Holi Bhai Dooj 2022

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होली भाई दूज 2022 
महत्वपूर्ण हिन्दु त्यौहारों में से एक त्यौहार भाई दूज है। यह त्यौहार भाई-बहनों के बीच स्नेह बन्धन को सुदृढ़ करता है। हिन्दु कैलेण्डर के अनुसार, भाई दूज द्वितीया तिथि पर मनाया जाता है। हिन्दु कैलेण्डर में दो भाई दूज आती हैं। पहला पर्व होली के अगले दिन कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, इसे भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। वहीं दूसरा पर्व, दीपावली पूजन के दो दिन पश्चात् मनाया जाता है, जो अधिक लोकप्रिय है तथा इसे भी भाई दूज के नाम से जाना जाता है। हालाँकि, कुछ क्षेत्रों में होली भाई दूज काफी लोकप्रिय है, किन्तु यह त्यौहार अत्यधिक प्रसिद्ध नहीं है। हिन्दु त्यौहारों पर प्रसिद्ध ग्रन्थों जैसे धर्म-सिन्धु, निर्णय-सिन्धु तथा व्रतराज में भी होली भाई दूज का उल्लेख नहीं मिलता है। लेकिन मान्यता है कि जो भाई इस दिन बहन के घर जाकर भोजन ग्रहण करता है और तिलक करवाता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती. इस साल 2022 में होली भाई दूज का त्यौहार रविवार, 20 मार्च को मनाया जाएगा. यहां जानिए होली भाईदूज की तिथि, मुहूर्त, भाई के तिलक करने का तरीका, होली भाई दूज पूजा विधि, महत्व और कथा के बारे में-
होली भाई दूज रविवार, मार्च 20, 2022 को
द्वितीया तिथि प्रारम्भ – मार्च 19, 2022 को 11:35 ए एम बजे
द्वितीया तिथि समाप्त – मार्च 20, 2022 को 10:10 ए एम बजे

होली भाई दूज पूजा विधि
आज के दिन भाई प्रातः काल चन्द्रमा का दर्शन करें. इसके बाद यमुना के जल से स्नान करें या ताजे जल से स्नान करें. वहीं आज के दिन बहनें स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें. इसके पश्चात अपने भाई को भोजन के लिए संदेशा भेज दें. भाई अपनी बहन के घर जाएं और वहां बहन के हाथों से बना हुआ भोजन ग्रहण करें. बहनें भाई को भोजन कराएं, उनका तिलक करके आरती करें और ईश्वर से उनके दीर्घ, आरोग्य और सुखी जीवन की कामना करें. भाई यथाशक्ति अपनी बहन को उपहार दें.
ऐसे करें भाई का तिलक- शुद्ध केसर की कम से कम 27 पत्तियां लें और उसमें शुद्ध लाल चंदन और गंगाजल मिलाएं. साफ चांदी की कटोरी या पीतल की कटोरी में यह तिलक तैयार करें. अपने भाई को तिलक करने से पहले यह कटोरी भगवान विष्णु के श्री चरणों में रखें. ॐ नमो नारायणाय मंत्र का 27 बार जाप करें. अब यह तिलक सबसे पहले भगवान गणपति और विष्णु जी को करें. इसके बाद अपने भाई को उत्तर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठाएं फिर तिलक करें. अब बहन अपने भाई को मिठाई खिलाए तथा भाई भी अपनी बहन का मुंह मीठा करें. ऐसा करने से भाई-बहन का स्नेह हमेशा के लिए बना रहेगा.

होली भाई दूज की कथा, Holi Bhai Dooj Ki Katha
पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में एक बुढ़िया रहा करती थी. उसके एक पुत्र और एक पुत्री थी. बुढ़िया ने अपनी पुत्री की शादी कर दी थी. एक बार होली के बाद भाई ने अपनी मां से अपनी बहन के यहां जाकर तिलक कराने का आग्रह किया तो बुढ़िया ने अपने बेटे को जाने की इजाजत दे दी. बुढ़िया का बेटा एक जंगल से गया जहां उसे एक नदी मिली उस नदी ने बोला में तेरा काल हूं और मैं तेरी जान लूंगी. इस पर बुढ़िया का बेटा बोला पहले मैं अपनी बहन से तिलक करा लूं फिर मेरे प्राण हर लेना.
इसके बाद वह आगे बढ़ा जहां उसे एक शेर मिला बुढ़िया के बेटे ने शेर से भी यही कहा. इसके बाद उसे एक सांप मिलता है उसने सांप से भी यही कहा. जिसके बाद वह अपनी बहन के घर पहुंचता है. उस समय उसकी बहन सूत काट रही होती है और जब वह उसे उसका भाई पुकारता है तो वह उसकी आवाज को अनसुना कर देती है.लेकिन जब भाई दुबारा आवाज लगाता है तो उसकी बहन बाहर आ जाती है. इसके बाद उसका भाई तिलक कराकर चल दुखी मन से चल देता है. इस पर बहन उसके दुख का कारण पूछती और भाई उसे सब बता देता है.
उस बुढ़िया की लड़की कहती है कि रूको भाई मैं पानी पीकर आती हूं और वह एक तालाब के पास जाती है जहां उसे एक बुढ़िया मिलती है और वह उस बुढ़िया से अपनी इस समस्या का समाधान पूछती है. इस पर बुढ़िया कहती है यह तेरे ही पिछले जन्मों का कर्म है जो तेरे भाई को भुगतना पड़ रहा है. अगर तू अपने भाई को बचाना चाहती है तो उसकी शादी होने तक वह हर विपदा को टाल दे तो तेरा भाई बच सकता है.
इसके बाद वह अपने भाई के पास जाती है और कहती है कि मैं तुझे घर छोड़ने के लिए चलूंगी और वह शेर के लिए मांस, सांप के लिए दूध और नदी के लिए ओढ़नी लाती है. इसके बाद दोनों आगे बढ़ते हैं रास्ते में उन्हें पहले शेर मिलता है. उसकी बहन शेर के आगे मांस डाल देती है. उसके बाद आगे उन्हें सांप मिलता है. जिसके बाद उस बुढ़िया की लड़की उसे दूध दे देती है और अंत में उन्हें नदी मिलती है. जिस पर वह ओढ़नी डाल कर नमन करती है. इस तरह से वह बहन अपने भाई को हर संकट से बचा लेती है.
भाई दूज के अवसर पर सभी बहनें इस कहानी को सुन कर और अपने भाई का तिलक कर अपना व्रत खोलती हैं.

होली भाई दूज का महत्व
जिस तरह से दिवाली के बाद भाई दूज मनाकर भाई की लंबी उम्र के लिए कामना की जाती है और उसे नर्क की यातनाओं से मुक्ति दिलाने के लिए उसका तिलक किया जाता है. उसी प्रकार होली के बाद भाई का तिलक करके होली की भाई दूज मनाई जाती है. जिससे उसे सभी प्रकार के संकटों से बचाया जा सके. पौराणिक कथा के अनुसार, भाई दूज वाले दिन यमराज हर वर्ष अपनी बहन यमुना से मिलने उनके घर जाते हैं. उन्होंने यमुना को आशीष दिया था कि भाई दूज वाले दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाएगा, तिलक लगवाएगा और भोजन ग्रहण करेगा, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और उसे कभी यम का भय नहीं होगा. शास्त्रों के अनुसार होली के अगले दिन भाई को तिलक करने से उसे सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है.

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