Tula Raashi Walon Ko Kiski Pooja Karni Chahiye

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तुला राशि – परिचय

सभी 12 राशियों की संख्या में सातवीं राशि तुला है. तुला राशि पर शुक्र ग्रह का शासन है. इस राशि के इष्टदेव शिव का दूसरा रूप कालभैरव या शनिदेव हैं. तुला राशि का चिन्ह तराजू यानी तुला है, जो संतुलन का प्रतिनिधित्व करता है. यह संकेत तुला राशि के लोगों के सोच और भावना के बीच के सही संतुलन को दर्शाता है. लेकिन कई बार तुला राशि के लोग अपने अलग स्वभाव के कारण परेशानी में पड़ जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के जानकार कहते हैं कि अगर तुला राशि के जातकों के जीवन में कोई परेशानी है और काफी मेहनत के बावजूद जीवन में सफलता नहीं मिल रही है तो वे स्वयं अपनी राशि के अनुसार पूजा-पाठ व उपाय कर शीघ्र सफलता प्राप्त कर सकते हैं और हर प्रकार के संकट से मुक्त हो सकते है. आइए जानते हैं तुला राशि के जातकों को किसकी पूजा करनी चाहिए?, कौन सा व्रत करना चाहिए, किस मंत्र का जाप करना चाहिए, क्या दान करना चाहिए व कौन से उपाय करने चाहिए ताकि उन्हें मनचाहा फल प्राप्त हो सके-

तुला राशि वालों को किसकी पूजा करनी चाहिए?

तुला राशि वालों को किसकी पूजा करनी चाहिए?, Tula Raashi Walon Ko Kiski Pooja Karni Chahiye?
पूजा एक हिंदू धार्मिक प्रथा है. यह हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है. अलग-अलग उद्देश्यों और मनोकामना पूर्ति के लिए पूजा की जाती है. कुछ लोग व्यक्तिगत भलाई के लिए हैं, तो कुछ पूरे समुदाय की भलाई के लिए पूजा करते हैं. लेकिन पूजा का फल तभी पूर्ण रूप से मिलता है जब लोग अपनी राशि के हिसाब से पूजा करें. तुला राशि के इष्टदेव शिव का दूसरा रूप कालभैरव या शनिदेव हैं. इसलिए तुला राशि के लोगों को कालभैरव या शनिदेव की पूजा करनी चाहिए. मान्यता है कि तुला राशि के जो जातक कालभैरव या शनिदेव की पूरे विधिविधान से पूजा करते हैं उन्हें जल्द ही इसका फल मिलता है.

1. शनिदेव की पूजा विधि – तुला राशि के जातक शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा व व्रत करें, इससे उन्हें विशेषफल की प्राप्ति होगी. शनिदेव की पूजा के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और साफ काले रंग के वस्त्र पहन लें. अब घर के मंदिर में तेल का दीपक जलाएं. गणेश जी की अराधना से पूजा की शुरुआत करें. अब शनि देव को नीले लाजवन्ती का फूल, तिल, तेल, गुड़ अर्पण करें. अब भगवान शिव औऱ हनुमान जी को भी फल और फूल चढ़ाएं. शनि चालीसा का पाठ करें. पूजा के अंत में 21 बार शनिदेव महाराज के मंत्र ओम शनैश्चराय विदमहे सूर्यापुत्राय धीमहि।। तन्नो मंद: प्रचोदयात।। का जाप करें. पूजा के अंत में कपूर से शनिदेव की आरती करें. शनिदेव की पूजा के पश्चात उनसे अपने अपराधों एवं जाने अनजाने हुए पाप कर्म के लिए क्षमा याचना करें. अब भक्तों में प्रसाद का वितरण कर खुद प्रसाद ग्रहण करें.

2. कालभैरव पूजा विधि – तुला राशि के जातक कालभैरव की पूजा के लिए सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठ कर नित्य-क्रिया आदि कर स्वच्छ हो जाएं और साफ वस्त्रों को पहन लें. एक लकड़ी के पाट पर सबसे पहले शिव और पार्वतीजी के चित्र या मूर्ति को स्थापित करें. फिर काल भैरव के चित्र या मूर्ति को स्थापित करें. उनपर जल का छिड़काव कर स्नान कराएं. अब सभी को गुलाब के फूलों का हार पहनाएं या फूल चढ़ाएं. अब सरसों के तेल का चौमुखी दीपक जलाएं और धूप जलाएं. अब सभी को हल्दी का तिलक लगाएं. अब शिव और पार्वतीजी का पूजन कर आरती उतारें. फिर भगवान भैरव का पूजन करें, उन्हें काले तिल, उड़द अर्पित करें और उनकी आरती उतारें. इस दौरान शिव चालीसा और भैरव चालीसा का पाठ करें. ह्रीं उन्मत्त भैरवाय नमः मंत्र का जाप करें. अब पितरों को याद कर और उनका श्राद्ध करें. व्रत के सम्पूर्ण होने के बाद काले कुत्‍ते को मीठी रोटियां खिलाएं या कच्चा दूध पिलाएं. इस विधि से पूजन करने पर तुला राशि के जातकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

