Makar Raashi Walon Ko Kiski Pooja Karni Chahiye

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मकर राशि – परिचय

सभी 12 राशियों की संख्या में दसवीं राशि मकर है. मकर राशि का स्वामी शनि है और इसके इष्टदेव हनुमान जी और शिव जी हैं. मकर राशि का चिन्ह मकर को माना गया है जो की एक जलीय जीव है. हालाँकि इसके शरीर के आधे भाग में स्थलीय जैसे और बाकी के आधे भाग में जलीय जीवों जैसे हिरण, मगरमच्छ, हाथी, मछली की पूँछ का चित्रण देखने को मिलता है. मकर राशि वाले स्वभाव से धैर्यवान होते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित होते हैं, चाहे इसमें कितना भी समय लगे. वे वफादार और सहायक दोस्त भी हैं. ज्योतिष शास्त्र के जानकार कहते हैं कि अगर मकर राशि के लोगों के जीवन में कोई परेशानी है और हर सम्भव कोशिश करने के बाद भी सफलता नहीं मिल रही, लगातार एक के बाद एक समस्याएं उन्हें मानसिक रूप से टेंशन दे रही है तो वे स्वयं अपनी राशि के अनुसार पूजा-पाठ व उपाय कर शीघ्र सफलता प्राप्त कर सकते हैं और अपनी परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं. आइए जानते हैं मकर राशि के जातकों को किसकी पूजा करनी चाहिए?, कौन सा व्रत करना चाहिए, किस मंत्र का जाप करना चाहिए, क्या दान करना चाहिए व कौन से उपाय करने चाहिए ताकि उन्हें मनचाहा फल प्राप्त हो सके-

मकर राशि वालों को किसकी पूजा करनी चाहिए?

मकर राशि वालों को किसकी पूजा करनी चाहिए?, Makar Raashi Walon Ko Kiski Pooja Karni Chahiye?
पूजा-पाठ व ईश्वर की अराधना करने से घर का वातावरण सकारात्मक रहता है, व्यक्ति को सुख-शांति की प्राप्ति होती है और भगवान का आशीर्वाद भी मिलता है. बताया जाता है कि राशिनुसार पूजा पाठ करने से भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं. क्योंकि मकर राशि के स्वामी शनि हैं और इष्टदेव हनुमान जी और शिव जी हैं, इसलिए मकर राशि के लोगों को शनिदेव, हनुमान जी और शिव जी की पूजा करनी चाहिए. यहां जानिए मनोकामना पूर्ति के लिए मकर राशि के जातक कैसे करें शनिदेव, हनुमान जी और शिव जी पूजा-
1. शनिदेव की पूजा विधि – शनिवार के दिन प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद स्वच्छ काले रंग का वस्त्र धारण करें. गणेश जी के पूजन से पूजा प्रारंभ करें. गणेश जी की पूजा के बाद शनिदेव की प्रतिमा की विधिवत पूजा करें. शनि देव को नीले लाजवन्ती का फूल, तिल, तेल, गुड़ अर्पण करें. शनि देव के नाम से तेल का दीपोत्सर्ग करें. पूजा के अंत में 21 बार शनिदेव महाराज के मंत्रों ओम शनैश्चराय विदमहे सूर्यापुत्राय धीमहि.. तन्नो मंद: प्रचोदयात.. का जाप करें. पूजा के अंत में कपूर से शनिदेव की आरती उतारें. शनि चालीसा का पाठ करें. पूजा के पश्चात शनिदेव से अपने अपराधों एवं जाने अनजाने हुए पाप कर्म के लिए क्षमा याचना करें. शनि महाराज की पूजा के पश्चात राहु और केतु की पूजा भी अवश्य करें. इस दिन शनि भक्त पीपल के पेड़ में जल दें और पीपल में सूत्र बांधकर सात बार परिक्रमा करें और शाम को पूजा दोहराकर पूजा का समापन करें.

