dhanu Raashi Walon Ko Kiski Pooja Karni Chahiye

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धनु राशि – परिचय

सभी 12 राशियों की संख्या में नौवीं राशि धनु है. धनु राशि का स्वामी ग्रह गुरु है और इष्टदेव विष्णु जी और लक्ष्मी जी है. धनु राशि का चिन्ह एक अश्व मानव है, जिसका पिछ्ला हिस्सा घोड़े का और सामने का हिस्सा मानव का है, जिसके हाथ में प्रत्यंचा चढ़ा हुआ तीर धनुष है. यह चिन्ह स्वर्ग की ओर इशारा करते हुए दर्शाता है कि धनु राशि के लोग आध्यात्मिक प्रकृति वाले इंसान हैं. ये लोग बहुत आशावादी और सौभाग्यशाली होते हैं. शास्त्रों के अनुसार अगर धनु राशि के जीवन में किसी भी तरह की कोई परेशानी है तो उन्हें अपने राशिनुसार पूजा पाठ व दान करना चाहिए, तभी उन्हें लाभ मिलेगा और उनके जीवन में चल रही तमाम परेशनियों का नाश होगा. आइए जानते हैं धनु राशि के जातकों को किसकी पूजा करनी चाहिए?, कौन सा व्रत करना चाहिए, किस मंत्र का जाप करना चाहिए, क्या दान करना चाहिए व कौन से उपाय करने चाहिए ताकि उन्हें मनचाहा फल प्राप्त हो सके-

धनु राशि वालों को किसकी पूजा करनी चाहिए?

धनु राशि वालों को किसकी पूजा करनी चाहिए?, Dhanu Raashi Walon Ko Kiski Pooja Karni Chahiye?
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है और इसका फल तभी मिलता है जब उसे अपनी राशिनुसार सही विधि से किया जाए. लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर धनु राशि के लोगों को किसकी पूजा करनी चाहिए ताकि उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सके, तो बता दें कि धनु राशि के इष्टदेव विष्णु जी और लक्ष्मी जी है. इसलिए धनुराशि के जातकों को विष्णु जी और लक्ष्मी जी की विधिवत् पूजा पाठ करनी चाहिए. यहां जानिए धनु राशि के जातक कैसे करें विष्णु जी और लक्ष्मी जी की पूजा-
1. विष्णु जी की पूजा विधि- धनु राशि के जातक गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करें. गुरुवार के दिन सुबह उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहन लें. एक चौकी पर साफ लाल या पीला कपड़ा बिछाएं उस पर विष्णु जी की प्रतिमा रखें. विष्णु पूजन से पहले प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा करें. गणेश जी को स्नान कराएं, वस्त्र, पुष्प, अक्षत अर्पित करें. गणेश जी के बाद विष्णु जी का पूजन आरंभ करें, भगवान विष्णु का आवाहन करें, उन्हें स्नान कराएं, पंचामृत एवं जल से उन को शुद्ध करें और वस्त्र पहनाएं, फिर आभूषण व यज्ञोपवीत के साथ साथ पीले फूलों की माला भी पहनाएं. भगवान विष्णु के पूजन में चावलों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए इसलिए चावलों के स्थान पर तिल का प्रयोग करें. अब विष्णु जी को सुगंधित इत्र के साथ तिलक लगाएं. ध्यान रखें कि तिलक में अष्टगंध का प्रयोग किया जाता है. तत्पश्चात धूप, दीप अर्पित करें. विष्णु जी को पीला रंग अधिक प्रिय है, इसलिए उन्हे पीले फलों का भोग लगाएं. तुलसीदल भी विष्णु जी को अत्यंत प्रिय है, इसलिए पूजा में तुलसीदल का प्रयोग अवश्य करें. जूजा के अंत में विष्णु जी की आरती कर उन्हें नैवेद्य अर्पित करें और ॐ नमः नारायणाय…मंत्र का जाप करें. गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है, इसलिए केले के पेड़ की भी पूजा जरूर करें.

