Mithun Rashi Santan Prapti K Upay

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मिथुन राशि संतान प्राप्ति, मिथुन राशि पुत्र प्राप्ति योग
विवाह के बाद संतान सुख हर दंपति के लिए सबसे बड़ा सुख होता है. शास्त्रों में बताया गया है कि संतान से ही व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति का रास्ता मिलता है और पितरों को आत्मा की शांति भी मिलती है. इसलिए हर व्यक्ति की चाहत होती है कि उसकी संतान हो और वह वंश वृद्धि को आगे बढ़ाए. लेकिन व्यक्ति की कुंडली में ग्रह-नक्षत्रों की ऐसी स्थिति बन जाती है, जिससे संतान प्राप्ति में बाधा आने लगती है. इस तरह की बाधाओं से मुक्ति के लिए ज्योतिष शास्त्र और लाल किताब में कुछ विशेष उपाय बताए गए हैं, इन उपायों को अपनी राशिनुसार करने से संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं. आज हम बात कर रहे हैं राशि चक्र की तीसरी राशि मिथुन की. अगर शादी के कई साल बाद भी मिथुन राशि के जातकों को अब तक संतान सुख नहीं मिल सका है, तो यहां दिए जा रहे कुछ उपाय कर आप अवश्य ही भगवान गणेश और माता लक्ष्मी से संतान सुख का आशीर्वाद पा सकते हैं. जानिए संतान सुख प्राप्त न होने के कारण और उपाय-

संतान प्राप्ति न होने के कारण
1. दंपति की कुण्डली में नाड़ी दोष होने पर संतान नहीं होती यदि होती भी है तो उनमें शारीरिक विकार होता है.
2. परिवार में पितृ दोष लगने के कारण संतान प्राप्ति में विघ्न उत्पन्न होते है.
3. यदि बुध ग्रह कमजोर हो तो संतान का सुख नहीं मिलता है.
5. पूर्व जन्म में हुए सर्पशाप, पितृश्राप, माताश्राप, भ्राताश्राप, प्रेतश्राप या कुलदेवता श्राप आदि के चलते संतान विलंब से होती है या नहीं भी होती है.
6. पिछले जन्म में अगर आपने पेड़-पौधे भी कटवाये हैं, तो यह स्थिति उत्पन्न हो जाती है. इसलिए रासिनुसार पूजा-पाठ कर इसका उपाय करना जरूरी है.

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A . मिथुन राशि के लोग संतान प्राप्ति के लिए इष्टदेव की करें पूजा
इष्ट देव का अर्थ है अपनी राशि के पसंद के देवता. अरुण संहिता जिसे लाल किताब के नाम से भी जाना जाता है, के अनुसार व्यक्ति के पूर्व जन्म में किए गए कर्म के आधार पर इष्ट देवता का निर्धारण होता है और इसके लिए जन्म कुंडली देखी जाती है. कुंडली का पंचम भाव इष्ट का भाव माना जाता है. इस भाव में जो राशि होती है उसके ग्रह के देवता ही हमारे इष्ट देव कहलाते हैं. मिथुन (Gemini) राशि का स्वामी ग्रह बुध है और इसलिए उनके इष्ट देव गणेशजी और विष्णुजी हैं और उन्हें इनकी पूजा करनी चाहिए. इष्ट देव की पूजा करने से ये फायदा होता है कि कुंडली में चाहे कितने भी ग्रह दोष क्यों न हों, अगर इष्ट देव प्रसन्न हैं तो यह सभी दोष व्यक्ति को अधिक परेशान नहीं करते. इसलिए अगर कोई दंपति संतान सुख से वंचित है तो वह अपने राशि के अनुसार ईष्ट देव गणेशजी और विष्णुजी की पूजा कर संतान सुख पा सकता है.
मिथुन राशि स्वामी ग्रह – बुध
मिथुन राशि इष्ट देव – गणेशजी और विष्णुजी है

