karwa chauth tips

कैसे रखें करवा चौथ व्रत, Karava Chauth Vrat Puja, पहली बार कैसे करें करवा चौथ व्रत की पूजा, कैसे खोलें करवा चौथ व्रत, सुहागिनें क्यों रखती हैं करवा चौथ व्रत, पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ व्रत, करवा चौथ व्रत कथा, Pahli Bar Kaise Rakhen Karava Chauth Vrat, Kaise Kholen Karava Chauth Vrat, Kyo Rakha Jata Hai Karva Chauth Vrat, Karva Chauth Vrat Katha In Hindi

कैसे रखें करवा चौथ व्रत, Karava Chauth Vrat Puja, पहली बार कैसे करें करवा चौथ व्रत की पूजा, कैसे खोलें करवा चौथ व्रत, सुहागिनें क्यों रखती हैं करवा चौथ व्रत, पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ व्रत, करवा चौथ व्रत कथा, Pahli Bar Kaise Rakhen Karava Chauth Vrat, Kaise Kholen Karava Chauth Vrat, Kyo Rakha Jata Hai Karva Chauth Vrat, Karva Chauth Vrat Katha In Hindi

सुहागन स्त्रियों के लिए करवा चौथ का त्यौहार बेहद महत्वपूर्ण होता है. महिलाएं इस दिन का पूरे साल बड़ी ही बेसब्री से इंतजार करती हैं. यह व्रत सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए और कुंवारी लड़कियां अच्छे पति की कामना के लिए रखती हैं. इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम के समय चंद्रमा देखकर ही अपना व्रत खोलती हैं. जो महिलाएं या लड़कियां पहली बार करवा चौथ का व्रत रख रही हैं उनके लिए हम ये खास खबरे लेकर आए हैं. इस दिन सबसे पहले आप सुबह जल्दी उठकर अपने बड़ों का आशीर्वाद लें और अपने व्रत की शुरुआत करें. ऐसा करने से परिवार में सौभाग्य और समृद्धि बनी रहती है. यहां जानिए सुहागिनें क्यों रखती हैं करवा चौथ व्रत और पहली बार करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाए रखें किन बातों का ध्यान-

सुहागिनें क्यों रखती हैं करवा चौथ व्रत?
करवा चौथ का व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती है। हिन्दू धर्म में नारी शक्ति को शक्ति का रूप माना जाता है। कहते हैं कि नारी को यह वरदान है कि वो जिस भी कार्य या मनोकामना के लिए तप या व्रत करेगी, उसका फल उसे अवश्य मिलेगा। खासकर अपने पति के लिए यदि वे कुछ भी व्रत करती है तो वह सफल होगा। पौराणिक कथाओं में एक ओर जहां माता पार्वती अपने पति शिवजी को पाने के लिए तप और व्रत करती है और उसमें सफल हो जाती है तो दूसरी ओर सावित्री अपने मृत पति को अपने तप के बल पर यमराज से भी छुड़ाकर ले आती है। यानी स्त्री में इतनी शक्ति होती है कि वो यदि चाहे, तो कुछ भी हासिल कर सकती है। इसीलिए महिलाएं करवा चौथ के व्रत के रूप में अपने पति की लंबी उम्र के लिए एक तरह से तप करती हैं।स तप का अर्थ होता है किसी चीज को त्यागना और किसी एक दिशा में आगे बढ़ना। महिलाएं इस दिन निर्जल व्रत करती हैं। चौथ का चांद हमेशा देर से निकलता है। कई बार तो देर रात तक चांद नहीं दिखता। ये मौसम ऐसा होता है कि कई बार बादल घिर जाते हैं और चांद नजर ही नहीं आता। ऐसे में महिलाएं देर रात या अगले दिन तक अपना व्रत नहीं तोड़ती हैं। ये एक तरह से महिलाओं की परीक्षा होती है कि वो अपने पति के लिए कितना त्याग कर सकती हैं।

पहली बार कैसे रखें करवा चौथ व्रत?
आपकी नई नई शादी हुई है और आप अपने पति के लिए पहली बार करवा चौथ का व्रत रख रही हैं तो नीचे दी गई बातों का खास ख्याल रखें-
1. 16 श्रृंगार व शादी का जोड़ा पहन कर पूजा में बैठें
इस दिन खास दिखने के लिए महिलाएं कई दिन पहले से तैयारियां शुरू करती हैं। इसलिए पूजन की तैयारी हो या पूजा का श्रृंगार सब कुछ परंपरानुसार ही करना चाहिए। इसलिए पहली बार व्रत रख रहीं महिलाओं को पूरे 16 श्रृंगार के साथ ही पूजा में बैठना शुभ माना जाता है। शगुन स्वरूप हाथ में मेंहदी भी लगानी चाहिए। जिन महिलाओं का पहला करवा चौथ है उन्हें शादी का जोड़ा पहनकर करवा चौथ पूजन करना शुभ माना जाता है. अगर शादी का जोड़ा ना पहन सकें तो लाल साड़ी या लहंगा पहनना अच्छा होता है.

