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पूजा घर किस दिशा में होना चाहिए, Puja Ghar Kis Disha Me Hona Chahiye, पूजा घर का दरवाजा किस दिशा में होना चाहिए, भगवान का मुख किस दिशा में होना चाहिए, पूजा का स्थान, घर का मंदिर कैसा होना चाहिए, दुकान में मंदिर का मुख किस दिशा में होना चाहिए, पूजा घर का कलर कैसा होना चाहिए, Puja Ghar Ka Darwaja Kis Disha Me Hona Chahiye, Bhagwan Ka Mukh Kis Disha Me Hona Chahiye, Kis Disha Me Muh Karke Puja Karni Chahiye

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घर का मंदिर कैसा होना चाहिए, Kis Disha Me Muh Karke Puja Karni Chahiye
घर में मंदिर बनाने एवं पूजा-पाठ करते समय वास्तु के नियमों की अनदेखी से व्यक्ति के जीवन में समस्याएं बढ़ सकती हैं. वास्तु (Vastu Shastra) के मुताबिक घर में मंदिर स्थापित करने के लिए कौन सी दिशा सही रहेगी, पूजा घर का दरवाजा किस दिशा में होना चाहिए, भगवान का मुख किस दिशा में होना चाहिए, पूजा घर का कलर कैसा होना चाहिए और किस दिशा में मुंह करके भगवान की पूजा करें आदि विभिन्न बातों का ख्याल रखना बेहद आवश्यक है. घर में बने मंदिर से जुड़ी गलतियां बड़ा नुकसान पहुंचा सकती हैं. इसलिए इस खबर में आइए जानते हैं वास्तु के अनुसार घर के मंदिर और पूजा-पाठ से जुड़ी खास बातें-

घर में पूजा/मंदिर का स्थान ईशान कोण में ही क्यों?
घर में पूजा का स्थान ईशान कोण अर्थात उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए. वास्तुशास्त्र में पूजा घर के लिए सबसे उपयुक्त स्थान ईशान कोण को ही बताया गया है क्योकि इसी दिशा में ईश अर्थात भगवान का वास होता है तथा ईशान कोण के देव गुरु वृहस्पति (Jupiter) ग्रह है जो की आध्यात्मिक ज्ञान का कारक भी हैं. सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी इसी दिशा से होता है. जब सर्वप्रथम वास्तु पुरुष इस धरती पर आये तब उनका शीर्ष उत्तर पूर्व दिशा में ही था यही कारण यह स्थान सबसे उत्तम है.
वैकल्पिक पूजा स्थान (Alternative Pooja Sthan)
यदि किसी कारणवश ईशान कोण में पूजा घर नहीं बनाया जा सकता है तो विकल्प के रूप में उत्तर या पूर्व दिशा का चयन करना चाहिए और यदि ईशान, उत्तर और पूर्व इन तीनो दिशा में आप पूजा घर बनाने में असमर्थ है तो पुनः आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण East-South) दिशा का चयन करना चाहिए भूलकर भी केवल दक्षिण दिशा (South) का चयन नहीं करना चाहिए क्योकि इस दिशा में “यम” (मृत्यु-देवता) अर्थात नकारात्मक ऊर्जा (Negative Energy) का स्थान है.

पूजा घर का कलर कैसा होना चाहिए
पूजा घर में मुख्यतः हल्के रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए. लोग दीवारों को जहां हल्के पीले रंग से रंगा जा सकता है. वहीं, फर्श पर हल्के पीले रंग या फिर सफेद रंग के पत्थर लगाए जा सकते हैं.
पूजा घर का दरवाजा किस दिशा में होना चाहिए
कहां होने चाहिए खिड़की-दरवाजे: जानकारों का मानना है कि घर की मंदिर में पूजा घर के खिड़की व दरवाजे उत्तर या पूर्व दिशा में होने चाहिए. वहीं, कभी भी पश्चिम दिशा में दरवाजा नहीं होना चाहिए. इसके साथ ही देवी-देवताओं की मूर्ति को दरवाजे के सामने रखना चाहिए. पूजा घर में बनाया गया दरवाजा लकड़ी का नहीं होना चाहिए. जिस जगह पर देवी-देवता स्थापित किये गए हों, उस दिशा में शौचालय, स्टोर इत्यादि नहीं बनाए जाने चाहिए.