तुला राशि वालों को कौन सा व्रत करना चाहिए?

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तुला राशि पर शुक्र ग्रह का शासन है इसलिए तुला राशि के जातकों को शुक्रवार का व्रत करना चाहिए. यह व्रत उन्हें मां संतोषी के लिए रखना है. शुक्रवार का व्रत करने से भौतिक सुख और सुखी दांपत्य जीवन का सुख मिलता है. माता संतोषी के व्रत से पुत्र की आयु वृद्धि और अविवाहित कन्‍याओं को सुयोग्‍य वर की प्राप्ति होती है. यह व्रत को करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. यहां जानिए शुक्रवार व्रत की संपूर्ण विधि-
कब से शुरू करें शुक्रवार व्रत – शुक्रवार का व्रत या माता संतोषी का व्रत शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार से शुरू किया जाना चाहिए. ध्यान रहे कि पितृ पक्ष में किसी भी व्रत की शुरुआत नहीं करनी चाहिए. यदि आप पहले से व्रत कर रहें हैं तभी पितृ पक्ष में व्रत रखें.
संतोषी माता के कितने व्रत करना चाहिए – माता संतोषी के 16 शुक्रवार का व्रत करना चाहिए.
संतोषी माता के व्रत की विधि- माता संतोषी का व्रत करने के लिए शुक्रवार के दिन सूर्योदय से पूर्व उठे नित्यआदि कर्मों से निवृत्त होकर स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र पहन लें. पूरे घर में गंगा जल छिड़क कर शुद्ध करें. अब घर के ईशान कोण दिशा में माता संतोषी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. माता संतोषी के सामने कलश रखें. कलश के ऊपर कटोरी में गुड़ व चना रखें. मां के सामने घी का दीपक जलाएं. मां को रोली, अक्षत, फूल, नारियल, लाल वस्त्र या चुनरी अर्पित करें. गुड़ व चने का भोग लगाएँ. संतोषी माता की जय बोलकर माता की कथा प्रारंभ करें. कथा पूरी होने पर आरती करें और सभी को गुड़-चने का प्रसाद बाँटें. अंत में कलश में भरे जल को घर में जगह-जगह छिड़क दें तथा शेष जल को तुलसी के पौधे में डाल दें. इसी प्रकार 16 शुक्रवार का नियमित उपवास रखें. ध्यान रखें कि व्रत अपने घर में ही करें. यदि किसी कारणवश व्रत टूट जाता है या भक्त उस शुक्रवार की यात्रा पर होता है तो उस शुक्रवार को नहीं गिना जाना चाहिए बल्कि अगले शुक्रवार को व्रत करना चाहिए.

शुक्रवार व्रत में क्या खाएं क्या नहीं – शुक्रवार का व्रत करने वालों को खट्टी चीज जैसे अचार या खट्टा फल नहीं खाना चाहिए. व्रत करने वाले के परिवार के लोग भी उस दिन कोई खट्टी चीज नहीं खाएं. इस दिन व्रती गुड़ और चने का प्रसाद स्वयं भी खाए. इसके अलावा वे मीठे भोजन का सेवन करें, वे फल में सेब, चेरी, अनार खा सकती हैं. संतोषी माता के व्रत में नमक का सेवन नहीं करना चाहिए.
शुक्रवार व्रत की उद्यापन विधि- निर्धारित संख्या में शुक्रवार का व्रत करने के बाद ‘व्रत उद्यापन’ करना जरूरी है. व्रत पूरा होने के अंतिम शुक्रवार को व्रत का विसर्जन करें. विसर्जन के दिन उपरोक्त विधि से संतोषी माता की पूजा कर 8 कन्याओं को खीर-पुरी का भोजन कराएँ तथा दक्षिणा व केले का प्रसाद देकर उन्हें विदा करें. यदि किसी कारणवश कन्याएं न आ सके तो 11 विवाहित महिलाओं को अपने स्थान पर आमंत्रित कर उन्हें प्रसाद, भोजन, उपहार और लक्ष्मी व्रत की किताबें भेंट करें. अंत में स्वयं भोजन ग्रहण करें.