1 – भगवान गणेश की पूजा से मिलेगा संतान सुख
श्रीगणेश पूजा अपने आपमें बहुत ही महत्वपूर्ण व कल्याणकारी है. चाहे वह किसी कार्य की सफलता के लिए हो या फिर चाहे किसी कामनापूर्ति स्त्री, पुत्र, पौत्र, धन, समृद्धि के लिए या फिर अचानक ही किसी संकट मे पड़े हुए दुखों के निवारण हेतु हो. अत: यदि आप संतान प्राप्ति का चाहत रखते हैं तो विधिवत् भगवान गणेश की पूजा करें.
गणेश जी की पूजा विधि – बुधवार के दिन भगवान गणेश पूजन से पहले नित्यादि क्रियाओं से निवृत्त होकर शुद्ध आसन में बैठकर सभी पूजन सामग्री पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि को एकत्रित कर क्रमश: पूजा करें. भगवान श्रीगेश को तुलसी दल व तुलसी पत्र नहीं चढ़ाना चाहिए. उन्हें दुर्वा को धोकर ही चढ़ाना चाहिए. श्रीगणेश भगवान को मोदक (लड्डू) अधिक प्रिय होते हैं इसलिए उन्हें देशी घी से बने मोदक का प्रसाद भी चढ़ाना चाहिए. श्रीगणेश के दिव्य मंत्र ॐ श्री गं गणपतये नम: का 108 बार जप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. श्रीगणेश सहित प्रभु शिव व गौरी, नन्दी, कार्तिकेय सहित सम्पूर्ण शिव परिवार की पूजा षोड़षोपचार विधि से करना चाहिए. गणेश भगवान की पूजा के बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करना फलदायी माना जाता है. अगर समय का अभाव है तो 12 वें अध्याय और कुंजीकास्तोत्र का पाठ कर लेना चाहिए, इससे आपको भगवान गणेश व मां दुर्गा के आशीर्वाद से संतान सुख की प्राप्ति होगी.

2. विष्‍णु पूजन से होगी मिथुन राशि वालों को संतान प्राप्ति
मां लक्ष्‍मी के स्‍वामी भगवान विष्‍णु का पूजन करने से सभी तरह के सांसारिक सुखों की प्राप्‍ति होती है. भगवान विष्‍णु ही इस संसार के पालनहार हैं और अगर आप उनकी पूजा सच्‍चे मन और भक्‍तिभाव से करते हैं तो आपको इस संसार के प्रत्‍येक सुख की प्राप्ति होगी अर्थात् संतान की प्राप्ति होगी. भगवान विषणु के अनेक रूप हैं और उन्‍होंने मनुष्‍य के उद्धार के लिए धरती पर कई बार जन्‍म लिया है. मंदिर में तो विष्‍णु पूजन का आयोजन होता ही है लेकिन आप घर पर भी रोज़ विष्‍णु पूजन कर सकते हैं. वैसे शास्‍त्रों के अनुसार बृहस्‍पतिवार के दिन विष्‍णु पूजन का विशेष महत्‍व है.
अगर आप भगवान विष्‍णु के साथ मां लक्ष्‍मी की भी पूजा करते हैं तो आपको गृहस्‍थ जीवन का सुख मिलता है. मां लक्ष्‍मी धन और वैभव प्रदान करती हैं और भगवान विष्‍णु के साथ उनकी पूजा करने से आपके सभी कष्‍ट दूर हो जाते हैं. जो कोई संतान सुख की चाह रखता है उन्हें भगवान विष्‍णु के साथ मां लक्ष्‍मी की पूजा जरूर करनी चाहिए.
विष्‍णु पूजन विधि – अगर आप संतान सुख की प्राप्ति के लिए भगवान विष्‍णु का पूजन कर रहे हैं तो विधिवत् भगवान विष्णु की पूजा करें. विष्‍णु पूजन आरंभ करने से पूर्व व्रत का संकल्‍प लें. सबसे पहले हाथों में जल, पुष्‍प और चावल लें. संकल्‍प में जिस दिन पूजन कर रहे हैं उस साल, वार, तिथि और उस जगह और अपने नाम को लेकर अपनी मनोकामना बोलें. अब हाथों में लिए गए जल को जमीन पर छोड़ दें.
किसी भी शुभ कार्य या पूजन में सबसे पहले भगवान गणेश का नाम लिया जाता है. गणेश जी प्रथम पूज्‍य हैं और इसीलिए सबसे पहले इनका पूजन करना मंगलकारी रहता है. गणेश जी को स्‍नान करें और वस्‍त्र अर्पित करें. अब पुष्‍प और अक्षत अर्पित करें. इसके पश्‍चात् भगवान विष्‍णु की पूजा करें. भगवान विष्‍णु का आवाह्न करें और उन्‍हें आसन दें. अब विष्‍णु जी को स्‍नान करवाएं. पहले पंचामृत और फिर जल से स्‍नान करवाएं. अब विष्‍णु जी को वस्‍त्र पहनाएं. इसके बाद आभूषण और यज्ञोपवीत पहनाएं. फूलों की माला पहनाएं. सुगंधित इत्र अर्पित करें और माथे पर तिलक लगाएं. तिलक के लिए अष्‍टगंध का प्रयोग कर सकते हैं. अब धूप और दीप अर्पित करें. भगवान विष्‍णु को तुलसीदल विशेष प्रिय है इसलिए विष्‍णु पूजन में इसका प्रयोग जरूर करें. भगवान विष्‍णु के पूजन में चावलों का प्रयोग नहीं किया जाता है इसलिए आप इनके स्‍थान पर तिल का प्रयोग कर सकते हैं. घी का दीपक जलाएं और आरती करें. आरती के बाद नेवैद्य अर्पित करें और ऊं नमो नारायणाय नम: मंत्र का जाप करें. इस पूजा से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी अवश्य ही आपकी झोली में संतान सुख डालेगी.

