Fistula Causes Fistula Symptoms Prevention Fistula Treatment And Surgery in Hindi

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Fistula Ke Lakshan in Hindi

परिचय – फिस्टुला ( भगन्दर ) क्या होता है – फिस्टुला ( भगन्दर ) क्या है  

फिस्टुला, अंगों या नसों के बीच एक असामान्य जोड़ होता है। यह ऐसे दो अंगों या नसों को जोड़ देता है जो प्राकृतिक रूप से जुड़े नहीं होते हैं, जैसे आंत व त्वचा के बीच में, योनि व मलाशय के बीच में।फिस्टुला के कुछ प्रकार होते हैं लेकिन इसका सबसे आम प्रकार है भगन्दर (एनल फिस्टुला)।भगन्दर एक छोटी नली समान होता है जो आंत के अंत के भाग को गुदा के पास की त्वचा से जोड़ देता है। यह आमतौर पर, तब होता है जब कोई संक्रमण सही तरीके से ठीक नहीं हो पाता।ज़्यादातर भगन्दर आपकी गुदा नली में पस के इकठ्ठा होने से होते हैं। यह पस त्वचा से खुद भी बाहर निकल सकती है या इसके लिए ऑपरेशन की आवश्यकता भी हो सकती है। भगन्दर तब होता है जब पस का त्वचा से बाहर आने के लिए बनाया गया रास्ता खुला रह जाता है या वह ठीक नहीं हो पाता। फिस्टुला (भगन्दर ) के लक्षण होते हैं दर्द, सूजन, सामान्य रूप से मल आने में बदलाव और गुदा से रिसाव होना।इसकी जाँच के लिए डॉक्टर आपका एक शारीरिक परीक्षण करते हैं जिसमें आपके गुदा और आसपास की जगह में भगन्दर की जाँच की जाती है।भगन्दर के इलाज के लिए सर्जरी की जा सकती है जिसमें संक्रमित जगह से पस को निकाला जाता है।

प्रकार – फिस्टुला (भगन्दर ) के प्रकार  – Types of Fistula in Hindi

1- सामान्य या जटिल 
एक या एक से ज़्यादा भगन्दर होने को सामान्य या जटिल फिस्टुला के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
2- कम या ज़्यादा 
भगन्दर के होने की जगह और स्फिंकटर मांसपेशियों (Sphincter Muscles: दो अंगूठी जैसी मासपेशियां जो गुदा को खोलती और बंद करती हैं) से उसकी नज़दीकी के आधार पर उसे कम या ज़्यादा में वर्गीकृत किया जाता है।

लक्षण  – फिस्टुला (भगन्दर ) के लक्षण  – Symptoms of Fistula in Hindi

  • गुदा में बार-बार फोड़े होना
  • गुदा के आसपास दर्द और सूजन
  • मल करने में दर्द
  • रक्तस्त्राव
  • गुदा के पास एक छेद से बदबूदार और खून वाली पस निकलना (पस निकलने के बाद दर्द कम हो सकता है)
  • बार-बार पस निकलने के कारण गुदा के आसपास की त्वचा में जलन
  • बुखार, ठण्ड लगना और थकान महसूस होना
  • कब्ज
  • सूजन

कारण – फिस्टुला (भगन्दर ) के कारण – Causes of Fistula in Hindi

इस का कारण एनल कनाल की कोशिकाओं में होने वाला संक्रमण है. यह संक्रमण रैक्टम में सामान्य तौर पर पहले से ही मौजूद बैक्टीरिया के प्रसार के कारण होता है. अगर शुरुआती दौर में ही इस संक्रमण को खत्म करने का प्रयास किया जाए तो इसे विकसित होने से रोका जा सकता है. लेकिन समस्या यह है कि अकसर मरीज को इस का पता ही नहीं चलता और वह यह समझता है कि कब्ज की वजह से उसे मल त्याग करते वक्त दर्द हो रहा है. जब घाव गहरा हो जाता है और मलद्वार से रक्त और पस बाहर आने लगता है तब यह एहसास होता है कि मरीज एनल फिस्टुला का शिकार हो गया है.

