की पूजा करने के लिए अनेक नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है. तो आइये हम आपको बताते हैं कि प्रतिदिन भगवान शिव की किस विधि से पूजा करें और कैसे भोलेनाथ को खुश कर मनचाहा वरदान पाएं।

शिव पूजा के दौरान पहने जाने वाले वस्त्र
शिव पूजा के दौरान पहने जाने वाले वस्त्रों पर विशेष ध्यान देना चाहिए लेकिन अक्सर देखा जाता है कि लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं। शास्त्रों के मुताबिक शिव की पूजा के समय हरे रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है, पर जो लोग इसका पालन नहीं करते और किसी भी रंग के वस्त्र पहनकर पूजा कर लेते हैं उन पर शिव की कृपा नहीं होती और न ही पूजा का सही फल मिल पाता है।

सोमवार के दिन पूजा करते हुए काले कपड़े भूलकर भी नहीं पहननें चाहिए, क्योंकि धार्मिक मान्यताओं की माने तो भगवान शिव को काला रंग पसंद नहीं है और काले रंग के वस्त्रों से वे क्रोधित हो जाते हैं, ऐसे में शिव पूजा के दौरान काले कपड़े पहनने से हमेशा बचें और कोशिश करें कि सोमवार को शिव पूजा में हरा, लाल, सफ़ेद, केसरिया, पीला या आसमानी रंग के वस्त्र ही धारण करें।

इसी के साथ इन बात का भी ध्यान अवश्य रखें कि कपड़े साफ़ और सबती हो, क्योंकि ऐसे वस्त्र शुद्ध होने के साथ-साथ आरामदायक होते हैं। पूजा में ऐसे वस्त्र पहनकर बैठने से व्यक्ति का ध्यान इधर-उधर नहीं भटकटा। वहीं धार्मिक मान्यता है कि पुरुषों के लिए पूजा के दौरान धोती पहनना शुभ रहता है।

भगवान शिव पूजन विधि
भगवान भोलेनाथ के पूजन में इन बातों का विशेष ध्यान रखें। सर्वप्रथम गणेश पूजन करें। भगवान गणेश को स्नान कराएं। वस्त्र अर्पित करें। गंध, पुष्प, अक्षत अर्पित करें। अब भगवान शिव का पूजन शुरु करें। गृहस्थ जीवन में भगवान शिव की पारद प्रतिमा का पूजन सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। सफेद आक या स्फटिक की प्रतिमा का पूजन से भी उत्तम फल की प्राप्ति होती है। सबसे पहले जिस मूर्ति में भगवान शिव की पूजा की जानी है। उसे अपने पूजा घर में स्थान दें। मूर्ति में भगवान शिव का आवाहन करें। भगवान शिव को अपने घर में सम्मान सहित स्थान देें। अब भगवान शिव को स्नान कराएं। स्नान पहले जल से फिर पंचामृत से और वापिस जल से स्नान कराएं।

अब भगवान को वस्त्र पहनाएं। वस्त्रों के बाद आभूषण और फिर यज्ञोपवित (जनेऊ) पहनाएं। अब पुष्पमाला पहनाएं। सुगंधित इत्र अर्पित करें। अब तिलक करें। तिलक के लिए अष्टगंध या चंदन का प्रयोग करें। अब धूप व दीप अर्पित करें। भगवान शिव को धतूरा, आक के फूल विशेष प्रिय है। बिल्वपत्र अर्पित करें। 11 या 21 चावल अर्पित करें। श्रद्धानुसार घी या तेल का दीप जलाएं.