B . बुधवार का व्रत करने से मिलेगा संतान सुख
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति बुधवार का व्रत रखता है उसे सर्व-सुखों की प्राप्ति होती है. बुधवार का व्रत रखने वाले व्यक्ति के जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं होती है तथा अरिष्ट ग्रहों की शांति होती है. बुधवार का व्रत करने वाले व्यक्ति की बुद्धि भी बढ़ती है और जो दंपति संतान सुख से वंचित है उन्हें संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है. मिथुन राशि के निसंतान जातक संतान प्राप्ति के लिए यहां दिए जा रहे विधि से बुधवार का व्रत करें.
बुधवार व्रत विधि- बुधवार के दिन सुबह उठकर संपूर्ण घर की सफाई करें. तत्पश्चात स्नानादि से निवृत्त हो जाएं. इसके बाद पवित्र जल का घर में छिड़काव करें. घर के ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान बुध या शंकर भगवान की मूर्ति अथवा चित्र किसी कांस्य पात्र में स्थापित करें. तत्पश्चात धूप, बेल-पत्र, अक्षत और घी का दीपक जलाकर पूजा करें. इसके बाद निम्न मंत्र से बुध की प्रार्थना करें-
बुध त्वं बुद्धिजनको बोधदः सर्वदा नृणाम्‌,
तत्वावबोधं कुरुषे सोमपुत्र नमो नमः॥
बुधवार की व्रतकथा सुनकर आरती करें. इसके पश्चात गुड़, भात और दही का प्रसाद बांटकर स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें.

