Gupt Navratri 2022 Magha-Gupt-Navratri

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Gupt Navratri 2022, माघ गुप्त नवरात्रि 2022 कब है
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक वर्ष में दो नहीं बल्कि चार नवरात्रि आती हैं. जी हां वर्ष में क्रमश: माघ, चैत्र, आषाढ़ और अश्विन माह में नवरात्रि पड़ती हैं. इनमें चैत्र माह और अश्विन माह की नवरात्रि साधारण जन मानस के लिए होती हैं. चैत्र की नवरात्रि को बसंत नवरात्रि और अश्विन की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है. तो वहीं माघ माह और आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्रि आती हैं. नवरात्रि में जहां मां के नौ स्वरूपों का पूजन किया जाता है तो वहीं गुप्त नवरात्रि में मां आदिशक्ति की दसमहाविद्याओं की साधना की जाती है. माघ माह में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि 02 फरवरी 2022 दिन बुधवार से शुरू हो रही है. तो चलिए जानते हैं गुप्त नवरात्रि का महत्व प्रतिपदा तिथि और घटस्थापना मुहूर्त, गुप्त नवरात्रि पूजा विधि, गुप्त नवरात्रि की कथा, गुप्त नवरात्रि आरती व मंत्र आदि के बारे में-

माघ गुप्त नवरात्रि 2022 प्रतिपदा तिथि और घटस्थापना मुहूर्त, Magha Gupt Navratri 2022 Puja Muhurt
नवरात्रि शुरू 02 फरवरी 2022 दिन बुधवार
नवरात्रि समाप्त – 10 फरवरी 2022 दिन गुरुवार
माघ घटस्थापना बुधवार, 2 फरवरी 2022 को
घटस्थापना मुहूर्त – 07:09 AM से 08:31 AM
अवधि – 01 घण्टा 22 मिनट्स
घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है.
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – फरवरी 01, 2022 को 11:15 AM
प्रतिपदा तिथि समाप्त – फरवरी 02, 2022 को 08:31 AM
सन्धि पूजा – 09 फरवरी बुधवार – अष्टमी
सन्धि पूजा प्रारम्भ 08:06 AM पर
सन्धि पूजा समाप्त 08:54 AM पर

कब किस देवी की होगी पूजा, Gupt Navratri 2022
02 फरवरी बुधवार – मां शैलपुत्री की पूजा
03 फरवरी गुरुवार – मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
04 फरवरी शुक्रवार – मां चंद्रघंटा की पूजा
05 फरवरी शनिवार – मां कुष्मांडा की पूजा
06 फरवरी रविवार – मां स्कंदमाता की पूजा
07 फरवरी सोमवार- मां कात्यानी की पूजा
08 फरवरी मंगलवार – मां कालरात्रि की पूजा
09 फरवरी बुधवार – मां महागौरी, दुर्गा अष्टमी की पूजा
10 फरवरी गुरुवार – मां सिद्धिदात्री, व्रत पारण

गुप्त नवरात्रि दसमहाविद्याएं , Magha Gupt Navratri 2022 Dus Mahavidya Ke Naam
1. मां काली
2. तारा देवी
3. त्रिपुर सुंदरी
4. भुवनेश्वरी
5. माता छिन्नमस्ता
6. त्रिपुर भैरवी
7. मां ध्रूमावती
8. माता बगलामुखी
9. माता मातंगी
10. कमला देवी

गुप्त नवरात्रि पूजा विधि , Gupt Navratri Puja Vidhi
1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.
2. मां दुर्गा की पूजा करने के लिए सबसे पहले ऊपर लिखी गई पूजा सामग्री को एकत्रित करें. मां दुर्गा की 3. पूजा के लिए सबसे पहले मां की एक प्रतिमा या चित्र मंदिर में रखें. मां की इस तस्वीर को लाल रंग के वस्त्र में रखें और मां पर लाल रंग की ही चुनरी भी चढ़ाएं.
4. एक मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोयें और नवमी तक हर दिन इसमें पानी का छिड़काव करें.
5. पूर्ण विधि के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करें. इसके लिए पहले कलश में गंगा जल भरें, उसके मुख पर आम की पत्तियां लगाएं और ऊपर नारियल रखें. कलश को लाल कपड़े से लपेंटे और कलावे के माध्यम से उसे बांधें. अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें.
6. फूल, कपूर, अगरबत्ती, ज्योत के साथ पंचोपचार पूजा करें.
7. नौ दिनों तक मां दुर्गा के मंत्र का जाप करें और माता का स्वागत कर उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें.
8. अष्टमी या नवमी को दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें तरह-तरह के व्यंजनों (पूड़ी, चना, हलवा) का भोग लगाएं.
9. आखिरी दिन दुर्गा पूजा के बाद घट विसर्जन करें. इसमें मां की आरती गाएं, उन्हें फूल और चावल चढ़ाएं और इसके बाद बेदी से कलश को उठाएं.