बचाव – फिस्टुला (भगन्दर ) बचाव

  • अगर कभी आपको गुदा द्वार के पास फुंसी, फोड़ा वगैरह हो चुका है तो भगंदर से बचने के लिए आपको सावधानियां बरतनी चाहिए।
  • कब्ज या सूखे मल की स्थिति में पर्याप्त मात्रा में फाइबर लें।
  • तरल पदार्थ/पेय का ज्यादा सेवन करें। शराब और कैफीन पीने से बचें।
  • शौच को रोकें नहीं। बहुत जरुरी हो तो भी ज्यादा देर तक न रोकें।
  • पाचन तंत्र फिट रखने के लिए रोजाना कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें।
  • शौच करने में पर्याप्त समय लें। न बहुत हड़बड़ी करें और न ही बहुत ज्यादा देर तक बैठे रहें।
  • मल द्वार को साफ और सूखा रखें। शौच के बाद अच्छे से सफाई करें।

परीक्षण – फिस्टुला का परीक्षण – भगन्दर का परीक्षण

कुछ फिस्टुला का पता लगाना आसान होता है और कुछ का कठिन। कभी-कभी यह खुद ठीक हो जाता है तो कभी-कभी ठीक होने के बाद फिर से हो जाता है।

  • इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर मलद्वार से रिसाव और रक्तस्त्राव के लक्षणों की जांच करते हैं।
  • इसका पता लगाने के लिए कोलोनोस्कोपी  की भी जरुरत पड़ सकती है।
  • इसमें आपके गुदा में एक कैमरे वाली ट्यूब डाली जाती है, गुदा और मलाशय का भीतरी हिस्सा देखा जाता है।

फिस्टुला जांच प्रक्रिया – भगन्दर जांच प्रक्रिया

फिस्टुला की जांच के लिए गुदा परीक्षण किया जाता है, लेकिन कई रोगियों को इस के अलावा अन्य परीक्षणों की जरूरत भी पड़ सकती है जैसे फिस्टुलोग्राम और फिस्टुला के भाग को देखने के लिए एमआरआई जांच.

उपचार – फिस्टुला का उपचार – भगन्दर का उपचार

यह रोग की ऐसी स्थिति होती है जब सिर्फ औपरेशन ही इलाज का एक मात्र रास्ता रह जाता है.

  • भगंदर के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। डॉक्टर भगंदर की नली की त्वचा और आसपास की मांसपेशियों में एक चीरा लगाते हैं और फिर पस निकाला जाता है।
  • स्थिति ज्यादा बिगड़ी हुई हो तो डॉक्टर भगंदर के छेद में एक ट्यूब डालते हैं, जो कि सेटन संक्रमित तरल पदार्थ को सोखने का काम करती है। इसमें डेढ़ महीने या उससे ज्यादा समय भी लग जाता है।

परंपरागत सर्जरी: फिस्टुला की परंपरागत सर्जरी को फिस्टुलैक्टोमी कहा जाता है. सर्जन इस सर्जरी के जरीए भीतरी मार्ग से ले कर बाहरी मार्ग तक की संपूर्ण फिस्टुला को निकाल देते हैं. इस सर्जरी में आमतौर पर टांके नहीं लगाए जाते हैं. जख्म को धीरेधीरे और प्राकृतिक तरीके से भरने दिया जाता है. इस उपचार विधि में दर्द होता है और उपचार के असफल होने की संभावना रहती है. अंदर के मार्ग और बगल में मल त्याग में दिक्कत होती है. फिस्टुला की सर्जरी से होने वाले जख्म को भरने में 6 सप्ताह से ले कर 3 माह तक का समय लग जाता है.

फिस्टुला (भगन्दर ) के नवीनतम उपचार

वीडियो असिस्टेड एनल फिस्टुला ट्रीटमैंट (वीएएएफटी) सुरक्षित और दर्द रहित उपचार है. यह डे केयर सर्जरी है यानी रोगी सुबह अस्पताल आता है और उसी दिन शाम को चला जाता है. यही नहीं, वीएएएफटी को दोबारा होने से रोकता है. इस सर्जरी में माइक्रो ऐंडोस्कोप का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे पूरे फिस्टुला मार्ग में ले जाया जा सकता है. उस दौरान फिस्टुला को देखा जा सकता है. इस स्थिति में सर्जन को विशेष विद्युतीय करंट के जरीए फिस्टुला को नष्ट करने में मदद मिलती है.
सर्जन फिस्टुला के मार्ग को ठीक तरीके से बंद करने के लिए एक विशिष्ट फाइब्रिन ग्लू का इस्तेमाल करते हैं, जिस से कोई जख्म नहीं रहता है और इसीलिए अधिक दिनों तक ड्रैसिंग की जरूरत नहीं होती. इस कारण मलमूत्र को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों को किसी तरह की क्षति नहीं पहुंचती और मलमूत्र त्यागने की क्रिया सामान्य बनी रहती है. लेकिन पारंपरिक ओपन सर्जरी में मांसपेशियों को नुकसान पहुंचने का खतरा बरकरार रहता है.

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