Ahoi Ashtami

अहोई अष्टमी व्रत में क्यों दिया जाता है तारों को अर्घ्य, अहोई अष्टमी व्रत में तारों को अर्घ्य देने का प्राचीन महत्व, अहोई अष्टमी व्रत में क्या करें, अहोई अष्टमी व्रत में क्या न करें? Ahoi Ashtami Vrat Mein Kyon Diya Jaata Hai Taaron Ko Arghya, Ahoi Ashtami Per Kya Kare Aur Kya Na Karen

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अहोई अष्टमी व्रत में क्यों दिया जाता है तारों को अर्घ्य
अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। होई माता का ये व्रत माताएं अपनी संतान सुख व संतान की समृद्धि के लिए करती हैं। इस दिन निसंतान दंपति भी संतान प्राप्ति की कामना के साथ यह व्रत करते हैं। दरअसल, इस दिन लोग देवी पार्वती के अहोई स्वरूप से अपनी संतान की सुरक्षा, लंबी आयु, उसके अच्छे स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। निसंतान लोग संतान प्राप्ति की कामना के लिए पूरी निष्ठा और श्रद्धा से पूजा-पाठ करते हैं। इस दिन अधिकतर घरों में महिलाएं कच्चा खाना (उरद-चावल, कढ़ी-चावल इत्यादि) बनाती हैं।

अहोई अष्टमी के दिन क्यों दिया जाता है तारों को अर्घ्य?
पुरानी मान्यताओं के अनुसार, अहोई पूजन के लिए शाम के समय घर की उत्तर दिशा की दीवार पर गेरू या पीली मिट्टी से आठ कोष्ठक की एक पुतली बनाई जाती है। विधि पूर्वक स्नानादि के बाद, तिलक आदि के बाद खाने का भोग लगाया जाता है। कुछ लोग अपनी सामर्थ्य के अनुसार, चांदी की अहोई में मोती डालकर विशेष पूजा करते हैं। महिलाएं तारे या फिर चंद्रमा के निकलने पर महादेवी का षोडशोपचार पूजन कर, तारों को जल का अर्घ्य देकर व्रत पूर्ण करती हैं। जिस प्रकार करवा चौथ के दिन चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है, उसी प्रकार अहोई अष्टमी के दिन तारों को अर्घ्य दिया जाता है। ये एक इकलौता व्रत है जिसमे तारों को अर्घ्य दिया जाता है। लेकिन क्या आप जानते है कि इस व्रत में तारों को अर्घ्य क्यों दिया जाता है? इस रिपोर्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं अहोई अष्टमी के व्रत में तारों को अर्घ्य देने का प्राचीन महत्व-

अहोई अष्टमी व्रत में तारों को अर्घ्य देने का महत्व प्राचीन मान्यताओं के अनुसार बताया जाता है कि आकाश में तारों की संख्या को आज तक कोई गिन नहीं पाया है। इसी को देखते हुए माताएं तारों से ये प्रार्थना करती है कि मेरे कुल में भी इतनी ही संताने हो। जो मेरे कुल का नाम रोशन करें। और जिस प्रकार तारे आसमान में हमेशा के लिए विद्यमान रहते है, ठीक उसी प्रकार तारों की तरह ही कुल की संतानों का नाम भी हमेशा के लिए संसार में विद्यमान रहें। यही वजह है कि माताएं इस दिन तारों को अर्घ्य देती है। एक अन्य कथा के अनुसार ऐसी मान्यता है कि आकाश के सब तारें होई माता की संतान है। इसलिए उन्हें अर्घ्य दिए बिना इस व्रत को पूरा नहीं माना जाता है। और ना ही अहोई अष्टमी निर्जल व्रत का पुण्य फल माताओं और उनकी संतानों को मिल पाता है। जिस प्रकार आकाश की शोभा तारों से होती है। उसी प्रकार माताओं की शोभा उनके संतानों से होती है। इसलिए ही इस व्रत में तारों को इतना अधिक महत्व दिया गया है।