माघ नवरात्रि मंत्र, मां दुर्गा के मंत्र , Magha Gupt Navratri 2022 Maa Durga Ke Mantra
1.सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके. शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते..
2.ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी. दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते..
3.या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः..
4.या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः..
5.ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै

माघ नवरात्रि का क्या है महत्व , Magha Gupt Navratri 2022 Mahatva
इन गुप्त नवरात्रि के दौरान दस महाविद्याओं की साधना की जाती है. गुप्त नवरात्रि के दौरान मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, मां बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है. ये नवरात्रि तांत्रिक क्रियाओं, शक्ति साधना से जुड़े लोगों के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण होती हैं. इसके नवरात्रि का महत्व जानने वाले साधक इस दौरान विशेष साधना कर ऋद्धि सिद्धि की प्राप्ति करते हैं.

माघ गुप्त नवरात्रि कथा , Magha Gupt Navratri Story/ Magha Gupt Navratri 2022 Katha In Hindi
माघ गुप्त नवरात्रि कथा के अनुसार एक समय ऋषि श्रृंगी अपने भक्तों को दर्शन दे रहे थे और अचानक ही भीड़ से एक स्त्री निकलकर बाहर आई और उसने ऋषि श्रृंगी से कहा कि मेरे पति सदैव दुर्व्यसनों से घिरे रहते हैं. जिसकी वजह से मैं कोई भी पूजा पाठ नहीं कर पाती धर्म और भक्ति से जुड़े कार्यों का संपादन भी नहीं कर पाती. यहां तक कि ऋषियों को भी उनके हिस्से का अन्न भी समर्पित नहीं कर पाती. मेरे पति मंसाहारी और जुआरी हैं. लेकिन मैं मां दुर्गा की सेवा करना चाहती हूं. उनकी भक्ति साधना से अपने और अपने परिवार के जीवन को सफल बनाना चाहती हूं.ऋषि श्रृंगी महिला के भक्ति भाव से बहुत प्रभावित हुए और उसे इसका उपाय बताते हुए कहा कि चैत्र और शारदीय नवरात्रि को सब आमजन जानते हैं. लेकिन इसके अतिरिक्त दो नवरात्र और भी होते हैं. जिन्हें गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. उन्होंने कहा कि प्रकट नवरात्रि में नौ देवियों की उपासना होती है और गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है. इस नवरात्रि में यदि कोई मां दुर्गा की उपासना करता है तो मां उसके जीवन को सफल बना देती हैं. ऋषि श्रृंगी ने आगे कहा कि लोभी, कामी, व्यसनी, मांसाहारी अथवा पूजा पाठ न कर सकने वाला भी यदि गुप्त नवरात्रि में मां की पूजा करता है तो उसे जीवन में कुछ और करने की आवश्यकता नहीं रहती. उस स्त्री ने ऋषि श्रृंगी के वचनों पर पूर्ण श्रद्ध करके गुप्त नवरात्रि की पूजा की. जिसके बाद मां उस स्त्री पर प्रसन्न हुई और उसके जीवन में परिवर्तन आने लगा. उसके जीवन में सुख शांति आने लगी और पति जो गलत रास्ते पर था वह सभी मार्ग पर आ गया.

मां दुर्गा की आरती ,Maa Durga Ki Aarti, Magha Gupt Navratri 2022 Aarti
जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति,
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री..टेक..
मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को,
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको..जय॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै,
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै..जय..
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी,
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी..जय..
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती,
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति..जय..
शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती,
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती..जय..
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू,
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू..जय..
भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी,
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी..जय..
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती,
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति..जय..
श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै,
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै..जय..

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