पूजा के समय व्यक्ति का मुख किस दिशा में होना चाहिए
पूजा करते समय भक्त का मुख किस दिशा में हो यह एक महत्त्वपूर्ण विषय है वस्तुतः पूजा करते समय व्यक्ति का मुख पूर्व या उत्तर दिशा (East or North Direction) में ही होना चाहिए. इस दिशा में मुख करके पूजा करने से पूजा का फल उत्तम तथा शत-प्रतिशत प्राप्त होता है. पूर्वाभिमुख होकर बैठना ज्ञान प्राप्ति के लिए अच्छा माना जाता है. इस दिशा में उपासना करने से हमारे भीतर क्षमता और सामर्थ्य का संचार होता है. जिससे हमें अपने लक्ष्य को हासिल करने में आसानी होती है.

दुकान में मंदिर का मुख किस दिशा में होना चाहिए
दुकान में मंदिर बनाने के लिए ईशान दिशा (उत्तर और पूर्व दिशा के मध्य में बनने वाला कोण) को सर्वोत्तम माना गया है. वास्तु शास्त्र में ईशान दिशा को देवी देवताओं को रखकर उनकी पूजा-अर्चना करने के लिए उत्तम स्थान माना गया है. ईशान कोण को देव गुरु बृहस्पति का स्थान माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार ईशान नाम ईश्वर के नाम से ही रखा गया है क्योंकि ये ईश्वर की दिशा है.
ईशान कोण का अच्छे से पता करने के लिए आप एक फीते से पूर्व दिशा की दीवार को नाप लीजिए. नापने के बाद उसे 5 से भाग दे दीजिए. जो उत्तर आएगा उतने ही फुट तक आपका ईशान कोण होगा.
मान लीजिए आप के पूर्व दिशा की दीवार का माप आता है 10 फुट. 10 फुट को 5 से भाग देने पर आपका उत्तर आता है 2. यानी कि उत्तर-पूर्व के कोने से 2 फुट पूर्व की तरफ तक हमारा ईशान कोण है. इसी 2 फुट मैं हमें हमारे देवी देवताओं को रखना चाहिए.

पूजा स्थान से सम्बन्धित महत्वपूर्ण बातें
1. मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा शुभ मुहूर्त में ही करे.
2. आश्‍विन माह में दुर्गा माता के मंदिर की स्थापना करना शुभ माना गया है. इसका बहुत पुण्य फल मिलता है .
3. घर में 3 गणेश, 3 देवी प्रतिमा, 2 शिवलिंग, 2 शंख, 2 सूर्य-प्रतिमा, 2 शालिग्राम का पूजन नहीं करना चाहिए ऐसा करने से मानसिक अशांति तथा आर्थिक नुकसान हो सकता है.
4. पूजा स्थान का रंग स़फेद या हल्का क्रीम होना शुभ माना गया है.
5. भगवान की फोटो या मूर्ति नैऋत्य कोण में नहीं रखना चाहिए. यदि ऐसा करते है तो आपके कार्यों में व्यवधान आएगा.
6. पूजा स्थल आकार में चौकोर या गोल होना शुभ होता है तथा पूजा स्थान की भूमि उत्तर पूर्व की ओर झुकी हुई एवं दक्षिण-पश्‍चिम से ऊचा होना चाहिए. मंदिर के स्थान की यह स्थिति सर्व कल्याणकारी होता है.

7. घर के मंदिर की ऊंचाई उसकी चौड़ाई से दुगुनी होनी चाहिए. मंदिर के परिसर का फैलाव ऊंचाई से 1/3 होना श्रेष्ठकर होता है.
8. शयनकक्ष में पूजा स्थल बनाना अच्छा नहीं होता है परन्तु स्थान के अभाव में मंदिर शयनकक्ष में ही बनाना पड़े तो मंदिर के चारों ओर पर्दे लगा दें इसके अलावा शयनकक्ष के उत्तर पूर्व दिशा में पूजास्थल होना चाहिए.
9. ब्रह्मा, विष्णु, शिव, सूर्य और कार्तिकेय, गणेश, दुर्गा की मूर्तियों का मुख पश्‍चिम दिशा की ओर होना चाहिए कुबेर, भैरव का मुख दक्षिण की तरफ़ हो, हनुमान का मुंह दक्षिण या नैऋत्य की तरफ़ होना शुभ होता है.
10. घर में एक बित्ते से अधिक बड़ी पत्थर की मूर्ति की स्थापना करने से गृहस्वामी को सन्तान कष्ट की प्रबल सम्भावना बनी रहती है.
11. पूजा घर शौचालय के ठीक ऊपर या नीचे न हो.

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