Choti Diwali hanuma puja

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छोटी दिवाली (नरक चतुर्दशी) के दिन क्यों की जाती है हनुमान जी की पूजा?
दिवाली के एक दिन पहले कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) मनाया जाता है. इसे छोटी दिवाली(Choti Diwali), यम चतुर्दशी (Yam Chaturdashi), रूप चतुर्दशी (Roop Chatirdashi) के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन यमराज की पूजा के अलावा हनुमान जी की पूजा भी होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मृत्यु का देवता यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु नहीं आती है और लंबी आयु का वरदान मिलता है। और इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। कहा जाता है कि, जो व्यक्ति हनुमान जी कि पूजा करता है उसका काल यानि यमराज भी कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं।
नरक चतुर्दशी के दिन हनुमान यज्ञ कराना भी बेहद लाभकारी माना जाता है. हनुमान यज्ञ में इतनी शक्ति है कि अगर विधिवत रूप से यज्ञ को कर लिया जाए तो व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है, सभी प्रकार की पीड़ा से मुक्ति मिलती है, अपार धन-संपत्ति और विजय-प्रसिद्धि की प्राप्ति होती है. तो आइए जानते हैं नरक चतुर्दशी पर हनुमान जी की पूजा क्यो की जाती है? नरक चतुर्दशी के दिन हनुमान जी की पूजा विधि, हनुमान यज्ञ पूजन विधि और महत्व-

नरक चतुर्दशी पर क्यों की जाती है हनुमान पूजा/ हनुमान जी की पूजा का महत्व ()
नरक चतुर्दशी के दिन यमराज और मां लक्ष्मी के साथ ही हनुमान जी की भी पूजा करने का विधान है. छोटी दीपावली के दिन हनुमानजी की जयंती मनाए जाने की परंपरा है। वैसे तो बजरंग बली के जन्‍मतिथि के बारे में कोई सुनिश्चित तिथि के बारे में कहीं उल्‍लेख नहीं है। इसी वजह से श्रीराम भक्‍त हनुमान की जयंती साल में दो बार मनाई जाती है। पहली तिथि चैत्र मास की पूर्णिमा और दूसरी तिथि कार्तिक मास के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन अर्धरात्रि में हनुमान जी का जन्म अंजनी माता के गर्भ से हुआ था. इसलिए हर तरह के सुख, आनंद और शांति की प्राप्ति के लिए नरक चतुर्दशी को बजरंग बली हनुमान जी की उपासना लाभकारी और हर मानोकामना को पूरी करने वाली मानी जाती है. आज के दिन हनुमान जी की विधिवत पूजा करने से सारे कष्ट दूर हो सकते हैं. राम भक्त हनुमान अपने भक्तों का हर दुख हर लेते हैं.

हनुमान जी की पूजा विधि
इस दिन शरीर पर तिल के तेल की उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए. इसके बाद हनुमान की विधि विधान से पूजा-अर्चना करते हुए उन्हें सिंदूर चढ़ाना चाहिए.
1. हनुमान जी की ओर मुंह करके एक लाल आसन पर बैठें.
2. एक सरसो और एक घी का दीया और साथ में अगरबत्ती और धूपबत्ती जलाएं.
3. हाथ में चावल और पुष्प लेकर हनुमानजी का ध्यान करें और आह्वान करें.
4. अब सिंदूर में चमेली का तेल मिलाकर हनुमान जी की मूर्ति पर लेप लगाएं. ध्यान रहे कि लेप लगाने की प्रक्रिया पांव से शुरू करनी है और सर तक लेप लगाना है. इस प्रक्रिया को चोला चढ़ाना भी कहा जाता है।
5. अब चांदी या सोने का वर्क मूर्ति पर लगाएं.
6. हनुमान जी को लाल लंगोट पहनाएं और इत्र लगाएं.
7. हनुमानजी के सर पर कंकु का टिका लगाएं. लाल गुलाब और माला हनुमान जी को चढ़ाएं.
8. भुने चने और गुड़ का नैवेद्य लगाएं. नैवेद्य पर तुलसी पत्र जरूर रखें.
9. केले और बनारसी पान का बीड़ा अर्पित करें.
10. 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें और आखिर में हनुमान जी की आरती करें.
मंत्र
ॐ हं हनुमंते नमः
इस मंत्र का नित्य सुबह शाम 108 बार जाप करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है।

हनुमान सिद्ध यज्ञ विधि
ऐसा कहा जाता है कि जो भी जातक हनुमान यज्ञ के माध्यम से हनुमानजी को पूजता है उसे जीवन के सभी संकटों पर विजय मिलती है और सभी समस्याएं निश्चित रूप से समाप्त हो जाती हैं। इस यज्ञ को हर कोई नहीं करवा सकता। सिद्ध हनुमान यज्ञ के प्रतिष्ठान और पूर्ण करने के लिए एक सिद्ध ब्राह्मण/पंडित की आवश्यकता होती है। इसे पूर्ण विधि-विधान से करने से ही मनवांछित फल प्राप्त होता है। व्रत पूर्ण किया जा सकता है। यहां जानिए कैसे करें हनुमान यज्ञ-
इस यज्ञ में हनुमानजी को मंत्रों के द्वारा स्मरण किया जाता है। इसके अलावा अन्य देवताओं की आराधना भी इस यज्ञ में की जाती है। माना जाता है कि इस यज्ञ में जैसे ही भगवान श्रीराम का स्मरण किया जाता है, हनुमानजी प्रसन्न होकर यज्ञस्थल पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में विराजमान हो जाते हैं।

सिद्ध हनुमान यज्ञ के लिए आवश्यक वस्तुएं : लाल फूल, रोली, कलावा, हवन कुंड, हवन की लकड़ियां, गंगाजल, एक जल का लोटा, पंचामृत, लाल लंगोट, 5 प्रकार के फल। पूजा सामग्री की पूरी सूची यज्ञ से पहले ही तैयार होनी चाहिए और एक बार किसी सिद्ध ब्राह्मण से चर्चा करनी चाहिए। इस यज्ञ को एक ब्राह्मण की सहायता से विधिवत पूरा ही करवाया जा सकता है।
पूजन विधि : हनुमानजी की एक प्रतिमा को घर की साफ जगह या घर के मंदिर में स्थापित करें और पूजन करते समय आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। इसके पश्चात हाथ में चावल व फूल लें व इस मंत्र (प्रार्थना) से हनुमानजी का स्मरण करें-
इस मंत्र का करें ध्यान-
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं,
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यं।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं,
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
ॐ हनुमते नम: ध्यानार्थे पुष्पाणि सर्मपयामि।।

अब हाथ में लिया हुआ चावल व फूल हनुमानजी को अर्पित कर दें। इसके बाद इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए हनुमानजी के सामने किसी बर्तन अथवा भूमि पर 3 बार जल छोड़ें व निम्न मंत्र को जपें-
ॐ हनुमते नम:, पाद्यं समर्पयामि।।
अर्ध्यं समर्पयामि, आचमनीयं समर्पयामि।।
इसके पश्चात हनुमानजी को गंध, सिन्दूर, कुंकुम, चावल, फूल व हार अर्पित करें। इसके पश्चात‘हनुमान चालीसा’का कम से कम 5 बार जाप करें। सबसे अंत में घी के दीये के साथ हनुमानजी की आरती करें। इस प्रकार यह यज्ञ और घर में इस प्रकार किया गया पूजन हनुमानजी को प्रसन्न करता है और सभी मनोकामनाओं को भी पूरा करता है।

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