2. हनुमान जी की पूजा विधि – मकर राशि के जातक मंगलवार या शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करें. पूजा के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर निवृत हो जाएं और लाल वस्त्र धारण करें. कोशिश करें कि आपने जो वस्त्र पहना है वह सिला हुआ ना हो. अब घर के ईशान कोण में हनुमान जी की मूर्ति के साथ श्री राम और माता सीता की भी प्रतिमा रखें. अब घी का दीपक और धूप जलाकर सुंदर कांड का पाठ करें और हनुमान जी के मंत्र ॐ हं हनुमते नम: का जाप करें. फिर लाल फूल, लाल सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं. भगवान को गुड़, केले और लड्डू का भोग लगाएं. इसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ और आरती करें. परिवार के सदस्यों को प्रसाद बांटे.

3. शंकर जी की पूजा विधि – भगवान शंकर की पूजा के लिए सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि कर साफ वस्त्र पहन लें. घर के मंदिर में दीपक जलाएं. भगवान शिव और सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें. उन्हें पुष्प चढ़ाएं. पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं. ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाएं ध्यान रखें कि भगवान शंकर की पूजा में तुलसी दल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. अगर आप शिवलिंग की पूजा कर रहें हैं तो ध्यान रहे कि शिवलिंग पर शंख से जल अर्पित न करें. शिवलिंग पर केवड़े और केतकी का पुष्प अर्पित न करें, हल्दी का इस्तेमाल भी न करें. ना ही नारियल पानी चढ़ाएं.

मकर राशि वालों को कौन सा व्रत करना चाहिए?

मकर राशि वालों को कौन सा व्रत करना चाहिए, Makar Rashi Vaalon Ko Kaun Sa Vrat Karna Chahiye
मकर राशि के स्वमी शनिदेव हैं इसलिए मकर राशि के जातकों को शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनिवार का व्रत करना चाहिए. सभी ग्रहों में शनि का मनुष्य पर सबसे हानिकारक प्रकोप होता है. शनि की साढ़े साती दशा जीवन में अनेक दुःखों, विपत्तियों का समावेश करती है. शनि की कुदृष्टि से राजाओं तक का वैभव पलक झपकते ही नष्ट हो जाता है. अतः मनुष्य को शनि की कुदृष्टि से बचने के लिए शनिवार के दिन व्रत व पूजा करनी चाहिए. यहां जानिए शनिवार के व्रत की संपूर्ण विधि-
कब से शुरू करें शनिवार व्रत – वैसे तो शनिवार का व्रत कभी भी शुरू किया जा सकता है, लेकिन श्रावण मास में शनिवार का व्रत प्रारंभ करने का विशेष महत्व माना गया है.
शनिवार के कितने व्रत करना चाहिए – यह व्रत लगातार 7, 11, 21, 51 शनिवार तक करना चाहिए.
शनिवार के व्रत की विधि- शनिवार का व्रत करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नदी या कुएं के जल से स्नान करें. ऐसा संभव न हो तो नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें व नीले या काले रंग के स्वच्छ वस्त्र पहन लें. अब सबसे पहले पीपल के वृक्ष पर जल अर्पण करें. लोहे से बनी शनि देव की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं. फिर इस मूर्ति को चावलों से बनाए चौबीस दल के कमल पर स्थापित करें. इसके बाद काले तिल, फूल, धूप, काला वस्त्र व तेल आदि शनिदेव को अर्पित करें. शनि चालीसा, स्तोत्र, शनि व्रत कथा (उपवास कथा) का पाठ और आरती से भगवान की पूजा करें. पूजन के दौरान शनि के इन 10 नामों का उच्चारण करें- कोणस्थ, कृष्ण, पिप्पला, सौरि, यम, पिंगलो, रोद्रोतको, बभ्रु, मंद, शनैश्चर. पूजन के बाद मकर राशि के लोग पीपल के वृक्ष के तने पर सूत के धागे से सात बार परिक्रमा करें. इसके पश्चात निम्न मंत्र से शनि देव की प्रार्थना करें-
शनैश्चर नमस्तुभ्यं नमस्ते त्वथ राहवे.
केतवेअथ नमस्तुभ्यं सर्वशांतिप्रदो भव॥
इसी तरह हर शनिवार व्रत रखना चाहिए. इसके अलावा इस दिन चीटियों को आटा डालना फलदायी माना गया है. ध्यान रखें कि महिलाओं को शनि देव की मूर्ति या उनके शिला रूप को छूना नहीं चाहिए. धर्म-शास्‍त्रों के मुताबिक ऐसा करने से महिलाओं पर शनि की नकारात्‍मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ता है.

