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होली भाई दूज – परिचय
हिंदू धर्म में भाई दूज का विशेष महत्व होता है. दीपावली के समान ही होली त्योहार मनाने के अगले ही दिन होली भाईदूज त्योहार मनाने की परंपरा है. यह त्यौहार ज्यादा लोकप्रिय नहीं है. लेकिन भारत के कई इलाकों में होली के दूसरे दिन भाईदूज का त्योहार मनाया जाता है. इसे होली भाई दूज और भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. यह भाई-बहन के बीच स्नेह के बंधन को मजबूत करता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की द्वितीया को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक करती हैं. उसका स्वागत सत्कार करती हैं और उनके लम्बी आयु की कामना करती हैं. माना जाता है कि जो भाई इस दिन बहन के घर जाकर भोजन ग्रहण करता है और तिलक करवाता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती. आज के इस खबर में पढ़िए होली भाईदूज कैसे मनाएं,बहने कैसे करें भाई का तिलक?, होली भाई दूज पूजा विधि, महत्व और कथा के बारे में-

कैसे मनाएं होली भाई दूज का त्योहार?
आज के दिन भाई प्रातः काल चन्द्रमा का दर्शन करें. इसके बाद यमुना के जल से स्नान करें या ताजे जल से स्नान करें. वहीं आज के दिन बहनें स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें. इसके पश्चात अपने भाई को भोजन के लिए संदेशा भेज दें. भाई अपनी बहन के घर जाएं और वहां बहन के हाथों से बना हुआ भोजन ग्रहण करें. बहनें भाई को भोजन कराएं, उनका तिलक करके आरती करें और ईश्वर से उनके दीर्घ, आरोग्य और सुखी जीवन की कामना करें. भाई यथाशक्ति अपनी बहन को उपहार दें.

होली भाई दूज पूजा विधि, बहने कैसे करें भाई का तिलक?
शुद्ध केसर की कम से कम 27 पत्तियां लें और उसमें शुद्ध लाल चंदन और गंगाजल मिलाएं. साफ चांदी की कटोरी या पीतल की कटोरी में यह तिलक तैयार करें. अपने भाई को तिलक करने से पहले यह कटोरी भगवान विष्णु के श्री चरणों में रखें. ॐ नमो नारायणाय मंत्र का 27 बार जाप करें. अब यह तिलक सबसे पहले भगवान गणपति और विष्णु जी को करें. इसके बाद यह तिलक अपने भाई को उत्तर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके तिलक करें. अब बहन अपने भाई को मिष्ठान खिलाए तथा भाई भी अपनी बहन का मुंह मीठा करें. ऐसा करने से भाई-बहन का स्नेह हमेशा के लिए बना रहेगा.

होली भाई दूज का महत्व
जिस तरह से दिवाली के बाद भाई दूज मनाकर भाई की लंबी उम्र के लिए कामना की जाती है और उसे नर्क की यातनाओं से मुक्ति दिलाने के लिए उसका तिलक किया जाता है. उसी प्रकार होली के बाद भाई का तिलक करके होली की भाई दूज मनाई जाती है. जिससे उसे सभी प्रकार के संकटों से बचाया जा सके. पौराणिक कथा के अनुसार, भाई दूज वाले दिन यमराज हर वर्ष अपनी बहन यमुना से मिलने उनके घर जाते हैं. उन्होंने यमुना को आशीष दिया था कि भाई दूज वाले दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाएगा, तिलक लगवाएगा और भोजन ग्रहण करेगा, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और उसे कभी यम का भय नहीं होगा. शास्त्रों के अनुसार होली के अगले दिन भाई को तिलक करने से उसे सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है.