अहोई अष्टमी पर क्या करें (Ahoi Ashtami Per Kya Kare)
1. अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता की पूजा करने से पहले भगवान गणेश की पूजा अवश्य करें। क्योंकि भगवान गणेश की पूजा के बिना कोई भी पूजा पूर्ण नही होता।
2. अहोई अष्टमी का व्रत निर्जल रहकर किया जाता है। ऐसा करने से संतान की आयु लंबी होती है और उसे समृद्धि प्राप्त होती है।
3. अहोई अष्टमी के दिन सास – ससुर के लिए बायना अवश्य निकालें। अगर आपके सास ससुर आपके पास नहीं रहते हैं तो इस बायने को किसी पंडित या फिर किसी बुजुर्ग को दे सकती हैं।
4. अहोई अष्टमी के दिन पूजा में प्रयोग किया जाने वाला करवा नया नहीं होना चाहिए। बल्कि आपको इस दिन करवा चौथ वाले करवे का ही पूजा में प्रयोग करना चाहिए।
5. अहोई अष्टमी के दिन तारों के अर्घ्य देना चाहिए। ऐसा करने से संतान की आयु लंबी होती है और जिन्हें संतान सुख की प्राप्ति नही हुई है। उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है।
6. अहोई अष्टमी के दिन व्रत कथा सुनते समय सात प्रकार का अनाज अपने हाथों में रखें और पूजा के बाद इस अनाज को किसी गाय को खिला दें।
7. अहोई अष्टमी के दिन पूजा करते समय अपने बच्चों को अपने पास बैठाएं और अहोई माता को भोग लगाने के बाद वह प्रसाद अपने बच्चों को खिलाएं।
8. अहोई अष्टमी के दिन मिट्टी को बिल्कुल भी हाथ न लगाएं और न ही इस दिन खुरपी से कोई पौधा भी उखाड़े।
9. अहोई अष्टमी के दिन किसी निर्धन व्यक्ति को दान अवश्य दें। शास्त्रों के अनुसार किसी भी व्रत के बाद देने दक्षिणा देने से उस व्रत के पूर्ण फल प्राप्त होते हैं।
10. अहोई अष्टमी के दिन पूजन के बाद किसी ब्राह्मण या गाय को भोजन अवश्य कराएं और उनका आर्शीवाद प्राप्त करें।

अहोई अष्टमी पर क्या न करें (Ahoi Ashtami Per Kya Na Kare)
1. अहोई अष्टमी के दिन किसी भी प्रकार से अपने घर में कलेश न करें। क्योंकि ऐसा करने से अहोई माता नाराज हो जाती हैं और आपको मनोवांच्छित फल की प्राप्ति नही होती।
2. अहोई अष्टमी के दिन तारों अर्घ देते समय तांबे के लोटे का प्रयोग न करें। हमेशा स्टील या पीतल के लोटे का ही प्रयोग करें।
3. अहोई अष्टमी के दिन घर में तामसिक चीजों का प्रयोग बिल्कुल भी न करें। क्योंकि ऐसा करने से संतान की आयु छिन्न होती है।
4. अहोई अष्टमी के दिन सोना वर्जित है। क्योंकि सोने से व्रत रखने वाले व्यक्ति को पूर्ण फलों की प्राप्ति नही होती।
5. अहोई अष्टमी के दिन अपने या फिर किसी और के बच्चे को बिल्कुल भी न मारें। क्योंकि यह व्रत बच्चों के लिए रखा जाता है और ऐसा करने से अहोई माता नाराज हो जाती हैं। 6.अहोई अष्टमी के दिन कैंची या सुईं का प्रयोग बिल्कुल भी न करें। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार इन चीजों का प्रयोग वर्जित है।
7. अहोई अष्टमी के दिन अपने से बड़े व्यक्ति का अपमान बिल्कुल भी न करें। क्योंकि बिना बड़ो के आर्शीवाद के आपको इस व्रत का फल प्राप्त नहीं हो सकता।
8. अहोई अष्टमी के दिन व्रत कथा को एकाग्रचित होकर सुनें । क्योंकि व्रत कथा का भी पूजा के बराबर ही महत्व होता है। इसलिए व्रत अहोई माता का आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए व्रत की कथा को एकाग्र होकर अवश्य सुनें।
9. अहोई अष्टमी का व्रत करने वाली महिला को किसी की निंदा, चुगली या फिर किसी को भी अपशब्द नहीं कहने चाहिए।
10. अहोई अष्टमी के दिन घर में पका हुआ भोजन ही बनाना चाहिए। इस दिन घर में कच्चा भोजन बनान वर्जित है।

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