शनिवार व्रत में क्या खाएं क्या नहीं – शनिवार के व्रत में एक समय के भोजन का विधान है. उड़द की दाल की खिचड़ी अथवा दाल खाई जाती है. शनिवार को दूध, दही, मसूर दाल ना खाएं. इस दिन शराब से दूर रहें. इस दिन सरसों का तेल खाने से भी बचना चाहिए.
शनिवार व्रत की उद्यापन विधि- शनिदेव के व्रत का उद्यापन विधिपूर्वक 7, 11, 21, 51 अथवा जितने भी व्रत करने का आपने संकल्प किया था उतने शनिवार के व्रत के बाद आखिरी शनिवार को करना चाहिए. उद्यापन के लिए व्रत के आखिरी शनिवार को प्रात:काल नित्य कर्मो से निवृत होकर स्नान के जल में गंगा जल व काले तिल डालकर स्नान करें साथ में ॐ प्राम प्रीम प्रौम सः शनैश्चराय नमः का जाप करें. अब उपरोक्त विधि से पूजा करें. इसके बाद शनि देव के बीज मंत्र का कम से कम 108 बार या अपनी श्रद्धा अनुसार इससे अधिक बार मंत्रों का जाप करें या महाराज दशरथ कृत शनि स्तोत्र के द्वारा भी शमी की लकड़ी व संकट नाशक सामग्री की यज्ञ कुंड में आहूति देते हुए यज्ञ करें. हवन पूरा होने के बाद छायापात्र का दान तथा शनि देव से संबंधित सामग्रियों का दान गरीब और भिखारियों में करें. आखिर में भोजन कर व्रत का उद्यापन करें.

मकर राशि के लिए मंत्र, Makar Rashi Ke Liye Mantra

1. ॐ शं शनैश्चराय नम:– सुख समृद्धि के लिए मंत्र
2. ॐ ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं सौं: – लक्ष्मी प्राप्ति के लिए मंत्र
कैसे करें मंत्र जाप – मकर राशि के जातक इगर उपरोक्त मंत्र का जाप करें तो उन्हें विशेष फल की प्राप्ति होगी. मंत्र जाप करने के लिए सबसे पहले सुबह स्नान के बाद घर के मंदिर में भगवान की पूजा करें. पूजा में हार-फूल, प्रसाद सहित अन्य सामग्री प्रतिमा को चढ़ाएं. इसके बाद आसन पर बैठकर 108 बार मंत्रों का जाप करें.

मकर राशि के लिए कौन सा पत्थर पहनना चाहिए?

मकर राशि के लिए कौन सा रत्न/पत्थर पहनना चाहिए?, Makar Rashi Ke Liye Kaun Sa Patthar Pahanna Chaahie?, Makar Rashi Ke Liye Stone
मकर राशि के स्‍वामी शनिदेव हैं और इनका रंग काला है, ये कर्म का फल प्रदान करने वाले ग्रह के रूप में जाने जाते हैं. इनको प्रसन्‍न करने के लिए मकर राशि के जातकों को ब्लू नीलम पहनना चाहिए. नीलम शनि ग्रह का रत्न/पत्थर है इसलिए शनि ग्रह के लिए नीलम रत्न/पत्थर पहना जाता है. मकर राशि के अलावा कुंभ राशि वालों को भी नीलम पहनने की सलाह दी जाती है. मकर राशि के जातकों को शनिवार के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद दायें हाथ की मध्यमा उंगली में नीलम रत्न/पत्थर को धारण करना चाहिए.
नीलम पहनने से लाभ और नुकसान – मकर राशि के लिए नीलम रत्न बेहद शुभ है. क्षीण ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने और जीवन में ऊर्जा शक्ति को बढ़ावा देने के लिए मकर राशि के जातकों को ब्लू नीलम पहनने की सलाह दी जाती है. मकर राशि के जातकों को जल्दी सफलता पाने के लिए नीलम पहनना चाहिए. माना जाता है कि नीलम रत्न/पत्थर उदारता को बढ़ावा देता है, और जीवन में बहुतायत और समृद्धि भी लाता है. नीलम रत्न धारण करने से आर्थिक लाभ, स्वास्थ्य लाभ, यश-कीर्ति और आत्मविश्‍वास मिलता है. ऐसी मान्यता है कि नीलम रत्न यदि आपके लिए शुभ हो, तो वो रातोंरात आपकी ज़िंदगी बदल देता है, लेकिन ये यदि आपके लिए शुभ नहीं है, तो ये नुकसान का कारण भी बन सकता है,  इसके शुरुआती लक्षणों में अकारण ही हाथ-पैरों में जबर्दस्त दर्द रहने लगेगा, बुद्धि विपरीत हो जाएगी, धीरे-धीरे संघर्ष बढ़ने लगेगा और व्यक्ति जिंदगी में खुद के ही बुने हुए जाल में उलझ जाएगा. इसलिए नीलम रत्न/पत्थर पहनने से पहले इसकी अच्छी तरह जांच ज़रूर करा लें.
मकर राशि के जातक कौन सा रत्न/पत्थर धारण न करें- मकर राशि के जातक पुखराज न पहनें तो बेहतर होगा.