2. लक्ष्मी जी की पूजा विधि –  मां लक्ष्मी जी की पूजा शुक्रवार के दिन की जानी चाहिए. लक्ष्मी जी की पूजा शुरू करने से पहले शुद्धिकरण अनुष्ठान के लिए पूरे घर में और परिवार के सभी सदस्यों पर गंगा जल छिड़कें. लक्ष्मी पूजा के लिए पूजा स्थल पर एक चौकी स्थापित करें. चौकी पर साफ लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर अनाज के दाने फैलाएं. हल्दी पाउडर से एक कमल बनाएं और उस पर लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति स्धापित करें. तांबे के बर्तन में तीन चौथाई पानी भरकर इसमें सिक्के, सुपारी, किशमिश, लौंग, सूखे मेवे और इलायची डाल दें. बर्तन के ऊपर आम के पत्ते गोलाकार में रखें और इसके बीच में एक नारियल रखें. कलश को सिंदूर और फूलों से सजाएं. इसके बाद गणेश जी और लक्ष्मी जी को शुद्ध जल, पंचामृत, चंदन और गुलाब जल से स्नान कराएं. फिर इन्हें हल्दी पाउडर, चंदन का लेप और सिंदूर से सजाएं. इसके बाद उनके चारों ओर माला और फूल चढ़ाएं.
लक्ष्मी पूजन से पूर्व गणेश जी की पूजा करें. प्रसाद में आमतौर पर बाताशा, लड्डू, सुपारी और मेवा, सूखे मेवे, नारियल, मिठाई, घर की रसोई में बने व्यंजन होते हैं. इसके अलावा कुछ सिक्के भी पूजा में रखें. मंत्र जाप के दौरान दीपक और अगरबत्ती जलाएं और फूल चढ़ाएं. देवी माता लक्ष्मी की कहानी पढ़ें. कहानी के अंत में देवी की मूर्ति पर फूल चढ़ाएं और मिठाई का भोग लगाएं. आखिर में आरती गाकर पूजा का समापन करें. फिर देवी से समृद्धि और धन की प्रार्थना करें और प्रसाद के रूप में मिठाई का सेवन करें. पूजा में स्थापित किये कलश के जल से सिक्का निकाल कर बाकि का जल किसी पेड़ में डाल दें और नारियल व सिक्के को किसी गणेश जी के मंदिर में दान कर दें.

धनु राशि वालों को कौन सा व्रत करना चाहिए?

धनु राशि वालों को कौन सा व्रत करना चाहिए, Dhanu Rashi Vaalon Ko Kaun Sa Vrat Karna Chahiye
धनु राशि का स्वामी ग्रह गुरु है इसलिए इस राशि के जातकों को पूरे मन और श्रद्धा से बृहस्पतिवार (गुरुवार) का व्रत करना चाहिए. यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. विष्णु जी को ही बृहस्पति भगवान भी कहते हैं. भगवान बृहस्पति की पूजा करने से ज्ञान, धर्म, संतान, विवाह और भाग्य बनते हैं. मान्यता है कि अगर किसी लड़की की शादी नहीं हो रही है तो उसे गुरुवार का व्रत अवश्य करना चाहिए, इससे उसकी शादी में आ रही बाधाएं दूर होती है और उसे सुयोग्य वर मिलता है. वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति को गुरु का दर्जा प्राप्त है. ऐसे में गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा व व्रत करके गुरु ग्रह की कृपा पाई जा सकती है. गुरु को प्रसन्न रखकर भगवान और ग्रह दोनों को प्रसन्न किया जा सकता है. यहां जानिए कैसे करें बृहस्पतिवार (गुरुवार) का व्रत-
कब से शुरू करें गुरुवार व्रत – पौष माह को छोड़ कर किसी भी हिंदी महीने से बृहस्पतिवार के व्रत की शुरुआत की जा सकती है. व्रत की शुरुआत शुक्ल पक्ष से करना शुभ माना जाता है.
गुरुवार के कितने व्रत करना चाहिए – गुरुवार का व्रत लगातार 16 गुरुवार तक रखा जाता है और 17 वें गुरुवार को व्रत का उद्यापन किया जाता है. लेकिन यदि महिलाओं को इस बीच मासिक धर्म होता है तो उस गुरुवार को छोड़ कर अगले गुरुवार को व्रत करें और उसी दिन की गिनती करें. इसके अलवा गुरुवार का व्रत 1, 3, 5, 7, 9, 11 साल या आजीवन भी रखा जा सकता है.