C. बुध दोष से निजात पाने के उपाय
बुधवार का दिन प्रथम पूजनीय भगवान गणेश के अलावा बुध ग्रह को समर्पित है. बुध को ग्रहों का राजकुमार माना जाता है. ज्योतिष में मिथुन राशि का स्वामी बुध है और इसका तत्व पृथ्वी है. कहा जाता है कि किसी की कुंडली में बुध सही तो सब शुद्ध यानी अगर बुध मजबूत हो जीवन में सब ठीक रहता है. लेकिन अगर यही बुध कमजोर हो या नीच का हो तो खुशियां मुंह फेर लेती हैं. जुआ और सट्टे की लत लग जाती है, निर्णय क्षमता कमजोर होती है, संतान सुख में बाधा आती है, संतान कष्ट में रहती है और देखते ही देखते घर में सब बर्बाद होने लगता है. इसलिए संतान प्राप्ति के लिए बुध मजबूत होना चाहिए, यहां मिथुन राशि के जातक जानिए बुध को मजबूत करने के आसान तरीके ताकि आप भी पा सके संतान सुख के साथ खुशहाल जीवन भी.
1. कहा जाता है कि बुधवार के दिन हरे रंग की चीजों का प्रयोग करना शुभ होता है और यदि आपका बुध कमजोर है तो हमेशा अपने पास हरे रंग का रुमाल रखें. साथ ही बुधवार के दिन किसी जरूरतमंद को हरी मूंग की दाल दान करें.
2. यदि कोई व्यक्ति बुध दोष से पीड़ित है तो उसे मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए. रोजाना ‘ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ मंत्र का 5, 7, 11, 21 या 108 बार जाप करने से बुध दोष समाप्त होता है.
3. बुध दोष से निजात पाने के लिए सोने के आभूषण धारण करना लाभकारी माना जाता है. इसके अलावा बुध के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए घर की पूर्व दिशा में लाल रंग का झंडा लगाना चाहिए.
4. बुध दोष को दूर करने के लिए हाथ की सबसे छोटी उंगली यानि कनिष्ठा उंगली में पन्ना पहनना भी काफी लाभकारी माना जाता है. लेकिन इसके लिए किसी पंडित या ज्योतिष की सलाह लेना बेहद जरूरी है.

D. संतान प्राप्ति के लिए बुधवार के दिन करें ये उपाय
1. बुधवार को भगवान गणेश का दिन माना जाता है. बुधवार के दिन गणेश जी को दूब या दूर्वा जरूर चढ़ानी चाहिए. यदि आप प्रत्येक बुधवार को 21 दूर्वा गणेश जी को चढ़ाएंगे तो आपको अवश्य ही संतान सुख की प्राप्ति होगी और गणेश जी का आशीर्वाद सदा आप पर बना रहेगा.
2. जीवन में आ रही परेशानियों से निजात पाने के लिए बुधवार के दिन गाय को घास खिलानी चाहिए. कहा जाता है कि साल में कम से कम एक बार बुधवार के दिन अपने वजन के बराबर घास खरीदकर गौशाला में दान करें, इससे भगवान गणेश प्रसन्न होकर आपको संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देंगे.
3. बुधवार के दिन गेंहू के आटे की गोलियां बनाकर उसमें चने की दाल और थोड़ी हल्दी मिलाकर गाय को खिलाए.
4. बुधवार का दिन विशेष रूप से गणेशजी का होता है इसीलिए आपको इस दिन गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करना विशेष लाभ देगा. इसके अलावा आप गणेश मंदिर जाकर उन्हें दूर्वा अर्पित करें और लड्डू का भोग जरूर लगाएं.
5. बुधवार के दिन 7 साबुत कौड़ियां लें. कौड़ियां बाजार में पूजन सामग्री की दुकानों पर आसानी से मिल जाती हैं. इसके साथ ही एक मुट्ठी हरे खड़े मूंग लें और दोनों को एक हरे कपड़े में बांधकर चुपचाप किसी मंदिर की सीढ़ियों पर रख आएं. लेकिन ध्यान रखें कि इस संबंध में किसी को कुछ न बताएं और पूरी आस्था रखें.
6. बुधवार के दिन सवा पाव मूंग उबालकर उसमें घी और शकर मिलाकर गाय को खिलाएं. इससे जल्द ही आपकी मनोकामना पूर्ण होगी.