मकर राशि के उपाय, Makar Rashi Ke Upaay

1. शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनि यंत्र की स्थापना करें. हर रोज इसके सामने सरसों के तेल का दीपक जलाकर शनि यंत्र की विधि-विधान से पूजा करें. माना जाता है कि ऐसा करने वालों पर शनि की कुदृष्टि नहीं पड़ती.
2. शनिदेव (Shani Dev) की कृपा पाने के लिए हर शनिवार शाम को किसी शनि मंदिर (Shani Mandir) में ओम शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप करें.
3. काले कपड़े में शमी वृक्ष की जड़ को बांधकर अपनी दायी बाजू पर धारण करने पर शनिदेव आपका बुरा नहीं करेंगे और आपका भाग्योदय होगा.
4. मंगलवार के दिन हनुमान जी के मंदिर में तिल का दीया जलाने से भी शनि पीड़ा से मुक्ति मिलती है.
5. शनिवार के दिन शाम को सूर्यास्त के पूर्व पीपल या बरगद के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए, इससे भक्तों पर शनिदेव की कृपा दृष्टि बनी रहती है.
6. शनिदेव से जुड़े दोष दूर करने या फिर उनकी कृपा पाने के लिए शिव की उपासना एक सिद्ध उपाय है. नियमपूर्वक शिव सहस्त्रनाम या शिव के पंचाक्षरी मंत्र का पाठ करने से शनि के प्रकोप का भय जाता रहता है और सभी बाधाएं दूर होती हैं. इस उपाय से शनि द्वारा मिलने वाला नकारात्मक परिणाम समाप्त हो जाते हैं.
7. शनिवार के दिन उड़द दाल की खिचड़ी खाने से भी शनि दोष दूर होता है.
8. शनिवार के दिन काली गाय के माथे पर कुमकुम से तिलक लगाएं. इसके बाद उसे बूंदी का लड्डू खिलाएं. फिर उसके दाहिने सींग को अपने हाथ से छूकर आशीर्वाद लें ऐसा करने से व्यक्ति को दुखों से छुटकारा मिलेगा.
9. प्रत्येक शनिवार को 11 बार महाराज दशरथ द्वारा लिखा गया दशरथ स्तोत्र का पाठ करें. शनि महाराज ने स्वयं दशरथ जी को वरदान दिया था कि जो व्यक्ति आपके द्वारा लिखे गये स्तोत्र का पाठ करेगा उसे मेरी दशा या शनि दशा के दौरान कष्ट का सामना नहीं करना होगा.
10. मकर राशि के लोग अपने कष्ट दूर करने के लिए शनिवार के दिन रोज रात में एक कटोरे में सरसों का तेल भरकर अपने पलंग के नीचे रखें. सुबह उस तेल में पकौड़े बनाकर कुत्तों को खिलाएं. इसके अलावा सरसों के तेल का पराठा या तेल लगी रोटी को काली गाय या काले कुत्ते को खिलाएं.
11. हर शनिवार के दिन काले कुत्ते को रोटी खिलाएं तथा गरीब एवं जरूरतमंद लोगों को काले वस्तुओं का दान करें, ऐसा करने से भी कष्ट दूर होंगे.
12. मकर राशि के लोग बछड़े की सेवा करें. इससे आपके जीवन में आने वाले तमाम कष्टों से निजात मिलेगा.

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