2. सरगी है जरूरी
करवा चौथ के व्रत में सरगी जरूरी होती है. व्रत शुरू होने से पहले सास बहू को कुछ मिठाइयां कपड़े और श्रृंगार का सामान देती हैं. करवा चौथ के दिन सूर्योदय होने से पहले महिलाएं सरगी को खाकर ही अपने व्रत की शुरुआत करती हैं. इसके बाद पूरा दिन निर्जला व्रत रहा जाता है और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत को खोला जाता है.
3. बाया देना भी होता है शगुन
जिस तरह सास को अपनी बहू को सरगी देनी चाहिए वैसे ही लड़की के मायके से बाया भी आता है। बाया मायके से जुड़ा एक रिवाज है। पहली बार करवा चौथ का व्रत कर रही महिलाओं के घर भी शाम को पूजा से पहले मायके से ससुराल में कुछ मिठाइयां, तोहफे और मेवे उपहार स्वरूप भेंट किए जाने की रस्म है, यही रस्म बाया कहलाती है। बाया पूजा शुरू होने से पूर्व ही बेटी के ससुराल पहुंचा दी जानी चाहिए।

4. ध्यान से सुनें कथा
करवा चौथ में जितना महत्व व्रत और पूजा का है, समान महत्व करवा चौथ के व्रत की कथा सुनने का भी उतना महत्व है। इस व्रत में जिस तरह जरूरी व्रत और विधिविधान से पूजा करना चाहिए वैसे ही कथा सुनना भी उतना ही शुभ फलदायी है, इसलिए जो महिलाएं पहली बार इस व्रत को कर रही हैं उन्हें पूजा के साथ ध्यान से कथा सुननी चाहिए।
5. गीत और भजन
करवा चौथ की पूजा बहुत सी महिलाएं एक साथ इकट्ठे होकर करती हैं। सभी साथ में व्रत कथा सुनती हैं और पूजा करती हैं। ऐसे में पूजा के समय करवा चौथ के गीत और भजन गाना चाहिए। करवा चौथ पर गीत गान और भजन का भी बहुत महत्व है। ऐसा करने से वातावरण शुद्ध होता है और इस व्रत के पूर्ण फल की प्राप्ति होती है। चूंकि जो महिलाएं पहली बार यह व्रत कर रही होती हैं उन्हें इन सभी रस्मों को करना चाहिए, ताकि आगे भविष्य में वह अच्छे से यह पूजा कर सकें।

कैसे खोलते हैं करवा चौथ व्रत
इस दिन स्त्रियां पूरे दिन घर में तरह-तरह के व्यंजन और मिठाइयां बनाती हैं। शाम को स्त्रियां पूजा करके चंद्रमा को जल का अर्घ्य देती हैं। फिर चलनी में चांद और पति को देखती हैं और पति के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं। करवा चौथ की पूजा के बाद पहला बाया सभी परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों के बीच बांटना चाहिए। स्त्रियों के पति चंद्र दर्शन के बाद उन्हें प्रेमस्वरूप खास तोहफे भी देते हैं।
करवा चौथ के व्रत में छलनी से ही क्यों देखा जाता है चांद
दरअसल करवा चौथ की कथा में कहा गया है कि, एक बहन थी जिसके भाईयों ने स्नेहवश उसे भोजन कराने के लिए छल से चांद दिखाया. इसके लिए उन्होंने छलनी की ओठ में दीपक जलाया जो आकाश में चांद की छवि जैसा नजर आया, इससे उसका व्रत भंग हो गया और इस भूल को सुधारने के लिए उनकी बहन ने पूरे साल चतुर्थी का व्रत किया और तब दोबारा करवा चौथ का समय आया तो उन्होंने पूरे विधि विधान से इसका व्रत रखा. इस तरह उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति हुई और इस बार कन्या ने हाथ में छलनी लेकर चंद्र दर्शन किए थे.