E. ज्योर्तिलिंग पर पूजा करने से होगी संतान सुख की प्राप्ति
देवाधिदेव भगवान् महादेव सर्वशक्तिमान हैं. भगवान भोलेनाथ ऐसे देव हैं जो थोड़ी सी पूजा से भी प्रसन्न हो जाते हैं. संहारक के तौर पर पूज्य भगवान शंकर बड़े दयालु हैं. उनके अभिषेक से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसी प्रकार विभिन्न राशि के व्यक्तियों के लिए शास्त्रों में अलग-अलग ज्योर्तिलिंगों की पूजा का महत्व बताया गया है. भगवान शंकर के पृथ्वी पर 12 ज्योर्तिलिंग हैं. भगवान शिव के सभी ज्योतिर्लिंगों को अपना अलग महत्व है. शास्त्रों के अनुसार भगवान शंकर के ये सभी ज्योतिर्लिंग प्राणियों को दु:खों से मुक्ति दिलाने में मददगार है. इन सभी ज्योर्तिलिंगों को 12 राशियों से भी जोड़कर देखा जाता है.
आइये जाने की मिथुन राशि के व्यक्ति को किस ज्योर्तिलिंग पर पूजा करने से संतान सुख के साथ विशेष फल प्राप्त होगा-
मिथुन राशि – महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
मिथुन राशि वाले जातक को महाकालेश्वर का ध्यान करते हुए ‘ओम नमो भगवते रूद्राय ’ मंत्र का यथासंभव जप करना चाहिए. हरे फलों का रस, मूंग, बेलपत्र आदि से उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. महाकालेश्वर कालों के काल हैं. इनकी पूजा करने वाले को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है. इस राशि में जन्म लेने वाले व्यक्ति को महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन एवं पूजा करनी चाहिए. महाकालेश्वर के शिवलिंग को दूध में शहद मिलाकर स्नान कराएं और बिल्व पत्र एवं शमी के पत्ते चढ़ायें. शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक करें. महाकालेश्वर मंदिर मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित है जो कि क्षिप्रा नदी के किनारे बसा है. स्वयंभू, भव्य और दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर मंदिर की अत्यन्त पुण्यदायी महात्मय है. मराठों के शासनकाल में यहां दो महत्वपूर्ण घटनाएं घटी, पहली महाकालेश्वर मंदिर का पुर्निनिर्माण और ज्योतिर्लिंग की पुनर्प्रतिष्ठा तथा दूसरी सिंहस्थ पर्व स्नान की स्थापना. इसके बाद राजा भोज ने इस मंदिर का विस्तार करवाया.

F. नाड़ी दोष को दूर करने के उपाय
विवाह के समय कुंडली मिलान में बनने वाले दोषों में से एक है नाड़ी दोष. इस दोष के होने पर वैवाहिक स्थिति कभी ठीक नहीं रहती, दंपत्ति संतान सुख से वंचित रह सकते हैं साथ ही वर-वधू के जीवन पर मृत्यु का संकट मंडराया रहता है. नाड़ी दोष निवारण के लिए भगवान शिव की पूजा की जाती है. पूरे विधि-विधान से महामृत्युंजय मंत्र का जप करते हुए शिव को प्रसन्न किया जाता है. शिवजी की कृपा से ही नाड़ी दोष शांत होता है.
1. शादी से पूर्व आपको सवा लाख बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए या फिर खुद करना चाहिए. इसके बाद शादी के हर 3 वर्ष बाद भी आपको ऐसा करना चाहिए.
2. कन्या की कुंडली में नाड़ी दोष होने पर विवाह से पूर्व कन्या का प्रथम विवाह भगवान विष्‍णु से करवा देना चाहिए.
3. विवाह से पूर्व सोने की वस्तु, वस्त्र और अन्न का दान करने से भी नाड़ी दोष दूर होता है.
4. नाड़ी दोष को दूर करने के लिए नाड़ी दोष निवारण पूजा भी कराई जाती है. इसके साथ ही, जातक को भगवान विष्णु की पूजा भी करनी चाहिए.
5. पीयूष धारा के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति के विवाह में नाड़ी दोष बाधा बन रहा है तो उसे स्वर्ण दान, वस्त्र दान, अन्न दान करना चाहिए. सोने से सर्प की आकृति बनाकर, उसकी विधि पूर्वक प्राण-प्रतिष्ठा करके महामृत्युंजय मंत्र का जप कराने से नाड़ी दोष शांत होता है.