तुला राशि के लिए मंत्र, Tula Rashi Ke Liye Mantra,

1. ॐ शुं शुक्राय नम: – सुख-शांति के लिए
2. ॐ शं शनैश्चराय नम: – बाधा दूर करने के लिए
3. ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं – लक्ष्मी प्राप्ति के लिए करें
कैसे करें मंत्र जाप, मंत्र जार की विधि – सुबह दैनिक क्रिया से निवृत्त होने और स्नानादि करने के पश्चात ही मंत्रो का जाप करना चाहिए. मंत्र जाप से पहले भगवान की पूजा करें. पूजा में हार-फूल, प्रसाद सहित अन्य सामग्री प्रतिमा को चढ़ाएं. अब जहां मंत्र जाप करना है उस स्थान को साफ कर लें और एक स्वच्छ आसन पर बैठकर 108 बार उपरोक्त मंत्रों का जाप करें. यदि मंत्र जाप के लिए माला उपलब्ध न हो तो उंगलियों पर मंत्रों की गिनती से मंत्र जाप किया जा सकता है. जाप के बाद आसन को इधर-उधर नहीं छोड़ना चाहिए और न ही पैर से हटाना चाहिए. आसन को एक जगह संभाल कर रख देना चाहिए.

तुला राशि के लिए कौन सा पत्थर पहनना चाहिए?

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तुला राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है, इस राशि में जन्म लेने वाले जातकों को शुक्र से जुड़ा पत्थर/रत्न हीरा धारण करना चाहिए. शुक्र ग्रह के पत्थर/रत्न हीरा को सफेद पुखराज भी कहा जाता है, ये रत्न तुला राशि के लिए शुभ होता है. हीरा रत्न शुक्र ग्रह को बलवान बनाता है. हीरा बहुत महंगा रत्न है और धन-वैभव का प्रतीक माना जाता है. यदि तुला राशि वाले लोग हीरा पत्थर/रत्न धारण करते हैं, तो उन्हें जीवन में सुख-सुविधा, ऐश्‍वर्य, ख़ुशहाली सभी कुछ मिलता है. तुला राशि के अलावा वृष, मिथुन, कन्या, मकर और कुंभ लग्न के जातक भी हीरा पहन सकते है. लेकिन मेष, कर्क, वृश्चिक, सिंह और मीन लग्न वालों को हीरा नहीं पहनना चाहिए. तुला राशि के जातक हीरा रत्न को दायें हाथ की मध्यामा उंगली में शुक्रवार की सुबह स्नान करने के बाद धारण करें, शुभ फल मिलेगा.
हीरा पहनने से लाभ और नुकसान – तुला राशि के जातकों के लिए हीरा पत्थर/रत्न बहुत शुभ है. हीरा मालामाल भी कर सकता है और कंगाल भी. इसे पहनने से रूप, सौंदर्य, यश व प्रतिष्ठा प्राप्त होती है. यह तुला राशि की आकर्षण शक्ति बढ़ाता है और स्वास्थ्य समस्याओं को भी दूर करता है. तुला राशि के स्‍वामी शुक्र हैं जो कि दांपत्‍य जीवन को मजबूती प्रदान करते हैं. शुक्र को प्रसन्‍न करने तथा हर प्रकार की भौतिक सुविधाओं का जीवन में लाभ उठाने के लिए तुला राशि के जातकों को हीरा पहनना चाहिए. तुला राशि के जातकों को अपनी रचनात्मकता बढ़ाने, अपने भावनात्मक तनाव से बचने तथा नकारात्‍मकता को नियंत्रित करने के लिए भी डायमंड (हीरा) धारण करना चाहिए. लाल किताब के अनुसार तीसरे, पांचवें और आठवें स्थान पर शुक्र हो तो हीरा नहीं पहनना चाहिए. इसके अलावा टूटा-फूटा हीरा भी नुकसानदायक होता है. कुंडली में शुक्र, मंगल या गुरु की राशि में बैठा हो या इनमें से किसी एक से दृष्ट हो या इनकी राशियों से स्थान परिवर्तन हो तो हीरा मारकेश की भांति बर्ताव करता है और वह आत्महत्या या पाप की ओर अग्रसर करता है.
तुला राशि के जातक कौन सा पत्थर/रत्न धारण न करें- तुला राशि के जातक मूंगा न पहने, यह पत्थर/रत्न पहनने से आपको नुकसान हो सकता है.