1- पूजन सामग्री
देव मूर्ति के स्नान के लिए तांबे का पात्र, तांबे का लोटा, दूध, अर्पित किए जाने वाले वस्त्र । चावल, अष्टगंध, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, चंदन, धतूरा, अकुआ के फूल, बिल्वपत्र, जनेऊ, फल, मिठाई, नारियल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद व शक्कर), सूखे मेवे, पान, दक्षिणा में से जो भी हो।
2- सकंल्प लें
पूजन शुरू करने से पहले सकंल्प लें। संकल्प करने से पहले हाथों मेे जल, फूल व चावल लें। सकंल्प में जिस दिन पूजन कर रहे हैं उस वर्ष, उस वार, तिथि उस जगह और अपने नाम को लेकर अपनी इच्छा बोलें। अब हाथों में लिए गए जल को जमीन पर छोड़ दें।
3- आवाहन
ऊँ साम्ब शिवाय नमः आव्हानयामि स्थापयामि कहते हुए मूर्ति पर चावल चढ़ाएं। आवाहन का अर्थ है कि भगवान शिव को अपने घर में आने का बुलावा देना।
4- आसन
ऊँ साम्ब शिवाय नमः आसनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि कहते हुए आसन दें। आसन का अर्थ है कि भगवान शिव को घर के पूजा घर में विराजने के लिए आसन दिया है।

5- पाद्यं
ऊँ साम्ब शिवाय नमः पादयो : पाद्यं समर्पयामि कहते हुए पैर धुलाएं।
6- अर्घ
आचमनी में जल, पुष्प, चावल लें। ऊँ साम्ब शिवाय नमः हस्तयोः अर्घं समर्पयामि कहते हुए हाथों को धुलाएं।
7- आचमन
ऊँ साम्ब शिवाय नमः आचमनीयम् जलं समर्पयामि कहते हुए आचमन के लिए जल छोड़े। आचमन का अर्थ होता है मुख शुद्धि करना।
8- पंचामृत से स्नान कराना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः पंचामृत स्नानं समर्पयामि कहते हुए पंचामृत से नहलाएं। पंचामृत का अर्थ है कि दूध, दही, शक्कर, शहद व घी का मिश्रण। इन पांचों चीजों से भगवान को नहलाना।
9- शुद्ध जल से स्नान कराना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि। कहते हुए शुद्ध जल से स्नान कराएं।

10- वस्त्र अर्पित करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः वस्त्रोपवस्त्रम् समर्पयामि कहते हुए वस्त्र अर्पित करें।
11- गन्ध अर्पित करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः गन्धं समर्पयामि। चंदन, अष्टगंध इत्यादि सुगंधित द्रव्यों को लगाएं।
12- पुष्प अर्पित करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः पुष्पं समर्पयामि कहते हुए आक, धतुरा, चंपा के पुष्प चढ़ाएं।
13- बिल्व पत्र अर्पित करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः बिल्वपत्रं समर्पयामि कहते हुए बिल्व पत्र अर्पित करें।
14- अक्षत
ऊँ साम्ब शिवाय नमः अक्षताम् समर्पयामि। कहते हुए 11 या 21 चावल अर्पित करें। अक्षत का अर्थ है आखा। ध्यान रखें कि अक्षत टूटे हुए न हों।
15- धूप दिखाना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः धूपम् आघर्पयामि कहते हुए धूप दिखाएं। अपने हाथों से धूप पर से हाथ फिरा कर शिव पर छाया करें।

16- दीप दिखाना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः दीपम् दर्शयामि। कहते हुए दीपक दिखाएं। अपने हाथों से दीपक पर से हाथ फिरा कर भगवान शिव पर छाया करें।
17- आरती करें
ऊँ साम्ब शिवाय नमः आरार्तिक्यम् समर्पयामि कहते हुए आरती अर्पित करें।
18- प्रदक्षिणा
भगवान शिव की परिक्रमा करें। शास्त्रों में भगवान शिव की आधी ही प्रदक्षिणा करने का उल्लेख किया गया है। जलाधारी का लंधन नहीं किया जाता है। परिक्रमा करने के बाद भगवान शिव की मूर्ति के सामने यह कहते हुए प्रदक्षिणा समर्पित करें।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः प्रदक्षिणा समर्पयामि।
19- पुष्पांजलि अर्पित करें
ऊँ साम्ब शिवाय नमः पुष्पांजलि समर्पयामि कहते हुए हाथ में लिए पुष्पों को भगवान शिव को समर्पित कर दें।
20- नेवैद्य अर्पित करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः नेवैद्यम् निवेदयामि कहते हुए पंचामृत का भोग लगाएं।