G. वास्तु के निवारण से मिथुन राशि के लोगों के घर में गूंजेंगी किलकारियां
कहते हैं घर में कभी-कभी नकारात्मक उर्जा कभी संचार होने लगता है, जिसकी वजह से कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होती है जिनमें से एक समस्या संतान सुख ना मिलने की भी होती है. अपने घर में समस्त वास्तु दोषों को दूर करने का उपाय करें. ऐसे दंपत्ति जो संतान सुख चाहते हैं वह निश्चय करें कि घर में किसी भी तरह का वास्तु दोष ना पनपे.

H. पितृदोष संतान प्राप्ति में बाधा बन सकता है?
मानव जीवन में कई तरह के दोष होते हैं जिनमें से एक है पितृदोष, अपने पूर्वजों के अंतिम संस्कार किसी भी प्रकार की भूल हो जाने के कारण लोगों में पितृदोष चढ़ जाता है. पितरों को तारने के लिए उनका श्राद्ध किया जाता है उनकी मुक्ति के लिए प्रार्थना की जाती है जिससे पितृदोष दूर होता है और भविष्य में होने वाली संतान प्राप्ति की बाधा भी दूर होती है.

I. लाल किताब के उपाय
1. बुधवार के दिन दुर्गा माता के मंदिर में जाएं और उन्हें हरे रंग की चूड़ियां चढ़ाएं. ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: मंत्र का जाप बुधवार के दिन करना बेहद शुभकारी होता है. इसके अलावा गणेश मंत्र या दुर्गा माता के मंत्र का भी जाप कर सकते हैं.
2. बुधवार के दिन श्री गणेश को घी और गुड़ का भोग लगाएं. बाद में यह घी व गुड़ गाय को खिला दें. फिर दुर्गा मंदिर के बाहर बैठी किसी कन्या को बुधवार के दिन भोजन कराएं. माता को हरे रंग की चूड़ियां चढ़ाएं या 9 कन्याओं को हरे रंग का रुमाल बांटें.
3. कन्या, बेटी, बहन, साली, बुआ, मौसी और विधवाओं की सेवा करें. इनसे अच्छे संबंध रखें और बुधवार के दिन इन्हें मिठाई खिलाएं.
4. बुधवार के दिन तुलसी का गिरा हुआ पत्ता धोकर खाना बहुत शुभ होता है.
5. बुधवार के दिन गाय को हरा चारा खिलाएं.

J. संतान प्राप्ति के अन्य उपाय
ग्रहों के कारण संतान सुख में बाधा आ रही हो, तो सूर्य के लिए हरिवंश पुराण का पाठ करें. चंद्रमा के लिए सोमवार का व्रत रख कर शिव की उपासना करनी चाहिए. मंगल के लिए महारुद्र या अतिरुद्र यज्ञ कराएं.
बुध के लिए महाविष्णु की उपासना करें. गुरु के लिए पितरों का श्राद्ध करें. शुक्र के लिए गौपालन एवं उसकी सेवा करें. शनि के लिए महामृत्युंजय का जप एवं हवन करें. राहु के लिए नागपाश यंत्र की पूजा व बुधवार को व्रत रख करना चाहिए. ऐसे लोगों के लिए कन्यादान करना भी श्रेष्ठ माना गया है. केतु के लिए ब्राह्मण भोजन करा कर उन्हें वस्त्र भेंट करें. बुधवार के दिन गेंहू के आटे की गोलियां बनाकर उसमें चने की दाल और थोड़ी हल्दी मिलाकर गाय को खिलाएं. ऋद्धि-सिद्धि दाता श्री गणेश जी की आराधना-उपासना करें. प्रतिदिन भोजन में से कुछ अंश गाय आदि जानवरों को दें.

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