गुरुवार के व्रत की विधि- बृहस्पतिवार के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र की स्थापना करें. भगवान विष्णु को पीला वस्त्र अर्पित कर, उन्हें पीले फूल, हल्दी तथा गुड़ और चना का भोग लगाएं. हल्दी मिले जल से भगवान का अभिषेक करें. इसके बाद हाथ में गुड़ और चना लेकर बृहस्पति देव की कथा का पाठ करें. पूजा के अंत में बृहस्पतिवार की आरती करें तथा दिन भर फलाहार व्रत रखें. व्रत का पारण अगले दिन स्नान और दान के साथ करें. इस दिन केला और पीली वस्तुओं का दान करें.
गुरुवार व्रत में क्या खाएं क्या नहीं – इस व्रत में दिन एक बार बिना नमक का पीला भोजन करें, इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. इस व्रत में भोजन में चने की दाल का भी प्रयोग किया जा सकता है. ध्यान रहे कि बृहस्पतिवार के दिन भूलकर भी काली दाल, खिचड़ी, चावल, दूध और केला न खाएं. मान्यता है कि इस दिन चावल खाने से धन हानि होती है.
गुरुवार व्रत की उद्यापन विधि- व्रत के आखिरी गुरुवार को उद्यापन किया जाता है. गुरुवार व्रत के उद्यापन के लिए चने की दाल, गुड़, हल्दी, केला, पपीता और पीला वस्त्र का इस्तेमाल किया जाता है. गुरुवार व्रत के उद्यापन के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान विष्णु के समक्ष एक आसन पर बैठ जाएं. अब उपरोक्त विधि से भगवान विष्णु की पूजा करें और हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि आपने जो व्रत करने का संकल्प लिया था, वह पूरा हुआ और आज आप उसका उद्यापन करने जा रहे हैं. आप हमेशा अपनी कृपा बनाए रखें. इसके बाद पूजा सामग्री भगवान विष्णु जी को अर्पित करें. सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा रखें और यह पूरी सामग्री किसी ब्राह्मण को भेंट कर दें. ब्राह्मण को भोजन कराकर स्वयं भोजन ग्रहण कर व्रत का उद्यापन कर दें.

धनु राशि के लिए मंत्र, Dhanu Rashi Ke Liye Mantra

1. ॐ बृं बृहस्पतये नम: – सुख-शांति के लिए
2. ॐ शं शनैश्चराय नम: – बाधा निवारण के लिए
3. ॐ ह्रीं क्लीं सौं: – धन प्राप्ति के लिए करें
कैसे करें मंत्र जाप – धनु राशि के जातकों को मनोकामना पूर्ति के लिए उपरोक्त मंत्र का जप करना चाहिए. मंत्र जाप करने के लिए सबसे पहले सुबह उठकर स्नान आदि के बाद घर के मंदिर में भगवान की पूजा करें. पूजा में हार-फूल, प्रसाद सहित अन्य सामग्री प्रतिमा को चढ़ाएं. इसके बाद आसन पर बैठकर उपरोक्त मंत्र का 108 बार जाप करें. मंत्र जाप से पहले माला को साफ कर उसपर गंगाजल छिड़कें. अगर जाप करने के लिए आपके पास माला न हो तो आप अपने हाथों की उंगलियों से भी मंत्र जाप की गिनती कर सकते हैं.

धनु राशि के लिए कौन सा पत्थर पहनना चाहिए?