21- फल समर्पित करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः फलम् समर्पयामि कहते हुए फल अर्पित करें।
22- मिठाई का भोग लगाएं
ऊँ साम्ब शिवाय नमः मिष्ठान्न भोजनम् समर्पयामि कहते हुए मीठा भोजन मिठाई अर्पित करें।
23- पंचमेवा समर्पयामि
ऊँ साम्ब शिवाय नमः पंचमेवा भोजनम् समर्पयामि कहते हुए पंचमेवा अर्पित करें।
24- आचमन करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः नेवैद्यांति जलं आचमनम् समर्पयामि कहते हुए आचमन के लिए जल छोड़े। भगवान को नेवैद्य अर्पित करने के बाद मुख शुद्धि के लिए आचमन करवाया जाता है।
25- ताम्बूल
ऊँ साम्ब शिवाय नमः तांबूल समर्पयामि कहते हुए पान अर्पित करें। भगवान को पान का भोग लगाएं।
26- द्रव्य दक्षिणा समर्पित करें
ऊँ साम्ब शिवाय नमः यथाशक्ति द्रव्य दक्षिणा समर्पयामि कहते हुए दक्षिणा समर्पित करें।
27- क्षमा-प्रार्थना
क्षमा-प्रार्थना पूजन में रह गई किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए भगवान शिव से क्षमा मांगे। जीवन में सुख समृद्धि बनाये रखने की प्रार्थना करें।

अगर आप ऊपर दिए हुए विधि से भगवान शिव की पूजा न कर पाएं तो आप बेहद सामान्य विधि से भी भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं. जिस दिन शिव पूजन करना चाहते हैं, उस दिन सुबह स्नान आदि नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पवित्र हो जाएं। इसके बाद घर के मंदिर में ही या किसी शिव मंदिर जाएं। मंदिर पहुंचकर भगवान शिव के साथ माता पार्वती और नंदी को गंगाजल या पवित्र जल अर्पित करें। जल अर्पित करने के बाद शिवलिंग पर चंदन, चावल, बिल्वपत्र, आंकड़े के फूल और धतूरा चढ़ाएं। पूजा संपन्न करने के लिए भगवान शिव को घी, शक्कर का भोग लगाएं और इसके बाद धूप, दीप से आरती करें। सच्चे मन से की जाने वाली पूजा से भगवान प्रसन्न होकर अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं.


पूजन में इस मंत्र का जप करें
‘मन्दारमालांकलितालकायै कपालमालांकितशेखराय।
दिव्याम्बरायै च दिगम्बराय नम: शिवायै च नम: शिवाय।।’


शिव आरती इस प्रकार है, Aarti of Lord Shiva

ॐ जय शिव ओंकारा....
एकानन चतुरानन पंचांनन राजे|
हंसासंन, गरुड़ासन, वृषवाहन साजे॥

ॐ जय शिव ओंकारा...
दो भुज चारु चतुर्भज दस भुज अति सोहें|
तीनों रुप निरखता त्रिभुवन जन मोहें॥

ॐ जय शिव ओंकारा...
अक्षमाला, बनमाला, रुण्ड़मालाधारी|
चंदन, मृदमग सोहें, भाले शशिधारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा....
श्वेताम्बर,पीताम्बर, बाघाम्बर अंगें|
सनकादिक, ब्रम्हादिक, भूतादिक संगें||

ॐ जय शिव ओंकारा...
कर के मध्य कमड़ंल चक्र, त्रिशूल धरता|
जगकर्ता, जगभर्ता, जगसंहारकर्ता॥

ॐ जय शिव ओंकारा...
ब्रम्हा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका|
प्रवणाक्षर मध्यें ये तीनों एका॥

ॐ जय शिव ओंकारा...
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रम्हचारी|
नित उठी भोग लगावत महिमा अति भारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा...
त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावें|
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावें॥

ॐ जय शिव ओंकारा...
जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा|
ब्रम्हा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा.