करवा चौथ की सबसे प्रचलित कथा
एक ब्राह्मण के सात पुत्र थे और वीरावती नाम की इकलौती पुत्री थी। सात भाइयों की अकेली बहन होने के कारण वीरावती सभी भाइयों की लाडली थी और उसे सभी भाई जान से बढ़कर प्रेम करते थे. कुछ समय बाद वीरावती का विवाह किसी ब्राह्मण युवक से हो गया। विवाह के बाद वीरावती मायके आई और फिर उसने अपनी भाभियों के साथ करवाचौथ का व्रत रखा लेकिन शाम होते-होते वह भूख से व्याकुल हो उठी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्‍य देकर ही खा सकती है। लेकिन चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है।
वीरावती की ये हालत उसके भाइयों से देखी नहीं गई और फिर एक भाई ने पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर वह ऐसा लगा की चांद निकल आया है। फिर एक भाई ने आकर वीरावती को कहा कि चांद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चांद को देखा और उसे अर्घ्‍य देकर खाना खाने बैठ गई। उसने जैसे ही पहला टुकड़ा मुंह में डाला है तो उसे छींक आ गई। दूसरा टुकड़ा डाला तो उसमें बाल निकल आया। इसके बाद उसने जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश की तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिल गया।

उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं। एक बार इंद्र देव की पत्नी इंद्राणी करवाचौथ के दिन धरती पर आईं और वीरावती उनके पास गई और अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना की। देवी इंद्राणी ने वीरावती को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करवाचौथ का व्रत करने के लिए कहा। इस बार वीरावती पूरी श्रद्धा से करवाचौथ का व्रत रखा। उसकी श्रद्धा और भक्ति देख कर भगवान प्रसन्न हो गए और उन्होंनें वीरावती सदासुहागन का आशीर्वाद देते हुए उसके पति को जीवित कर दिया। इसके बाद से महिलाओं का करवाचौथ व्रत पर अटूट विश्वास होने लगा।

पहली बार कैसे रखें करवा चौथ व्रत, Karava Chauth Vrat Puja, पहली बार कैसे करें करवा चौथ व्रत की पूजा, कैसे खोलें करवा चौथ व्रत, सुहागिनें क्यों रखती हैं करवा चौथ व्रत, पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ व्रत, करवा चौथ व्रत कथा, Pahli Bar Kaise Rakhen Karava Chauth Vrat, Kaise Kholen Karava Chauth Vrat, Kyo Rakha Jata Hai Karva Chauth Vrat, Karva Chauth Vrat Katha In Hindi

ये भी पढ़े –

  1. 16 सोमवार व्रत विधि, 16 Somvar Vrat Vidhi In Hindi, 16 सोमवार व्रत कब से शुरू करें, सोलह सोमवार व्रत.
  2. नींद आने का मंत्र, Neend Aane Ka Mantr, जल्दी नींद आने का मंत्र, Jaldi Neend Aane Ka Mantra.
  3. बुध अष्टमी का व्रत कैसे करें, बुध अष्टमी व्रत पूजा विधि, बुधाष्टमी व्रत कथा, बुधाष्टमी पूजा मंत्र, बुधाष्टमी व्रत.
  4. बच्चों के नये नाम की लिस्ट, बेबी नाम लिस्ट, बच्चों के नाम की लिस्ट, हिंदी नाम लिस्ट, बच्चों के प्रभावशाली नाम.
  5. सामवेद क्या है, सामवेद में कितने मंत्र है, सामवेद संहिता, सामवेद पाठ, सामवेद का महत्व.
  6. शुक्ल पक्ष का अर्थ, कृष्ण पक्ष का अर्थ, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष किसे कहते हैं, एक महीने में कितने पक्ष होते हैं?.
  7. सोमवार व्रत कैसे करें, सोमवार व्रत पूजन विधि नियम कथा आरती, प्रति सोमवार व्रत विधि, सोमवार व्रत.
  8. Hanuman Ji Ke 12 Naam, हनुमान जी के 12 नाम, श्री हनुमान जी के 12 नाम, हनुमान जी के 12 नाम का मंत्र.
  9. न्यूरोबियान फोर्ट टेबलेट किस काम आती है, न्यूरोबिन Forte, Neurobion Forte Tablet Uses in Hindi, Neurobion Forte.
  10. मां गौरी चालीसा, Maa Gauri Chalisa, मां गौरी चालीसा का लाभ, Mata Gauri Chalisa Ka Laabh.