धरतीपुत्र दरिपल्ली रमैया, पद्मश्री दरीपल्ली रमैया की कहानी, Padmashri Daripalli Ramaiah Ki Kahani, Motivational Story Padmashri Daripalli Ramaiah In Hindi, Daripalli Ramaiah Kaun Hai, Daripalli Ramaiah Son Of Mother Earth, Dhartiputra Daripalli Ramaiah

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धरतीपुत्र दरिपल्ली रमैया, पद्मश्री दरीपल्ली रमैया की कहानी
धरतीपुत्र जिसने एक करोड़ से भी अधिक पेड़ लगाए है!
‘‘उन सभी जीवों में मनुष्य सर्वश्रेष्ठ हैं, जो इस पृथ्वी को अपना घर मानते हैं। वह सर्वश्रेष्ठ हैं, क्योंकि वह विचार कर सकता हैं, चिंतन कर सकता हैं। कार्य के सही और गलत होने में भेद कर सकता हैं। वह अपनी चट्टान जैसी इच्छा शक्ति से किसी भी कार्य को मूर्त रूप दे सकता है। प्रकृति ने मानव को पेड़-पौधों के रूप में एक बहुमूल्य उपहार दिया है। इसलिए यह हमारा, हम सबका कर्तव्य बनता हैं कि हम इन उपहारों को संजो कर रखें। बचा कर रखें। अपनी समृद्धि के लिए, मानव जाति की समृद्धि के लिए‘‘
ये विचार है, 68 वर्ष के दरिपल्ली रमैया के|
एक ऐसे व्यक्ति जिन्होंने दृढ़ इच्छा शक्ति एवं प्रकृति के प्रति अपने अकूट प्रेम के बल पर एक करोड़ से भी ज्यादा वृक्षों को लगाकर एक नयी कहानी ही नहीं लिखी बल्कि अपने गाँव और आस-पास के हजारों मील की विरान भूमि को हरियाली के चादर से ढ़क दिया हैं।
यह उनकी इच्छा शक्ति ही है, कि वर्तमान समय में जहां पेड़ काटना पेड़ लगाने से ज्यादा महत्वपूर्ण समझा जाने लगा हो और जहां वृक्षारोपण के मायने अपने घर के गमले में एक पौधा लगाने तक ही सीमित हो, वहां एक व्यक्ति वृक्षों को बचाने के लिए जेब में बीज और साईकिल पर पौधे रखकर तेलंगना के खम्मम जिले में रोज मीलों लंबा सफर तय करता हैं।
उनका यह कार्य लोगों को आश्चर्यचक्ति तो करता ही हैं, साथ ही यह कार्य व्यक्ति के उस दृढ़ निश्चय और विश्वास को भी चरितार्थ करता है कि प्रकृति ने मनुष्य के अंदर ऐसी कोई इच्छा पैदा ही नहीं की जिसको वह पूरा न कर सके।
दरिपल्ली रमैया तेलंगना राज्य के खम्मम जिले के एक छोटे से गाँव है। पर्यावरण में आ रहे बदलाव, बढ़ते प्रदूषण की मात्रा और वृक्षों की हो रही अंधाधुंध कटाई से दरिपल्ली का मन हमेशा बेचैन रहता था। वे इसके निदान के लिए कुछ करना चाहते थे। तभी उनके मन में वृहद स्तर पर वृक्ष लगाने का विचार आया।
और फिर क्या था वे रोज इसी सोच के साथ जेब में बीज और साईकिल पर पौधे रखकर जिले का लंबा सफर तय करते और जहां कही भी खाली भूमि दिखती वही पौधे लगा देते। प्रारम्भ में उन्होंने ऐसा करके अपने गांव के पूर्व और पश्चिम दिशा में चार-चार कि.मी. के श्रेत्र को हरे-भरे पेड़-पौधों से भर दिया, जिनमें मुख्यतः बेल, पीपल, कदंब और नीम के पेड़ हैं। इन पेड़ों की संख्या आज बढ़कर तीन हजार से भी ज्यादा हो गई हैं।
पर्यावरण प्रेम से वशीभूत होकर दरिपल्ली रमैया इस कार्य को हमेशा आगे बढ़ाते रहे| उन्होंने अपनी जिम्मेदारी सिर्फ वृक्ष लगाने तक ही सीमित नहीं रखी हैं, बल्कि वे स्वयं पेड़-पौधों की देख-रेख भी करते हैं। वे स्वयं कहते हैं – “मेरा उद्देश्य पौधों को लगा देने भर से ही समाप्त नहीं होता, मेरा काम तो इनको एक छोटे पौधे से पेड़ बनाने के बाद ही समाप्त होता हैं।“
उनकी इस लगन का परिणाम यह हुआ कि आज इस जिले के हजारों हेक्टेयर भूमि में विस्तृत वन श्रेत्र विकसित हो चुका हैं, जिसे राज्य की सरकार ने संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया हैं। दरिपल्ली रमैया पेड़-पौधें लगाने वाले एक जुनूनी व्यक्ति भर नहीं हैं। बल्कि वे वृक्षों का चलता-फिरता विश्वकोष हैं। वे पौधों के विभिन्न प्रजातियों, उनके उपयोग और लाभ आदि के विषय में विस्तृत ज्ञान रखते हैं।
वे अपने गाँव के बाहर स्थित पुराने पुस्तकों के दुकानों से पेड़-पौधों से संबंधित किताबें खरीद कर उनका अध्ययन भी करते हैं। उनके पास राज्य में पाये जाने वाले 600 से ज्यादा वृक्षों के बीजों का अनूठा संग्रह भी हैं।
वे यही नहीं रूके; पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए उन्होंने कबाड़ के टिन प्लेटों पर वृक्ष बचाओं के नारे रंग-बिरंगे रंगों से लिखकर पूरे गाँव व जिलें में घूमते हैं। वे बड़े ही गर्व से राजमुकुट की भांति टीन की एक टोपी भी पहनते हैं, जिससे वे लोगों को हरियाली बचाने की अपील करते हैं।
एक बार किसी व्यक्ति ने उनके काम से खुश होकर उनके बेटे की शादी पर 5000 रूपये दिये परन्तु यह रमैया का काम के प्रति सर्मपण ही कहा जाएगा कि उन्होंने उस पैसे को भी वृक्षारोपण के कार्य को आगे बढ़ाने में लगा दिया। पैसे की कमी दरिपल्ली के उद्देश्य पूर्ति में कभी बाधा नहीं बनी।
अंत में- हम सभी ऐसे कार्यों को, जिनका संबंध धन कमाने से होता है, बड़े ही लगन से करते हैं। लेकिन रमैया उन विरले महान व्यक्तियों में है, जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन ऐसे कार्य को करते हुए बिताया हैं, जिससे दूसरों और आने वाली पीढ़ियों की जिंदगी सुरक्षित हो सके। यदि कोई कार्य के प्रति सर्मपण और जुनून को सही मायने में समझना चाहता हैं, तो दरिपल्ली रमैया का जीवन उनके लिए प्रेरणास्रोत है।
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