शिवलिंग की स्थापना और पूजा विधि
महादेव शिव के प्रतीक शिवलिंग को घर में स्थापित करने पर हमें कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योकि यदि भगवान शिव भोले हैं तो उनका क्रोध भी बहुत भयंकर होता है । शिवलिंग की पूजा यदि सही नियम और विधि-विधान से की जाए तो यह अत्यन्त फलदायी होती है, परन्तु वहीं यदि शिवलिंग की पूजा में कोई त्रुटि हो जाए तो ये गलती किसी मनुष्य के लिए विनाशकारी भी सिद्ध हो सकती है।

ऐसा स्थान जहाँ पूजा न हो
शिवलिंग को कभी भी ऐसे स्थान पर स्थापित न करें जहां आप पूजन न करते हों। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि आप शिवलिंग की पूजा पूरी विधि-विधान से न कर पा रहे हो या ऐसा करने में असमर्थ हो तो भूल से भी शिवलिंग को घर पर न रखे, क्योकिं यदि कोई व्यक्ति घर पर शिवलिंग स्थापित कर उसकी विधि विधान से पूजा नहीं करता तो यह महादेव शिव का अपमान माना जाता है, इस प्रकार वह व्यक्ति किसी अनर्थ को आमंत्रित करता है।
शिवलिंग किस धातु का हो
शिवलिंग को पूजा घर में स्थापित करने से पूर्व यह ध्यान रखे की शिवलिंग में धातु का बना एक नाग लिपटा हुआ हो। शिवलिंग सोने, चांदी या ताम्बे से निर्मित होना चाहिए।

शिवलिंग को रखे जलधारा के नीचे
यदि आपने शिवलिंग को घर पर रखा है तो ध्यान रहे की शिवलिंग पर सदैव जलधारा बरकरार रहे अन्यथा वह नकरात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
कौन सी मूर्ति हो शिवलिंग के समीप
शिवलिंग के समीप सदैव गोरी व गणेश की मूर्ति होनी चाहिए. शिवलिंग कभी भी अकेले नहीं होना चाहिए ।

भगवान शिव व शिवलिंग की पूजा के दौरान भूलकर भी न चढ़ाएं ये चाजें
1- भूल से भी न चढ़ाएं केतकी का फूल
पुराणों में केतकी के फूल को शिव पर न चढ़ाने के पीछे एक कथा छिपी है इस कथा के अनुसार जब एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी माया से प्रभावित होकर अपने आपको एक -दूसरे से सर्वश्रेष्ठ बताने लगे तब महादेव उनके सामने एक तेज प्रकाश के साथ ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए. ज्योतिर्लिंग के रूप में भगवान शिव ने ब्रह्मा और विष्णु से कहा की आप दोनों में जो भी मेरे इस रूप के छोर को पहले पा जाएगा वह सर्वशक्तिमान होगा।
भगवान विष्णु शिव के ज्योतिर्लिंग के ऊपरी छोर की ओर गए तथा ब्रह्मा जी नीचे के छोर की ओर गए। काफी दूर चलते चलते भी जब दोनों थक गए तो भगवान विष्णु ने शिव के सामने अपनी पराजय स्वीकार ली है परन्तु ब्रह्मा जी ने अपने पराजय को छुपाने के लिए एक योजना बनाई। उन्होंने केतकी के पुष्पों को साक्षी बनाकर शिव से कहा की उन्होंने शिव का अंतिम छोर पा लिया है। ब्रह्मा जी के इस झूठ के कारण शिव ने क्रोध में आकर उनके एक सर को काट दिया तथा केतकी के पुष्प पर भी पूजा अर्चना में प्रतिबंध लगा दिया।
2- तुलसी पर प्रतिबंध
शिव पुराण की एक कथा के अनुसार जालंधर नामक एक दैत्य को यह वरदान था की उसे युद्ध में तब तक कोई नहीं हरा सकता जब तक उसकी पत्नी वृंदा पतिव्रता रहेगी, उस दैत्य के अत्याचारों से इस सृष्टि को मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रता होने का संकल्प भंग किया व महादेव ने जलंधर का वध। इसके बाद वृंदा तुलसी में परिवर्तित हो चुकी थी व उसने अपने पत्तियों का महादेव की पूजा में प्रयोग होने पर प्रतिबंध लगा दिया। यही कारण की है कि शिवलिंग की पूजा पर कभी तुलसी के पत्तियों का प्रयोग नहीं किया जाता।
3- हल्दी पर रोक
हल्दी का प्रयोग स्त्रियां अपनी सुंदरता निखारने के लिए करती है व शिवलिंग महादेव शिव का प्रतीक है अत: हल्दी का प्रयोग शिवलिंग की पूजा करते समय नहीं करनी चाहिए।
4- कुमकुम का उपयोग
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार कुमकुम का प्रयोग एक हिन्दू महिला अपने पति के लम्बी आयु के लिए करती है, जबकि भगवान शिव विध्वंसक की भूमिका निभाते है अत: संहारकर्ता शिव की पूजा में कभी भी कुमकुम का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