तुला राशि के उपाय, Tula Rashi Ke Upaay

1. तुला राशि के जातक मनोकामना पूर्ति के लिए शुक्ल पक्ष में किसी भी दिन बरगद के पत्ते को धोकर साफ करके उस पर कुमकुम से स्वस्तिक बनाकर उस पर थोड़े से चावल और एक सुपारी रखकर सूर्यास्त से पहले किसी मंदिर में अर्पित कर दें.
2. जीवन में स्थिरता एवं प्रगति के लिए तुला राशि वाले प्रतिदिन मां लक्ष्मी जी के समक्ष देसी घी का दीपक जलाएं.
3. जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए बुधवार के दिन अपने घर में मनी प्लांट का पौधा लगाने से आर्थिक समस्याएं दूर हो जाएंगी.
4. दुखों से छुटकारा पाने के लिए 9 वर्ष से कम आयु की कन्याओं के चरण छुवें.
5. कष्टों के निवारण के लिए तुला राशि के जातक प्रतिदिन भोजन में से कुछ अंश गाय आदि जानवरों को दें.
6. यदि दांपत्य जीवन में तनाव है तो मंगलवार के दिन लाल वस्त्र में जटायुक्त नारियल बांधकर बहते हुए जल में प्रभावित करें, जल्द ही दांपत्य जीवन में चली आ रही परेशानियां दूर हो जाएंगी.
7. दिन में तंदूर की मीठी रोटियां बनाकर आवारा कुत्तों को खिलाएं, लाभ मिलेगा.
8. शिक्षा के क्षेत्र में सफलता पाने के लिए चीटियों को रोजाना आंटा खिलाएं. शुक्रवार के दिन अपने शरीर पर कोई गुलाबी रंग का वस्त्र पहनें तथा इत्र लगाएं.

शुक्र ग्रह मजबूत करने के उपाय
तुला राशि का स्वामी ग्रह शुक्र है. माना जाता है कि यदि कुंडली में शुक्र खराब है या उचित स्थिति में नही है तो जीवन कष्टों से भर जाता और किस्मत भी मुंह मोड़ लेती है. इसलिए तुला राशि के जातकों को अपनी किस्मत चमकाने के लिए अपने कुंडली के शुक्र को मजबूत करने के लिए कुछ उपाय करने होंगे, जो इस प्रकार हैं-
1. शुक्रवार को सफेद वस्त्र पहनकर ओम द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: मंत्र का जाप 5, 11 या 21 बार करना चाहिए. इससे तुला राशि के लोगों का शुक्र प्रबल होता है.
2. शुक्र को मजबूत करने के लिए शुक्र के बीज मंत्र ‘ओम शुं शुक्राय नम:’ का जप करें.
3. जिन लोगों का शुक्र ग्रह कमजोर है, उन्हें 21 बार या 31 बार शुक्रवार का व्रत करना चाहिए. यह व्रत करने से शुक्र मजबूत होता है और मां दुर्गा की भी कृपा प्राप्त होती है.
4. शुक्र को प्रबल बनाने के लिए आपको सफेद कपड़े, सुंदर वस्त्र, चावल, घी, चीनी आदि का दान करना चाहिए. इनके अलावा आप श्रृंगार सामग्री, कपूर, मिश्री, दही आदी का भी दान कर सकते हैं.
5. शुक्र को मजबूत करने के लिए भोजन में चीनी, चावल, दूध, दही और घी से बने भोज्य पदार्थ खाना चाहिए. किसी को कोई सेहत संबंधी समस्या हो तो परहेज करें.
6. शुक्र की स्थिति ठीक करने के लिए गौपालन एवं उसकी सेवा करें.
7. जिनका शुक्र कमजोर है, उनको हीरा पहनना चाहिए.
8. आप शुक्र का उपरत्न कुरंगी, दतला, तुरमली या सिम्मा धारण कर सकते हैं, इससे भी किस्मत चमक उठेगी.
9. फिरोजा रत्न धारण करें. इस रत्न को पहनने से शुक्र भी अनुकूल होता है और राहु-केतु की प्रतिकूलता में भी कमी आती है. इस रत्न को धारण करने से जीवन में सुख-समृद्धि भी आती है.

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