होली भाई दूज की कथा, Holi Bhai Dooj Story In Hindi, Holi Bhai Dooj Katha
पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में एक बुढ़िया रहा करती थी. उसके एक पुत्र और एक पुत्री थी. बुढ़िया ने अपनी पुत्री की शादी कर दी थी. एक बार होली के बाद भाई ने अपनी मां से अपनी बहन के यहां जाकर तिलक कराने का आग्रह किया तो बुढ़िया ने अपने बेटे को जाने की इजाजत दे दी. बुढ़िया का बेटा एक जंगल से गया जहां उसे एक नदी मिली उस नदी ने बोला में तेरा काल हूं और मैं तेरी जान लूंगी. इस पर बुढ़िया का बेटा बोला पहले मैं अपनी बहन से तिलक करा लूं फिर मेरे प्राण हर लेना.
इसके बाद वह आगे बढ़ा जहां उसे एक शेर मिला बुढ़िया के बेटे ने शेर से भी यही कहा. इसके बाद उसे एक सांप मिलता है उसने सांप से भी यही कहा. जिसके बाद वह अपनी बहन के घर पहुंचता है. उस समय उसकी बहन सूत काट रही होती है और जब वह उसे उसका भाई पुकारता है तो वह उसकी आवाज को अनसुना कर देती है.लेकिन जब भाई दुबारा आवाज लगाता है तो उसकी बहन बाहर आ जाती है. इसके बाद उसका भाई तिलक कराकर चल दुखी मन से चल देता है. इस पर बहन उसके दुख का कारण पूछती और भाई उसे सब बता देता है.

उस बुढ़िया की लड़की कहती है कि रूको भाई मैं पानी पीकर आती हूं और वह एक तालाब के पास जाती है जहां उसे एक बुढ़िया मिलती है और वह उस बुढ़िया से अपनी इस समस्या का समाधान पूछती है. इस पर बुढ़िया कहती है यह तेरे ही पिछले जन्मों का कर्म है जो तेरे भाई को भुगतना पड़ रहा है. अगर तू अपने भाई को बचाना चाहती है तो उसकी शादी होने तक वह हर विपदा को टाल दे तो तेरा भाई बच सकता है.
इसके बाद वह अपने भाई के पास जाती है और कहती है कि मैं तुझे घर छोड़ने के लिए चलूंगी और वह शेर के लिए मांस, सांप के लिए दूध और नदी के लिए ओढ़नी लाती है. इसके बाद दोनों आगे बढ़ते हैं रास्ते में उन्हें पहले शेर मिलता है. उसकी बहन शेर के आगे मांस डाल देती है. उसके बाद आगे उन्हें सांप मिलता है. जिसके बाद उस बुढ़िया की लड़की उसे दूध दे देती है और अंत में उन्हें नदी मिलती है. जिस पर वह ओढ़नी डाल कर नमन करती है. इस तरह से वह बहन अपने भाई को हर संकट से बचा लेती है.
भाई दूज के अवसर पर सभी बहनें इस कहानी को सुन कर और अपने भाई का तिलक कर अपना व्रत खोलती हैं.

भाई दूज के दिन क्या करें क्या न करें
1. भाई दूज पर्व पर कभी भी भाइयों को अपने घर पर भोजन नहीं करना चाहिए, इस दिन का भोजन हमेशा अपनी बहन के घर जाकर ही करें. यदि किसी कारण वश आप उनके साथ भोजन नहीं कर सकते हैं तो कोशिश करें और गाय के नजदीक बैठकर इस दिन भोजन करें.
2. भाई दूज के दिन आपकी बहन से कोई झूठ ना बोलें.
3. भाई दूज के दिन बहन के बनाए गए भोजन का गलती से भी अपमान न करें. वहीं बहनें भी भाई द्वारा दिए गए तोहफे का अपमान न करें.
4. इस दिन अपनी बहन या भाई के साथ झगड़ा बिल्कुल भी ना करें.
5. भाई दूज के दिन मांस मदिरा से बचें.
6. भाई दूज के दिन जो बहनें अपने भाइयों का तिलक करती हैं वे तिलक से पहले कुछ भी न खाएं. साथ ही तिलक लगाने के बाद भाई को कुछ मीठा अवश्य खिलाएं.

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