5- नारियल पानी
नारियल पानी से भगवान शिव का अभिषेक नहीं करना चाहिए मान्यता के अनुसार नारियल को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, इसलिए सभी शुभ कार्य में नारियल को प्रसाद के तौर पर ग्रहण किया जाता है। लेकिन कहा जाता है कि शिव पर अर्पित होने के बाद नारियल पानी ग्रहण योग्य नहीं रह जाता है।
6- शिव पूजा में वर्जित है शंख
शंख भगवान विष्णु को बहुत ही प्रिय हैं, लेकिन शिव जी ने शंखचूर नामक असुर का वध किया था इसलिए शंख भगवान शिव की पूजा में वर्जित माना गया है।
7- शिवलिंग का स्थान बदलते समय
शिवलिंग का स्थान बदलते समय उसके चरणों को सपर्श करें तथा एक बर्तन में गंगाजल का पानी भरकर उसमे शिवलिंग को रखे और यदि शिवलिंग पत्थर का बना हुआ हो तो उसका गंगाजल से अभिषेक करें।
8- शिवलिंग पर कभी पैकेट का दूध ना चढ़ाएं
शिवलिंग की पूजा करते समय हमेशा ध्यान रहे की उन पर पासच्युराईज्ड दूध ना चढ़ाएं, शिव को चढऩे वाला दूध ठंडा और सादा होना चाहिए।

भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपाय
अगर आप भी चाहते हैं कि बाबा भोलेनाथ की कृपा आप पर बरसे और आपके जीवन में खुशहाली आए। तो उसके लिए हम आपको कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप भगवान शिव को असानी से खुश कर सकते हैं।
1- भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है। साथ ही अगर आप एक लोटा पानी भी भोलेनाथ पर सच्चे मन से अर्पित करें तो वह उससे भी प्रसन्न हो जाएंगे।
2- भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए डमरू जरूर बजाएं और बम बम भोले बम बम भोले कहने से आपको कृपा मिलेगी।
3- सावन के महीने में शिव की उपासना करना बेहद शुभ रहता है। उस दौरान आप प्रतिदिन सुबह की पूजा में 21 बिल्वपत्रों पर चंदन के ऊँ नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं जल्दी ही पूरी होगी।
4- गृहस्थ सुख चाहने वालों को पत्थर के शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।
5- अगर आपके शादी में किसी भी तरह की अड़चनें आ रही हैं तो ऐसे में आप सावन के महीने में रोजना शिवलिंग पर केसर मिला हुआ दूध जरूर चढ़ाएं। ऐसा करने से आपकी जल्दी ही शादी के योग बनाएंगे।
6- हर हफ्ते बुधवार के दिन बैल या गाय को हरा चारा खिलाएं ऐसा करने से आपको सुख – समृद्धि की प्राप्ति होगी
7- गरीबों को भोजन करने से आपके घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होगी और पितरों की आत्मा को भी शांति मिलेगी
8- शिवरात्री के दिन शिव मंदिर के दर्शन करने से भगावान भोले नाथ वरदान देते हैं। कैलाश मानसरोवर के दर्शन करना भी बेहद शुभ माना जाता है।
9- शिवलिंग पर धतूरा और भांग चाढ़ना शिव की पूरी साधना के बराबर फलदायी होता है।
10- महादेव को जब भी आप जलाभिषेक करें तो उस दौरान शिवलिंग को अपने दोनों हाथो से अच्छी तरह रगड़े। यह उपाय आपके किस्मत को बदल सकता है।
11- एक ताम्बे का पात्र अथवा लोटा ले अब इसमें कच्चे दूध दाल उसमे थोड़ा शक्कर मिलाकर भगवान शिव को अर्पित करे। इस उपाय द्वारा माता सरस्वती का आशीर्वाद प्रदान होता है तथा व्यक्ति के ज्ञान में वृद्धि होती है।
12- यदि आपके पास गाडी नहीं है तो रोज शिवलिंग पर चमेली का फूल चढाये तथा भोलेनाथ का महामंत्र ॐ नमः शिवाय का प्रति दिन 108 बार जप करे, शीघ्र आपको वाहन प्राप्ति का योग बनेगा।
13- यदि आपको किसी सुनसान जगह पर भगवान शिव का मंदिर दिखता है तो वहां एक दीपक जलाकर अवश्य आये तथा इसके पश्चात किसी मनोकामना की प्राथना करे आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी।
14- बिल्वपत्रों पर चन्दन से ॐ नमः शिवाय लिखे तथा इसके बाद उन पत्त्तों द्वारा माला बनाकर भगवान शिव को अर्पित करे। परन्तु इस समय ध्यान रखे की पत्ते कही से भी कटे फ़टे नहीं होने चाहिए।
15- लंबी उम्र के लिए शिवलिंग पर दूब अर्पित करनी चाहिए। इससे भगवान शिव के साथ-साथ गणेशजी की भी कृपा प्राप्त होती है।
16- कुछ देर मंदिर में बैठकर मन ही मन में ऊं नम: शिवाय के मंत्र का जप करें। इससे मन को शांति प्राप्त होती है।