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धनु राशि के स्वामी गुरु है और गुरु का रंग पीला है इसलिए धनु राशि के जातकों को पीला पुखराज रत्न/पत्थर पहनने की सलाह दी जाती है. गुरु ग्रह का रत्न पीला पुखराज कीमती रत्नों में से एक है जो गुरु ग्रह को बल प्रदान करने के लिए पहना जाता है. धनु के अलावा मीन राशि वाले भी पुखराज रत्न/पत्थर धारण कर सकते हैं. लेकिन वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला और मकर राशि वालों को पुखराज नहीं पहनना चाहिए. धनु राशि के जातकों को बृहस्पतिवार/गुरुवार के दिन सुबह स्नान करने के बाद दायें हाथ की तर्जनी ऊँगली में पीला पुखराज पहनने की सलाह दी जाती है.
पीला पुखराज पहनने से लाभ और नुकसान – बृहस्पति का प्रतिनिधित्व करने वाला पत्थर पुखराज है. गुरु के शुभ होने पर ही हमें करियर में सफलता प्राप्‍त होती है और महिलाओं को सोना चांदी गुरु की कृपा से ही मिलता है. ऐसे में कुंडली में गुरु को मजबूत करने के लिए धनु राशि के जातकों को पुखराज पहनना चाहिए. पुखराज रत्न/पत्थर धनु राशि के लोगों के भाग्य की वृद्धि करेगा और जीवन में सुख- शांति लाएगा. पुखराज रत्न धनु राशि के लोगों को सकारात्मक, ईमानदार, बुद्धिमान और हंसमुख रहने में भी मदद करता है. धनु राशि के जातक यदि पीला पुखराज रत्न/पत्थर पहनते हैं तो इससे इनका मान-सम्मान बढ़ता है, धन-वैभव और विद्या में वृद्धि होती है, स्वास्थ्य और ऊर्जा हमेशा बनी रहती है. लाल किताब के अनुसार धनु लग्न में यदि गुरु लग्न में है तो पुखराज या सोना केवल गले में ही धारण करना चाहिए, हाथों में नहीं. यदि हाथों में पहनेंगे तो ये ग्रह कुंडली के तीसरे घर में स्थापित हो जाएंगे. लेकिन ज्योतिष के अनुसार यदि जन्म पत्रिका नहीं दिखाई है और मन से ही पुखराज धारण किया है तो नुकसान भी पहुंचा सकता है.
धनु राशि के जातक कौन सा रत्न/पत्थर धारण न करें- धनु राशि के जातकों को पन्‍ना रत्न/पत्थर नहीं पहनना चाहिए, पन्‍ना धनु राशि के लोगों को लिए नुकसानदायक हो सकता है.

धनु राशि के उपाय, Dhanu Rashi Ke Upaay

1. धनु राशि के लोग भगवान् विष्णु की पूजा अर्चना करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें. गुरुवार का व्रत रखें और यदि संभव हो तो जल में गुड़ और चने की दाल मिलाकर केले के पौधे में अर्पण करें. बृस्पतिदेव की कथा या सत्यनारायण भगवान की कथा सुने. इससे जल्द ही आपकी सभी इच्छाएं पूर्ण होंगी.
2. धनु राशि के लोग गुरु ग्रह को मजबूत बनाने के लिए गुरुवार का व्रत रखें, पीले वस्त्र धारण करें, पीली वस्तुओं का दान और पीला भोजन ही करें.
3. धन का लेन-देन करने से गुरु कमजोर होता है. इसलिए कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत बनाने के लिए बृहस्पतिवार के दिन न किसी को उधार दें और न ही किसी से उधार लें.
4. जीवन में आ रही समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए हमेशा पीले चंदन की माला धारण करें अथवा इस माला को आप घर के मंदिर में भी रख सकते हैं.
5. रोगों से मुक्ति के लिए लक्ष्मी माता के मंदिर में हल्के रंग के वस्त्र चढ़ाएं. ऐसा करने से आपको स्वास्थ्य लाभ मिलेगा.
6. आर्थिक जीवन में स्थिरता लाने के लिए पीपल वृक्ष को मंदिर में रोपकर उसकी देखभाल करें. ऐसा करने से आपके जीवन में आ रही आर्थिक परेशानियां दूर हो जाएंगी.
7. पढ़ाई में सफलता पाने के लिए गुरुवार के दिन माथे पर चंदन या फिर हल्दी का तिलक लगाएं व पीले वस्त्र धारण करें.
8. धनु राशि के जातक अपनी परेशानी को दूर करने के लिए पुखराज या माणिक्य या अलेक्ज़ेंड्रा का रत्न पहन सकते हैं या फिर आप भारंगी की जड़ या खिरनी के वृक्ष की जड़ भी अपने पास में रख सकते हैं.

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