राशिनुसार जानें भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपाय
भगवान शिव को प्रसन्न करने के कई उपाय है, इन्हीं में से एक उपाय राशि अनुसार भी है। पंडित व ज्योतिष सुनील शर्मा के अनुसार कई बार लोगों को जल्दी प्रभाव चाहिए होता है, ऐसे में राशि के अनुसार आचरण करने पर जल्द फायदा मिलता है। यहां हम आपको बता रहे है पं. शर्मा के अनुसार राशि उपाय-

मेष राशि वाले भोलेनाथ को ऐसे करें प्रसन्न
1- इस राशि का स्वामी मंगल है और मंगल का पूजन शिवलिंग रूप में ही किया जाता है।
2- इस राशि के लोग शिवलिंग पर कच्चा दूध एवं दही अर्पित करें।
3- भोलेनाथ को धतुरा भी अर्पित करें।
4- कर्पूर जलाकर भगवान की आरती करें।

वृषभ राशि वाले भोलेनाथ को ऐसे करें प्रसन्न 
1- वृष राशि के लोग किसी भी शिव मंदिर जाएं।
2- भगवान शिव को गन्ने के रस से स्नान करवाएं।
3- इसके बाद मोगरे का इत्र शिवलिंग पर अर्पित करें।
4- अंत में भगवान को मिठाई का भोग लगाएं व आरती करें।

मिथुन राशि वाले भोलेनाथ को ऐसे करें प्रसन्न 
1- इस राशि वालों के लिए स्फटिक के शिवलिंग की पूजा श्रेष्ठ है।
2- यदि स्फटिक का शिवलिंग उपलब्ध न हो तो किसी अन्य शिवलिंग का पूजन किया जा सकता है।
3- मिथुन राशि के लोग लाल गुलाल, कुमकुम, चंदन, इत्र आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें।
4- आक के फूल अर्पित करें।
5- मीठा भोग लगाकर आरती करें।

कर्क राशि वाले भोलेनाथ को ऐसे करें प्रसन्न 
1- इस राशि वालों को अष्टगंध व चंदन से शिवजी का अभिषेक करना चाहिए।
2- बैर व आटे से बनी रोटी का भोग लगाकर शिवलिंग का पूजन करें।
3- शिवलिंग पर प्रतिदिन कच्चा दूध अर्पित करें और साथ ही जल भी चढ़ाएं।

सिंह राशि वाले भोलेनाथ को ऐसे करें प्रसन्न 
1- इस राशि के लोगों को फलों के रस व पानी में शक्कर घोलकर शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए।
2- शिवजी को आंकड़े के पुष्प अर्पित कर मिठाई का भोग लगाएं।
3- पुष्प के साथ ही बिल्व पत्र भी अर्पित करें।

कन्या राशि वाले भोलेनाथ को ऐसे करें प्रसन्न 
1- कन्या राशि वाले जातक महादेव को बैर, धतुरा, भांग और आंकड़े के फूल अर्पित करें।
2- बिल्व पत्र पर रखकर नैवेद्य भी अर्पित करें।
3- अंत में कर्पूर मिश्रित जल से अभिषेक कराएं।
4- शिवजी के पूजन के बाद आधी परिक्रमा अवश्य करें।
5- माना जाता है कि ऐसा करने पर बहुत ही जल्द शुभ फल प्राप्त होते हैं।

तुला राशि वाले भोलेनाथ को ऐसे करें प्रसन्न 
1- तुला राशि के लोग जल में तरह-तरह फूल डालकर उस जल से शिवजी का अभिषेक करें।
2- इसके बाद बिल्व पत्र, मोगरा, गुलाब, चावल, चंदन आदि भोलेनाथ को अर्पित करें।
3- अंत में आरती करें।

वृश्चिक राशि वाले भोलेनाथ को ऐसे करें प्रसन्न 
1- इन लोगों को शुद्ध जल से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए।
2- शहद, घी से स्नान कराने पश्चात पुन: जल से स्नान कराएं और पूजन कर आरती करें।
3- लाल रंग के पुष्प अर्पित करें।
4- पूजन के बाद मसूर की दाल का दान करें।

धनु राशि वाले भोलेनाथ को ऐसे करें प्रसन्न 
1- धनु राशि के लोग भात यानी चावल से शिवलिंग का श्रृंगार करें।
2- पहले चावल को पका लें, इसके बाद पके हुए चावल को ठंडा करके शिवलिंग का श्रृंगार करें।
3- सुखे मेवे का भोग लगाएं।
4- बिल्व पत्र, गुलाब आदि अर्पित करके आरती करें।

मकर राशि वाले भोलेनाथ को ऐसे करें प्रसन्न 
1- आप गेंहू से शिवलिंग को ढंककर, विधिवत पूजन करें।
2- पूजन-आरती पूर्ण होने के बाद गेंहू का दान जरूरतमंद लोगों को कर दें।
3- इस उपाय से आपकी सभी समस्याएं समाप्त हो सकती हैं।

कुंभ राशि वाले भोलेनाथ को ऐसे करें प्रसन्न 
1- इस राशि के लोग सफेद-काले तिल को मिलाकर किसी ऐसे शिवलिंग पर चढाएं जो एकांत स्थान में स्थित हो।
2- जल में तिल डालकर शिवलिंग को अच्छे से स्नान कराएं।
3- इसके बाद काले-सफेद तिल अप्रित करें, पूजन के आद आरती करें।

मीन राशि वाले भोलेनाथ को ऐसे करें प्रसन्न 
1- इस राशि के लोगों को रात में पीपल के नीचे बैठकर शिवलिंग का पूजन करना चाहिए।
2- इस समय ‘ऊँ नम: शिवाय’ का पैंतीस (35) बार उच्चारण कर बिल्व पत्र चढ़ाएं व आरती करें।
3- शिवलिंग पर चने की दाल चढ़ाएं और पूजन के बाद इसका दान करें।

10 चीजें और उनसे मिलने वाले फल की यह मान्यता है- 
1- मंत्रों का उच्चारण करते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाने से हमारा स्वभाव शांत होता है, आचरण स्नेेहमय होता है।
2- शहद चढ़ाने से हमारी वाणी में मिठास आती है।
3- दूध अर्पित करने से उत्तम स्वास्थ्य मिलता है।
4- दही चढ़ाने से हमारा स्वभाव गंभीर होता है।
5- शिवलिंग पर घी अर्पित करने से हमारी शक्ति बढ़ती है।
6- इत्र से स्नान करवाने से विचार पवित्र होते हैं।
7- शिवजी को चंदन चढ़ाने से हमारा व्यक्तित्व आकर्षक होता है, समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है।
8- केसर अर्पित करने से सौम्यता प्राप्त होती है।
9- भांग चढ़ाने से विकार और बुराइयां दूर होती हैं।
10- शक्कर चढ़ाने से सुख और समृद्धि बढ़ती है।

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